न्यूज़रूम पोस्ट ने एक वीडियो शेयर किया. वीडियो में एक व्यक्ति आरोप लगा रहा है कि 20 सालों से तांगा चला रहे नूर आलम और वसीर ने उस तांगे पर पाकिस्तान का झंडा पेंट किया है और उन्हें ये मालूम ही नहीं है.वीडियो में बातें कहने वाले शख्स ने ये भी कहा कि इन्हें (तांगा चलाने वालों को) ‘हिंदुस्तान ज़िन्दाबाद’ कहने में समस्या है लेकिन ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ कहने में कोई शर्म नहीं.

ये आदमी मुस्लिम समुदाय के दो गरीब तांगा चालकों को परेशान करते हुए और उन्हें ‘हिंदुस्तान जिंदाबाद’, ‘भारत माता की जय’ और ‘पाकिस्तान मुर्दाबाद’ के नारे लगाने के लिए मजबूर करता है. इन गरीब तांगा चलाने वालों के नारे लगाने के बाद भी वो उन्हें नारेबाज़ी करने के लिए कहता रहता है. बिना किसी कारण, कवरेज से नाराज, वसीर ने उस आदमी से सवाल किया कि उन्हें ये नारा क्यों लगाना चाहिए? बाद में उन्होंने ये कहकर बातचीत खत्म की कि वो दोनों देशों की जय करेगा.

दैनिक जागरण ने भी एक स्टोरी पब्लिश की जिसमें दावा किया गया कि तांगे पर पाकिस्तान का झंडा पेंट किया गया था. साथ ही हेडिंग में ये भी लिखा गया कि लखनऊ में पाकिस्तान ज़िंदाबाद के नारे लगाये गये.

ये वीडियो पहले भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था.

इस वीडियो को ऑनलाइन शेयर करने का सबसे पहला उदाहरण 24 अगस्त का मिला. एक ट्विटर यूज़र ने इसे 24 अगस्त की सुबह 9 बजकर 25 मिनट को शेयर किया था.

प्रो-बीजेपी प्रोपेगेंडा वेबसाइट क्रिएटली ने यूपी और लखनऊ पुलिस को टैग करते हुए ये वीडियो को शेयर किया.

पाकिस्तान का झंडा नहीं

न्यूज़रूम पोस्ट ने भी वीडियो पर एक आर्टिकल पब्लिश किया. जबकि आर्टिकल में दावा किया गया था, “तांगा पर पाकिस्तान के झंडे को देखने के बाद लोगों ने एक तांगा चालक को रोक दिया”. दूसरे पैराग्राफ़ के अनुसार, पुलिस ने पाया कि तांगा पर ‘कर्बला का प्रतीक’ पेंट किया गया था न कि पाकिस्तान का झंडा. पुलिस ने दोनों पक्षों से बात की जिसमें तांगा चालक और तांगे वाले पर पाकिस्तान के झंडे पेंट करने का आरोप लगाने वाले लोग शामिल थे. आखिर में ये बात सामने आयी कि झंडा एक इस्लामी प्रतीक है.

लखनऊ पुलिस ने ऑल्ट न्यूज़ से बात करते हुए भी ये बात कंफ़र्म की. पुलिस ने बताया, “तांगा चांद और तारे से रंगा हुआ था. उस पर पाकिस्तान का झंडा नहीं बना था. विवाद के बाद तांगा चालक ने उस जगह को काले रंग से रंग दिया था. इस मामले में कोई शिकायत दर्ज नहीं की गई”. तांगा चालक को परेशान करने वालों के खिलाफ़ अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है. पुलिस ने कहा कि तांगा वाले ने शिकायत दर्ज नहीं की.

न्यूज़रूम पोस्ट ने ट्विटर पर ये वीडियो चलाते समय ये ज़रुरी डिटेल हटा दी थी.

तांगे पर किये गये पेंट को ठीक से देखने पर ये साफ़ पता चलता है कि ये पाकिस्तान का झंडा नहीं है. पाकिस्तान के झंडे में 45 डिग्री के कोण पर एक आधा चांद और तारा होता है. साथ ही बाईं ओर एक सफ़ेद पट्टी भी होती है. गौरतलब है कि आधा चांद और तारा इस्लामी प्रतीक है.

स्थानीय लोगों ने 2 तांगा चालकों का पीछा किया था. कुछ मीडिया आउटलेट्स, पत्रकारों और प्रोपगेंडा वेबसाइटों ने ऑनलाइन गलत सूचना फैलाई. नीचे दैनिक जागरण के संपादक पवन तिवारी का एक ट्वीट है.

पवन तिवारी ने एक और वीडियो शेयर किया था जिसमें दिखाया गया कि तांगा चालकों को भारतीय झंडा और ‘हिंदुस्तान जिंदाबाद’ के नारे लगाने के लिए मजबूर किया गया था. उन्होंने एक और ट्वीट में मज़ाक में लिखा कि पुलिस के हस्तक्षेप के बाद ये चालक ‘राष्ट्रवादी’ बन गए.

आज तक के डिजिटल चैनल ‘यूपी तक’ ने पहले तो ये बताया कि तांगे पर पाकिस्तान का झंडा था. फिर बाद में ट्वीट डिलीट कर ये नया ट्वीट किया जिसमें लिखा था – “पाकिस्तान जैसे झंडे पेंट करा कर पिछले 20 साल से तांगा चला रहा था आदमी…”

ऑल्ट न्यूज़ ने पहले भी ऐसी कई फ़ैक्ट-चेक रिपोर्ट्स पब्लिश की हैं जिसमें इस्लामी संगठनों के झंडे को पाकिस्तान का झंडा बताया गया.


क्या उज्जैन में “काज़ी साहब ज़िंदाबाद” के नारे को “पाकिस्तान ज़िंदाबाद” समझा गया?

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About the Author

Pooja Chaudhuri is a researcher and trainer at Bellingcat with a focus on human rights and conflict. She has a Master's in Data Journalism from Columbia University and previously worked at Alt News.