कांग्रेस के सांसद मनीष तिवारी ने ट्वीट किया – “क्या कोरोना वायरस एक बायोलॉजिकल हथियार है जिसे चीन ने बनाया है और जिसका नाम वुहान-400 है? ये किताब 1981 में छपी थी. इसका ये अंश ज़रूर पढ़ें.” मनीष तिवारी जिस किताब के बारे में बात कर रहे हैं वो है डीन कूंट्ज़ की लिखी ‘द आय ऑफ़ डार्कनेस’. किताब के इस हिस्से में चीन के एक वैज्ञानिक द्वारा बनाए गए नाम ‘वुहान-400’ का उल्लेख मिलता है.

कूंट्ज़ के इस उपन्यास में बायोलॉजिकल हथियार कोरोना वायरस (COVID-19) के दुनिया भर में फैलने की ‘भविष्यवाणी’ की गई थी. ये दावा दुनिया भर में तमाम भाषाओं में फ़ैल रहा है. नीचे दिया गया ट्वीट इंडोनेशिया की भाषा में है.

यही दावा स्पैनिश भाषा में भी फ़ैल रहा है.

हिंदी में लिखे हुए एक मेसेज के साथ किताब का एक पन्ना वायरल हो रहा है. वायरल हो रहा मेसेज कुछ ऐसा है – “चीन में ये किताब पहले ही आ गई थी जिसमे कहा गया था कोरॉना चीन में सरकार गरीबी हटाने के लिए इस वायरस का उपयोग करेगी चीनी सरकार ऐसा वॉट्सएप पर कहा जा रहा है.”

फ़ैक्ट-चेक

इस उपन्यास में वुहान-400 के बारे में ये बातें लिखी हुई हैं:

1. इसे एक चीन के वैज्ञानिक ने वुहान शहर से कुछ दूर एक RDNA लैब में विकसित किया था.

2. वुहान-400 से महज़ इंसानों को ही संक्रमण हो सकता है. और कोई भी जीवित ईकाई इससे संक्रमित नहीं होगी.

3. जीवित इंसान के शरीर के बाहर ये जैविक हथियार (वायरस) एक मिनट से ज़्यादा नहीं ज़िन्दा रह सकता है.

COVID-19 के बारे में जो भी जानकारी मुहैया करवाई गयी हैं, उनसे ऊपर दी गयी जानकारी मेल नहीं खाती है.

कोरोना वायरस इंसानों द्वारा विकसित नहीं किया गया है. इस वायरस को जानवर भी होस्ट कर सकते हैं.

इससे पहले भी कई नेशनल और इंटरनेशनल प्लेटफॉर्म्स द्वारा कोरोना वायरस के जैविक हथियार होने के दावों को खारिज किया जा चुका है. द लैंसेट नाम के मेडिकल जर्नल में पब्लिक हेल्थ साइंटिस्ट्स द्वारा दिए गए स्टेटमेंट में कहा – “हम सभी मिलकर उन सभी दावों को सिरे से खारिज़ करते हैं जो कहते हैं कि COVID-19 को इंसानों द्वारा बनाया गया है. कई देशों के वैज्ञानिकों ने इस वायरस की जीनोम्स (Genomes)का अध्ययन किया है और अपनी खोज के बारे में सभी को बताया है. इसके साथ ही SARS कोरोनावायरस 2 (SARS-CoV-2) का भी अध्ययन किया गया. और सभी मिलकर इस नतीजे पर पहुंचे कि बैक्टीरिया, वायरस या और जीवाश्मों से पैदा होने वाली तमाम उभर रही बीमारियों की तरह इसकी उत्पत्ति भी जीवों में ही हुई है.

अल-जज़ीरा की एक रिपोर्ट के अनुसार – “चीन की हेल्थ अथॉरिटीज़ अभी भी इस वायरस की उत्पत्ति की खोज कर रहे हैं. उनका मानना है कि बहुत हद तक इसकी उत्पत्ति वुहान में सीफ़ूड मार्केट में हुई जहां गैर-कानूनी तरीके से और भी जानवर बेचे जा रहे थे.” ये बात एक दफ़ा फिर उस दावे को ख़ारिज कर देती है जो कहता है कि कोरोना वायरस सिर्फ़ इंसानों में रह सकता है.

इस रिपोर्ट में ये भी लिखा है कि चीन के रीसर्चर्स ने कहा कि वायरस ‘ग़ैर-क़ानूनी तरीके से ले जाए जा रहे एक संक्रमित प्रजाति से इंसानों में आया होगा.’ ये प्रजातियां एशिया में खाने और दवाइयों के काम आती हैं. “वैज्ञानिकों ने कहा है कि बहुत हद तक इसकी वजह चमगादड़ या सांप हो सकते हैं.”

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) कहता है, “कोरोना वायरस एक बड़े वायरस समूह का हिस्सा है जो कि आम खांसी-ज़ुकाम से लेकर MERS-CoV और SARS-Cov जैसी घातक बीमारियां भी पैदा कर सकता है.” इससे पहले कभी नोवेल कोरोना वायरस (nCoV) से इंसानों को संक्रमण नहीं हुआ था.

WHO ने साथ में कहा, “कोरोना वायरस ज़ूनोटिक है. यानी ये किसी भी दूसरी प्रजाति से इंसानों में आ सकती है. गहराई में की गयी जांचों से मालूम चला कि SARS-CoV असल में एक ख़ास तरह की बिल्लियों (Civet Cats) से इंसानों में आया था और MERS-CoV ड्रोमडेरी ऊंटों से. कई कोरोना वायरस अभी भी जानवरों में मौजूद हैं और उनसे इंसानों को संक्रमण नहीं हुआ है.”

