मध्य प्रदेश के ग्रामीण आदिवासी इलाके में स्थित एक समूह HOWL (How Ought We Live) हिंदी में कहें तो, ‘हमें कैसे जीना चाहिए’ के सभी सदस्य पिछले एक महीने से भय में जी रहे हैं. हिन्दुत्ववादियों ने धर्मांतरण का झूठा आरोप लगाकर इनके शुक्रवासा ग्रामीण कार्यालय को ध्वस्त कर दिया गया है. HOWL ग्रुप के संस्थापक और पत्रकार, सौरव बनर्जी, अभी भी पुलिस हिरासत में हैं.
ऑल्ट न्यूज को एक शुक्रवासा निवासी ने बताया, “HOWL समूह हम जैसे ग़रीब लोगों के लिए बहुत अच्छा काम रहे थे, वो लोगों को अस्पताल ले जाते उनका इलाज करवाते, बच्चों का स्कूल में एड्मिशन करवाते थे. सौरव बनर्जी और उनके सभी लोग हम लोगों के साथ होली खेलते, राखी बांधते, दिवाली मनाते थे. कुछ लोगों ने उनपर धर्मांतरण का झूठा आरोप लगाया है.”
क्या है पूरा मामला?
24 जुलाई को, धर्मांतरण और संदिग्ध गतिविधि जैसे आरोपों पर स्पष्टीकरण देने के लिए, HOWL के संस्थापक सौरव बनर्जी और उनके सदस्य समेत कुछ गांव वाले इंदौर प्रेस क्लब परिसर पहुँचे ही थे कि पत्रकारों और पुलिस के मौजूदगी में हिन्दू संगठन के कार्यकर्ताओं ने सौरव बनर्जी समेत समूह के अन्य लोगों पर हमला कर दिया. इतना ही नहीं स्थानीय बजरंग दल नेता अविनाश कौशल के नेतृत्व में वहाँ मौजूद प्रदर्शनकारियों ने HOWL के सदस्यों को धमकाने और समूह के महिला संदस्यों पर हमला करने का प्रयास किया गया. इस घटना का वीडियो पत्रकार अनुराग द्वारी ने शेयर किया था.
इंदौर प्रेस क्लब में पत्रकारों और पुलिस के सामने बजरंग दल गुंडई पर उतर आया, इसे गुंडई से कम और क्या कहेंगे … सौरभ पेशे से पत्रकार हैं, वो और उनके कुछ साथी धर्मातरण के आरोपों पर प्रेस कॉन्फ्रेंस करने आए थे लोकतंत्र में क्या आरोपों का जवाब देना तक गुनाह है pic.twitter.com/MiO00Uk3jK
— Anurag Dwary (@Anurag_Dwary) July 24, 2025
समूह के सदस्य और पर्वतपुरा पंचायत विकास समिति के सदस्य समाचार कार्यालय पहुँचे. समूह ने दावा किया उसी दिन दोपहर लगभग 2 बजे, भगवा स्कार्फ़ पहने दक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं की एक भीड़ ने अचानक समूह पर हमला कर दिया और उन्होंने सदस्यों को बेरहमी से घसीटा और पीटा, उन पर कुर्सियाँ फेंकी और उनके चेहरे पर कालिख पोत दिए.
पुलिस के मौजूदगी में हमलावर HOWL के सदस्यों पर हमला कर रहे थे. इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर मौजूद है, जहाँ हमलावर पुलिस की उपस्थिति में हमला करते नज़र आ रहे हैं.
पुलिस की गाड़ी में भी उन्हें मारा पीटा गया चेहरे पर कालिख पोती गई pic.twitter.com/AjaHOZx4PA
— Anurag Dwary (@Anurag_Dwary) July 24, 2025
इन सबके बाद HOWL के 9 सदस्यों में से 8 को पुलिस अधीक्षक (एसपी) कार्यालय ले जाया गया, जहाँ पुलिस ने उनके फ़ोन, लैपटॉप, बैग, मूल दस्तावेज़, पैसे और गहने ज़ब्त कर लिए. दो सदस्यों के बयान लिए गए, जिनसे बार-बार व्यक्तिगत सवाल पूछे गए और बाकी सभी सदस्यों को छत पर ही रखा गया. उस रात लगभग साढ़े नौ बजे, संस्थापक सौरव बनर्जी को छोड़कर सभी सदस्यों को छोड़ दिया गया.
