4 जुलाई को भारत की दर्जनों मुस्लिम महिलाओं को मालूम चला कि उनकी तस्वीरों का इस्तेमाल “सुल्ली डील्स” नाम की एक ऐप पर उन्हें ‘बेचने’ के लिए किया गया है. उनकी तस्वीरों के साथ लिखा था, “बिकने को तैयार” (“Up for sale”). इस ऐप ने मुस्लिम महिलाओं की सार्वजनिक रूप से उपलब्ध तस्वीरें “डील्स ऑफ़ द डे” के साथ शेयर की. इस मामले को लेकर भारतीय सोशल मीडिया पर भारी नाराज़गी के बाद, Github Pages (github.io) ने इसे तुरंत हटा दिया. ये वो प्लेटफ़ॉर्म है जहां ये ऐप होस्ट की जाती थी. ऐप का आर्काइव लिंक आप यहां देख सकते हैं. एक अन्य आर्काइव लिंक से पता चला कि ये ऐप करीब 14 जून से इस्तेमाल में थी.

ध्यान दें कि हिंदू दक्षिणपंथी विचारधारा वाले लोग “सुल्ली” शब्द का उपयोग भारत में मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ़ करते हैं. और ये एक अपमानजनक शब्द है.

हालांकि, मुस्लिम महिलाओं की इस तरह से की जा रही नीलामी ज़्यादातर लोगों के लिए आश्चर्य की बात थी. पर ये अचानक से नहीं हुआ है. इस तरह कि गतिविधि कई ट्विटर अकाउंट्स करते आ रहे थे. इनमें ‘UrLocalSulliDealer’ (@ sullideals101) नाम का एक हैंडल 2019 से ये काम कर रहा था और करीब जून 2020 से ‘सुल्ली डील’ नाम का इस्तेमाल किया जा रहा था. कई हैंडल्स “सुल्ली डील्स” ऐप का प्रचार कर रहे थे जिनमें @sullideals786 और @sullideals शामिल हैं. इन दोनों हैंडल्स के बारे में आर्टिकल में विस्तार से बताया जायेगा.

एक और हैंडल @MCMughal ने पिछले साल ‘महाराजा गुलाब सिंह अल्पसंख्यक कल्याण योजना’ बनाई जिसमें लोगों को मुस्लिम महिलाओं के लिए ‘बोली’ लगाने के लिए कहा गया.

हाल ही में 13 मई, 2021 को दो अकाउंट @LiberalDogeReal और @Keshu__10 ने यूट्यूब पर एक लाइवस्ट्रीम शुरू किया जहां उन्होंने अपने दर्शकों को मुस्लिम महिलाओं का ‘रेट बताया’ और उनकी ‘नीलामी’ की. दोनों ने पाकिस्तानी महिलाओं की तस्वीरें बिना उनकी सहमति के सेक्सिस्ट और इस्लामोफ़ोबिक भाषा के साथ इस्तेमाल कीं. इसकी जमकर आलोचना की गई. बाद में यूट्यूब ने ये वीडियो हटा दिया.

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न्यूज़लॉन्ड्री ने @LiberalDogeReal की पहचान का खुलासा करते हुए एक इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट पब्लिश की थी. बिहार से 23 साल का एक व्यक्ति ये अकाउंट चला रहा था जिसका नाम रितेश झा था.

इस आर्टिकल में @LiberalDogeReal पर बाद में विस्तार से चर्चा की जाएगी. पहले हम उस संगठित प्रयास की बात करते हैं जहां “सुल्ली डील्स” ऐप के लिए एक मुस्लिम युवक को ज़िम्मेदार बताया गया.

एक विस्तृत कहानी – फ़ैक्ट या फ़िक्शन ?

22 जुलाई को एक ट्विटर हैंडल @dankchikitsak ने “सुल्ली डील्स” अकाउंट बनाने के लिए उत्तर प्रदेश के कुशीनगर से आने वाले 23 वर्षीय कंप्यूटर इंजीनियरिंग ग्रेजुएट ज़ावेद आलम (ग़लत तरीके से “जावेद” लिखा हुआ) को दोषी ठहराते हुए एक थ्रेड ट्वीट किया. इस हैंडल को अब सस्पेंड कर दिया गया है. @dankchikitsak ने ट्विटर थ्रेड में ये दावा किया कि उसके पास ज़ावेद का फ़ोन नंबर था और अगर कोई “पुलिस में शिकायत दर्ज करना चाहता है” तो वो उसे जावेद का नंबर दे सकता था.

