साल 2025 की सबसे बड़ी घटनाओं में से एक था भारत और पाकिस्तान के बीच का संघर्ष. मई 2025 में पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच शुरू हुआ सैन्य अभियान ‘ऑपरेशन सिंदूर‘ सिर्फ़ सीमा पर नहीं लड़ा गया, बल्कि टीवी स्टूडियो, सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स और व्हाट्सऐप यूनिवर्सिटी में भी एक समानांतर युद्ध चला. इस युद्ध में हथियार थे कई पुराने वीडियोज़, असंबंधित तस्वीरें, AI-generated विज़ुअल्स, वीडियो गेम की क्लिप्स और बिना सत्यापन के चलाई गई ब्रेकिंग न्यूज़ वाली खबरें.

22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम के बैसरन घाटी में पर्यटकों पर घातक आतंकी हमला हुआ जिसमें 26 लोग मारे गए. ज़िंदा बचे लोगों के अनुसार, सेना की वर्दी में तीन से चार लोग दोपहर करीब 2 बजे घने जंगलों से निकले और ‘मिनी स्विट्जरलैंड’ के नाम से मशहूर इस जगह पर मौज-मस्ती कर रहे पर्यटकों पर अंधाधुंध गोलीबारी की. रिपोर्ट के मुताबिक, प्रतिबंधित पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के एक छाया समूह द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) ने इस आतंकवादी हमले की ज़िम्मेदारी ली थी. आतंकी हमले में निर्दोष नागरिकों की मौत के बाद भारत ने 14 दिन के भीतर जवाबी कार्रवाई करते हुए 6-7 मई की रात को ‘ऑपरेशन सिंदूर‘ के तहत पाकिस्तान और PoK (पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर) में 9 आतंकी ठिकानों पर एयर स्ट्राइक किया.

भारत पाकिस्तान के बीच में 7 से 10 मई तक सैन्य संघर्ष चला जिसके बाद 10 मई की शाम से भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध विराम लागू हो गया था. इस युद्ध विराम के बाद भी भारत-पाकिस्तान के बीच एक तनाव स्थिति बनी हुई थी. हालांकि, सोशल मीडिया पर भ्रामक दावों के साथ AI जनरेटेड या पुरानी तस्वीरों, वीडियोज़ और ग़लत खबरों का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा था. ऑल्ट न्यूज़ ने भारत-पाकिस्तान की सैन्य कारवाई के बीच लगातार इन दावों पर नज़र बनाए रखी. इन दावों की पड़ताल में सामने आया कि ‘ऑपरेशन सिंदूर के दौरान सैकड़ों झूठे दावे, भ्रामक रिपोर्ट्स और फ़र्ज़ी विज़ुअल्स न सिर्फ़ सोशल मीडिया पर बल्कि देश के बड़े मीडिया संस्थानों द्वारा भी प्रसारित किए गए. हम इस आर्टिकल में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत-पाकिस्तान युद्ध के बीच दोनों देशों के सोशल मीडिया यूज़र्स, न्यूज़ चैनल्स समेत राजनीतिक पार्टी द्वारा फैलाए गए भ्रामक दावों और गलत खबरों को जानेंगे.

मीडिया द्वारा चलाई गई गलत ख़बरें

मई 2025 में भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़े तनाव और ‘ऑपरेशन सिंदूर‘ के दौरान देश का एक बड़ा मीडिया वर्ग सूचना देने के बजाय भ्रम फैलाने का माध्यम बना चुका था. जहां एक ओर आम नागरिक, सैनिक परिवार और सीमावर्ती इलाक़ों के लोग कब क्या होगा उसकी अनिश्चितता में थे, तो वहीं दूसरी ओर टीवी चैनल्स और डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म्स पर पुराने वीडियो, दूसरे देशों के फुटेज, AI-जनरेटेड तस्वीरें, वीडियो गेम क्लिप्स को “ब्रेकिंग न्यूज़” बनाकर ‘एक्सक्लूसिव विज़ुअल्स‘ बताते हुए खबरें परोस रहीं थी.

