लद्दाख में हिंसा के बाद पर्यावरणविद और शिक्षाविद सोनम वांगचुक को NSA के तहत गिरफ्तार कर लिया गया. उन पर लद्दाख को राज्य का दर्जा देने की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों को भड़काने के आरोप हैं. इसी बीच सोनम वांगचुक के भाषण का एक 15 सेकेंड का क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हुआ. इसे 10 सितंबर का भाषण बताया जा रहा है. कई प्रमुख मीडिया चैनलों ने भी इसे चलाया और दावा किया कि सोनम वांगचुक ने लोगों को भड़काया.

ज़ी न्यूज़ ने ये वीडियो क्लिप चलाया और दावा किया कि सोनम वांगचुक ने कहा, “जनता लद्दाख में वैसे ही बदलाव लाएगी जैसे नेपाल, बांग्लादेश और श्रीलंका में हुआ था.”

इसके बाद ज़ी न्यूज़ का ऐंकर कहता है, “हिंदुस्तान की तुलना, आप नेपाल में जो हुआ, बांग्लादेश में जो हुआ, श्री लंका में जो हुआ, क्या उससे आप करेंगे.”

ज्ञात हो कि इन तीनों देशों ने हाल में तख्तापलट को लेकर भारी हिंसा झेले हैं.

रीपब्लिक वर्ल्ड ने भी एक छोटी सी क्लिप को चलाया और दावा किया, “रिपब्लिक ने वांगचुक का कथित तौर पर 10 सितंबर को रिकॉर्ड किया गया वीडियो हासिल किया है, जिसमें उन्होंने नेपाल, बांग्लादेश और श्रीलंका की तर्ज पर लद्दाख में बड़े पैमाने पर आंदोलन का आह्वान किया था.”

न्यूज़18 के शो में एंकर अमन चोपड़ा ने सोनम वांगचुक के भाषण का ये हिस्सा चलाते हुए दावा किया कि लद्दाख में हुए हिंसा से पहले उन्होंने भड़काऊ बयान दिया जिसमें वो लद्दाख के युवाओं को श्रीलंका, बांग्लादेश और नेपाल का उदाहरण दे रहे थे. इसी वीडियो में अमन चोपड़ा ने मास्क लगाए हाथ में रॉड लिए व्यक्ति को कांग्रेस पार्षद बताया, जिसका फ़ैक्ट-चेक ऑल्ट न्यूज़ ने किया था.

भाजपा आईटी सेल के हेड अमित मालवीय ने ये वीडियो शेयर करते हुए दावा किया कि सोनम वांगचुक ने अपने भाषण में भारत को नेपाल और बांग्लादेश बनाने की बात कही.

भाजपा आईटी सेल से जुड़े इंस्टाग्राम अकाउंट Indian Compass ने भी लिखा कि सोनम वांगचुक लोगों को नेपाल, बांग्लादेश और श्रीलंका की तरह विरोध प्रदर्शन के लिए उकसा रहे हैं.

 

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इसी प्रकार अक्सर गलत जानकारी फैलाने वाले यूज़र्स, रौशन सिन्हा, बाला, चंदन कुमार, कल्पना श्रीवास्तव आदि के साथ आरएसएस कि मुखपत्रिका पंचजन्य ने वीडियो शेयर करते हुए दावा किया कि सोनम वांगचुक 10 सितंबर को अपने भाषण में भीड़ को उकसाने के लिए कह रहे हैं कि “नेपाल, बांग्लादेश और श्रीलंका की तरह लद्दाख में भी जनता बदलाव लाएगी”. इसके साथ ही इन यूज़र्स ने सोनम वांगचुक को पर्यावरणविद् के वेश में अलगाववादी कहा.

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फ़ैक्ट-चेक

वायरल वीडियो के की-फ्रेम्स को सर्च करने पर हमें इसका पूरा हिस्सा, Ladakh People’s Voice नाम के यूट्यूब चैनल पर 10 सितंबर को अपलोड किया हुआ मिला. 34 मिनट 53 सेकेंड के पूरे वीडियो को देखने पर मालूम पड़ता है कि वायरल वीडियो वाला अंश, जिसमें नेपाल, बांग्लादेश और श्रीलंका की बात हो रही है, वो 15 मिनट 5 सेकेंड पर आता है.

स्थानीय पत्रकार द्वारा सोनम वांगचुक के भाषण का अनुवाद

हमने सोनम वांगचुक के भाषण के वायरल क्लिप का संदर्भ जानने के लिए लद्दाख के स्थानीय पत्रकार से मदद ली. उन्होंने हमें बताया कि उन्होंने ये भाषण लद्दाखी भाषा में है. हमने वांगचुक के भाषण के समूचे वीडियो में वायरल क्लिप के अनुवाद समेत उसके आगे और पीछे वाले हिस्से का भी अनुवाद मांगा. वायरल क्लिप समेत, वीडियो में उसके आगे और पीछे वाले हिस्से का अनुवाद कुछ इस प्रकार है:

मेरे खिलाफ आरोप – चाहे वह एचआईएएल भूमि मामला हो, राजद्रोह की एफआईआर हो, या अनगिनत अन्य – लद्दाख के हित के सामने कुछ भी नहीं हैं. मैं इस क्षेत्र के लिए अपनी जान देने को तैयार हूँ. सिर्फ़ यही जीवन नहीं – अगर मुझे दोबारा जन्म भी लेना पड़े, तो मैं लद्दाख के लिए अपनी जान दे दूँगा.

