12 दिसंबर, 2019 को नागरिकता संशोधन विधेयक (CAA) के पारित होने के बाद, इस विवादास्पद विधेयक के विरोध और समर्थन में कई प्रदर्शन हुए। इस लेख में हम बताएँगे कि समाचार एजेंसी एशियन न्यूज इंटरनेशनल (ANI) ने इन प्रदर्शनों को कैसे जनता के समक्ष रखा। नागरिकता संशोधन कानून के पारित होने से पहले ही इसके खिलाफ देश भर में विरोध प्रदर्शन होने शुरू हो गए थे। हिंदुस्तान टाइम्स की 9 दिसंबर, 2019 को प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, सीएए के खिलाफ 9 दिसंबर से ही असम, मणिपुर और त्रिपुरा में प्रदर्शन होना शुरू हो गया था। इसके बाद जो लोग इस विधेयक के समर्थन में थे, उन्होंने भी रैली या प्रदर्शन कर अपने समर्थन को ज़ाहिर करना शुरू कर दिया था। इस दौरान, विदेशों में भी CAA के विरोध या समर्थन में कई प्रदर्शन आयोजित होते रहे हैं। तो आइए देखते है कि ANI ने कैसे इन प्रदर्शनों को रिपोर्ट किया है:

1. एडिनबर्ग, स्कॉटलैंड

26 जनवरी को, ANI ने एडिनबर्ग में हुई CAA के समर्थन में हुई रैली की कुछ तस्वीरें शेयर की थी। ट्वीट में कहा गया था कि, “स्कॉटलैंड: भारतीय प्रवासी सदस्य एडिनबर्ग में #CitizenshipAmendmentAct के समर्थन में इक्क्ठा हुए थे।” (मूल ट्वीट – “Scotland: Members of Indian diaspora demonstrate in Edinburgh, in support of .”) ANI ने अपनी वेबसाइट पर भी इस प्रदर्शन का 90 सेकंड का एक वीडियो अपलोड किया है।

उसी दिन द टेलीग्राफ ने यूरोप में CAA के विरोध में हुए प्रदर्शन के बारे में एक खबर प्रकाशित की थी। रिपोर्ट एक मुताबिक, “दक्षिणपंथी CAA-NRC समर्थक के बावजूद लंदन, न्यूयॉर्क, ऑक्सफोर्ड, लीसेस्टर, एडिनबर्ग, बर्मिंघम, हेग और पेरिस में कई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुए है।” (मूल सन्देश – “Multiple protests have taken place in London, New York, Oxford, Leicester, Edinburgh, Birmingham, the Hague and Paris, despite reports of intimidation from right-wing CAA-NRC supporters based in those cities.”)

2. वॉशिंगटन, अमेरिका

25 दिसंबर को प्रकाशित ANI की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका में CAA के समर्थन में भारतीय मूल के लोग इक्क्ठा हुए थे और उन्होंने भारत को एक धर्म निरपेक्ष देश बताकर CAA के समर्थन में रैली निकाली थी।

CAA के समर्थन में 4 जनवरी को अमेरिका के वाशिंगटन में भी भारतीय मूल के लोग इक्क्ठा हुए थे। ट्वीट के अनुसार, “वाशिंगटन: #CitizenshipAmendmentAct के समर्थन में, भारतीयों का प्रदर्शन। #USA (4.1.2020).” (मूल सन्देश – “Washington: Members of Indian diaspora demonstrate in Seattle, in support of . (4.1.2020)”) ऑल्ट न्यूज़ को ANI की वेबसाइट पर भी इस समान घटना के बारे में प्रकाशित किया गया एक लेख मिला।

हालांकि, ANI ने 25 दिसंबर से पहले अमेरिका के अन्य क्षेत्रों, जिसमें वाशिंगटन भी शामिल है, में हुए CAA के विरोध प्रदर्शन को “नज़रअंदाज़” किया है। 23 दिसंबर के द स्टेटमेंट की रिपोर्ट के मुताबिक, काफी बड़ी संख्या में लोग वाशिंगटन के भारतीय दूतावास के पास स्थित गांधी की प्रतिमा के नजदीक इक्क्ठा हुए थे और CAA के विरोध में एक शांतिप्रिय प्रदर्शन का आयोजन किया था। इस प्रदर्शन के बारे में द हिन्दू, बिज़नेस टुडे और टाइम्स नाउ न्यूज़ ने खबर प्रकाशित की थी।

फाइनेंशियल एक्सप्रेस ने 29 दिसंबर, 2019 को एक रिपोर्ट प्रकाशित की कि ग्रेटर वाशिंगटन इलाके में लगभग 150 भारतीय-अमेरिकी ने 28 दिसंबर को सीएए के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन किया था।