इस हैंडल ने एक ट्विटर थ्रेड में विस्तार से बताया और ये दावा किया कि ज़ावेद राजीव (@AnonHindu4) और ज़ुबैर (@AnonMark3) नामक ट्विटर अकाउंट चलाता था जो अब-डिलीट कर दिए गए हैं. इन एकाउंट्स का इस्तेमाल अश्लील कॉन्टेंट पोस्ट करने के लिए किया जाता था. @dankchikitsak ने @AnonHindu4 और एक कथित मुस्लिम महिला @not_sameen के बीच ट्विटर पर हुई बातचीत शेयर की जिसमें ज़ावेद ने अपनी पहचान का खुलासा किया. ट्विटर हैन्डल @dankchikitsak को अब सस्पेंड कर दिया गया है. लेकिन इस थ्रेड का आर्काइव लिंक आप यहां देख सकते हैं. इस चैट में ज़ावेद, हैन्डल @not_sameen की टेलीग्राम आईडी मांगता है और यूज़र बताती है कि टेलीग्राम आईडी भी वही है जो उनकी ट्विटर आईडी है. (ट्विटर आईडी अब मौजूद नहीं है और टेलीग्राम आईडी पर “नॉट फ़ाउंड” रिज़ल्ट मिलता है)

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तीन दिन बाद, @dankchikitsak ने एक और थ्रेड बनाया जिसमें मामले की ज़्यादा जानकारी दी गई थी. उन्होंने कथित तौर पर ज़ावेद आलम और @not_sameen के बीच टेलीग्राम पर हुई बातचीत का एक स्क्रीनशॉट ट्वीट किया जिसमें ज़ावेद कथित तौर पर कबूल कर रहे थे कि उन्होंने ही “सुल्ली डील्स” ऐप बनाई थी.

24 जुलाई को हुई कथित बातचीत का स्क्रीनशॉट नीचे दिया गया है.

@dankchikitsak को सस्पेंड किए जाने के बाद 30 अगस्त को एक और ट्विटर हैंडल @sullidealsXpose ने टेलीग्राम पर हुई कथित बातचीत का थ्रेड और स्क्रॉलिंग वीडियो पोस्ट किया. @sullidealsXpose ने बाद में अपना हैंडलनेम बदलकर @HateHunterr कर दिया. ये अकाउंट फिलहाल सस्पेंड कर दिया गया है. इस थ्रेड का आर्काइव लिंक आप यहां देख सकते हैं. नीचे 24 जुलाई को ज़ावेद आलम और @not_sameen के बीच टेलीग्राम पर हुई कथित बातचीत वीडियो के रूप में दिखाई गयी है.

इस वीडियो को देखने पर मालूम चलता है कि “Z” ने @sullideals के साथ “वेलकम टू गिटहब” इंटीमेशन का एक स्क्रीनशॉट शेयर किया है. इसका मतलब ये है कि Z के पास उस ऐप के बैकएंड का एक्सेस था. बताया जा रहा है कि ये Z ही ज़ावेद आलम है.

कौन है @dankchikitsak?

हैंडल @dankchikitsak ऐसे ही यूज़रनेम @dantchikitsak के साथ कू ऐप पर मौजूद है. सिर्फ ‘dank’ शब्द के “k” को “t” से बदल दिया गया है. लेकिन ये अकाउंट कू ऐप पर बिना नाम का नहीं है. कू ऐप पर इस व्यक्ति की पहचान “क्रुणाल” के रूप में है.

क्रुणाल का पूरा नाम डॉक्टर क्रुणाल पटेल है. उन्होंने ऑल्ट न्यूज़ को बताया कि वो ट्विटर पर @dankchikitsak को चलाने वाले एकमात्र ऑपरेटर नहीं हैं. उन्होंने दावा किया, “ये अकाउंट कई लोगों ने चलाया था. ऐडमिन में से एक ने ज़ावेद आलम पर थ्रेड बनाया था. मैंने नहीं.”

क्रुणाल का पहले का ट्विटर यूज़रनेम @dantchikitsak_ था और वो उसी यूज़रनेम के साथ इंस्टाग्राम पर भी मौजूद थे. दोनों प्लेटफ़ॉर्म पर उनकी डिस्प्ले तस्वीर एक ही है. साथ ही कू ऐप पर डिस्प्ले इमेज के साथ इस तस्वीर की तुलना से पता चलता है कि दोनों एक ही व्यक्ति की तस्वीर है.