एबीपी, आज तक, न्यूज18 और ज़ी न्यूज़ ने फुटेज को बिना वेरीफाई करें 7 मई, 2025 को पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों के खिलाफ भारत के सैन्य अभियान (ऑपरेशन सिंदूर) के दृश्य बताकर 2023 में गाजा हवाई हमले के फुटेज का इस्तेमाल कर ख़बर चलायी थी. तो वहीं ऐसे ही आज तक, NDTV, इंडिया टीवी, टाइम्स नाउ नवभारत, ABP न्यूज़ सहित अन्य मीडिया चैनलों ने भारतीय सेना द्वारा जैसलमेर में पाकिस्तानी हवाई हमले को नाकाम करने के एक्सक्लूसिव दृश्य बताते हुए 4 साल पुराने एक वीडियो को चला दिया था.

भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ रही तनाव की स्थिति में भी भारतीय टीवी और डिजिटल मीडिया चैनल्स ने बिना किसी आधिकारिक बयान जारी हुए या बिना कोई पुष्टि किए ही ब्रेकिंग न्यूज़ बताकर जम्मू-कश्मीर के राजौरी में सेना की एक ब्रिगेड पर आत्मघाती हमले की ग़लत खबर चलाई थी.

करीब 9 साल पुरानी तस्वीर, जो कि तुर्की में प्रशिक्षण के दौरान एफ-16 लड़ाकू विमान के दुर्घटना के बाद की तस्वीर थी. इसे भारतीय मीडिया संगठनों ने ये कहकर चलाई कि ये पकड़े गए पाकिस्तानी पायलट की पहली तस्वीर है.

इतना ही नहीं, ज़ी न्यूज़, टीवी 9, लोकमत, अमर उजाला, हिंदुस्तान, हरिभूमि जैसे अन्य मीडिया ने आईएनएस विक्रांत का कराची बंदरगाह पर हमला दिखाने के लिए 2023 की नौसेना ड्रिल की फुटेज का उपयोग किया जिसका ऑपरेशन सिंदूर से दूर-दूर तक कोई संबंध नहीं था.

कराची बंदरगाह पर हमला कर उसे तबाह करने की आख़िरी ख़बर या गलती नहीं थी. बार-बार राष्ट्रीय मीडिया द्वारा कराची बंदरगाह को तबाह करने या हमला करने की एक्सक्लूसिव विज़ुअल्स दिखाते हुए, लगातार भ्रामक दावे किये गए थे.

तो वही स्टार एंकर सुधीर चौधरी ने सार्वजनिक प्रसारक दूरदर्शन में अपने कार्यकाल की धमाकेदार शुरुआत करते हुए पहले ही दिन, पहले ही शो में गलत जानकारी फैलाने के रिकॉर्ड को बरकरार रखा. सुधीर चौधरी ने 15 मई, 2025 को डीडी न्यूज़ पर पहले शो में पुराने, असंबंधित वीडियोज़ को भारत की वायु रक्षा प्रणाली द्वारा पाकिस्तानी जेट विमानों को नष्ट करने के फुटेज के रूप में दिखाया.

ऑपरेशन सिंदूर की कवरेज में सबसे खतरनाक पहलू था बिना पुष्टि लोगों को आतंकी घोषित कर देना. कारी मोहम्मद इक़बाल नाम के व्यक्ति को देश के लगभग सभी मीडिया संस्थाओं ने आतंकी बताकर खबरें चलाईं और उसे पाकिस्तान के एक आतंकी संगठन से जोड़ दिया गया जबकि ऑल्ट न्यूज़ की जांच में स्पष्ट हुआ कि वो आतंकी नहीं थे. इस तरह की रिपोर्टिंग न सिर्फ ग़लत थी बल्कि इससे किसी व्यक्ति और उसके परिवार के लिए अपूरणीय नुकसान भी हुआ.