26 जुलाई को ग्रामीण सचिन बामणिया की शिकायत पर HOWL के खिलाफ धर्म परिवर्तन के आरोप में एफआईआर दर्ज किया गया.
एक वीडियो में वकील जयंत विपत ने बताया कि 28 जुलाई तक सौरव बनर्जी के खिलाफ केवल भारतीय न्याय संहिता (BNS), 2023 की धारा 299 धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का मामला दर्ज कर अदालत में पेश किया गया था. सौरव बनर्जी की जमानत अर्जी भी सेशन कोर्ट ने ख़ारिज कर दी.
मध्य प्रदेश में आदिवासियों के लिए काम करने वाले संगठनों / कार्यकर्ताओं को किस तरह टार्गेट किया जाता है, देवास/इंदौर की घटना इसका सबसे बेहतर उदाहरण हैं। #Tribal #Activists #MP pic.twitter.com/XnOGwvW6u4
— काश/if Kakvi (@KashifKakvi) July 28, 2025
ऑल्ट न्यूज ने समूह के सदस्यों और कुछ ग्रामीणों से बात की. इन सब के बयानों और पुलिस दस्तावेजों के आधार पर जानते हैं कि आखिर क्या हुआ था.
HOWL क्या है?
HOWL, डॉक्टर, पत्रकार, इंजीनियर कामकाजी पेशेवरों का आत्मनिर्भर एक सामुदायिक समूह है जो कि मध्यप्रदेश के देवास ज़िले के पर्वतपुरा पंचायत के अंतर्गत आने वाले शुक्रवासा गाँव में जंगल और पहाड़ियों के बीच स्थित था. यह समूह दलित, आदिवासी एवं पिछड़े तबकों में शिक्षा, जागरूकता और सरकारी योजनाओं के जरिए वहाँ के निवासियों को मुख्यधारा से जोड़ने का कार्य कर रहा था.
पेशे से पत्रकार सौरव बनर्जी फ़रवरी 2021 में एक कैंपिंग ट्रिप में शुक्रवासा आए थे और जब उन्होंने क्षेत्र की मौजूदा स्थिति के साथ-साथ लोगों की दैनिक स्थिति को देखते हुए वह वहीं रहकर कुछ लोग के साथ समूह का निर्माण किया. नीचे तस्वीरों में विश्व आदिवासी दिवस पर कबीर भजन गायक व पद्मश्री से सम्मानित प्रहलाद सिंह टिपानिया HOWL सदस्यों के साथ मौजूद हैं. ऑल्ट न्यूज़ को प्राप्त हुई इन तस्वीरों में सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर, भारत सरकार के पूर्व प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार आर. चिदंबरम और भारतीय शास्त्री संगीत के मशहूर तबला और सितार वादक पंडित नयन घोष का इंटरव्यू ले रहे सौरव बनर्जी मौजूद हैं.
धीरे-धीरे ग्रामीण HOWL समूह से स्वास्थ्य, शिक्षा और सम्मान के अधिकार जैसे मुद्दों के कामों से जुड़ने लगे. इन्होंने पर्वतपुरा पंचायत विकास समिति का गठन किया और यह सब वहां के निवासियों के सहयोग से किया गया. HOWL समूह और विकास समिति ने मिलकर गाँव के पुरुषों, महिलाओं को जागरूक व शिक्षित करने के साथ-साथ सरकारी योजना तक पहुँच के लिए दस्तावेज निर्माण, स्वास्थ्य संबंधी सुविधा मुहैया करवाना से लेकर स्वास्थ्य शिविर लगवाने तक का काम करने लगे. इतना ही नहीं, सैनिटरी पैड वितरण, संवैधानिक अधिकारों व सभ्य जीवन और अन्य विकास संबंधी मुद्दों पर नियमित जागरूकता अभियान, बंधुआ मजदूरी के खिलाफ अभियान, आत्मनिर्भर व स्वरोजगार के उद्देश्य से आटा चक्की स्थापित करना, मुर्गी पालन, मछली पालन, गांव में निशुल्क चित्रकला कक्षा और लाइब्रेरी खोला गया. इसके अतिरिक्त, समिति द्वारा गाँव के लोगों को शिक्षित करने के लिए ‘मेरा घर’ नामक एक दीवार पत्रिका का शुभारंभ भी किया गया.