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क्रुणाल के कई ट्विटर अकाउंट थे जो अब या तो सस्पेंड हो गए हैं या मौजूद नहीं हैं. @dentubhaiya और @dkrunal_patel ऐसे ही कुछ एकाउंट्स थे. एक हैंडल @VedicYoddha ने क्रुणाल के खिलाफ़ कुछ आरोप लगाते हुए pastebin.com लिंक शेयर किया जिसमें उनके मोबाइल नंबर और ईमेल एड्रेस सहित उनके बारे में बताया गया था. हम यहां @VedicYoddha के ट्वीट को हाइपरलिंक नहीं कर रहे हैं क्योंकि इसमें निजी जानकारी दी गई है. लेकिन क्रुणाल का मोबाइल नंबर हमारी रिसर्च के लिए ज़रुरी है और इसके बारे में बाद में इस आर्टिकल में चर्चा की जाएगी.

मामले पर ज़ावेद आलम की प्रतिक्रिया

दक्षिणपंथी प्रोपगेंडा वेबसाइट dopolitics.in ने 24 जुलाई को @dankchikitsak के 22 जुलाई के थ्रेड पर आधारित एक स्टोरी पब्लिश की थी. वेबसाइट ने ज़ावेद आलम से बात की थी. उन्होंने बताया कि वो असल में दो अश्लील ट्विटर अकाउंट चलाते थे लेकिन “सुल्ली डील्स” अकाउंट का उपयोग वो नहीं करते थे. dopolitics.in ने 24 जुलाई की दोपहर ये आर्टिकल ट्वीट किया था.

ऑल्ट न्यूज़ ने भी ज़ावेद से संपर्क किया और उन्होंने भी यही बताया कि वो दो ट्विटर अकाउंट्स चलाते थे. उन्होंने आगे बताया कि उन्होंने @not_sameen के साथ ट्विटर पर बातचीत की थी (जहां उन्होंने स्वीकार किया था कि वो दोनों एकाउंट्स वही चलाते थे). लेकिन ज़ावेद ने बताया कि उन्होंने न तो “सुल्ली डील्स” अकाउंट बनाया था और न ही @not_sameen के साथ टेलीग्राम पर हुई बातचीत में इस बात को स्वीकार किया था.

उन्होंने बताया, “मैंने 21 जुलाई को शाम करीब चार-साढ़े चार बजे @not_sameen अकाउंट से चैट की थी. हमने बातचीत के दौरान अपना फ़ोन नंबर और टेलीग्राम आईडी एक-दूसरे से शेयर की थी. मैंने अपनी एक तस्वीर शेयर करते हुए और उस जगह का ज़िक्र किया था जहां मैं रहता हूं. उसी वक़्त हमने टेलीग्राम पर बातचीत की थी. क्यूंकि टेलीग्राम और व्हाट्सऐप दोनों पर बातचीत देर से हुई. इसलिए हमने ट्विटर पर अपनी बातचीत जारी रखी. न तो ट्विटर और न ही टेलीग्राम पर हमने “सुल्ली डील्स” पर कोई बात की थी. मुझे “सुल्ली डील्स” के बारे में तब पता चला जब dopolitics.in के किसी व्यक्ति ने मुझे एक बयान के लिए कॉल किया.”

टेलीग्राम चैट

@dankchikitsak का ट्विटर थ्रेड और बाद में @sullidealsXpose के एक पोस्ट में किए गए दावे के अनुसार, ज़ावेद ने एक टेलीग्राम चैट में कबूल किया कि उन्होंने “सुल्ली डील्स” नामक अकाउंट बनाया था. ज़ावेद आलम ने ऑल्ट न्यूज़ को बताया कि उन्होंने @not_sameen के साथ टेलीग्राम पर छोटी बातचीत की थी. लेकिन उन्होंने कभी भी “सुल्ली डील्स” के बारे में कोई बात नहीं की. तो अब सवाल ये उठता है कि इनमें से कौन सच बोल रहा है?

ज़ावेद आलम के इस मामले से जुड़ा होने का प्राथमिक (और एकमात्र) सबूत @dankchitkisak और @sullidealsXpose द्वारा पोस्ट की गयी कथित टेलीग्राम चैट है. लेकिन चैट की जांच करने पर कई सवाल खड़े होते हैं. एक टेलीग्राम अकाउंट की पहचान करने के लिए दो चीजें होती हैं – टेलीग्राम आईडी और मोबाइल नंबर. और चैट में दोनों में से किसी का खुलासा नहीं किया गया है. ये सुनिश्चित करने के लिए कि टेलीग्राम अकाउंट किसी खास व्यक्ति का है, हमें फ़ोन नंबर या टेलीग्राम आईडी को वेरीफ़ाई करना पड़ता है.

