अप्रैल 2023 में ऑल्ट न्यूज़ ने एक रिपोर्ट पब्लिश करते हुए खुलासा किया था कि किस प्रकार एक ही IP Address पर होस्ट की गईं 23 वेबसाइटस् और उनसे जुड़े फ़ेसबुक पेजों का एक नेटवर्क, फ़ेसबुक पर भाजपा का प्रॉपगेंडा और विपक्षी पार्टियों और नेताओं को टारगेट करने वाले विज्ञापन पर करोड़ों रुपये खर्च करता है. हमारी डिटेल्ड जांच में सामने आया कि सीधे तौर पर इस नेटवर्क का संबंध भारतीय जनता पार्टी से है.

इस पड़ताल में हम फेसबुक पेज ‘Narendra Bhupendra – નરેન્દ્ર ભૂપેન્દ્ર’ पर ध्यान केंद्रित करेंगे. ये पेज अब डिलीट कर दिया गया है. इसका नाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल के नाम पर रखा गया था. मेटा एड लाइब्रेरी रिपोर्ट के मुताबिक, ये पेज नरेंद्र मोदी और भूपेन्द्र पटेल के समर्थन में विज्ञापन चला रहा था.

ऑल्ट न्यूज़ की जांच में यह निर्णायक रूप से साबित होता है कि पेज ‘Narendra Bhupendra – નરેન્દ્ર ભૂપેન્દ્ર’ सीधे तौर पर भाजपा से जुड़ा है और इसने उम्मीदवार की चुनावी खर्च सीमा और साइलेन्स पीरियड नियम के संदर्भ में चुनाव आयोग द्वारा निर्धारित आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन किया है. इस रिपोर्ट में भारतीय चुनाव आयोग द्वारा प्रकाशित चुनाव व्यय निगरानी पर निर्देशों के संग्रह (सितंबर 2022 संस्करण) और मेटा एड लाइब्रेरी रिपोर्ट के साक्ष्य का इस्तेमाल किया गया है.

चूंकि फ़ेसबुक और इंस्टाग्राम की पेरेंट कंपनी मेटा अपने Ad Library Report में राजनीतिक विज्ञापनों से जुड़े डेटा को सात साल तक संग्रहित करती है, इसलिए डिलीटेड पेज से जुड़ी जानकारी Meta Ad Library Report में मौजूद है. इस पेज द्वारा 14 जून 2022 से लेकर दिसंबर में हुए गुजरात विधानसभा चुनाव के वक्त तक फ़ेसबुक और इंस्टाग्राम पर कुल 3,145 विज्ञापन चलाकर 55 लाख 53 हज़ार 940 रूपये खर्च किये गए थे. इस पेज द्वारा गुजरात चुनाव के वक्त भी भूपेन्द्र पटेल के समर्थन में विज्ञापन चलाए गए थे.

चुनाव में किसी भी उम्मीदवार द्वारा खर्च करने की सीमा क्या है?

6 जनवरी 2022 को भारतीय चुनाव आयोग ने एक प्रेस रिलीज़ जारी करते हुए बताया कि लोकसभा क्षेत्र और विधानसभा क्षेत्र में चुनाव लड़ने के लिए उम्मीदवारों के खर्च करने की सीमा को बढ़ा दिया गया है. चुनाव आयोग ने राज्यों के आधार पर खर्च की सीमा को निर्धारित किया. लोकसभा चुनाव में जिन राज्यों में उम्मीदवार द्वारा चुनाव की अवधि में खर्च करने की लिमिट 70 लाख थी, उसे बढ़ाकर 95 लाख कर दिया गया और 54 लाख की लिमिट वाले राज्यों में इसे बढ़ाकर 75 लाख कर दिया गया. विधानसभा चुनाव में 28 लाख को बढ़ाकर 40 लाख कर दिया गया और जिन राज्यों में 20 लाख था, उसे बढ़ाकर 28 लाख कर दिया गया. नीचे दिए गए इस प्रेस रिलीज में गौर करें कि गुजरात के विधानसभा चुनाव में किसी भी कैंडीडेट द्वारा खर्च की जाने वाली राशि की लिमिट 40 लाख है.