ऑल्ट न्यूज़ से बात करते हुए HOWL समूह के सदस्य प्रणय त्रिपाठी कहते हैं, “भारत एक लोकतांत्रित देश है जहाँ कोई भी कहीं भी रहकर जीवन जी सकता है, काम कर सकता है. ऐसे में सवाल है कि देश के पिछड़े वर्गों और ग्रामीण समुदायों के विकास के लिए काम करना कब से अपराध हो गया? हम अलग-अलग और साधारण मज़दूर वर्ग की बैकग्राउंड से आने वाले नागरिक हैं, जो शुक्रवासा के एक पिछड़े, वंचित गाँव के विकास में, दलित, आदिवासी लोगों की ज़मीनी अधिकार, उन्हें शिक्षित कर सशक्त बनाने में कार्य करते हैं. हाशिए पर पड़े लोग, जो अमीर किसानों की ज़मीन पर गुलामों की तरह काम करते थे या दिहाड़ी मज़दूरी करके गुज़ारा करते थे, वो अब सवाल पूछने लगे है, जो यहाँ के उच्च वर्ग को पसंद नहीं आ रहा था. जबकि समूह के सभी सदस्य हिंदू समुदाय से है.”
मई 2025 में प्रकाशित संझा लोकस्वामी अखबार की रिपोर्ट
प्रणय बताते है कि उनकी मौज़ूदगी में मई 2025 HOWL परिसर में संझा लोकस्वामी नामक अखबार के दो पत्रकार संजय सेन और अंबर नायक आए थे और आमतौर पर समूह मीडिया से हमेशा जुड़ा रहा हैं, इसलिए हमने उन्हें लाइब्रेरी, मुर्गी पालन क्षेत्र और परिसर के आसपास के क्षेत्र भी दिखाए और हमने उन्हें सभी जानकारी दिया.
जिसके बाद 28 मई को संझा लोकस्वामी ने “शुक्रवासा के जंगल में भेड़ियों का गरजता धर्मांतरण लड़के-लड़कियों की संदिग्ध गतिविधियाँ” जैसे हेडलाइन्स के साथ एक खबर प्रकाशित की. इस कथित ग्राउंड रिपोर्ट में “धर्मांतरण” नशे करना संदिग्ध गतिविधि का दावा किया गया था, हालांकि कथित दावे के साथ एक भी ग्रामीण के नाम का हवाला नहीं दिया गया. पूरी रिपोर्ट सिर्फ इस कथित दावों पर आधारित थी कि ग्रामीणों ने ऐसा कहा या ग्रामीणों ने दावा किया. इसके अतिरिक्त, इस रिपोर्ट के लिए HOWL समूह के किसी भी सदस्य से मिलने और उनसे बाते करने का कष्ट किया गया.
इस रिपोर्ट में दावा था कि HOWL समूह हर रविवार को आदिवासी ग्रामीणों को बहला फुसलाकर धर्मांतरण करने के लिए प्रेरित करते थे व उन्हें ईसाई धार्मिक ग्रंथ पढ़ाया जाता था. साथ ही ये भी दावा किया गया कि ये लोग ग्रामीणों को हिंदू देवी-देवताओं के खिलाफ भड़काकर नास्तिकता की ओर उकसाने के साथ-साथ ही जातिवाद फैलाने का काम कर रहे थे. रिपोर्ट में बिना किसी का नाम लिए ग्रामीणों के हवाले से आगे लिखा था कि HOWL समूह के सदस्य रात होते ही गांजा और शराब पीकर नशे कर देर रात तक पार्टियाँ करते थे. कथित रिपोर्ट में नक्सली एजेंडे से जुड़े होने के अलावा, समूह को विदेशों से फ़ंड मिलने का भी दावा किया गया.