वैज्ञानिकों द्वारा किये गये अध्ययन से मालूम पड़ा है कि सिर्फ़ कुछ घंटे ही नहीं बल्कि इंसानी शरीर के बाहर कोरोना वायरस कई दिनों तक ज़िन्दा रह सकता है.

ऑल्ट न्यूज़ की साइंस एडिटर डॉक्टर सुमैया शेख और डॉक्टर शरफ़रोज़ द्वारा पहले किये गए फ़ैक्ट चेक में अमरीकी वैज्ञानिकों की एक न्यू-प्रीप्रिंट स्टडी (Doremalen et al 2020) का ज़िक्र किया गया था. स्टडी के मुताबिक़ COVID-19 हवा में कई घंटों तक ज़िन्दा रह सकता है और कई सतहों पर ये 2 से 3 दिनों तक रह सकता है. यहां ये भी मालूम चलता है कि वायरस हवा के ज़रिये भी और संक्रमित सतहों को छूने से भी फैलता है.

वैज्ञानिकों ने वायरस को हवा में छोड़ा. इसे एक न्यूबलाइज़र के ज़रिये किया गया. ये इंसानी खांसी से हवा में छूटने वाले जीवाश्मों के बराबर होता है. यहां से मालूम चला कि ये वायरस हवा में 3 घंटों तक मौजूद थे. ताम्बे की एक सतह पर लगभग 4 घंटे तक, कार्डबोर्ड पर 24 और प्लास्टिक और स्टेनलेस स्टील की सतहों पर 2 से 3 दिनों तक ज़िन्दा थे.

1981 में छपने वाले कूंट्ज़ के उपन्यास में वुहान का कोई ज़िक्र नहीं है

1981 के ‘द आय ऑफ़ डार्कनेस’ के संस्करण में गूगल बुक्स पर जब खोजा गया तो मालूम पड़ा कि इसमें जैविक हथियार का नाम ‘गोर्की-400’ है.

साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के एक आर्टिकल के मुताबिक़ कूंट्ज़ ने अपने उपन्यास में वायरस की उत्पत्ति रूस में हुई बताई है. “किताब को जब दोबारा लिखा गया तो कहानी सोवियत यूनियन के गिरने के बाद शुरू हुई मालूम देती है क्यूंकि वहां गोर्की शहर के कम्युनिज़म जैसा कुछ भी नहीं दिखाई दे रहा था.” आर्टिकल में ये भी बताया गया कि इस किताब को जब सबसे पहली दफ़ा लिखा गया था तो कूंट्ज़ ने अपना दूसरा नाम लाइ निकोलस इस्तेमाल किया था. गूगल बुक्स पर 1981 के संस्करण में भी यही नाम दिखायी देता है.

साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट ने इस किताब के पहले संस्करण से एक अंश भी छापा जहां रूस और गोर्की-400 का ज़िक्र हुआ है.

आर्टिकल में आगे लिखा है – “1989 में जब कूंट्ज़ ने अपने नाम से इस किताब को फिर से मोटी ज़िल्द में छापा तब इसमें वुहान का ज़िक्र आया. इस क़िताब के नए संस्करण का साल – 1989 काफ़ी अहमियत भरा है. इसी साल शीत युद्ध (कोल्ड वॉर) ख़त्म हुआ था. और सोवियत यूनियन के गिरने के बाद ये देश अब कम्युनिस्ट नहीं था. अगर एक अमरीकी लेखक अपनी कल्पना के दम पर भी रूस पर इल्ज़ाम लगाता तो ये ठीक नहीं होता, इसलिए ‘आय ऑफ़ डार्कनेस’ को एक नए विलेन की ज़रुरत थी.”

इसलिए कोरोना वायरस से जुड़े सोशल मीडिया पर किये जा रहे तमाम दावे हर तरफ़ से झूठे साबित होते हैं. डीन कूंट्ज़ ने न ही 1981 की अपनी किताब में कहीं भी वुहान में बनाए जा रहे जैविक हथियार का ज़िक्र किया और न ही उन्होंने COVID-19 के फ़ैलने से जुड़ी कोई भी भविष्यवाणी की थी. और हां, गोर्की-400 (जिसका बाद में नाम वुहान-400 कर दिया गया था) किसी भी तरह से कोरोना वायरस जैसा नहीं दिखाई पड़ता.

डोनेट करें!
सत्ता को आईना दिखाने वाली पत्रकारिता का कॉरपोरेट और राजनीति, दोनों के नियंत्रण से मुक्त होना बुनियादी ज़रूरत है. और ये तभी संभव है जब जनता ऐसी पत्रकारिता का हर मोड़ पर साथ दे. फ़ेक न्यूज़ और ग़लत जानकारियों के खिलाफ़ इस लड़ाई में हमारी मदद करें. नीचे दिए गए बटन पर क्लिक कर ऑल्ट न्यूज़ को डोनेट करें.

बैंक ट्रांसफ़र / चेक / DD के माध्यम से डोनेट करने सम्बंधित जानकारी के लिए यहां क्लिक करें.

About the Author

Pooja Chaudhuri is a researcher and trainer at Bellingcat with a focus on human rights and conflict. She has a Master's in Data Journalism from Columbia University and previously worked at Alt News.