इन गलत खबरों या असंबंधित विज़ुअल्स से प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो इंडिया (PIB) भी अनछुआ नहीं रहा, विदेश मंत्रालय (MEA) द्वारा आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को PIB ने लाइव स्ट्रीम कर हमले (ऑपरेशन सिंदूर) को लेकर ब्रीफ़ दी. इस प्रेस ब्रीफिंग में 2019 में पुलवामा आतंकी हमले का बताकर PIB ने एक सड़क ब्लास्ट का वीडियो चलाया. ऑल्ट न्यूज़ ने इस ब्लास्ट वाले फुटेज के बारे में साल 2020 में ही फ़ैक्ट-चेक किया था. हमने पहले ही बताया था कि ये वीडियो साल 2008 में यूट्यूब पर पोस्ट किया गया था. यानी, ये ऑपरेशन सिंदूर से काफी पहले का वीडियो है.

इस दौरान विडंबना वाली बात ये रही कि PIB ने सोशल मीडिया के कई दावों का फैक्ट-चेक किया, लेकिन मुख्यधारा मीडिया की ग़लत और मनगढ़ंत रिपोर्टिंग पर चुप्पी साधे रखी या यूं कहें कि अनदेखा कर दिया गया.

ऐसा नहीं था कि युद्ध के दौरान केवल भारतीय मीडिया द्वारा ग़लत या भ्रामक खबर चलाई गई हो, पाकिस्तानी मीडिया द्वारा भी इसी प्रकार दुष्प्रचार किया गया था. न्यूज़ कफ़. ARY न्यूज़, पाकिस्तान अब्ज़र्वर, डेली टाइम्स, जैसे कई बड़े पाकिस्तानी मीडिया संस्था ने पाकिस्तानी सेना द्वारा भारत पर हमला करने, जेट प्लेन मार गिराने और भारत को नुक़सान पहुंचाने के दावों से कई पुराने और असंबंधित विज़ुअल्स चलाएं थे.

बता दें सिर्फ पाकिस्तानी मीडिया ने असंबंधित विजुअल्स चला कर झूठे दावे नहीं किये. बल्कि पाकिस्तानी सैन्य अधिकारियों ने एक सैन्य ब्रीफिंग में भारतीय मीडिया चैनल, इंडिया टीवी और आजतक के 2 अधूरे फुटेज दिखाकर कहा कि पाकिस्तान के ऑपरेशन ‘बुनियान-उल-मरसूस’ में भारतीय वायुसैनिक ठिकानों और एयरफील्ड्स के विनाश को भारतीय मीडिया ने स्वीकार किया.

पहले सहानुभूति दिखाओ, बाद में घृणा करो

आतंकवादी द्वारा 22 अप्रैल को पहलगाम में 26 निर्दोषों की हत्या कर दी गई थी, उनमें से एक नौसेना अधिकारी लेफ्टिनेंट विनय नरवाल थे जो अपनी पत्नी के हिमांशी नरवाल के साथ हनीमून के लिए कश्मीर गए हुए थे, हमले के बाद हिमांशी समेत जीवित बचे लोगों ने बताया कि मारे गए लोगों को धर्म के आधार पर निशाना बनाया गया था, हिमांशी ने कहा, “उन्होंने कहा कि वो मुसलमान जैसा नहीं दिखता और उसे गोली मार दी.”