हालांकि, ऑल्ट न्यूज़ से बात करते हुए शुक्रवासा के ग्रामीणों और सदस्यों ने इन सारे दावे को बेबुनियाद और झूठा बतलाया.
इस खबर को लेकर हाउल समूह के सदस्यों ने एक शिकायत थाना बरोठा ज़िला देवास में दर्ज करवायी और इसे इसे झूठी और भड़काऊ खबर बताया. प्रणय बताते हैं, ‘समूह ने आर्थिक तंगी के कारण उन पर मानहानि का कोई मुकदमा नहीं किया.’
ऑल्ट न्यूज़ ने संझा लोकस्वामी रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से किसी ग्रामीण के नाम न होने के बारे में जानने के लिए लोकस्वामी के रिपोर्टर पत्रकार अम्बर नायक से बात की. उन्होंने जानकारी देने से कतराते हुए हमें लोकस्वामी अख़बार के संस्थापक जीतू सोनी से बात करने को कहा. जब जीतू सोनी से हमने इस संबंध पूछा तो कहने लगे मेरे इंदौर के ऑफिस में किसी को भेज दो या आ जाओ, मैं वहाँ सब जानकारी दे दूँगा. फ़ोन पर हमें जानकारी देने से मना कर दिया.
बता दें कि लोकस्वामी अखबार के मालिक जीतू सोनी पर 2019 में होटल माय होम में बिना मंजूरी के डांस बार चलाने, मानव तस्करी, गैंग रेप, धोखाधड़ी, धमकाने और लूट सहित होटल में कई युवतियों को बंधक बनाकर काम कराने के आरोप हैं. इसके अलावा, 2020 में जीतू सोनी पर इंदौर के विभिन्न थानों में कुल 64 केस दर्ज थे.
HOWL समूह की यादों से लोकस्वामी की ख़बर धुंधली हो ही रही थी कि 22 जुलाई की दोपहर को कथित तौर पर पुलिस ने बिना किसी पूर्व सूचना या वारंट के उनके परिसर की तलाशी ली. बिना किसी वारंट या जुर्म बताए पांच सदस्यों को गिरफ्तार किया गया. इनके नाम प्रणय त्रिपाठी, ताशिव पटेल, ब्रजेंद्र राठौड़, युवराजसिंह चौहान, नीलाद्री मुखोपाध्याय थे.
साथ ही समूह के सदस्यों का आरोप है कि उनकी तलाशी के दौरान पुलिस ने कथित तौर उनके फ़ोन, लैपटॉप ज़ब्त कर निजी संदेश पढ़ने और बैंक खातों की जानकारी लेकर उनकी निजता का उल्लंघन किया. कथित तौर पर उन पांचों पर शारीरिक हमला किया गया, गालियाँ दी गईं और उन्हें बेहद अपमानित किया गया. उन्हें उसी रात बयान देने के लिए मजबूर करने के बाद रिहा किया गया.
इस घटना के बाद कुछ मीडिया आउटलेट्स ने सनसनीखेज हेडलाइंस के साथ खबर प्रकाशित की. जैसे हैलो देवास का टाइटल था – “देवास के जंगल में धर्मांतरण की साजिश बेनकाब, चार हिरासत में बंगाल का युवक फरार”, वहीं लोकस्वामी ने लिखा, “शुक्रवासा के जंगल में मिला धर्मांतरण का भेड़िया गिरोह”.
हमने बरोठा पुलिस स्टेशन के SHO अजय गुज्जर से संपर्क किया. कथित आरोप के बिना किसी पूर्व सूचना या वारंट के HOWL परिसर की तलाशी के सवाल पर उन्होंने कहा, “उनका आरोप लगाना जायज है, क्योंकि सभी आरोपी पुलिस से बचने के लिए ऐसा आरोप तो लगाते ही हैं. हमें काफ़ी समय से धर्मांतरण और संदिग्ध गतिविधियों की शिकायत मिल रही थीं जिस आधार पर हम बयान के लिए गए थे. और उन्हें थाना लाकर बयान लेने के बाद बकायदा छोड़ दिया गया.”