आर्टिकल का अगला हिस्सा थोड़ा कंफ्यूज़ कर सकता है. हमारे साथ बने रहिए.

22 जुलाई को @dankchikitsak ने ट्विटर पर ज़ावेद आलम और @not_sameen के बीच हुई बातचीत की स्क्रीन रिकॉर्डिंग अपलोड की थी. नीचे एक स्क्रीनशॉट दिया गया है जहां @not_sameen के कहने पर ज़ावेद उसे अपनी टेलीग्राम आईडी देता है और कहता है कि उसने टेलीग्राम पर एक मेसेज भेजा है. ट्विटर चैट पर इस मेसेज का टाइमस्टैम्प (नीचे स्क्रीनशॉट) शाम 4 बजकर 48 मिनट का है. तो ज़ावेद ने शाम करीब 4 बजकर 48 मिनट पर मेसेज किया होगा. चूंकि @dankchikitsak ने 22 जुलाई को ये ट्वीट किये थे, लिहाज़ा दिखाई गयी ये कथित बातचीत 22 जुलाई या उससे पहले ही हुई होगी. जावेद ने ऑल्ट न्यूज़ को भी ऐसा ही बताया था. उसने कहा कि @not_sameen से उसकी बातचीत 21 जुलाई को शाम करीब साढ़े चार बजे हुई थी.

ट्विटर चैट से पता चलता है कि ज़ावेद और @not_sameen के बीच हुई बातचीत 22 जुलाई या उससे पहले, शाम 4 बजकर 48 मिनट पर शुरू हुई होगी. लेकिन टेलीग्राम चैट में दावा किया गया है कि ज़ावेद ने “सुल्ली डील्स” नामक अकाउंट बनाने की बात 24 जुलाई को 6 बजकर 8 मिनट पर स्वीकारी.

@dankchikitsak की पोस्ट में सिर्फ यही फ़र्क नहीं है.

22 जुलाई को उन्होंने ट्वीट किया कि ज़ावेद आलम इस बारे में “अपनी बड़ाई कर रहे हैं” कि कैसे उन्होंने “सुल्ली डील्स” ऐप बनाया. @dankchikitsak ने ये भी लिखा कि वो एक वीडियो पोस्ट करेंगे जहां ज़ावेद स्वीकार कर रहे हैं कि उन्होंने अश्लील ट्विटर अकाउंट बनाए और “कई और चीजें” की.

यहां सवाल ये उठता है कि ज़ावेद आलम के कथित रूप से स्वीकार करने से दो दिन पहले ही @dankichikitsak को कैसे पता चला कि ज़ावेद ने “सुल्ली डील्स” ऐप बनाया था.

@dankichikitsak की बताई गयी ये टाइमलाइन टीक नहीं लग रही है.

ऑल्ट न्यूज़ ने क्रुणाल से इस बारे में पूछताछ की. हमने पूछा कि कैसे @dankchikitsak ने 22 जुलाई को ये दावा किया था कि ज़ावेद आलम ने ही ‘सुल्ली डील्स’ ऐप बनायी जबकि ज़ावेद ने 24 जुलाई को कथित रूप से टेलीग्राम पर ये बात स्वीकारी थी. क्रुणाल ने कहा कि @not_sameen को ये पहले से पता था कि ज़ावेद “सुल्ली डील्स” ऐप बनाई थी.

क्रुणाल ने दावा किया, “ये बात स्वीकार करवाने के लिए ही @not_sameen ने ज़ावेद से टेलीग्राम पर चैट की थी. ज़ावेद “सुल्ली डील्स” के बारे में डींग मारता था जिससे @not_sameen को पता चला कि उसने ही ये ऐप बनाई थी.”

लेकिन क्रुणाल का ये दावा 22 जुलाई को @dankchikitsak द्वारा शेयर की गई जानकारी से मेल नहीं खाता. उनके ट्वीट (आगे दिए गए स्क्रीनशॉट) में लिखा है, “एक वीडियो पोस्ट करेंगे जहां वो [ज़ावेद] स्वीकार कर रहा ह कि ये उसके अकाउंट्स हैं, साथ ही कई और चीजें भी. मुझे ये एक प्रतिष्ठित मुस्लिम लड़की से मिला…” इसका मतलब है कि वो वीडियो पहले से ही उनके पास था. इस थ्रेड के बाद जो एकमात्र वीडियो सामने आया, वो 24 जुलाई की कथित टेलीग्राम चैट का था. @dankchikitsak को आगे होने वाली चैट के बारे में पहले ही कैसे पता चल सकता है?

