लाल टी-शर्ट और बुलेट प्रूफ जैकेट जैसे पोशाक पहने एक व्यक्ति की तस्वीर, फेसबुक उपयोगकर्ता ‘भरत शर्मा’ के प्रोफाइल के स्क्रीनशॉट के साथ तुलना के लिए जोड़कर सोशल मीडिया में व्यापक रूप से साझा की गई है। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) के राष्ट्रीय प्रवक्ता उदित राज ने 17 दिसंबर, 2019 को इन शब्दों में चुटकी ली- “सरकार बहादुर जवाब दे कि अब इसकी ड्यूटी किसने लगा दी?” शर्मा के फेसबुक प्रोफाइल के स्क्रीनशॉट से उनकी पहचान आरएसएस स्वयंसेवक और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की युवा शाखा, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) के सदस्य रुप में होती है। यह दावा किया जा रहा है कि दंगों के समय पहने जाने वाली पोशाक वाला शख्स शर्मा है, जो नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों को हटाने के लिए दिल्ली पुलिस के साथ हो गया था।

udit raj

17 दिसंबर को आम आदमी पार्टी के समर्थक कपिल ने यह तस्वीर ट्वीट करते हुए लिखा, “@DelhiPolice क्या आप समझा सकते हैं कि यहां क्या हो रहा है?? क्या आपने दिल्ली में कानून और व्यवस्था आरएसएस को सौंप दी है?”। यह ट्वीट हटाए जाने से पहले, 5,300 से अधिक बार रिट्वीट किया गया। स्वराज्य इंडिया के अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने कपिल के ट्वीट को कोट ट्वीट करते हुए उनके सवाल के जवाब की मांग दोहराई थी। हालांकि, ऑल्ट न्यूज़ के लेख के बाद कपिल ने अपना ट्वीट हटा लिया और योगेंद्र यादव ने यह जाहिर किया कि इस मामले का संदेह समाप्त हुआ।

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के विधायक जितेंद्र अहवाड़ ने भी यही तस्वीर पोस्ट की और दावा किया, “इस फोटो को देखिए और आपको पता चल जाएगा कि हिंसा के पीछे कौन लोग हैं”।

तथ्य-जांच

भरत शर्मा नहीं

कई मीडिया संगठनों ने दिल्ली पुलिस के स्पष्टीकरण के बारे में बताया है कि लाल रंग की टी-शर्ट वाला आदमी पुलिसकर्मी है। द प्रिंट को दिए एक बयान में, डीसीपी (सेंट्रल) एम एस रंधावा ने स्पष्ट किया, “वह भरत शर्मा नहीं हैं। यह एक और झूठ है जो दिल्ली पुलिस की छवि धूमिल करने के लिए सोशल मीडिया में फैलाया जा रहा है। वास्तव में, वह दक्षिण जिले में AATS का कांस्टेबल है, जिसे उस इलाके में कानून और व्यवस्था की ड्यूटी पर तैनात किया गया था।”

इसके अलावा, द क्विंट ने बताया कि उस व्यक्ति का नाम अरविंद कुमार है और वह दक्षिण दिल्ली पुलिस के एंटी ऑटो थेफ्ट स्क्वाड (ATTS) में है। ऑल्ट न्यूज़ ने डीसीपी साउथ-ईस्ट दिल्ली चिन्मय बिस्वाल से बात करके मीडिया की उन खबरों की पुष्टि की, जिनमें उस व्यक्ति की पहचान अरविंद कुमार के रूप में की गई है।

हमने कांस्टेबल अरविंद कुमार की एक हालिया तस्वीर तक पहुंच बनाई। इस तस्वीर और वायरल तस्वीर को ज़ूम करके जोड़कर तुलना करने से पता चलता है कि दोनों में एक ही व्यक्ति है। (नाक के आकार और दाढ़ी की शैली पर ध्यान दें।)

युवा महिलाओं पर हमलावर स्थिति में दूसरा पुलिसकर्मी है

17 दिसंबर, 2019 को सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश मार्कंडेय काटजू ने एक ऐसे व्यक्ति के स्क्रीनशॉट ट्वीट किए, जो युवा कुछ महिला और ज़मीन पर पड़े एक व्यक्ति के खिलाफ हमलावर स्थिति में डंडा ताने हुए दिखाई दे रहे हैं। ये स्क्रीनशॉट एक वायरल वीडियो से लिए गए थे, जिसमें लाठीचार्ज करते पुलिसकर्मी, और अपने दोस्त को बचाने की कोशिश करतीं महिलाएं दिखाई दे रही हैं।

गुस्साए पुलिसकर्मियों में एक, सादे कपड़ों वाला आदमी, दंगों के समय पहने जाने वाली पोशाक से लैस है।

सोशल मीडिया में लोग डंडा बरसाते इस व्यक्ति को कांस्टेबल अरविंद कुमार समझ कर भ्रमित हुए हैं। हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने सोशल मीडिया की अफवाहों का खंडन किया और कहा कि वह दक्षिण-पूर्व जिला पुलिस का कांस्टेबल है। 17 दिसंबर, 2019 को प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया, “कांस्टेबल अपनी वर्दी में नहीं थे क्योंकि वे जिले के एंटी ऑटो थेफ्ट स्क्वाड या AATS में जासूसों की एक टीम से जुड़े थे।”