3. न्यूयॉर्क, अमेरिका

न्यूयॉर्क में 29 दिसंबर, 2019 को भारतीय प्रवासी लोगों ने CAA के समर्थन में एक प्रदर्शन किया था। ट्वीट के अनुसार, “न्यू यॉर्क: न्यूयॉर्क के टाइम्स स्कैवर में भारतीय मूल के लोगों ने #CitizenshipAmendmentAct के समर्थन में इक्क्ठा हुए थे (29.12.19) #USA.” (मूल सन्देश –“New York: Members of Indian diaspora demonstrate at Times Square in support of #CitizenshipAmendmentAct (29.12.19) #USA” )

उस दिन ही, आउटलुक इंडिया और द न्यू इंडियन एक्सप्रेस ने 29 दिसंबर को न्यूयॉर्क के टाइम्स स्कैवर में हुए सीएए विरोध प्रदर्शन के बारे में खबर प्रकाशित की थी।

इसके अतिरिक्त, 27 जनवरी को प्रकाशित अलजज़ीरा की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका के करीब 30 शहरों में भारतीय अमेरिकी ने भारतीय नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन किया था।

4. टोक्यो, जापान

ANI की रिपोर्ट के मुताबिक, जापान के टोक्यो शहर में भी 28 दिसंबर को कुछ लोग भारतीय दूतावास के बाहर CAA, NRC और NPR के बारे में लोगों को जागृत करने का प्रयास किया था।

21 दिसंबर को प्रकाशित एशिया कम्युनिटी न्यूज़ के एक लेख में बताया गया था कि भारतीय छात्रों के एक समूह ने 22 दिसंबर को यूनिवर्सिटी ऑफ़ टोक्यो के बाहर शांतिप्रिय प्रदर्शन का आयोजन किया था। 27 दिसंबर को पत्रकार रविश कुमार ने टोक्यो में हुए विरोध प्रदर्शन का एक वीडियो इंस्टाग्राम पर साझा किया था। हालांकि, एएनआई ने टोक्यो में हुए विरोध प्रदर्शन की घटना पर कोई खबर प्रकाशित नहीं की थी।

5. लंदन, यूके

यूके के लंदन में 4 जनवरी, 2020 को भारतीय प्रवासी सदस्य, CAA का समर्थन करते हुए इक्क्ठा हुए थे। ANI की ट्वीट के अनुसार, लंदन के पार्लियामेंट स्क्वायर के बाहर भारतीय मूल के लोग इक्क्ठा हुए थे और उन्होंने सीएए के समर्थन में प्रदर्शन किया था। ऑल्ट न्यूज़ को ANI की वेबसाइट पर भी इस घटना से सम्बंधित प्रकाशित किया गया एक लेख मिला।

19 दिसंबर, 2019 की द वायर की एक रिपोर्ट के अनुसार, 18 दिसंबर को लंदन के भारतीय उच्चायोग के बाहर सैंकड़ों लोगों ने बारिश के बीच नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और भारतीय नागरिक रजिस्टर (NRC) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था।

6. जॉर्जिया, अमेरिका

ANI ने अटलांटा के जॉर्जिया में 4 जनवरी को हुए एक प्रदर्शन का वीडियो पोस्ट किया था, जिसमें सीएए के समर्थन में इंडो-अमेरिकन सीएनएन के हेडक्वाटर के बाहर इकट्ठा हुए थे।

अमेरिका स्थित पब्लिकेशन, इंडिया अब्रॉड पब्लिकेशन ने 19 जनवरी को एक रिपोर्ट साझा किया था। जिसके अनुसार, “दक्षिण एशियाई अमेरिकी, भारत के नागरिकता कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के चलते अमेरिका के कई शहरों में इक्क्ठा हुए थे। वाशिंगटन के सिएटल में, फ्रेमोंट और लॉस एंजिलस, ड्यूरेट, जॉर्जिया; जर्सी सिटी, न्यू जर्सी; बोस्टन, मेसाचुसेट्स; और डेट्रायट मिशिगन में विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ था। ” (अनुवाद)

7. शिकागो, अमेरिका

ANI के 5 जनवरी के ट्वीट में लिखा है, अमेरिका के शिकागो में CAA का समर्थन करते 4 जनवरी को कई भारतीय इक्क्ठा हुए थे। मीडिया एजेंसी की वेबसाइट पर भी इस प्रदर्शन के बारे में लेख प्रकाशित किया गया था।