इस हमले के बाद अपने पति के बेजान शरीर के पास बैठी शोकग्रस्त हिमांशी की एक तस्वीर जल्द ही बैसरन घाटी में घटी क्रूरता का प्रतीक बन गई और कई मीडिया संस्थानों और सत्ता में बैठी भाजपा समेत कई लोगों ये तस्वीर शेयर कर हिमांशी के प्रति एकजुटता और सहानुभूति दिखाने के साथ ही  ‘उन्होंने आपका धर्म पूछा, जाति नहीं सांप्रदायिक टिप्पणियां भी की. लेकिन 1 मई तक, हिमांशी के खिलाफ माहौल बदल गया, दिवंगत अधिकारी की पत्नी के प्रति दिखाई देने वाली अधिकांश सहानुभूति अचानक घृणास्पद और अपमानजनक ट्रोलिंग में बदल गई. सोशल मीडिया यूज़र्स और राइट विंग हैंडल्स ने हिमांशी पर ‘जिहादियों को संरक्षण देने’ का आरोप लगाना शुरू कर दिया.

क्योंकि उसने 1 मई को हरियाणा के करनाल में अपने दिवंगत पति के जन्मदिन पर आयोजित रक्तदान शिविर में भाग लेते हुए एक अपील की थी “मैं बस यही चाहती हूं कि पूरा देश उनके लिए प्रार्थना करे कि वे जहां भी हों… उनका मनोबल ऊंचा रहे, वे स्वस्थ और शांत रहें. बस इतना ही… मैं एक और बात चाहती हूं. मैं किसी के प्रति नफरत नहीं चाहती. यही हो रहा है. लोग मुसलमानों या कश्मीरियों के खिलाफ हो रहे हैं. हम यह नहीं चाहते. हम शांति चाहते हैं, और सिर्फ शांति. बेशक, हम न्याय चाहते हैं. बेशक, जिन्होंने उनके साथ गलत किया है, उन्हें सजा मिलनी चाहिए.”

हमें एक और ऐसा ही उदाहरण 11 मई को देखने को मिला, जब भारत के विदेश सचिव विक्रम मिसरी को अपना X अकाउंट प्राइवेट करना पड़ा क्योंकि भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम की उनकी घोषणा से नाखुश सोशल मीडिया ट्रोल्स ने उनकी बेटी को निशाना बनाना शुरू कर दिया था. उनकी पुरानी तस्वीरें और पोस्ट आपत्तिजनक टिप्पणियों के साथ प्रसारित किए गए और उनका संपर्क नंबर ऑनलाइन लीक कर दिया गया.

पुराने और असंबंधित विज़ुअल्स व दावे

भारतीय सेना के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बीच कई भारतीय यूजर्स ने इससे जोड़कर ‘पाकिस्तान पर हमले करने’ और पाकिस्तानी जेट मार गिराने या हमले से हुई तबाही, नुक़सान बताते हुए इज़राइल, ईरान, गाजा, यूक्रेन, इंडोनेशिया और बेरूत जैसे दूसरे देशों के कई पुराने क्लिप्स या ऑपरेशन सिंदूर से असंबंधित तस्वीरें और वीडियो शेयर कर अनेक भ्रामक दावे उस दौरान किए गए.

वहीं पाकिस्तानी यूज़र्स भी ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद पाकिस्तान द्वारा भारत पर जवाबी कार्रवाई कर भारतीय जेट मार गिराने और भारत पर हमला कर नुक़सान पहुंचाने के दावे से पुराने वीडियोज़, युद्ध से असंबंधित फुटेज शेयर कर रहे थे. फ़र्ज़ी खबरों का सिलसिला इतने में ही सीमित नहीं रहा, कई पाकिस्तानी यूज़र्स ने ऐसा झूठा दावा किया कि भारतीय वायु सेना पायलट शिवांगी सिंह और भारतीय पायलट को पाकिस्तान में पकड़ लिया गया है.

दोनों देशों के तनाव की स्थिति के बीच कई मौकों पर एक ही वीडियो या तस्वीर को शेयर कर कभी भारतीय यूज़र्स ने पाकिस्तान पर हमले और पाकिस्तान के इलाक़ों के नुक़सान की तो कभी पाकिस्तानी यूज़र्स ने उसी तस्वीर या क्लिप को भारत पर हमला करने और भारत में हुए नुक़सान के फुटेज के रूप में दिखाई.