जब हमने क्रुणाल से पूछा कि क्या वो सोशल मीडिया पोस्ट के स्क्रीनशॉट्स शेयर कर सकते हैं जहां ज़ावेद “सुल्ली डील्स” के बारे में “डींग मार रहे थे”. तब क्रुणाल ने जवाब दिया, “ये सिर्फ @not_sameen ही दे सकती है” हमने फिर उनसे पूछा कि क्या वो @not_sameen से हमारा संपर्क करा सकते हैं. इसके जवाब में उन्होंने कहा कि कुछ समय से उनकी @not_sameen से बात नहीं हुई है, लेकिन पुलिस ने मामले की जांच के दौरान उससे बात की थी.

सारे सबूत इस ओर इशारा करते हैं कि @dankchikitsak द्वारा पोस्ट की गई टेलीग्राम चैट असली नहीं है. चैट की शुरुआत में ज़ावेद एक प्रोग्रेसिव व्यक्ति की तरह बात करते हैं. नीचे स्क्रीनशॉट्स हैं जिनमें ये बताया गया है कि उन्होंने अश्लील ट्विटर अकाउंट क्यों चलाया – “ये हमारे समाज के टैबू को तोड़ने के लिए है. जैसे लव जिहाद और सब कुछ. हम उस मिथक को तोड़ना चाहते हैं…हम फ़ेटिश के लिए ऐसा नहीं करते हैं. हम सिर्फ नफरत को रोकना चाहते हैं और आपसी विश्वास को सामान्य बनाना चाहते हैं. यहां तक ​​कि बहुत से हिंदू भी अब इसका आनंद लेते हैं…”

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लेकिन ये सब बातें करने के बाद अचानक से उनके व्यक्तित्व में बदलाव आ जाता है. अब वो एक कट्टर युवक बन जाते हैं जो सोशल मीडिया पर खुलकर अपनी बात रखने वाली मुस्लिम महिलाओं से नफ़रत करता है. वो हिंदुओं को “कफ़र” (“काफ़िर” को गलत तरीके से लिखा गया है मतलब ख़ुदा या ईश्वर को न मानने वाला होता है) के रूप में भी बताते हैं.

कथित टेलीग्राम चैट में कुछ भी नहीं है – चाहे वह डेट और टाइम स्टैम्प हो या ज़ावेद के व्यवहार में अचानक बदलाव – इसका कोई मतलब नहीं बनता.

ये हमें इस पहेली के अगले भाग तक ले जाता है.

फ़रेबी हैंडल @not_sameen

@not_sameen को पूरे “एक्सपोज़े” का हीरो बनाए जाने से पहले, इस हैंडल ने 21 जुलाई को ईद पर “खुद” की कथित तस्वीरें शेयर की थीं.

दिलचस्प बात ये है कि यही तस्वीरें मई में एक पाकिस्तानी महिला ने पोस्ट की थीं. उन्होंने इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया कि एक व्यक्ति ने @sullideals101 को टैग करते हुए उनकी “कीमत” मांगी.

ये तस्वीरें स्टोरी के लिए ज़रूरी हैं क्योंकि इससे पहले इनका ग़लत इस्तेमाल किया गया है.

इससे पहले इस रिपोर्ट में, हमने रितेश झा (@LiberalDogeReal) और केशु द्वारा अपलोड किए गए यूट्यूब लाइवस्ट्रीम के बारे में बताया था जहां उन्होंने पाकिस्तानी महिलाओं का “रेट बताया” और “नीलामी” की. इस महिला की तस्वीरें उनके वीडियो में भी दिखाई गईं.

इससे कंफ़र्म होता है कि @not_sameen एक फ़रेबी अकाउंट है.

जैसा कि पहले बताया गया है, ज़ावेद आलम ने कहा कि उन्होंने टेलीग्राम पर @not_sameen से हुई बातचीत में “सुल्ली डील्स” ऐप बनाने की बात को स्वीकार नहीं किया था. लेकिन उन्होंने फ़ोन नंबरों का आदान-प्रदान किया था. ज़ावेद ने हमें वो नंबर दिया जो @not_sameen से उन्हें मिला. मालूम पड़ा कि ये वही नंबर है जो @VedicYoddha के अनुसार क्रुणाल का था. (@VedicYoddha वाली बात इस आर्टिकल की शुरुआत में हमने बतायी थी.)

