8 मार्च 2019 को, चार आईआईटी-दिल्ली उद्यमियों ने एक औषधीय उत्पाद ‘Sanfe Period Pain Relief Roll-On ’ लॉन्च किया, जिसमें मासिक-धर्म के दर्द से पीड़ित महिलाओं की मदद करने का दावा किया गया। उत्पाद लॉंन्च करने वाले समूह में दो टेक्सटाइल इंजीनियरिंग छात्र (अर्चित अग्रवाल और हैरी सहरावत), अर्थशास्त्र के एक प्रोफेसर (डॉ सीमा शर्मा) और आईआईटी-दिल्ली में डिजाइन विभाग में एक प्रोफेसर (प्रोफेसर श्रीनिवासन वेंकटरमन) शामिल हैं I

11 मार्च को टाइम्स ऑफ इंडिया द्वारा रिपोर्ट किया गया था कि प्रोद्योगिकी-छात्र अर्चित अग्रवाल ने कहा कि प्रतिदिन 24 घंटे, लगभग सात महीने तक चलने वाले उनके लंबे शोध ने उन्हें अपने उत्पाद कि ऐसी संरचना बनाने में मदद की जिसने उनके उत्पाद को एफडीए की मंजूरी दिला दी।

इंडियन एक्सप्रेस, NDTV, टाइम्स ऑफ़ इंडिया, द इकोनॉमिक टाइम्स, इंडिया टुडे, डीएनए इंडिया जैसे कई समाचार आउटलेट्स ने आधिकारिक आईआईटी- दिल्ली वेबसाइट की विज्ञप्ति के अनुसार इस खबर को छापा।

दावे:

Sanfe लेख के संग्रहीत संस्करण के अनुसार एवं ऊपर सूचीबद्ध प्रमुख समाचार आउटलेट्स द्वारा छापी गयी खबर के अनुसार और Sanfe के सह-संस्थापक अर्चित अग्रवाल के साथ फोन पर बातचीत के दौरान, यह सामूहिक रूप से दावा किया गया कि:

  1. इस औषधीय उत्पाद को एफडीए (FDA) की मंजूरी मिली है, जिसमें इससे शरीर पर ‘कोई भी दुष्प्रभाव नहीं होने का दावा किया गया है’
  2. इस औषधीय उत्पाद को ‘आयुष मंत्रालय का सुरक्षा-प्रमाणपत्र’ प्राप्त हुआ है
  3. इसका विकास एवं चिकित्सकीय परीक्षण एम्स दिल्ली के सहयोग से किया गया है

तथ्यों की जांच:

एफडीए (FDA) की मंजूरी का दावा

फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए), यूएसए (FDA, USA) चिकित्सा में उपयोग किये जाने वाले विस्तृत उपचारों (दवाओं और चिकित्सा उपकरणों सहित) की जांच और अनुमोदन (मंजूरी देना) करता है। हालांकि, एफडीए (FDA) अंतर्राष्ट्रीय निर्माताओं की दवाओं को मंजूरी दे सकता है परन्तु इसका उद्देश्य अमेरिकियों के लिए ऐसे उत्पादों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।

किसी उपचार को एफडीए की मंजूरी होना एक सार्वजनिक सूचना है। यहाँ पर उपलब्ध, दो ऑनलाइन डेटाबेस (Drugs@FDA and Orange Book) पर जांच करने के बाद यह पाया गया कि सैनफे (Sanfe) को एफडीए द्वारा अनुमोदित नहीं किया गया था।

हमने इस जानकारी को एफडीए (FDA) के सेंटर फॉर ड्रग इवैल्यूएशन एंड रिसर्च (CDER) में ड्रग सूचना विभाग ([email protected]) को ईमेल लिखकर भी क्रॉस-चेक (प्रति-परिक्षण) किया। FDA CDER ने पुष्टि की कि ‘Sanfe Period Pain Relief Roll-On ’ U.S. FDA अनुमोदित औषधीय उत्पाद नहीं है (नीचे ईमेल प्रतिक्रिया का स्क्रीनशॉट देखें)।

जब हमने Sanfe के सह-संस्थापक अर्चित अग्रवाल के साथ अपना पहला फोन संपर्क स्थापित किया, तो उन्होंने पुष्टि की कि Sanfe को अमेरिकी एफडीए (FDA) से मंजूरी नहीं है, लेकिन वास्तव में FDA, हरियाणा से अनुमोदन (मंजूरी) प्राप्त है।

हमारे अर्चित अग्रवाल के साथ दूसरे फोन संपर्क के दौरान, उन्होंने व्यक्त किया कि उन्होंने कोई भी एफडीए (FDA) का अनुमोदन प्राप्त नहीं किया हैI लेकिन इसके बजाय स्पेस ऑर्गेनिक्स, हरियाणा नामक निजी निर्माताओं ने इस औषधीय उत्पाद के लिए आयुष मंत्रालय, हरियाणा द्वारा एक सुरक्षा-प्रमाणपत्र प्राप्त किया है।

एफडीए की मंजूरी वाले उनके भ्रामक विज्ञापनों के पीछे कारण पूछने पर उन्होंने विस्तृत रूप से बताया कि उनके अनुसार आयुष प्रमाणपत्र ‘एफडीए की तरह’ था और इसलिए इस तरह से विज्ञापन दिया गया था I

आयुष मंत्रालय सुरक्षा प्रमाणपत्र का दावा

अर्चित अग्रवाल के साथ हमारे दूसरे फोन संपर्क के दौरान, उन्होंने दावा किया कि एक निजी निर्माता स्पेस ऑर्गेनिक्स, हरियाणा द्वारा ‘आयुष मंत्रालय सुरक्षा-प्रमाणपत्र’ प्राप्त किया गया था, जो कि सैन्फे रोल-ऑन (Sanfe Roll-On) की सुरक्षा निर्धारित करता है।