भारतीय निर्वाचन आयोग द्वारा प्रकाशित चुनाव व्यय निगरानी पर निर्देशों के संग्रह में सितंबर, 2022 एडिशन के पृष्ठ संख्या 2 में उल्लेख है कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 77(1) लोक सभा या राज्य विधानसभा के प्रत्येक उम्मीदवार के लिए उसके द्वारा या उसके निर्वाचन अभिकर्ता द्वारा नामांकन की तारीख से लेकर चुनाव के परिणाम की घोषणा की तारीख के बीच (दोनों तारीखों सहित) प्राधिकृत किए गए सभी व्यय का एक अलग और सही हिसाब रखना अनिवार्य बनाती है. नियमानुसार, इस दौरान खर्चे की कुल राशि उस राशि से अधिक नहीं होगी जो लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 77(3) के तहत निर्धारित की गई हो. धारा 77(2) के तहत, खाते में ऐसे विवरण शामिल होंगे जो निर्धारित किए जा सकते हैं. चुनाव संचालन नियम, 1961 की नियम संख्या 90 प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में संसदीय और विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों के लिए चुनाव खर्च की अलग-अलग सीमा निर्धारित करती है.

चुनाव आयोग के नियमों का उल्लंघन

चुनाव व्यय विवरण में नहीं है इस पेज द्वारा नॉमिनेशन के बाद विज्ञापन पर खर्च हुए एस्टिमेटेड 31-38 लाख रुपये का हिसाब

ज्ञात हो कि भूपेन्द्र पटेल ने गुजरात के घटलोडिया विधानसभा से 16 नवंबर 2022 को नॉमिनेशन करवाया था. हमने Meta Ad Library Report में मौजूद फ़ेसबुक पेज ‘Narendra Bhupendra – નરેન્દ્ર ભૂપેન્દ્ર’ और इससे जुड़े इंस्टाग्राम अकाउंट द्वारा 16 नवंबर 2022 से लेकर 8 दिसंबर तक राजनीतिक विज्ञापन पर खर्च की गई राशि का डेटा चेक किया. हमने पाया कि इसका Upper Bound – 38 लाख 62 हज़ार 694 है, और Lower Bound – 31 लाख 47 हज़ार 600 है. यानी, इस पेज और इससे जुड़े इंस्टाग्राम अकाउंट द्वारा 16 नवंबर 2022 से लेकर 8 दिसंबर के बीच विज्ञापन पर खर्च किया गया Estimated Amount ₹ 31,47,600 – ₹ 38,62,694 है. (पूरी फ़ाइल यहां मौजूद है.)

हमने गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल द्वारा जमा किये गए चुनावी खर्च का ब्योरा चेक किया तो पाया कि उन्होंने चुनावी फंड के सभी श्रोत को मिलाकर कुल 30 लाख 15 हज़ार लिखा है. जिसमें उन्होंने बताया है कि 30 लाख रुपये पार्टी ने उन्हें दिया और 15 हज़ार उनका निजी है. वहीं भूपेन्द्र पटेल द्वारा जमा किये गए चुनावी खर्च के ब्योरा में कुल खर्च 18 लाख 74 हज़ार 49 रूपये दर्शाया गया है. (पूरी फ़ाइल यहां मौजूद है)

नोट: इस डॉक्यूमेंट में खर्च का ब्योरा गुजराती अंकों में लिखा गया है, इस रिपोर्ट में उसे अरबी स्टैन्डर्ड डिजिट में अनुवाद किया गया है.

गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल द्वारा जमा किये गए चुनावी खर्च ब्योरा की अनुसूची-4 में केबल नेटवर्क, बल्क एसएमएस या इंटरनेट और सोशल मीडिया सहित प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से चलाए गए विज्ञापन में मात्र 4 हजार 206 रूपये का खर्च दर्शाया गया है. नीचे दिए गए डॉक्यूमेंट में मौजूद कैम्पेन के माध्यम के मुताबिक, ये खर्च सोशल मीडिया पर चलाए गए विज्ञापन का नहीं है, बल्कि ये ब्योरा वॉयस कॉलस् कैम्पेन में हुए खर्च का है.