एक ऐसे व्यक्ति के लिए जो अपनी ज़मीन के लिए अपनी जान दे सकता है, ऐसे आरोप, एफआईआर और मुझे डराने या चुप कराने की कोशिशें हास्यास्पद हैं. ये मुझे चुप नहीं करा सकते और न ही कराएँगे. मुझे रोकने की ये कोशिशें बेकार हैं. लद्दाख में पिछले पांच वर्षों से जो अव्यवस्था और अराजकता है, उसमें फंसे रहने के बजाय हर चीज का सीधे सामना करना बेहतर है.

इतिहास हमें दिखाता है कि असली बदलाव अक्सर कीमत चुकाने वाला होता है – नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका में – लोगों ने बलिदान देकर बदलाव लाया है. लेकिन दूसरों के उलट, लद्दाख को हिंसा, पथराव या अराजकता का सहारा लेने की ज़रूरत नहीं है. लद्दाख एक शांतिपूर्ण क्रांति का नेतृत्व कर सकता है – जहाँ लोग अपनी माँगें रखते हुए बलिदान देते हैं, यहाँ तक कि उपवास भी करते हैं और अपनी जान जोखिम में डालते हैं. लद्दाख पूरे देश के लिए एक मिसाल बन सकता है, यह दिखाते हुए कि बिना हिंसा के अधिकारों के लिए कैसे लड़ा जा सकता है.

हर दिन मुझ पर नए-नए आरोप लगते रहते हैं. हाल ही में, मैंने सुना कि मेरे खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया गया है. जब मैंने जाँच की, तो पता चला कि यह सच था. ज़रा सोचिए – जिस व्यक्ति ने हर भारतीय को चीनी उत्पादों का बहिष्कार करने के लिए प्रोत्साहित करने वाले आंदोलन का नेतृत्व किया, उस पर अब “भारत को तोड़ने” का आरोप लगाया जा रहा है.

‘भारत का दुश्मन’ होने का यह आरोप सिर्फ़ सोनम वांगचुक पर हमला नहीं है – यह हर लद्दाखी पर हमला है. यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए ख़तरनाक है क्योंकि यह हमारे लोगों की देशभक्ति को कमज़ोर करता है.”

क्लाइमेट फ्रन्ट इंडिया द्वारा सोनम वांगचुक के भाषण का अनुवाद

हमें क्लाइमेट फ्रन्ट इंडिया का एक पोस्ट मिला जिसमें उन्होंने यूथ फॉर हिमालय, यूथ फॉर लद्दाख आदि के साथ कॉलैब में एक पोस्ट डालते हुए सोनम वांगचुक के भाषण का लंबा वर्जन पोस्ट करते हुए वायरल दावे का खंडन किया है. क्लाइमेट फ्रंट इंडिया जम्मू स्थित एक संगठन है जो जलवायु परिवर्तन के बारे में जनता को शिक्षित करने और जलवायु न्याय को बढ़ावा देने पर केंद्रित है, यह स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर पर पर्यावरणीय मुद्दों के समाधान के लिए सामुदायिक भागीदारी की वकालत करता है.

क्लाइमेट फ्रन्ट इंडिया ने सोनम वांगचुक के भाषण के बड़े हिस्से को कैप्शन के साथ भी शेयर किया, इसमें लिखा है कि “चाहे नेपाल हो, बांग्लादेश हो या श्रीलंका, जनता ने बदलाव लाया है. मुझे लगता है कि अगर कोई मरता है तो बदलाव ज़रूर आएगा. मुझे विश्वास है कि उनके जैसी हिंसा, अशांति और पथराव वाली स्थिति लाए बिना, लद्दाख एक शांतिपूर्ण बदलाव, एक शांतिपूर्ण क्रांति लाएगा, जिसमें हम खुद भूख हड़ताल करके मरेंगे, ताकि बदलाव अपरिहार्य हो जाए, यही उन अन्य देशों से हमारा अंतर होगा. सभी देशों के लिए, लद्दाख एक मिसाल बनेगा, कि आपको आगजनी या गोली से मरने की ज़रूरत नहीं है, हम भूख से अपनी जान दे देंगे, खुद को तकलीफ़ पहुँचाएँगे लेकिन दूसरों को नहीं, अब वो समय आ गया है.”

इस तरह लद्दाख के स्थानीय पत्रकार ने जो ऑल्ट न्यूज़ को भाषण का अनुवाद भेजा था, उसमें और क्लाइमेट फ्रन्ट इंडिया के अनुवाद में काफी हद तक समानता है. खास कर वो हिस्सा कि सोनम वांगचुक ने नेपाल, बांग्लादेश और श्रीलंका में हुई हिंसा से उलट लद्दाख को शांति के रास्ते से बदलाव कि तरफ बढ़ने की बात की थी.

कुल मिलाकर, कई न्यूज़ चैनल्स, राइट-विंग इनफ़्लूएंसर्स ने सोनम वांगचुक के वीडियो को काट-छाँटकर झूठा दावा किया कि उन्होंने लद्दाख में जनता द्वारा वैसे ही (हिंसक रूप से) बदलाव लाने की बात की जैसे नेपाल, बांग्लादेश और श्रीलंका में हुआ था.

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Abhishek is a senior fact-checking journalist and researcher at Alt News. He has a keen interest in information verification and technology. He is always eager to learn new skills, explore new OSINT tools and techniques. Prior to joining Alt News, he worked in the field of content development and analysis with a major focus on Search Engine Optimization (SEO).