इसके बाद; हमने स्पेस ऑर्गेनिक्स, हरियाणा के मालिक श्री भूपेन्द्र नागपाल से संपर्क किया। उन्होंने कहा कि उनकी कंपनी ‘स्पेस ओर्गानिक्स’ उनके बेटे के नेतृत्व वाली कंपनी ‘स्पेस लाइफ साइंसेज’ के सहयोग से आयुर्वेदिक उपचार का निर्माण करती है। श्री नागपाल ने स्पष्ट किया कि सैन्फे रोल-ऑन (Sanfe Roll-On) को न तो किसी एफडीए (FDA) की मंजूरी और न ही आयुष मंत्रालय की मंजूरी प्राप्त है।

एम्स दिल्ली के सहयोग से चिकित्सकीय परीक्षण का दावा

Sanfe वेबसाइट के पिछले संस्करण (यहाँ संग्रहि) ने यह भी दावा किया कि इस उत्पाद का एम्स, दिल्ली के साथ मिलकर 79 लोगों पर परीक्षण किया गया था। स्पेस ऑर्गेनिक्स के मालिक श्री भूपेन्द्र नागपाल (जिन्होंने सान्फ़ रोल-ऑन का निर्माण किया है) ने स्पष्ट किया कि सुरक्षा और विषाक्तता परीक्षणों (safety and toxicity tests) के रूप में कोई ‘क्लिनिकल’ या ‘मेडिकल’ परीक्षण नहीं किया गया था। इसका कारण यह था कि बाज़ार में व्यवसाय के लिए किसी ऐसे उत्पाद का परीक्षण करना लागत-प्रभावी नहीं था जिसमें नैदानिक ​​परीक्षण की लागत प्रति उत्पाद खरीद मूल्य से अधिक होती है।

हमें PUBMED जैसे अनुसंधान डेटाबेस में खोज करने पर भी विशिष्ट Sanfe उत्पाद की चर्चा करते हुए कोई अध्ययन प्राप्त नहीं हुआ।

निष्कर्ष

ऊपर सूचीबद्ध सभी दावों की (अर्थात् एफडीए की मंजूरी, आयुष मंत्रालय सुरक्षा प्रमाण पत्र और साथ ही एम्स, दिल्ली के सहयोग से नैदानिक ​​परीक्षण) Sanfe संस्थापकों द्वारा पुष्टि नहीं की गई।

एफडीए से फैक्ट-चेक और सैनफे के स्पेस ओर्गानिक्स नामक निर्माताओं, दोनों ने यही पुष्टि की कि उनके पास Sanfe Roll-On उपचार से सम्बंधित कोई भी आधिकारिक अनुमोदन नहीं था अथवा कोई भी नैदानिक ​​परीक्षण चालू नहीं है।

हमारे द्वारा Sanfe को फोन करने के बाद, ‘एम्स में नैदानिक ​​परीक्षण’ एवं ‘एफडीए अनुमोदन’ जैसे दावे आधिकारिक आईआईटी-दिल्ली की वेबसाइट से हटा दिए गए, लेकिन यहाँ उपलब्ध उस वेबसाइट के संग्रहित संस्करण में पहले के किये दावों को पाया जा सकता है।

हालांकि, प्रमुख मीडिया आउटलेट्स ने बताया था कि एफडीए की मंजूरी के बाद ही Sanfe को लॉंच किया गया था और उन लेखों में से कोई भी लेख वापस नहीं लिया गया है। Sanfe के संस्थापक अर्चित अग्रवाल ने यह भी कहा कि एफडीए का दावा एक ‘गलती’ था और उन्होंने प्रमुख समाचार पत्रों में एक ‘भूल-सुधार’ शुद्धिपत्र प्रकाशित किया है, लेकिन अब तक ऐसा कोई पत्र प्रकाशित नहीं हुआ है।

Sanfe पर बनाई गयी इन्फोग्राफिक्स में ‘गलती से’ छपे एफडीए अनुमोदन को भी चुपके से हटा दिया गया है।

C:\Users\pc\Desktop\Amazon-Profile_Features.jpg C:\Users\pc\Desktop\Fda-RollOn01.jpg

आईआईटी-दिल्ली जैसे प्रमुख सरकारी संस्थानों के सदस्यों द्वारा सामूहिक रूप से किए गए इन दावों में एफडीए, आयुष और एम्स जैसे शब्दों का उपयोग भ्रामक है। इन भ्रामक शब्दों का उपयोग एक निजी कंपनी के उत्पाद के विपणन (marketing) के लिए किया गयाI

अंत में, प्रमुख समाचार संगठनो ने बिना किसी क्रॉस-वेरिफिकेशन (प्रति-परिक्षण) के आईआईटी-दिल्ली के प्रेस रिलीज को पुन: छापा और सैनफे ब्रांड के लिए भ्रामक, कपटपूर्ण विपणन (marketing) फैलाने में महत्वपूर्ण रूप से सहयोग दिया।

 

डोनेट करें!
सत्ता को आईना दिखाने वाली पत्रकारिता का कॉरपोरेट और राजनीति, दोनों के नियंत्रण से मुक्त होना बुनियादी ज़रूरत है. और ये तभी संभव है जब जनता ऐसी पत्रकारिता का हर मोड़ पर साथ दे. फ़ेक न्यूज़ और ग़लत जानकारियों के खिलाफ़ इस लड़ाई में हमारी मदद करें. नीचे दिए गए बटन पर क्लिक कर ऑल्ट न्यूज़ को डोनेट करें.

बैंक ट्रांसफ़र / चेक / DD के माध्यम से डोनेट करने सम्बंधित जानकारी के लिए यहां क्लिक करें.