इन सबके बीच HOWL समूह ने पोस्ट कर सोशल मीडिया पर पोस्ट कर कथित आरोप को बेबुनियाद और झूठा बताया. धर्मांतरण और संदिग्ध गतिविधि के कथित आरोप लगाते हुए HOWL समूह के खिलाफ, शुक्रवासा निवासी नीलेश पटेल, समेत हिंदुत्ववादी संगठनों के समूह के साथ कलेक्टर कार्यालय में जा कर ज्ञापन सौंपा गया था.
HOWL सदस्यों का क्या कहना है?
सदस्य प्रणय त्रिपाठी बताते हैं, “नीलेश पटेल ने पहले भी HOWL समूह और उनके सदस्यों पर हमला करने की कोशिश की थी, जिसकी शिकायत हमने पुलिस प्रशासन से की थी.”
प्रणय ने ऑल्ट न्यूज को बताया, “HOWL समूह ने 2023 से 2025 के बीच नीलेश पटेल द्वारा HOWL के सदस्यों को पर जानलेवा हमला करने के कथित मामलों के खिलाफ दो शिकायत दर्ज कराई थी. पहली FIR 18 मई, 2023 की सुबह करीब 3.30 बजे HOWL परिसर में नीलेश पटेल और उनके कुछ हथियारबंद लोग घुसने के बाद करवाई गई थी.” समूह ने आरोप लगाया कि उस दौरान पुलिस ने उन सभी को बिना किसी पूछताछ के रिहा कर दिया था और कोई खास कार्रवाई नहीं की थी. प्रणय ने कहा, “पुलिस ने उल्टा HOWL के सदस्यों से पूछताछ की, सत्यापन के लिए उनके दस्तावेज़ लिए. इस प्रक्रिया के दौरान समूह ने अधिकारियों के साथ पूरा सहयोग किया.”
मई 2023 में HOWL समूह पर हिंदुत्व संगठन द्वारा समूह के लोगों पर धर्मांतरण, किडनी रैकेट चलाने और आतंकवाद गतिविधि में शामिल होने जैसे आरोप लगाकर अफवाहें फैलाने व समिति के सदस्यों को धमकाने के संबंध में देवास के तत्कालीन एसपी संपत उपाध्याय को भी पत्र लिखकर सूचना व शिकायत दी गई थी.
मार्च 2025 में, नीलेश पटेल ने HOWL के सदस्यों को सार्वजनिक सामाजिक काम बंद कर गाँव छोड़कर जाने की धमकी दी थी. (पेज नंबर 25) इसी साल मई 2025 में कथित तौर पर नशे के हालत में नीलेश पटेल, करीब रात 1 बजे HOWL परिसर पहुँच कर, समूह को गाँव छोड़ने और मारने की धमकी दी. इन सभी मामलों की शिकायत समूह ने दर्ज करवाई थी. (पेज नंबर 26)
ऑल्ट न्यूज ने HOWL की एक और सदस्य श्वेता रघुवंशी से बात की. हमने उनसे नीलेश पटेल और उनके समर्थकों द्वारा HOWL समूह पर बार-बार हमला और निशाना बनाए जाने को लेकर सवाल किया. उन्होंने कहा, “दरअसल ये मामला 2022 के पंचायत चुनावों के दौरान का है. HOWL समूह और पर्वतपुरा पंचायत विकास समिति ने एक भील आदिवासी महिला को चुनाव में खड़ा किया था. हालांकि, आदिवासी महिला चुनाव नहीं जीती, पर उनके चुनाव में खड़े होने और उन्हें वोट मिलने के कारण नीलेश पटेल जिस उम्मीदवार का समर्थन करते थे वो हार गया. और कोई तीसरा सरपंच चुनाव जीत गया. इसके बाद से नीलेश पटेल, हम पर हमले करवा रहा है. हमारे ख़िलाफ़ झूठी अफ़वाहें फैला रहा हैं. HOWL ग्रुप ने लोगों को शिक्षित और जागरूक किया, जिससे लोग अब अपने अधिकार को लेकर सवाल पूछने लगे. ये सब बदलाव यहां की बाकी जाति या बड़े लोगों को भा नहीं रहा था. इसीलिए वो हमें, हमारे समूह को गाँव से भगाने के प्रयास में लगे हुए थे.”