समाचार एजेंसी ANI से बात करते हुए बिस्वाल ने कहा, “पुलिस ने हिंसक भीड़ को नियंत्रित करने और शांति बनाए रखने के लिए अपना कर्तव्य निभाया। झूठी तस्वीर पेश करने की कोशिशें की जा रही हैं। एक तस्वीर सोशल मीडिया में घूम रही है जहां एक पुलिसकर्मी को एक छात्र संगठन के सदस्य के रूप में पेश किया जा रहा है, यह झूठ है।

नीचे, हमने वायरल वीडियो से एक स्क्रीनग्रैब लेकर कांस्टेबल अरविंद कुमार की हालिया तस्वीर के साथ उसकी तुलना की है। उल्लेखनीय है कि स्क्रीनग्रैब वाली तस्वीर की गुणवत्ता खराब है, फिर भी, उनके चेहरे की विशेषताओं और दाढ़ी में स्पष्ट अंतर को उजागर करने के लिए यह पर्याप्त है। बाईं ओर वाला आदमी AATS का दूसरा पुलिस अधिकारी है।

एक अन्य वीडियो में एक व्यक्ति को मारने वाला आदमी भरत शर्मा है

दिल्ली एनएसयूआई के अध्यक्ष, अक्षय लाकड़ा, ने किसी व्यक्ति को लात मारते हुए एक व्यक्ति का वीडियो ट्वीट किया और दावा किया कि वह आरएसएस के स्वयंसेवक और ABVP के राज्य कार्यकारी समिति के सदस्य भरत शर्मा हैं। लाकड़ा ने शर्मा की तस्वीर और उनके फेसबुक प्रोफाइल का स्क्रीनशॉट भी पोस्ट किया।

शर्मा की प्रोफ़ाइल का स्क्रीनशॉट सोशल मीडिया में कांस्टेबल अरविंद कुमार की फोटो के साथ प्रसारित होने के बाद, शर्मा ने अपना प्रोफ़ाइल निष्क्रिय कर दिया और बाद में अपने सार्वजनिक परिचय में काफी बदलाव करके इसे पुनः जारी किया। एक व्यक्ति को लात मारने के बारे में लाकड़ा के ट्वीट का जवाब देते हुए, शर्मा ने कहा, “हाँ। यह मैं हूँ। मैंने ऐसा इसलिए किया क्योंकि निर्दोष छात्रों पर हमले हो रहे थे। क्योंकि लड़कियों के साथ दुर्व्यवहार किया जा रहा था। क्योंकि छात्रों को परीक्षा नहीं देने दिया जा रहा था। आपने इन 12 सेकंड के पहले और बाद में क्या हुआ, उसे सुविधापूर्वक अनदेखा किया है।”

इंडिया टुडे से बातचीत में, उन्होंने स्पष्ट किया कि दंगों के समय पहने जाने वाली पोशाक वाले व्यक्ति वह नहीं हैं। 18 दिसंबर 2019 को प्रकाशित लेख में कहा गया है, “भरत शर्मा ने स्पष्ट रूप से इसका खंडन किया और कहा कि न तो वह तस्वीर वाले आदमी हैं और न ही उसके बारे में उनकी कोई राय है। उन्होंने यह भी दावा किया कि हेलमेट से आंशिक रूप से ढंका हुआ उस आदमी का चेहरा उनके चेहरे से मिलता-जुलता नहीं है”।

मीडिया संगठन से बात करते हुए शर्मा ने अपना वह कबूलनामा भी दोहराया और कहा कि एक अन्य व्यक्ति को लात मारने वाले व्यक्ति वही हैं और उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि वह अभाविप (ABVP) के सक्रिय कार्यकर्ता है। अपने बचाव में, उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया में वायरल वीडियो को क्लिप किया गया है और वह यह नहीं दर्शाता है कि उक्त घटना से पहले क्या हुआ था। हालांकि, जब उसका लंबा संस्करण प्रस्तुत करने के लिए कहा गया, उपरोक्त रिपोर्ट फाइल होने से पहले तक शर्मा ऐसा कुछ नहीं दे पाए।

हमने कांस्टेबल अरविंद कुमार की तस्वीर की तुलना ट्विटर पर पोस्ट की हुई भरत शर्मा की तस्वीर के साथ की है। इस तुलना में दोनों व्यक्तियों के चेहरे के अंतर सामने आते हैं।

निष्कर्ष रूप में, दिल्ली पुलिस के एक कांस्टेबल की तस्वीर अभाविप, आरएसएस कार्यकर्ता भरत शर्मा के रूप में, इस झूठे दावे के प्रचार के लिए प्रसारित की जा रही है, कि भरत शर्मा ने जामिया नगर में पुलिस के साथ मिलकर छात्रों पर हमले किए।

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About the Author

Jignesh is a writer and researcher at Alt News. He has a knack for visual investigation with a major interest in fact-checking videos and images. He has completed his Masters in Journalism from Gujarat University.