चुनाव व्यय निगरानी पर निर्देशों के संग्रह में पेज संख्या 3 पर उल्लेख है कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 77(3) के तहत निर्धारित सीमा से अधिक खर्च करना या प्राधिकृत करना लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 123(6) के संदर्भ में एक भ्रष्ट आचरण है. सुप्रीम कोर्ट ने कंवर लाल गुप्ता बनाम अमर नाथ चावला मामले में निर्धारित सीमा से अधिक चुनाव व्यय करने या अधिकृत करने को भ्रष्ट आचरण के रूप में व्याख्यायित किया था.

इसी पेज में आगे उल्लेख है कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 78 के अनुसार, चुनाव लड़ने वाले प्रत्येक कैंडीडेट को चुनाव परिणाम की घोषणा के 30 दिन के भीतर अपने चुनावी खर्च की कॉपी ज़िला निर्वाचन अधिकारी (डी.ई.ओ.) के पास जमा करानी होती है. उचित कारण या औचित्य के बिना कानून द्वारा आवश्यक तरीके से और समय के भीतर चुनाव खर्च का लेखा-जोखा दाखिल करने में विफलता के परिणामस्वरूप भारत के चुनाव आयोग द्वारा लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 10ए के तहत संबंधित उम्मीदवार को अयोग्य ठहराया जा सकता है. सर्वोच्च न्यायालय ने एल. आर. शिवरामगौड़े बनाम टी.एम. चंद्रशेखर केस में कहा था कि आयोग उम्मीदवार द्वारा दायर किए गए चुनाव खर्च के खाते की शुद्धता की जांच कर सकता है और खाता गलत या असत्य पाए जाने पर जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 10ए के तहत उम्मीदवार को अयोग्य घोषित कर सकता है.

चुनाव व्यय निगरानी पर निर्देशों के संग्रह में पेज नंबर 138 पर उल्लेख है कि राजनीतिक दल द्वारा किए गए खर्च और उम्मीदवारों द्वारा किए गए खर्च के बीच अंतर करने के लिए मार्गदर्शक सिद्धांत कंवर लाल गुप्ता बनाम अमर नाथ चावला (AIR 1975 SC 308) में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा प्रतिपादित किया गया था. इसमें सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था: “जब उम्मीदवार को प्रायोजित करने वाला राजनीतिक दल उसके चुनाव के संबंध में सामान्य पार्टी प्रचार पर खर्च से अलग खर्च करता है, और उम्मीदवार जानबूझकर इसका लाभ उठाता है और कार्यक्रम या गतिविधि में भाग लेता है और खर्च को अस्वीकार करने में विफल रहता है या इसके लिए सहमति देता है, ऐसे विशेष परिस्थितियों में यह अनुमान लगाना उचित होगा कि उसने राजनीतिक दल को ऐसा व्यय करने के लिए अधिकृत किया है. साथ ही उम्मीदवार ये कहकर अधिकतम सीमा की कठोरता से बच नहीं सकता है कि उसने व्यय नहीं किया है, बल्कि उसके राजनीतिक दल ने ऐसा किया है”

चुनाव व्यय निगरानी पर निर्देशों के संग्रह में पेज नंबर 204 पर जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 77 के मुताबिक, किसी भी चुनाव के संबंध में विज्ञापनों पर एक राजनीतिक दल द्वारा किए गए व्यय को 3 रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है:

(i) सामान्य रूप से पार्टी और उसके उम्मीदवारों के लिए समर्थन की मांग करने वाले सामान्य पार्टी प्रचार पर व्यय, लेकिन किसी विशेष उम्मीदवार या किसी विशेष वर्ग/उम्मीदवारों के समूह के संदर्भ के बिना.
(ii) किसी विशेष उम्मीदवार या उम्मीदवारों के समूह के लिए सीधे समर्थन और/या वोट मांगने वाले विज्ञापनों आदि में पार्टी द्वारा किया गया व्यय.
(iii) पार्टी द्वारा किया गया व्यय जो किसी विशेष उम्मीदवार या उम्मीदवारों के समूह की संभावनाओं को बढ़ावा देने के लिए खर्च से संबंधित है.