ग्रामीणों ने कथित दावों को निराधार और झूठा बताया
आदिवासी भील समुदाय के 40-50 ग्रामीणों की टोली ने सौरव बनर्जी और उनकी टीम के समर्थन में देवास कलेक्टर को एक ज्ञापन सौंपा. इसमें उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि HOWL समूह ने कभी भी न धर्म बदलवाया है, न किसी ज़मीन पर कब्जा किया है. उन्होंने मीडिया में छपी खबर को ग़लत बताया.
ऑल्ट न्यूज़ ने शुक्रवासा निवासी कमला बाई से बात की. उन्होंने ने बताया, “ये लोग हम जैसे ग़रीब लोगों के लिए बहुत अच्छा काम रहे थे. वो लोगों को अस्पताल ले जाते उनका इलाज करवाते, बच्चों को स्कूल में भर्ती करवाते थे. सौरव बनर्जी और उनके सभी लोग हम लोगों के साथ होली खेलते, राखी बांधते, दिवाली मनाते थे. कुछ लोगों ने धर्मांतरण का झूठा आरोप लगा रहे हैं. ये लोग कहते हैं कि कमला बेन ने सारे भगवान के मूर्ति घर से बाहर फेंक दी जबकि अभी मेरे घर में खाटू श्याम से लेके सभी भगवान के मूर्तियाँ हैं. मेरे लड़के को टीबी की बीमारी है. समूह ने उसका इलाज करवाया मेरी बहू का इलाज करवाया. HOWL समूह ने सभी महिला पुरुष को पढ़ना, लिखना सिखाया. मैं वहाँ आटा चक्की पर काम भी करती थी जिसमें समिति के लोगों के अलावा, आस पास गाँव के लोगों के आटे पीसा करते थे. रोजगार के लिए HOWL परिसर में मछली पालन और मुर्गी पालन करने के लिए सभी लोगों ने 100-200 देकर उसका निर्माण किया था.”
साथ ही कमला बाई ने आरोप लगाया कि उच्च जाति के लोग और सरपंच, पंच, पुलिस सबने मिलकर HOWL समूह पर झूठा आरोप लगाकर उन्हें यहाँ से भागने के लिए ऐसा किया है.
एक और ग्रामीण इंदर रावत ने ऑल्ट न्यूज को बताया, “सर (सौरव बनर्जी) के यहाँ आने के बाद जान पहचान हुई. हमने समिति बनाई, पहले राशन कार्ड नहीं थे या जिनके नाम काट दिए गए थे तो सर ने सबके राशन कार्ड बनवाये. सर सभी सरकार के योजना के बारे में बताते थे, उनके आने के बाद हमें जागरूक किया. पहले हम बड़े किसान के यहाँ काम करने जाते थे तो 100-150 रुपया देते थे. लेकिन जब से समिति बनी हम मुर्गी पालन और मछली पालन करते थे जिसे बाज़ार में जाकर बेचा करते थे और उस पैसे से ज़रूरत मंद की मदद करते थे. सर (सौरव बनर्जी) ने कभी ग़लत काम नहीं करवाया उनके आने से हम ग़रीब कुछ हद तक उठ रहे थे.”
इंदर रावत आगे कहते हैं, “समूह पर हमले के बाद से उच्च जाति के लोग सर को मारने के प्रयास में घात लगाकर बैठे रहते हैं. पहले पर्वतपुरा पंचायत विकास समिति में आस पास के गाँव वाले और 150 से ज़्यादा सदस्य शामिल थे लेकिन हमले के बाद से बाक़ी को डराया धमकाया गया. इससे समिति में केवल 35 सदस्य ही बचे हैं.” उन्होंने एक आरोप लगाया कि समूह ने आदिवासियों के कथित धर्मांतरण के आरोपों के बाद हुए हमले से खुद की सुरक्षा को लेकर कलेक्टर को ज्ञापन सौपा गया था. कलेक्टर ने 3 तीन के भीतर आकर जाँच करने का आश्वासन दिया गया था लेकिन अब तक जाँच करने कोई नहीं आया.