गेमिंग क्लिप और AI जनरेटेड विज़ुअल्स

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान कई वायरल क्लिप्स को भारतीय सेना या पाकिस्तानी सेना की कार्रवाई या भारत या पाकिस्तान को हुए नुकसान के प्रमाण के तौर पर पेश किया गया था. हमारी जांच में सामने आया कि हेलिकॉप्टर गिराने और सैन्य ठिकाने उड़ाने के विज़ुअल्स, फाइटर जेट गिराने के दावे के साथ शेयर क्लिप्स ARMA-3 जैसे वीडियो गेम से थीं या गेमिंग सिमुलेशन विज़ुअल्स थे. जबकि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान भारतीय सेना के ड्रोन से हमला कर पाकिस्तान के रावलपिंडी क्रिकेट स्टेडियम को बर्बाद करने के झूठे दावे से AI जनरेटेड तस्वीर शेयर किये गए थे.

 

यहां तक कि पाकिस्तान सरकार ने एक गेमिंग सिमुलेशन विज़ुअल्स को असली बताते हुए ट्वीट कर अपनी सेना की प्रशंसा कर दी यानी युद्ध का नैरेटिव रियलिटी नहीं, वर्चुअल रिएलिटी पर खड़ा था.

ऑपरेशन सिंदूर का ये विश्लेषण बताता है कि ये सिर्फ़ सैन्य कार्रवाई नहीं थी, बल्कि “Misinformation Ecosystem” के काम को उजागर करती हैं जिनमें मीडिया की राष्ट्रवादी होड़ किस तरह तथ्यों को पीछे छोड़ देती है और कैसे युद्ध के समय सत्य सबसे पहला शिकार बनता है.

ऑल्ट न्यूज़ के लिए ये दौर केवल आम लोगों को सूचित करना ही नहीं था बल्कि ये हमारी ज़िम्मेदारी भी थी. हमें वायरल दावे के पीछे सच्चाई खोज उस झूठ से पर्दा उठाना था. ऑल्ट न्यूज़ की छोटी सी टीम ने केवल ऑपरेशन सिंदूर के दौरान यानी 7 मई से 10 मई तक चले युद्ध में दिन रात मेहनत कर 39 से ज़्यादा आर्टिकल लिखकर झूठ, असंबंधित विज़ुअल्स व गलत दावों और मीडिया मिसरिपोर्ट को उजागर किया. इतना ही नहीं पूरे ऑपरेशन सिंदूर और उसके बाद भी भारत- पाकिस्तान के बीच तनाव की स्थिति में फैलाए गए प्रोपेगेंडा और झूठें दावों से पर्दा उठाते हुए ऑल्ट न्यूज़ ने 75 से ज़्यादा आर्टिकल्स लिखे.

सत्ताधारी BJP की भूमिका

जहां एक ओर देश की मीडिया भारत-पाकिस्तान संघर्ष के दौरान गलत खबरें चला रही थी तो वही दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी और उसके नेताओं व समर्थकों द्वारा लगातार सोशल मीडिया पर भ्रामक दावे किये जा रहे थे. हद तो तब हो गई जब संघर्ष के दिनों में भारतीय मीडिया द्वारा फैलाई गई झूठी खबरों पर टाइम्स नाउ भारत के पत्रकार सुशांत सिन्हा ने देश से माफी मांगने के बजाय, झूठी खबरों को राष्ट्रहित बताते हुए सही ठहराने के लिए एक पूरा वीडियो बनाया और बड़ी सफाई से गलत खबरों को तर्क देते हुए बताया गया था कि पाकिस्तान में झूठी खबर फैलाकर जश्न मना रहे थे, और अगर भारतीय मीडिया ने एकाध कुछ गलत खबर चला दी तो क्या कोई तूफ़ान तो नहीं आ गया? किसी भारतीय मीडिया ने ये ग़लत खबर तो नहीं चलाई कि पाकिस्तान भारत में घुस गया है या किसी मीडिया ने ये तो नहीं चलाया कि पाकिस्तान ने भारत के बंदरगाह को तबाह कर दिया. आगे सुशांत सिन्हा दलील देते हैं कि बाद में लगभग ऐसा ही नुकसान पाकिस्तान को और उसके बन्दगाह के पास हमला होता है. पूरे वीडियो में मीडिया की गलत ख़बरों को जायज़ ठहराने का प्रयास सूचना इकोसिस्टम जैसे शब्दों और बातों से सूचना युद्ध की तरह प्रस्तुत किया गया.