सुप्रीम कोर्ट के लैंडमार्क जजमेंट कंवर लाल गुप्ता के मामले में निर्णय के अनुपात को लागू करते हुए, चुनाव आयोग ने यह स्पष्ट किया है कि उपरोक्त श्रेणी (i) में आने वाले राजनीतिक दलों के किसी भी विज्ञापन के मामले में, जो किसी विशेष उम्मीदवार या उम्मीदवारों के एक समूह के चुनाव संबंधित नहीं है, उसका खर्च को राजनीतिक दल के सामान्य पार्टी प्रचार पर खर्च के रूप में माना जा सकता है चाहे वह प्रिंट या इलेक्ट्रॉनिक या किसी अन्य मीडिया में हो. उपरोक्त श्रेणियों (ii) और (iii) में आने वाले खर्च के मामलों में, अर्थात ऐसे मामले जहां व्यय किसी विशेष उम्मीदवार या उम्मीदवारों के समूह के चुनाव से संबंधित है, उस खर्च को संबंधित उम्मीदवारों द्वारा अधिकृत व्यय के रूप में माना जाएगा और इस तरह के खर्च को संबंधित उम्मीदवारों के चुनाव खर्च खातों में दर्ज किया जाएगा. उन मामलों में जहां पार्टी द्वारा उम्मीदवारों के किसी दिए गए समूह के लाभ के लिए खर्च किया जाता है, तो उस खर्च को उम्मीदवारों के बीच समान रूप से विभाजित किया जाएगा.

उल्लंघन

चूंकि Narendra Bhupendra – નરેન્દ્ર ભૂપેન્દ્ર फ़ेसबुक पेज भाजपा से जुड़ा था और पेज का नाम भूपेन्द्र पटेल के नाम पर है और पेज के विज्ञापनों में उनकी तस्वीर का भी इस्तेमाल किया गया है, इसलिए यह सुप्रीम कोर्ट के कंवर लाल गुप्ता बनाम अमरनाथ चावला जजमेंट में राजनीतिक दल द्वारा किए गए चुनावी खर्च और उम्मीदवारों द्वारा किए गए चुनावी खर्च के बीच अंतर स्पष्ट करने वाले मार्गदर्शक सिद्धांत की दूसरी या तीसरी श्रेणी में आएगा. ये किसी विशेष उम्मीदवार या उम्मीदवारों के समूह के लिए सीधे समर्थन और/या वोट मांगने के लिए पार्टी द्वारा विज्ञापनों आदि में किया गया खर्च या उनकी संभावनाओं को बढ़ावा देने से संबंधित पार्टी द्वारा किया गया खर्च है.

चुनाव आयोग द्वारा प्रकाशित चुनाव व्यय की निगरानी पर निर्देशों के संग्रह में पेज नंबर 204 पर उल्लेख है कि दूसरी और तीसरी श्रेणी में आने वाले व्यय, जो किसी विशेष उम्मीदवार या उम्मीदवारों के समूह से संबंधित हैं, उस खर्च को संबंधित उम्मीदवार द्वारा अधिकृत खर्च के रूप में माना जाएगा और ऐसे खर्च को उक्त उम्मीदवार या उम्मीदवारों के समूह के चुनावी खर्च में शामिल किया जाएगा.