शुक्रवासा निवासी संपत ने बताया कि उन्हें 6-7 साल पहले से दाद खाज खुजली की बीमारी थी. HOWL समूह की सदस्य श्वेता की मदद से उनका इलाज हो रहा था. सिर्फ एक उनका इलाज ही नहीं बल्कि समूह के सदस्य कई ग्रामीणों का इलाज कराने में, उन्हें पढ़ाने, लिखाने में मदद करते थे. संपत ने कहा, “धर्मांतरण जैसा कुछ भी नहीं हैं वो बहुत नेक काम कर रहे थे. पर कुछ लोग जैसे बजरंग दल, RSS और बड़े नेताओं को अच्छा नहीं लग रहा था, इसीलिए ऐसा झूठा बोलकर उन्हें फँसाया गया है.”
बता दें कि 4 अगस्त को देवास पुलिस और प्रशासन ने शुक्रवासा स्थित HOWL समूह का परिसर बुलडोज़र से ध्वस्त कर दिया जिसमें पर्वतपुरा पंचायत विकास समन्वय समिति का कार्यालय, सार्वजनिक लाइब्रेरी, स्वास्थ्य चिकित्सा, सांस्कृतिक केंद्र सभी थे. उस दौरान मौजूद संपत ने आरोप लगाया कि समूह द्वारा अपने मेहनत से हाथों से बनाए परिसर को ध्वस्त करने के विरोध में ग्रामीण सामने आए तो उन्हें धमकाकर वहाँ से भगा दिया गया और पुलिस अधिकारी और बजरंग दल के कुछ 5 से 6 लोग ने उनके देवर देवराज को अकेले घेर कर उसके सीने पर गन रखकर उससे जबरदस्ती हस्ताक्षर लिए. इसमें झूठा दावा किया गया था कि समूह ने उनकी ज़मीन पर अतिक्रमण किया है साथ ही देवराज को धमकाया गया था कि अगर हस्ताक्षर नहीं किया तो पूरे परिवार को उठा ले जाएँगे.
शुक्रवासा निवासी और पर्वतपुरा पंचायत विकास समन्वय समिति के सदस्य देवराज रावत ने एक न्यूज़ चैनल से कहा, “सौरव बनर्जी या हाउल ग्रुप वालों ने न उनका धर्म बदलवाया है, न किसी ज़मीन पर कब्जा किया है न ही कुछ देश-विरोधी या धर्म-विरोधी पढ़ाया है. गांव में कई समाज रहते हैं. ये पिछले चार-पाँच साल से शुक्रवासा में रह रहे थे, मैंने मेरी बंजर जगह किराये से दी है, उन्होंने पैसा भी दे दिया, जोर-जबर्दस्ती नहीं है, हमें समझाया था कि संगठन बनाओ, जिसमें थोड़ा-थोड़ा पैसा सभी जमा करो, जिसे किसी ज़रूरतमंद को दे सको, ताकि उसे किसी और के आगे हाथ न फैलाना पड़ें.”
देवराज ने न्यूज़लॉन्ड्री से बात करते हुए किसी भी तरह के धर्म परिवर्तन से इनकार किया और कहा कि उन्होंने गांव की भलाई के लिए समूह को अपनी ज़मीन पर परिसर बनाने की अनुमति स्वेच्छा से दी थी.
इसके अलावा, HOWL समूह के पास ग्राम पंचायत पर्वतपुरा कार्यालय से सरपंच अनोप सिंह द्वारा प्रमाणित प्रमाण पत्र भी है. इसमें मुर्गी पालन, आटा चक्की और स्वास्थ्य सेवा को सामाजिक कार्य बताते हुए कहा गया कि इसके जरिए ग्राम वासियों को रोजगार और निशुल्क स्वास्थ्य संबंधित सेवाएं मिल रही हैं. इन कार्यों से पंचायत को आपत्ति नहीं हैं.
हमने सौरव बनर्जी की 24 जुलाई को हुई गिरफ़्तारी और अभी तक के प्रकरणों के संबंध में जानने के लिए बरोठा पुलिस स्टेशन के SHO अजय गुज्जर से संपर्क किया. उन्होंने कहा कि अभी भी जांच चल रही हैं और जांच के बाद ही हम कुछ बता पाएंगे. इस संबंध में और जानकारी आने पर हम आर्टिकल अपडेट कर देंगे.
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