जब हमने क्रुणाल से इसके बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि @not_sameen ने ज़ावेद आलम का नंबर पाने के लिए उनके व्हाट्सऐप नंबर का इस्तेमाल किया था. “जावेद चाहते थे कि @not_sameen व्हाट्सऐप नंबर भेजे जहां वे बात कर सकें. मेरा नंबर पहले से ही सार्वजनिक था इसलिए हमने इसका इस्तेमाल करने का फैसला किया. लेकिन जब @not_sameen को ज़ावेद का नंबर मिल गया, उसके बाद उनके बीच की सभी बातचीत टेलीग्राम और ट्विटर पर ही हुई. मैं इसमें शामिल नहीं था. मुझे ज़ावेद आलम के बारे में सारी जानकारी @not_sameen से मिली है.”

बता दें कि दूसरी बार हुई हमारी बातचीत के दौरान क्रुणाल ने स्वीकार किया कि @not_sameen एक फ़रेबी अकाउंट था और इसे एक आदमी चला रहा था. लेकिन उन्होंने उस शख्स की पहचान हमारे साथ शेयर नहीं की.

गौरतलब है कि @not_sameen ने ट्विटर पर @LiberalDogeB (रितेश झा का दूसरा अकाउंट- पहला और दूसरा) और @dankchikitsak से बातचीत की है.

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“सुल्ली डील्स” के पीछे कौन है?

ऐप की वजह से नाराज़गी और इसे चलाने वाले लोगों को ग़िरफ्तार करने की मांग के बाद ट्विटर हैंडल @sdfrgt4rf ने “सुल्ली डील्स” बनाने को लेकर अपनी बड़ाई की. ये बात 4 जुलाई की है, जिस दिन ऐप सामने आया था.

हैंडल ने दावा किया कि असल में “सुल्ली डील्स” उसी ने बनाया था. सबूत के तौर पर टेलीग्राम चैट में “Z” द्वारा शेयर किया गया “वेलकम टू गिटहब” स्क्रीनशॉट भी था. इसमें देखा जा सकता है कि ऐप 13 जून को बनाया गया था. @sdfrgt4rf ने “सुली डील्स” के लिए सोर्स कोड का एक स्क्रीनशॉट भी शेयर किया जिससे ये संकेत मिलता है कि इस अकाउंट को चलाने वाला व्यक्ति ऐप बनाने वाले में से ही कोई है.

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रितेश झा ने 5 जुलाई को ऐप बनाने के लिए @sdfrgt4rf की सराहना की थी.

विडंबना ये है कि जब कहानी में ज़ावेद आलम को लाया गया तो रितेश झा ने ज़ावेद आलम के बारे में जानकारी देकर दिल्ली पुलिस को “मदद” करने की पेशकश की थी. ये 24 जुलाई को हुआ था. दो दिन बाद @dankchikitsak ने ज़ावेद पर आरोप लगाते हुए एक थ्रेड अपलोड किया. नीचे दिया गया ट्वीट, एक दूसरे ट्विटर हैंडल (@LiberalDogeB) ने किया था. इसे रितेश झा चलाता है. हम जानते हैं कि रितेश झा ही @LiberalDogeReal और @LiberalDogeB अकाउंट चलाता था. क्योंकि उसने अपने फ़ेसबुक पेज (पहला और दूसरा) पर इसका प्रचार किया था.

एक और हैंडल @ sullideals786 जिसने दावा किया कि वो “सुल्ली डील्स” टीम का हिस्सा था. इसने भी ऐप का हिस्सा होने को लेकर अपनी बड़ाई की थी.

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लेकिन सबसे पहले इस ऐप से जुड़े होने का खुलासा @sullideals हैंडल के आर्काइव ट्वीट्स से हुआ था. नीचे दिए गए स्क्रीनशॉट से पता चलता है कि अकाउंट ने 13 या 14 जून को (ऐप के ठीक बाद) एक महिला की तस्वीर शेयर की थी. GitHub पर यूज़र के बायो में “सुल्ली डील्स” का लिंक भी था.

13 या 14 जून से ही अकाउंट ने “डील्स ऑफ़ द डे” (पहला, दूसरा, तीसरा, चौथा, पांचवा) के कई स्क्रीनशॉट्स पोस्ट किए हैं. ध्यान दें कि यूज़र ने दावा किया कि ये सिएटल में रहता है.