22 जनवरी को, ट्विटर यूज़र @IamOnir ने एक वीडियो पोस्ट किया, जिसमें CAA NRC के खिलाफ चल रहे प्रदर्शन को देखा जा सकता है। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, “शिकागो CAA NRC के खिलाफ! #IndiansAgainstCAA_NRC” (मूल सन्देश – “Chicago against CAA NRC ! #IndiansAgainstCAA_NRC”)

ANI की वेबसाइट पर नहीं दिखी विरोध प्रदर्शन की अन्य खबरें

27 जनवरी को हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, “भारतीय अमेरिकी मुस्लिम परिषद (IAMC), इक्वैलिटी लैब्स, ब्लैक लाइव्स मैटर (BLM), यहूदी वॉयस फॉर पीस (JVP) और हिंदुओं के लिए मानवाधिकार (HfHR) के बीच हाल ही में नरसंहार को रोकने के लिए गठबंधन बना है, जिसने अमेरिका के कम से कम 30 देशों में सीएए के विरोध प्रदर्शन आयोजित किये थे।” (अनुवाद)

16 जनवरी को, इंडिया टुडे ने ब्लैकपूल, इंग्लैंड; बर्न, स्विट्जरलैंड; जर्मनी में म्यूनिख और बर्लिन; क्राको और वारसॉ, पोलैंड में CAA विरोध में हुए विरोध प्रदर्शन के बारे में खबर प्रकाशित की थी।

देश भर में चल रहे CAA विरोध प्रदर्शन के अतिरिक्त, राजस्थान पत्रिका की 20 दिसंबर, 2019 को प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, विदेशों में भी सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार, “कोलंबिया युनिवर्सिटी की लाइब्रेरी के बाहर भारतियों ने CAA के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। छात्रों ने भारत सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।” आगे बताया गया है कि, ब्रिटेन के ऑक्सफोर्ड, हार्वर्ड और स्कूल ऑफ ओरियंटल एंड अफ्रीकन स्टडीज के छात्रों ने भी प्रदर्शन किया।

21 दिसंबर, 2019 को प्रकाशित आज तक की एक रिपोर्ट में भी दुनिया भर में हुए विरोध प्रदर्शन के बारे में बताया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, कनाडा में हुए विरोध प्रदर्शन के बारे में जानकारी दी गई है।

इसके अलावा, द हिंदू की 20 दिसंबर को प्रकाशित एक रिपोर्ट में बताया गया है, नेथरलैंड, यूनिवर्सिटी ऑफ़ लीडेन, यूनिवर्सिटी ऑफ ग्रोनिंगन और इरास्मस विश्वविद्यालय के छात्रों ने CAA और NRC के खिलाफ हेग में भारतीय दूतावास के बाहर शांतिप्रिय विरोध प्रदर्शन किया था।

24 दिसम्बर को स्क्रोल ने पूरे विश्वभर में CAA के खिलाफ हुए प्रदर्शनों को एक नक़्शे के इन्फोग्राफिक के ज़रिये पेश किया था। इस डाटा का स्त्रोत ऑक्सफ़ोर्ड युनिवर्सिटी के छात्रों को दिया गया है।

इसके अतिरिक्त, NDTV के वरिष्ठ पत्रकार रविश कुमार के अधिकृत इंस्टाग्राम अकॉउंट से भी विभिन्न देशों में CAA के खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शनों के वीडियो और तस्वीरें पोस्ट की गयी है, जिसके अनुसार – अमेरिका की हावर्ड यूनिवर्सिटी, यूनिवर्सिटी ऑफ़ ऑक्सफ़ोर्ड, बर्लिन, लंदन, यूक्रेन, ब्रिटैन, कैलिफोर्निया के फ्रेमोंट, सिडनी, पेरिस, पोलैंड – में प्रदर्शन हुए थे।

जैसा कि हमने देखा, ANI की वेबसाइट और सोशल मीडिया पर विश्व भर में CAA और NRC के खिलाफ किये गए विरोध प्रदर्शन की खबरें ना के बराबर प्रकाशित की गई है और सिर्फ उन्हीं प्रदर्शनों को कवर किया गया जो समर्थन में आयोजित किये गए थे। इस प्रकार, ANI ने CAA प्रदर्शनों की दोनों तरफ की तस्वीरों में से सिर्फ एक तस्वीर को जनता के समक्ष प्रस्तुत किया और विरोध में हो रहे प्रदर्शनों की ख़बरों को नज़रअंदाज़ कर जनता के बीच यह राय बनाने की कोशिश की कि दुनिया भर में सिर्फ CAA के समर्थन में ही प्रदर्शन आयोजित हो रहे हैं।

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