भारत-चीन सीमा विवाद में हुई झड़प में 20 भारतीय जवानों की मृत्यु हो गई. इस घटना के बाद पूरे देश में चीन और नेपाल के खिलाफ़ प्रदर्शन शुरू हो गए. राजनैतिक पार्टियों से लेकर आम जनता ने भारत सरकार से चीन के खिलाफ़ कड़ा रुख अपनाने और आर्थिक बहिष्कार करने की मांग की है. इसी बीच सोशल मीडिया में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया (मार्क्सिस्ट) के वरिष्ठ नेता सीताराम येचुरी और वृंदा करात की तस्वीरों का एक कोलाज शेयर हो रहा है. इस तस्वीर में इन नेताओं के गले में लगे प्लैकार्ड पर “Indian Army Down..Down, We Support To China..Zindabad (अनुवाद – भारतीय सेना का पतन हो, हम चीन का समर्थन करते है..ज़िन्दाबाद) लिखा हुआ है.
एक फ़ेसबुक यूजर ने ये कोलाज शेयर करते हुए लिखा, “नेताओं को हर वर्ष लाखों डॉलर देती है इसलिए बेशर्म , बेहया , गद्दार देश की जनता के सामने खुलेआम ये सब कर रहे हैं। भारत में रहते है और भारत से ही गद्दारी सीता राम येचुरी , वृंदा करात,, दोनों वामपंथी नेता है मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के। जिसने 1962 के भारत – चीन युद्ध में भी चीन का समर्थन किया था।” (पोस्ट का आर्काइव लिंक)
चीन और उसकी कम्युनिस्ट पार्टी इन मार्क्सवादी कम्युनिस्ट नेताओं को हर वर्ष लाखों डॉलर देती है इसलिए बेशर्म , बेहया ,…
Posted by Naveen Prakash Upadhyay on Friday, 19 June 2020
19 जून को एक ट्विटर यूज़र ने ये कोलाज शेयर करते हुए लिखा, “भारत में रहते है और भारत से ही गद्दारी सीता राम येचुरी, वृंदा करात, दोनों वामपंथी नेता है कम्युनिस्ट पार्टी वाले , जैसे की कन्हैया कुमार।”
और भी कई यूज़र्स ने ये कोलाज इसी दावे से फ़ेसबुक पर शेयर किया है. ऑल्ट न्यूज़ के एंड्रॉइड ऐप पर भी इस दावे की सत्यता जांचने के लिए कुछ रीक्वेस्ट आई हैं.
फ़ैक्ट-चेक
रिवर्स इमेज सर्च करने से हमें CPI (M) का 16 जून 2020 का एक ट्वीट मिला. इस ट्वीट में सीताराम यचूरी और वृंदा करात के अलावा और भी कई लोगों को प्रदर्शन करते हुए देखा जा सकता है. ज़्यादातर के हाथों में कोई न कोई पोस्टर ज़रूर है.
All India Protest against Modi govt’s anti-people policies.#PeopleProtestModiGovt pic.twitter.com/oJRUqXHsN5
— CPI (M) (@cpimspeak) June 16, 2020
ध्यान देने वाली बात ये है कि वायरल कोलाज से अलग इन तस्वीरों में सीताराम येचुरी और वृंदा करात के गले में लगे प्लैकार्ड में कुछ और ही लिखा हुआ है.
सीताराम येचुरी के प्लैकार्ड में “IMMEDIATELY PAY RS.7500 PER MONTH FOR THREE MONTHS TO ALL OUTSIDE INCOME TAX BRACKET, आयकर सीमा से नीचे के सभी परिवारों को फौरन तीन महीने तक हर महीने 7,500 रु. दो!” और वृंदा करात के प्लैकार्ड पर “PROVIDE FREE 10 KG FOODGRAINS PER MONTHS FOR SIX MONTHS TO ALL NEEDY INDIVIDUALS, हर जरुरतमन्द को छ: महीने तक हर महीने बिना पैसे 10 किलो अनाज दो!” लिखा हुआ है.
16 जून 2020 को सीताराम येचुरी ने ट्वीट करते हुए इस प्रदर्शन की कुछ और तस्वीरें शेयर की हैं. इन तस्वीरों से मालूम होता है कि नई दिल्ली के भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के केन्द्रीय कमिटी कार्यालय के बाहर पार्टी के लोग प्रदर्शन कर रहे हैं.
We demand:
* Cash transfer of Rs. 7500 per month for 6 months to all families outside the income tax bracket.
* Free 10 kg foodgrains, per individual, per month for 6 months (1/n) pic.twitter.com/N7dl5dfBJj— Sitaram Yechury (@SitaramYechury) June 16, 2020
19 जून के ‘बिज़नेस लाइन’ के आर्टिकल के मुताबिक, CPI (M) ने सरकार की पॉलिसीज़ के खिलाफ़ पूरे देश भर में प्रदर्शन किया था. CPI (M) ने सरकार से मांग की थी कि गरीबों को अगले 6 महीने तक हर महीने 7,500 रुपये कैश दिया जाए और साथ में अगले 6 महीने तक हर महीने 10 किलो अनाज मुफ़्त में मुहैया करवाया जाए. ‘सोशल न्यूज़’ वेबसाइट ने इस प्रदर्शन की और भी कई तस्वीरें 16 जून 2020 के आर्टिकल में शेयर की हैं.
इसके अलावा सीताराम येचुरी और उनकी पार्टी ने भारत-चीन सीमा पर शहीद हुए जवान की मौत पर संवेदना व्यक्त की थी.
.@SitaramYechury at all party meet:
CPIM expresses its deep condolences at the death of our army officers and soldiers in the recent clash that took place along the Indo-China LAC, at the Galwan valley in Ladakh.
Read Full Statement at:https://t.co/0tUXfjT8h3— CPI (M) (@cpimspeak) June 19, 2020
इस तरह CPI (M) के नेता सीताराम येचुरी और वृंदा करात के गले में लटके हुए प्लैकार्ड की तस्वीरों को एडिट कर उन्हें चीन का समर्थन करते हुए दिखाने की कोशश की गई. जबकि ये दोनों नेता सरकार से गरीब परिवारों तक पैसे और अनाज मुफ़्त में पहुंचाने की मांग कर रहे थे. अभी हाल ही में AIMIM सदस्यों द्वारा नेपाली झंडे जलाने की तस्वीरें सोशल मीडिया में भगवा झंडे जलाने के दावे से शेयर की गई थी. इन तस्वीरों की जांच करने पर ऑल्ट न्यूज़ ने इन दावों को झूठा और बेबुनियाद पाया.
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