भारतीय मीडिया की झूठी खबरें और प्रोपेगेंडा के कार्यों का बचाव करने वाले वीडियो को सरकार में बैठी भाजपा और उसके नेता व समर्थक अपने X-हैंडल पर शेयर कर बढ़ावा देते दिखें. ऐसे में कई सवाल है जिन्हें सोचा जाना चाहिए कि दो देशों के बीच तनाव की स्थिति में इन झूठी खबरों का असर राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर किन पर होगा?

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान ऑल्ट न्यूज़ का प्रभाव

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान जब भारत-पाकिस्तान संदर्भ में सोशल मीडिया और मुख्यधारा मीडिया में बड़ी मात्रा में भ्रामक सूचनाएं, पुराने वीडियोज़ और झूठे दावे प्रसारित किये गए तब ऑल्ट न्यूज़, इन वायरल दावों, वीडियोज़ और मीडिया रिपोर्ट्स की तथ्यात्मक जांच कर उनकी सच्चाई सामने रख रहा था. ऑल्ट न्यूज़ और ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर द्वारा किए इन कार्यों को कई स्वतंत्र मीडिया संस्थानों और नागरिक अधिकार संगठनों ने संदर्भ के रूप में न केवल इस्तेमाल किया, बल्कि सराहा गया और सार्वजनिक रूप से मान्यता भी दी.

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान गलत सूचनाओं के बीच ऑल्ट न्यूज़ एक विश्वसनीय और सार्वजनिक हित में काम करने वाली मीडिया के रूप में उभरा, उस दौरान हमारी रिपोर्ट्स का उपयोग न केवल मीडिया में, बल्कि सिविल सोसाइटी और कानूनी हस्तक्षेपों के कार्यों में भी किया गया.

ThePrint ने ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर की भूमिका को रेखांकित करते हुए उन्हें इस दौर के “सूचना युद्ध” में गलत सूचनाओं को चुनौती देने वाली प्रमुख आवाज़ के रूप में प्रस्तुत किया.

Newslaundry ने मोहम्मद जुबैर के साथ विशेष चर्चा के ज़रिये ये समझाया कि भारत-पाकिस्तान संघर्ष जैसे संवेदनशील विषयों पर फैल रही फेक न्यूज़ को कैसे पहचाना और सत्यापित किया जा सकता है जिसमें ऑल्ट न्यूज़ के कार्यों (फैक्ट चेक) को प्रमुखता से दर्शाया गया.

Scroll.in ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान वायरल हुई झूठी और पुरानी वीडियो क्लिप्स पर अपनी रिपोर्टिंग में ऑल्ट न्यूज़ के फैक्ट-चेक्स का हवाला देते हुए बताया कि कैसे गलत संदर्भ में साझा की गई सामग्री ने तथ्य और कल्पना की रेखा को धुंधला किया.

वही Citizens for Justice and Peace (CJP) ने ऑल्ट न्यूज़ की रिपोर्ट्स को आधार बनाकर झूठे आतंकवादी संबंधों और भ्रामक दावों को प्रसारित करने के आरोप लगाते हुए छह न्यूज़ चैनलों के खिलाफ औपचारिक शिकायत दर्ज की.

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