गुजरात के घटलोडिया विधानसभा क्षेत्र से उम्मीदवार भूपेन्द्र पटेल ने दिसंबर में फ़ाइल किये गए चुनावी फंड में 30 लाख 15 हज़ार दिखाया है जिसमें उन्होंने कुल खर्च मात्र 18 लाख 74 हज़ार 49 रूपये दर्शाया है. उन्होंने अपने चुनावी खर्च में सोशल मीडिया पर चलाए गए विज्ञापन का खर्च शामिल नहीं किया है. जबकि नामांकन के बाद भूपेन्द्र पटेल और नरेंद्र मोदी के नाम से बने फ़ेसबुक पेज द्वारा विज्ञापन के लिए खर्च किये गए राशि का Upper Bound – 38 लाख 62 हज़ार 694 है, और Lower Bound – 31 लाख 47 हजार 600 है. इस पैसे का हिसाब भूपेन्द्र पटेल द्वारा फ़ाइल किये गए चुनावी व्यय में नहीं है.

क्या कहती है चुनाव आयोग की ‘साइलेन्स पीरियड’ नियम?

जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 126 के मुताबिक, किसी भी मतदान क्षेत्र में चुनाव के लिए मतदान से पहले 48 घंटे की अवधि के दौरान कोई भी व्यक्ति सिनेमैटोग्राफ, टेलीविजन या इसी तरह के अन्य साधनों के माध्यम से किसी भी चुनावी मामले को जनता के सामने प्रदर्शित नहीं करेगा.

निर्वाचन आयोग ने 3 नवंबर 2022 को गुजरात विधानसभा चुनाव को लेकर एक प्रेस रिलीज़ जारी किया था. इस प्रेस रिलीज़ के 18वें पॉइंट में राजनीतिक पार्टियों को साइलेन्स पीरियड के लिए एडवाएजरी जारी किया गया था. इसमें स्पष्ट रूप से कॉम्यूनिकेशन टेक्नॉलजी में प्रगति और सोशल मीडिया के बढ़ते प्रयोग को ध्यान में रखते हुए कहा गया है कि जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 126 के प्रावधान के तहत, मल्टी-फेज़ इलेक्शन में, कुछ निर्वाचन क्षेत्रों में पिछले 48 घंटों की साइलेन्स पीरियड जारी हो सकती है जबकि अन्य निर्वाचन क्षेत्रों में चुनाव प्रचार जारी रहता है. ऐसी स्थिति में, साइलेन्स पीरियड का पालन करने वाले निर्वाचन क्षेत्रों में पार्टियों या उम्मीदवारों के लिए समर्थन मांगने का कोई प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष संदर्भ नहीं होना चाहिए. इसमें गौर करने वाली बात ये है कि गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल जिस विधानसभा से चुनाव लड़ रहे थे उसका चुनाव मल्टी-फेज़ इलेक्शन के आखिरी दिन था, यानी, इस मामले में बहाने की गुंजाइश नहीं है कि ऑनलाइन विज्ञापन गुजरात के दूसरे क्षेत्र को टारगेट करते हुए चलाए गए थे.

उल्लंघन

गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल गुजरात के घटलोडिया विधानसभा से चुनाव लड़े. ज्ञात हो कि घटलोडिया विधानसभा क्षेत्र में दूसरे चरण में चुनाव हुआ जो कि 5 दिसंबर को था. मतलब, चुनाव आयोग के नियमानुसार ‘साइलेन्स पीरियड’ की शुरुआत 3 दिसंबर की शाम से हो गई. हमने देखा कि Meta Ad Library Report में फ़ेसबुक पेज ‘Narendra Bhupendra – નરેન્દ્ર ભૂપેન્દ્ર’ द्वारा 3 दिसंबर की शाम के बाद, 4 दिसंबर और 5 दिसंबर को भी भूपेन्द्र पटेल की तस्वीर के साथ कई विज्ञापन चलाए गए थे.

