महाराष्ट्र के अमरावती में पिछले दिनों हुई हिंसा में भीड़ ने निज़ी और सार्वजनिक संपत्ति नष्ट किया. जिसके बाद 14 नवंबर को वहां कर्फ्यू लगा दिया गया. द हिन्दू की रिपोर्ट के मुताबिक, “त्रिपुरा में कथित रूप से मुसलमानों को निशाना बनाया गया था, उसके विरोध में 12 नवंबर को मुस्लिम संगठनों ने महाराष्ट्र के कई शहरों में बंद का आह्वान किया. मालेगांव, नांदेड़ और अमरावती शहरों में भीड़ ने निज़ी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाते हुए पथराव किया. जिससे ये बंद हिंसक हो गया.”

अगले दिन, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अमरावती में बंद का ऐलान किया. हालांकि, फिर भी बंद हिंसक हो गया. शहर में पथराव, तोड़फोड़ और आगजनी की घटनाओं की सूचना मिली.

ऑप इंडिया ने एक आर्टिकल पब्लिश किया. आर्टिकल में भाजपा के तुषार भारतीय का हवाला देकर लिखा गया कि मुस्लिम भीड़ ने हिंदू प्रतिष्ठानों पर तलवारों और पत्थरों से हमला किया. इस भाजपा समर्थक प्रोपगेंडा संगठन ने एक तस्वीर का इस्तेमाल किया जिसमें एक पुलिस वाले को एक दुकान में आग बुझाने का कोशिश करते हुए देखा जा सकता है.

सुदर्शन न्यूज़ ने आग में जल रहे उसी दुकान के एक वीडियो को पोस्ट करते हुए इसे “जिहादी हिंसा” बताया.

फ़ैक्ट-चेक

ऑप इंडिया ने जलती हुई दुकान “खान इलेक्ट्रिकल्स” की एक क्रॉप्ड तस्वीर का इस्तेमाल किया है. असली तस्वीर का विवरण PTI ने इस तरह दिया है, “शनिवार को अमरावती में भाजपा द्वारा कथित रूप से की गयी बंद के दौरान भीड़ के उग्र होने के बाद एक दुकान में आग बुझाने की कोशिश कर रहे पुलिसकर्मी.”

ये दुकान “चौबे की नुक्कड़ कचौरी” के ठीक बगल में है. गूगल मैप्स के अनुसार, ये राजकमल चौक से मुश्किल से एक किलोमीटर दूर है. राजकमल चौक से शनिवार को भाजपा, बजरंग दल, विश्व हिंदू परिषद और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने मार्च निकाला था,

द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, “36 साल के शादाब खान रो रहे थे, उनकी इलेक्ट्रॉनिक सामान ठीक वाली इकलौती दुकान जल गयी. ये दुकान 1970 से चल रही थी.”

द वायर ने भी शादाब खान से बात की. उन्होंने कहा कि “शनिवार की सुबह उन्हें अपने चाचा का फ़ोन आया कि हिंदुत्व दंगाइयों ने उनकी दुकान का ताला तोड़ दिया है. शादाब खान अपनी दुकान तक पहुंचने की कोशिश की लेकिन रास्ते में पुलिस ने उन्हें रोक दिया. कुछ ही घंटों में दंगाइयों ने उनकी दुकान में आग लगा दी.

इंडियन एक्सप्रेस ने आगे रिपोर्ट में बताया कि दो दुकानों को और उनमें से एक दुकान के बाहर खड़ी तीन टू-व्हीलर को आग के हवाले कर दिया गया. दूसरी, जो 37 साल के फ़िरोज अहमद की टू-व्हीलर मरम्मत की दुकान थी, वो भी तबाह हो गई. एक और दुकान क्षतिग्रस्त हो गई और दुकान के मालिक की गाड़ी भी जल गई. दो धार्मिक स्थलों को भी नुकसान पहुंचा.

गौरतलब है कि द वायर की एक दूसरी रिपोर्ट के मुताबिक, जो लोग घटना के साक्षी थे उनका दावा है कि सक्कर साथ के शनि मंदिर पर मुस्लिम भीड़ ने हमला किया था. लेकिन पुलिस ने बताया कि नुकसान “थोड़ी-थोड़ी देर पर हो रहे पथराव” के दौरान हुआ.

साम्प्रदायिक हिंसा किस वज़ह से हुई?

12 नवंबर, शुक्रवार को त्रिपुरा में हुई कथित मुस्लिम विरोधी हिंसा के खिलाफ़ अमरावती में रज़ा अकादमी ने एक विरोध मार्च का निकाला था. मार्च में हिस्सा लेने वाले कुछ लोगों ने कथित तौर पर हिंदू दुकानों पर हमला कर दिया और तोड़फोड़ की. साथ ही जब भीड़ कोतवाली क्षेत्र से गुजर रही थी, तो स्थानीय भाजपा नेता प्रवीण पोटे के घर पर पथराव किया गया. जवाब में, स्थानीय भाजपा इकाई ने शनिवार को बंद का आह्वान किया जिससे और अधिक हिंसा भड़क उठी. अधिकारियों ने बताया कि सैकड़ों लोग नारे लगाते हुए और भगवा झंडा लहराते हुए इकट्ठा हुए. इस हिंसा में मुसलमानों की दुकानों को नुकसान पहुंचा.

द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, “भाजपा शासन में कृषि राज्य मंत्री श्री बोंडे ने कहा कि 12 और 13 नवंबर को हुई हिंसा और तोड़फोड़ के संबंध में अधिकारियों ने अब तक 70 से ज़्यादा लोगों को गिरफ़्तार किया है और अमरावती के चार पुलिस स्टेशनों में 25 से ज़्यादा FIR दर्ज़ की गई हैं. साथ ही मिस्टर पोटे [अमरावती से भाजपा के MLC] ने 13 नवंबर को भाजपा के बंद का आह्वान करने और उसे आयोजित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.”

पुलिस ने श्री बोंडे, अमरावती जिला भाजपा अध्यक्ष निवेदिता चौधरी, नगर महापौर चेतन गावंडे, भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता शिवराय कुलकर्णी को ग़िरफ्तार किया था लेकिन बाद में एक अदालत ने उन्हें जमानत दे दी.

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About the Author

Pooja Chaudhuri is a researcher and trainer at Bellingcat with a focus on human rights and conflict. She has a Master's in Data Journalism from Columbia University and previously worked at Alt News.