भाजपा के मीडिया पैनलिस्ट यशवीर राघव ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (2019) के खिलाफ एक विरोध रैली का पोस्टर साझा किया, जिसमें कथित रूप से उल्लेख किया गया है कि महिलाओं के लिए ड्रेस कोड ‘हिजाब या बुर्का’ है। उन्होंने लिखा, “गजब ! अगर आप #CAA2019 और #NRC (जिसको लाने का अभी तक कोई विचार तक नहीं हुआ है) के विरुद्ध आयोजित प्रदर्शन में भाग लेना चाहते है तो आपके लिए बुर्का और हिजाब पहनना अनिवार्य है। ये लोग देश को शरिया कानून की तरफ बढ़ाने की चाहत में अग्रसर है।”

गलतसूचनाओं के तंत्र में प्रसिद्ध नाम, प्रशांत पटेल उमराव ने भी ट्विटर और फेसबुक पर इस पोस्टर को साझा किया है। उन्होंने अपने पोस्ट में लिखा, “प्रोटेस्ट CAA के विरुद्ध है, लेकिन ड्रेस कोड हिजाब और बुरका है। पितृसत्ता और मनुवाद से आजादी हिजाब और बुरका पहनकर मिलेगी। सीधे शब्दों में, यह देश भर में आंदोलन नहीं हो रहा, बल्कि शक्ति प्रदर्शन है और देश के हिंदुओं के धैर्य की परीक्षा ली जा रही है।”

एडिट किया हुआ पोस्टर

ट्विटर पर की-वर्ड्स सर्च करने से हम असली पोस्टर तक पहुंच पाए।

1. ‘महिलाओं के लिए ड्रेस कोड: हिजाब और बुर्का’ वाक्य को पोस्टर में जोड़ कर सोशल मीडिया में साझा किया गया है। Aamir Edresy, जो ट्विटर पर खुदको मुस्लिम पेशेवर एसोसिएशन की अध्यक्ष बताती है, उन्होंने 15 जनवरी, 2020 को मूल पोस्टर साझा किया था। इसमें मुंबई सिटिज़न फोरम द्वारा मुंबई के अग्रीपाड़ा के YMCA मैदान में 17 जनवरी को शाम 6 बजे से CAA, NRC और NPR के खिलाफ आयोजित किये गए प्रदर्शन के बारे में बताया गया है।

ऑल्ट न्यूज़ ने मुंबई सिटीज़न फोरम की Aamir Edresy से सम्पर्क किया, जो कि प्रदर्शन के आयोजन का एक हिस्सा भी है, उन्होंने बताया कि, “यह एक शरारत है। यह प्रदर्शन उन सभी व्यक्ति के लिए खुला है, जो इस पर अपना विश्वास मानते हो। कोई ड्रेस कोड नहीं है।”

16 जनवरी को ‘CAA / NRC Protest info’ नामक हैंडल ने भी मूल पोस्टर को ट्वीट किया था।

2. एक अन्य सुराग जिससे पता चलता है कि पोस्टर को एडिट किया गया है वह है वायरल पोस्टर में छोटे अक्षरों का प्रयोग, जबकि मूल पोस्टर में सभी शब्द बड़े अक्षरों में लिखे गए है।

3. ‘महिलाओं के लिए ड्रेस कोड: हिजाब और बुर्का’ वाक्य पोस्टर की अन्य लाइनों से अलग दिखता है, जिसे लाल रंग की लकीर से निशाना लगाया गया है।

प्रधानमंत्री द्वारा फॉलो किये जा रहे अकाउंट ने भी साझा किया झूठा दावा

ट्विटर हैंडल #IndiaFirst (@savitha_rao) उन लोगों में से एक है, जिन्होंने एडिट किये गए पोस्टर को साझा किया है। ट्वीट के अनुसार, “तो क्या सभी धर्म की महिलाओं को बुर्का और हिज़ाब पहनना पड़ेगा? साथ में ही 500 रूपये और बिरयानी तो कपड़े के भत्ते के रूप में होंगी ही?” (अनुवाद) इस हैंडल को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी फॉलो करते हैं।

अन्य उपयोगकर्ता सौरभ सिंह ने भी इस पोस्टर को ट्वीट किया है, जिन्हें प्रधानमंत्री के साथ केंद्रीय मंत्री पीयुष गोयल और भाजपा प्रवक्ता तजिंदर बग्गा भी फॉलो करते हैं।

कुछ अन्य लोगों ने भी इस पोस्टर को साझा किया है, जिसे प्रधानमंत्री मोदी फॉलो करते हैं।

CAA के खिलाफ हो रहे प्रदर्शन के पोस्टर को एडिट कर यह झूठा दावा किया गया कि सभी महिलाओं को ड्रेस कोड के मद्देनज़र बुर्के और हिजाब को पहन कर आना है।

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About the Author

Pooja Chaudhuri is a researcher and trainer at Bellingcat with a focus on human rights and conflict. She has a Master's in Data Journalism from Columbia University and previously worked at Alt News.