‘साइलेन्स पीरियड’ के दौरान इस पेज द्वारा भाजपा के समर्थन में विज्ञापन चलाने के कई उदाहरण Meta Ad Library Report में मौजूद हैं. उदाहरण के लिए नीचे एक विज्ञापन का स्क्रीनशॉट मौजूद है जिसे 5 दिसंबर को चलाया गया था. बता दें कि गुजरात विधानसभा चुनाव के आखिरी चरण का मतदान 5 दिसंबर 2022 को था और इसी चरण में गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल घटलोडिया विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे थे. इस विज्ञापन में भाजपा की उपलब्धियां गिनाई गईं. इसमें गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर का इस्तेमाल किया गया है. इस विज्ञापन के कैप्शन में गुजराती भाषा में लिखा है (આજે વોટ આપતાં પહેલાં આ બધું યાદ આવવું જોઈએ), जिसका हिन्दी अनुवाद है – ‘आज वोट देने से पहले ये सब याद रखना चाहिए’. यानी ये विज्ञापन जानबूझकर चुनाव के दिन चलाया गया था.

किस प्रकार ये पेज भाजपा से कनेक्टेड है?

हमने Meta Ad Library में ‘Narendra Bhupendra – નરેન્દ્ર ભૂપેન્દ્ર’ फ़ेसबुक पेज का डिस्केलमर चेक किया तो पाया कि उसमें एक वेबसाइट दिया हुआ था – gujarat2022(dot)com

इस वेबसाइट का टेम्पलेट और कॉन्टेन्ट पैटर्न भी उन्हीं 23 वेबसाइटस् से मेल खाता है जिसका भाजपा से सीधे तौर पर जुड़े होने का खुलासा ऑल्ट न्यूज़ ने किया था. इस वेबसाइट के होमपेज पर 3 तस्वीरें हैं. एक प्राइवेसी पॉलिसी और डिसक्लेमर पेज है साथ ही एक फ़ेसबुक पेज का लिंक मौजूद है. (ऑल्ट न्यूज़ द्वारा 3 अप्रैल को वेबसाइटस् से जुड़े नेटवर्क द्वारा फ़ेसबुक पर विज्ञापन चलाने के खुलासे के बाद इस वेबसाइट को डाउन कर दिया गया.)

gujarat2022(dot)com

हमने Website IP Lookup टूल की मदद से gujarat2022(dot)com वेबसाइट को चेक किया तो रिज़ल्ट में हमें इस वेबसाइट का IP Address (43.204.185.91) मिला.

क्या होता है IP Address?

हर डिवाइस जो इंटरनेट से कनेक्ट होती है उसका एक IP Address होता है. ये एक यूनिक नंबरों (xx.xxx.xx.xxx) की शृंखला होती है जो इंटरनेट पर किसी डिवाइस की पहचान करता है. लेकिन संख्याओं की श्रृंखला के बजाय (example.com) जैसे डोमेन को याद रखना आसान होता है. डोमेन नेम सिस्टम (डीएनएस) इंटरनेट के लिए एक फ़ोनबुक की तरह काम करता है और (example.com) जैसे डोमेन को उसके IP Address पर भेजता है, ताकि जब भी कोई इंटरनेट यूज़र उस डोमेन को इंटरनेट ब्राउजर के जरिए खोले तो (डीएनएस) उस क्वेरी को IP Address पर भेज देता है इसलिए हमें नंबर याद रखने की ज़रूरत नहीं होती, डोमेन आसानी से याद रहता है.

चूंकि सर्वर (जहां पर वेबसाइट का डाटा स्टोर किया जाता है) भी एक प्रकार का कंप्यूटर होता है इसलिए हर सर्वर का एक यूनिक IP Address होता है जिसपर कई वेबसाइटस् को होस्ट किया जा सकता है. हमने Reverse IP lookup टूल की मदद से इस IP Address (43.204.185.91) को सर्च किया तो पाया कि फिलहाल इस IP Address पर 3 वेबसाइट होस्टेड है :-

  1. agresargujarat(dot)com
  2. bjpgujaratmembership(dot)com
  3. gujarat2022(dot)com

हमने BuiltWith की Historical Website Relationship Profile टूल की मदद से इस IP Address (43.204.185.91) से जुड़ी तीनों वेबसाइटस् की हिस्ट्री की. इनमें से एक वेबसाइट agresargujarat(dot)com का गूगल टैग मैनेजर (GTM) टैग एक अन्य वेबसाइट rajasthanjanaakrosh(dot)com से कनेक्टेड है. यानी, इन दोनों वेबसाइट का एडमिन एक ही है.