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करीब 26 जुलाई के बाद हैंडल ने अपना नाम “UrLocalSulliDealer” और लोकेशन को “दिल्ली” में बदल दिया.

अभी तक जो हमें पता चला:

1. GitHub पर @sullideals अकाउंट 13 जून को बनाया गया था.

2. @sullideals नाम का एक ट्विटर हैंडल 13 या 14 जून से “डील्स ऑफ़ द डे” के स्क्रीनशॉट्स शेयर कर रहा था. इसी हैंडल ने ऐप बनाने की ज़िम्मेदारी भी ली थी.

3. “सुल्ली डील्स” 4 जुलाई को चर्चा में आया जब ट्विटर पर कई महिलाओं को ऐप पर उनकी तस्वीरें मिलीं.

4. उसी दिन @sdfrgt4rf ने ऐप बनाने को लेकर अपनी बड़ाई की. उसने ऐप के बैकएंड के स्क्रीनशॉट्स शेयर किए जिससे साबित हुआ कि उनके पास उसका एक्सेस है. अगले दिन @sullideals786 ने भी ऐप से जुड़े होने का दावा किया.

5. 22 जुलाई को कई और लोगों के साथ मिलकर (जैसा कि क्रुणाल पटेल ने बताया) @dankchikitsak ट्विटर हैंडल चलाने वाले क्रुणाल पटेल ने सारा दोष ज़ावेद आलम पर थोप दिया. @dankchikitsak ने ज़ावेद द्वारा चलाए जा रहे अश्लील ट्विटर हैंडल के स्क्रीनशॉट और @not_sameen के साथ ज़ावेद का ट्विटर चैट शेयर किया जिसमें ज़ावेद ने स्वीकार किया था कि अश्लील हैंडल वो चलाते थे. @dankchikitsak ने एक टेलीग्राम चैट भी शेयर की और दावा किया कि ये ज़ावेद आलम और @not_sameen के बीच हुई बातचीत का स्क्रीनशॉट है. इसमें ज़ावेद को ये स्वीकार करते हुए देखा जा सकता है कि उन्होंने ही “सुल्ली डील्स” ऐप बनाई थी. टेलीग्राम पर ये बातचीत 24 जुलाई को शाम 6 बजे हुई. लेकिन @dankchikitsak ने तथाकथित ज़ावेद द्वारा ऐप बनाने की बात स्वीकार करने से पहले ही इस बात की घोषणा कर दी थी कि “सुल्ली डील्स” ज़ावेद ने बनाया. क्रुणाल ने इन बेमेल बातों को सही ठहराते हुए ये दावा किया कि वो ये बात पहले से जानते थे कि इस ऐप के पीछे ज़ावेद का हाथ है. क्योंकि वो “सुल्ली डील्स” से जुड़े होने को लेकर अपनी बहुत बड़ाई करता था. बड़ाई करने का कोई सबूत नहीं दिया गया. इससे भी ज़रूरी बात ये है कि ट्विटर चैट के मुताबिक, ज़ावेद ने 22 जुलाई को या उससे पहले @not_sameen को मेसेज किया था. लेकिन कथित टेलीग्राम चैट 24 जुलाई की है. क्रुणाल ने दावा किया कि ज़ावेद का एक और टेलीग्राम अकाउंट है और ज़ावेद ने पहले अपने दूसरे अकाउंट पर @not_sameen से बात की थी. इस बात का कोई सबूत नहीं है साथ ही क्रुणाल ने @not_sameen की पहचान के बारे में हमसे कोई डिटेल शेयर नहीं की. उन्होंने सिर्फ ये स्वीकार किया कि @not_sameen हैंडल एक आदमी चला रहा था.

6. गौरतलब है कि @not_sameen और ज़ावेद आलम ने फ़ोन नंबरों का आदान-प्रदान किया था. जो मोबाइल नंबर @not_sameen ने ज़ावेद को दिया था, उसके बारे में ऑल्ट न्यूज़ ने जांच की तो मालूम पड़ा कि वो क्रुणाल का मोबाइल नंबर है जो सार्वजनिक रूप से उपलब्ध है. इस बारे में क्रुणाल ने बताया कि ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि उन्होंने ही @not_sameen को कहा था कि वो ज़ावेद को उनका नंबर दे दें. क्रुणाल के अनुसार, जैसे ही @not_sameen को ज़ावेद का नंबर मिल गया, उसके बाद सारी बातचीत टेलीग्राम या ट्विटर पर ही हुईं. क्रुणाल ने ये भी दावा किया कि उनका व्हाट्सऐप नंबर केवल ज़ावेद का नंबर लेने के लिए इस्तेमाल किया गया था.

