सोशल मीडिया में तस्वीरों का एक सेट इस दावे के साथ शेयर किया जा रहा है कि यह पाकिस्तान में भारतीय वायुसेना के हवाई हमले का परिणाम दिखलाता है। इन तस्वीरों में सामूहिक कब्रें और कफ़न में लिपटी लाशें दिखाई पड़ रही हैं। “बालाकोट हमले का सबूत सभी हरामी नेताओं को है ये ताकी तुम सभी ग़द्दार अपने मुह पर चपल मार कर चुप रहे और सेना का माजक न उड़ाऐ |जय हिंद की सेना!” -यह कैप्शन आमतौर पर इन तस्वीरों के साथ इस्तेमाल किया गया है। इन तस्वीरों को शेयर करते हुए इस्तेमाल किया जा रहा दूसरा संदेश यह है — “यह है सबूत अच्छी तरह से चशमा लगा कर देख लिजियेगा जी।”

पहली तस्वीर

तस्वीरों के इस सेट की एक तस्वीर में सामूहिक रूप से दफनाने के लिए सुरंग जैसी लंबी कब्र में लिटायी हुई कफ़न में लिपटी लाशें दिखलाई पड़ती हैं।

इसकी मूल तस्वीर हमें गेट्टी इमेजेज पर मिली, जिसमें इस तस्वीर का विवरण इस प्रकार था — “करांची में 25 जून 2015 को पाकिस्तानी ईदी के परोपकारी स्वयंसेवक लू के शिकार लोगों की लावारिश लाशों को एक कब्र में दफनाते हुए। करांची में दशकों की सबसे भीषण लू में मरने वाले लोगों में से 50 की लावारिश लाशों की पाकिस्तान के कल्याण कार्यकर्ताओं ने 26 जून को सामूहिक अंत्येष्टि की।” -(अनुवाद)

 

दूसरी तस्वीर

दूसरी वायरल तस्वीर में एक व्यक्ति एक कमरे में सफेद कपड़ों में लिपटी लाशों के कपड़े ठीक करता हुआ दिखता है।

 

इस तस्वीर की गूगल पर रिवर्स सर्च करके हम गेट्टी इमेजेज की इसकी मूल तस्वीर तक पहुंचे। यह तस्वीर भी पाकिस्तान में 2015 की लू, जिसमें सैकड़ों लोगों की मृत्यु हो गई, को दर्शाती है। इस तस्वीर में लावारिश लाशें थीं और वह व्यक्ति सबके कफ़न पर उनके परिचय संबंधी कागजात रख रहा था।

तीसरी और चौथी तस्वीर 

ऐसी ही, कफ़न में लिपटी लाशों की दो और तस्वीरें इस दावे के साथ कि ये बालाकोट हवाई हमले में हताहत हुए पाकिस्तानी हैं, सोशल मीडिया में शेयर की जा रही हैं।

 

ये तस्वीरें भी पाकिस्तान में 2015 की लू से संबंधित हैं। इनमें बायीं ओर वाली तस्वीर टाइम मैगजीन में मिली, जबकि दायीं ओर वाली गेट्टी इमेजेज में पाई गई।

पांचवी तस्वीर

अंतिम तस्वीर में लोग मृतकों को सामूहिक कब्र में दफनाते हुए दिखलाई पड़ते हैं।

यह तस्वीर पहले ही ऑल्ट न्यूज़ द्वारा खारिज की जा चुकी है। हालांकि, हम इसकी उत्त्पत्ति का पता नहीं लगा सके, लेकिन यह जान गए कि यह इंटरनेट पर कम से कम 2016 से है।

 

गूगल रिवर्स इमेज सर्च ने 2013 के न्यू यॉर्क टाइम्स के एक लेख तक पहुंचाया जिसमें ऐसी ही एक तस्वीर थी। उस तस्वीर का स्रोत एसोसिएटेड प्रेस था जिसने उसका विवरण इस प्रकार दिया था – “रविवार, 17 फरवरी 2013, शनिवार को क्वेटा, पाकिस्तान में हुई बमबारी के मृतकों के लिए कब्रें तैयार करते पाकिस्तानी लोग”।- (अनुवाद)

बालाकोट हवाई हमले से संबंधित, खासतौर पर हमले में किसी के नहीं मरने की खबरों के बाद, सोशल मीडिया में भ्रामक सूचनाएं कई गुना बढ़ गई हैं। पूर्व में, जैश-ए-मोहम्मद के शिविरों पर भारतीय वायुसेना के हवाई हमले के कारण हुई तबाही के रूप में, 2005 के कश्मीर भूकंप की प्रसारित की जा रही तस्वीरों को, हमने खारिज किया है

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About the Author

Pooja Chaudhuri is a researcher and trainer at Bellingcat with a focus on human rights and conflict. She has a Master's in Data Journalism from Columbia University and previously worked at Alt News.