क्या होता है गूगल टैग मैनेजर (GTM)?

गूगल टैग मैनेजर का इस्तेमाल वेबसाइट के एडमिन द्वारा विभिन्न प्रकार के डाटा-मेट्रिक्स को इकट्ठा करने के लिए किया जाता है. गूगल टैग मैनेजर का इस्तेमाल वेबसाइट ट्रैकिंग की प्रक्रिया को आसान बनाता है और वेबसाइट के एडमिन को उनकी वेबसाइट के एनालिटिक्स पर नियंत्रण प्रदान करता है. जीटीएम टैग एक यूनिवर्सल कोड होता है जिसके जरिए वेबसाइट के एडमिन यूज़र्स की गतिविधि को ट्रैक या मॉनिटर करते हैं. यह कई प्रकार के मार्केटिंग और एनालिटिक्स प्लेटफ़ॉर्म (गूगल एड, गूगल एनालिटिक्स, फ़ेसबुक पिक्सल, इत्यादि) को वेबसाइट डेटा प्रदान करता है.

इस नेटवर्क में अबतक हमें gujarat2022(.)com के अलावे 3 अन्य वेबसाइटस् के ट्रेस मिले हैं. नीचे हम इन वेबसाइटस् को एक-एक कर जांच करेंगे और बताएंगे कि कैसे इस नेटवर्क से जुड़ी वेबसाइटस् का सीधे तौर पर भाजपा से संबंध है.

agresargujarat(dot)com

भाजपा ने गुजरात चुनाव में ‘ભાજપ સાથે અગ્રેસર ગુજરાત’ (भाजपा साथे अग्रेसर गुजरात) कैम्पेन किया था. भाजपा के कई नेताओं ने इस वेबसाइट का लिंक शेयर किया था. भाजपा गुजरात के ऑफिशियल ट्विटर हैंडल ने भी इस वेबसाइट के बारे में ट्वीट किया था. भाजपा गुजरात ने अपने प्रोमो वीडियो में भी इस वेबसाइट को मेंशन किया था.

rajasthanjanaakrosh(dot)com

दैनिक भास्कर पर 28 नवंबर 2022 को पब्लिश्ड एक आर्टिकल में बताया गया है कि भारतीय जनता पार्टी ने राजस्थान में सत्तारूढ़ दल कांग्रेस के खिलाफ rajasthanjanaakrosh.(dot)com वेबसाइट लॉन्च की है. भाजपा राजस्थान ने अपने यूट्यूब चैनल पर भी इस वेबसाइट को प्रमोट किया है.

bjpgujaratmembership(dot)com

हमने Meta Ad Library Report में भाजपा गुजरात के ऑफिशियल फ़ेसबुक द्वारा चलाए गए विज्ञापनों को चेक किया तो पाया कि 11 जुलाई से 22 जुलाई 2022 के बीच भाजपा गुजरात ने bjpgujaratmembership(dot)com वेबसाइट का विज्ञापन देते हुए लोगों से इस वेबसाइट पर रजिस्टर करने की अपील की थी. यानी ये वेबसाइट भी भारतीय जनता पार्टी के सिंडीकेट का हिस्सा है.

Meta डिसक्लेमर में है अधूरी जानकारी

ये सभी वेबसाइटस् एक ही सिंडीकेट का हिस्सा हैं. इनमें से gujarat2022(dot)com से जुड़े फ़ेसबुक पेज ‘Narendra Bhupendra – નરેન્દ્ર ભૂપેન્દ્ર’ ने फ़ेसबुक और इंस्टाग्राम पर भाजपा का प्रॉपगेंडा विज्ञापन चलाकर ₹55 लाख 53 हज़ार 940 रूपये खर्च किये थे. इस पेज ने कहीं भी इस बात का खुलासा नहीं किया कि इनका संबंध भाजपा से है.