7. @not_sameen हैंडल ने एक पाकिस्तानी महिला की तस्वीरों का ग़लत इस्तेमाल किया था. रितेश झा उर्फ ​​लिबरल डोज़ ने मई में एक यूट्यूब वीडियो पर उसी महिला की तस्वीरों पर उनका “रेट बताया” था.

8. लिबरल डोज़ ने 4 जुलाई को ऐप बनाने के लिए @sdfrgt4rf की सराहना की थी. उसके 20 दिन बाद, उन्होंने “सुल्ली डील्स” के लिए ज़ावेद आलम को दोषी ठहरा दिया.

इस तरह एक मुस्लिम युवक पर “सुल्ली डील्स” ऐप बनाने का दोष डालने के लिए एक पूरी कहानी बनाई गई थी. लेकिन पुलिस की जांच में अभी सच्चाई सामने नहीं आई है. @dankchikitsak और @sullidealsXpose द्वारा शेयर किए गए “सबूत” से ये साबित नहीं होता कि ज़ावेद आलम का इस ऐप से कोई लेना-देना था.

क्या पुलिस इन्वेस्टीगेशन उस व्यक्ति तक पहुंचा सकती है जिसने ऐप बनाया है?

10 नवंबर को मुंबई पुलिस ने क्रिकेटर विराट कोहली की बेटी को एक ट्विटर अकाउंट से रेप की धमकी के आरोप में 23 साल के रामनागेश अकुबाथिनी को हैदराबाद से गिरफ़्तार किया. ऑल्ट न्यूज़ सहित फ़ैक्ट-चेक करने वाले संगठनों ने बताया कि रामनागेश अकुबाथिनी (हैंडल @criccrazyygirl से संचालित) हैदराबाद का हो सकता है क्योंकि वो तेलुगु में बात करता है. ट्विटर पर उनकी आर्काइव बातचीत की जांच करने पर भी ये बात पता चली.

रामनागेश अकुबाथिनी को गिरफ़्तार करने के लि, पुलिस ने कुछ और बातों के अलावा, IP एड्रेस और मोबाइल सेवा कंपनियों से पूछताछ सहित आरोपी की पहचान के लिए ट्विटर पर संपर्क किया होगा. ये इस बात का सबूत है कि पुलिस जांच के ज़रिए साइबर उत्पीड़न के मामलों को सुलझाया जा सकता है.

लेकिन “सुल्ली डील्स” मामले में जहां कई महिलाओं को निशाना बनाया गया साथ ही दिल्ली और उत्तर प्रदेश पुलिस के पास FIR भी दर्ज की गई थी. लेकिन अभी तक इस ममाले में कोई गिरफ़्तारी नहीं हुई है. और किसी तरह की सफलता नहीं मिली है. ऐसे कई तरीके हैं जिनसे मामले की जांच की जा सकती है. जैसे, उन ट्विटर हैंडल को ट्रैक किया जा सकता है जिन्होंने (@sullideals, @sdfrgt4rf और @solideal786) “सुल्ली डील्स” की ज़िम्मेदारी ली थी. जिस तरह से मुंबई पुलिस ने विराट कोहली वाले मामले की जांच की थी.

इसके अलावा, ऐप बनाने के दौरान दो डोमेन रजिस्टर किए गए थे – sullideals.in और sullidealing.co.in. दोनों को GoDaddy से रजिस्टर किया गया था. सुल्ली डील्स” बनाने वाली टीम का हिस्सा होने का दावा करने वाले अकाउंट्स में से एक (@mightyeagle30) ने अपने ट्विटर बायो (नीचे स्क्रीनशॉट – पहला, दूसरा, तीसरा और चौथा) में sullidealing.co.in लिखा था. पुलिस उपरोक्त डोमेन के रजिस्ट्रार GoDaddy से संपर्क कर सकती है. ताकि क्रेडिट कार्ड डिटेल सहित पेमेंट डिटेल, और डोमेन नाम रजिस्टर करने वालों का पता लगाया जा सके.

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सार्वजनिक तौर पर पहले से उपलब्ध जानकारी के आधार पर और अच्छे तरीके से काम करके, पुलिस ये ऐप बनाने वालों का पता लगा सकती है. ज़रूरत है तो बस एक कोशिश की.

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