लोकसभा टीवी की जागृति शुक्ला एक बार फिर अपने ट्वीट्स को लेकर विवाद में हैं। इस लेख को लिखते समय, उनके अकाउंट के सस्पेंड होने की वजह से उनके ट्वीट को अब देखा नहीं जा सकता है। पैलेट गन से घायल नागरिकों की चोटों वाली तस्वीरों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए शुक्ला ने ट्वीट किया था, “वाह, यह बहुत अच्छा है। अगर पैलेट (छर्रों) की बजाय असली गोलियां होती तो परिणाम बहुत बेहतर होता – (अनुवादित)”। शुक्ला का ट्वीट, जो कि कश्मीर में न्याय को ताक पर रखकर हत्याओं की मांग करता है, इसे दक्षिणपंथी फ़ॉलोअर्स का समर्थन मिला है। इस तरह कश्मीरियों के खिलाफ शत्रुता और घृणा की भावनाओं को बढ़ावा दिया गया है। उनकी पोस्ट पर की गईं टिप्पणियां कश्मीरियों के खिलाफ नफरत फैलाने से लेकर उनके उन्नमूलन तक का आह्वान करती हैं।
भारतीय सुरक्षा बलों को केवल वास्तविक गोलियों का उपयोग करना चाहिए, यह कहने के बाद, जागृति शुक्ला ने अपने फ़ॉलोअर्स से यहां तक कहा कि यदि वे पत्थरबाज इस्लामिक जिहादी आतंकवादियों के पीड़ित होने से आनंदित हैं तो उनके ट्वीट को रीट्वीट करें। उनके अकाउंट के निलंबन की वजह से उनके ट्वीट को अब देखा नहीं जा सकता है।
पहला ट्वीट था, “भाई तुझे जिसको सीसी करना (बताना) है ना, तू कर ले। मुझे साफ साफ़ कहना है कि भारतीय सुरक्षाबलों को खून के प्यासे आतंकवादियों के खिलाफ असली गोलियों का ही प्रयोग करना चाहिए जो इस्लामिस्ट जिहादी भीड़ के साथ सहानभूति रखते हैं” – (अनुवादित), जबकि दूसरा ट्वीट था, “आरटी (रीट्वीट करें) अगर आप पत्थरबाज इस्लामिक जिहादी आतंकवादियों को हो रहे पीड़ा से खुश हैं” – (अनुवादित)।
गूगल से लिए गए उनके ट्वीट्स के स्क्रीनशॉट नीचे देखे जा सकते हैं।
शुक्ला ने पहले भी कश्मीर में नरसंहार की मांग की है और 1984 के सिख नरसंहार को न्यायसंगत बताया है।
शुक्ला, जिनका ट्विटर पर सत्यापित हैंडल है, लोकसभा टीवी के कार्यक्रमों की एंकर हैं। भारतीय संसद के टीवी चैनल के किसी व्यक्ति का खुले तौर पर घृणा व्यक्त करना और समुदायों के खिलाफ हिंसा की मांग करना सार्वजनिक रूप से चिंता का विषय है। चैनल द्वारा उनकी नियुक्ति के समय भी ऑल्ट न्यूज़ ने इस विषय को उठाया था।
उनके खिलाफ कोई कार्रवाई करना तो दूर, लोकसभा टीवी ने उन्हें अपने कार्यक्रमों में शामिल किया है। ट्विटर ने तो पहले से ही उनका अकाउंट निलंबित कर रखा है, अब यह देखना है कि लोकसभा टीवी के लिए शुक्ला के ये ट्वीट्स चिंता का विषय हैं या नहीं।
सत्ता को आईना दिखाने वाली पत्रकारिता का कॉरपोरेट और राजनीति, दोनों के नियंत्रण से मुक्त होना बुनियादी ज़रूरत है. और ये तभी संभव है जब जनता ऐसी पत्रकारिता का हर मोड़ पर साथ दे. फ़ेक न्यूज़ और ग़लत जानकारियों के खिलाफ़ इस लड़ाई में हमारी मदद करें. नीचे दिए गए बटन पर क्लिक कर ऑल्ट न्यूज़ को डोनेट करें.
बैंक ट्रांसफ़र / चेक / DD के माध्यम से डोनेट करने सम्बंधित जानकारी के लिए यहां क्लिक करें.