Create disclaimers and link ad accounts पेज पर फ़ेसबुक ने निर्देश दिए हैं कि जब कोई पेज सामाजिक मुद्दों, चुनाव या राजनीति से जुड़े विज्ञापन चलाने के लिए डिसक्लेमर बना रहे होते हैं तो उन्हें विज्ञापनों के लिए भुगतान करने वाले व्यक्ति या संगठन को डिसक्लेमर में सटीक रूप से दर्शाना होगा. मेटा विज्ञापन नियम के मुताबिक, जब कोई विज्ञापनदाता सामाजिक मुद्दों, चुनाव या राजनीति से जुड़े विज्ञापन चलाते हैं तो उन्हें यह बताना होता है कि इन विज्ञापनों को चलाने के लिए किसने भुगतान किये हैं. इसकी जानकारी विज्ञापन पर ‘Published by’ के रूप में मौजूद होती है जहां बताया गया होता है कि इस विज्ञापनों को चलाने के लिए भुगतान किसने किये. इस पेज द्वारा चलाए गए विज्ञापनों में गौर करने वाली बात ये है कि इसके ‘Published by’ सेक्शन में gujarat2022(dot)com लिखा है, जबकि असल में ये वेबसाइट भाजपा के नेटवर्क का हिस्सा है, लेकिन इस पेज ने ये जानकारी शेयर नहीं की.

2023 के मई में भाजपा से जुड़ी वेबसाइट का IP Address चेंज हुआ

हम लगातार ‘Narendra Bhupendra – નરેન્દ્ર ભૂપેન્દ્ર’ पेज के डिसक्लेमर में चलने वाली वेबसाइट gujarat2022(.)com को मॉनिटर कर रहे थे. इसी क्रम में हमने पाया कि 2023 के मई महीने में इस वेबसाइट के IP Address में बदलाव हुआ है. (मई 2023 आर्काइव लिंक)

गौर करने वाली बात ये है कि इस वेबसाइट का नया IP Address (13.232.63.153) है. याद हो कि इस IP Address पर होस्ट की गई 23 वेबसाइटस् के बारे में हमने जांच में खुलासा किया था जिसके तार सत्तारूढ़ दल भाजपा से जुड़े थे, और इस IP Address पर होस्ट की गई वेबसाइटस् से जुड़े फ़ेसबुक पेजों के एक नेटवर्क ने भाजपा के समर्थन में प्रॉपगेंडा विज्ञापन चलाने के साथ विपक्षी पार्टियों और नेताओं को टारगेट करने वाले विज्ञापन पर करोड़ों रुपये खर्च किये थे. इसके बाद हमने इसी सिरीज़ में एक और जांच रिपोर्ट पब्लिश किया था जिसमें हमने इसी IP Address पर होस्ट हुई एक अन्य वेबसाइट द्वारा भाजपा के समर्थन में फ़ेसबुक पर विज्ञापन चलाने का खुलासा किया था. अबतक इस नेटवर्क से जुड़ी वेबसाइटस् की संख्या 23+1=24 थी. चूंकि इस रिपोर्ट के केंद्र में मौजूद वेबसाइट gujarat2022(.)com को भी इसी IP Address पर होस्ट किया गया है, इसलिए इस नेटवर्क से जुड़ी वेबसाइटस् की संख्या बढ़कर 25 हो गई हैं.

हमने वेबसाइट प्रोफ़ाइलर टूल BuiltWith में इस IP Address की हिस्ट्री को चेक किया तो पाया कि वहां भी इस वेबसाइट को 2023 के मई महीने में ट्रेस किया गया है. इस इंडेक्स में भी IP Address (13.232.63.153) पर होस्ट की गई वेबसाइटस् की संख्या अब 25 हो गई हैं. (आर्काइव लिंक)

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Abhishek is a senior fact-checking journalist and researcher at Alt News. He has a keen interest in information verification and technology. He is always eager to learn new skills, explore new OSINT tools and techniques. Prior to joining Alt News, he worked in the field of content development and analysis with a major focus on Search Engine Optimization (SEO).