पूर्व ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री जूलिया गिलार्ड के एक कथित भाषण के हवाले से, सोशल मीडिया में एक संदेश वायरल है, जिसमें वह मुसलमानों को देश छोड़ने के लिए कह रही हैं। 2010 से 2013 तक ऑस्ट्रेलिया की 27वीं प्रधानमंत्री रहीं गिलार्ड के इस कथित भाषण का एक हिस्सा है- “मुस्लिम, जो शरिया कानून की मांग कर रहे हैं, उन्हें बुधवार तक ऑस्ट्रेलिया छोड़ने के लिए कहा गया है क्योंकि ऑस्ट्रेलिया कट्टरपंथी मुसलमानों को आतंकवादी के रूप में देखता है। प्रत्येक मस्जिद की तलाशी होगी और इस प्रक्रिया में मुसलमान हमारे साथ सहयोग करेंगे।” सोशल मीडिया में वायरल इस संदेश को शब्दशः नीचे दिया गया है :

“ऑस्ट्रेलियाई पीएम जूलिया गिलार्ड को दुनिया की रानी बनाया जाना चाहिए। उन्होंने जो कहा है, उसके लिए बहुत साहस और आत्मविश्वास की जरूरत है।

दुनिया के सभी देशों में उनके जैसा नेता होना चाहिए।

उन्होंने कहा कि,मुस्लिम, जो शरिया कानून की मांग कर रहे हैं, उन्हें बुधवार तक ऑस्ट्रेलिया छोड़ने के लिए कहा गया है क्योंकि ऑस्ट्रेलिया कट्टरपंथी मुसलमानों को आतंकवादी के रूप में देखता है। प्रत्येक मस्जिद की तलाशी होगी और इस प्रक्रिया में मुसलमान हमारे साथ सहयोग करेंगे। अन्य सभी मुसलमान जो दूसरे देशों से ऑस्ट्रेलिया में आए हैं, उन्हें हमारे देश के अनुसार खुद को बदलना होगा और उन्हें हमारे उनके अनुसार बदलने की उम्मीद नहीं करनी चाहिए।

यदि वे ऐसा करने में असमर्थ हैं, तो ऑस्ट्रेलिया छोड़ने के लिए उनका बहुत स्वागत है।

बहुत सारे ऑस्ट्रेलियाई चिंतित हैं कि हम एक विशेष धर्म का अपमान कर रहे हैं…. लेकिन मैं ऑस्ट्रेलिया के लोगों को विश्वास दिलाती हूं कि जो कुछ भी किया जा रहा है वह ऑस्ट्रेलिया और इसके लोगों की भलाई के लिए ही है।

हम यहां अंग्रेजी भाषा बोलते हैं, ना कि अरबी या उर्दू या किसी भी अन्य प्रकार की इस्लामी भाषा, इसलिए यदि आप हमारे देश में रहना चाहते हैं तो आप बेहतर तरीके से अंग्रेजी बोलना सीख लें।

ऑस्ट्रेलिया में हम इशू पर विश्वास करते हैं जो हमारे भगवान हैं और हम अपने भगवान में विश्वास करते हैं। सिर्फ इसलिए, कि हम ईसाई धर्म में विश्वास करते हैं और उसका पालन करते हैं और किसी अन्य धर्म का नहीं, हमें सांप्रदायिक नहीं बनाता है, यही कारण है कि आपको हर जगह भगवान इशू के चित्र और धार्मिक इतिहास मिलेंगे।

यदि आपको इस पर कोई आपत्ति है, तो आप ऑस्ट्रेलिया छोड़कर दुनिया में कहीं भी जाने के लिए स्वतंत्र हैं।

ऑस्ट्रेलिया हमारी धरती है, हमारा देश है और यही हमारी संस्कृति है।

हम आपके धर्म का पालन नहीं करते लेकिन हम आपकी भावनाओं का सम्मान करते हैं, यही कारण है कि यदि आप कुरान पढ़ना और नमाज़ अदा करना चाहते हैं, तो कृपया (लाउड)स्पीकरों का उपयोग करके और ज़ोर से पढ़कर ध्वनि प्रदूषण पैदा ना करें। कृपया हमारे स्कूलों, कार्यालयों या सार्वजनिक स्थानों पर कुरान न पढ़ें या नमाज़ अदा न करें।

आप ऐसा शांति से अपने घर या किसी मस्जिद में कर सकते हैं, जिससे हमें असुविधा ना हो।

यदि आपको हमारे राष्ट्रीय ध्वज या राष्ट्रगान या हमारे धर्म या हमारी जीवन शैली से कोई समस्या है, तो कृपया इसी क्षण ऑस्ट्रेलिया को छोड़ दें और कभी वापस ना आएं।

ऑस्ट्रेलिया की प्रधानमंत्री जूलिया गिलार्ड

👏👏👍

कृपया इस संदेश को कम से कम एक बार साझा करें। जैसे मैंने आपको किया”।-(अनुवाद)

यह संदेश व्हाट्सएप पर ऑल्ट न्यूज़ को भेजा गया था, जिसके स्क्रीनशॉट को नीचे देखा जा सकता है। यह कम से कम दिसंबर 2014 से ट्विटर और फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर वायरल है।

इससे पहले, यह संदेश हिंदी में यूट्यूब और फेसबुक पर भी वायरल हुआ था।

तथ्य-जांच

ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि गिलार्ड के नाम से दिया गया यह भाषण विभिन्न स्थानों से लिए गए भागों को जोड़कर बनाया गया था।

जॉर्जियाई अखबार का विचार लेख

इसमें से ज़्यादातर हिस्सा, जॉर्जिया के एक स्थानीय समाचार पत्र द्वारा प्रकाशित लैरी बोल्डर्मिल्क के एक लेख में से था। अमेरिकी तथ्य-जांच वेबसाइट स्नोप्स के अनुसार, “‘उद्धरण:’ शब्द से शुरू होने वाले पैराग्राफ के उदाहरण का सब कुछ, अमेरिका पर 9/11 हमलों के तुरंत बाद, एक पूर्व अमेरिकी वायुसेना अधिकारी द्वारा लिखे गए एक लेख से, 2001 में उठाए गए शब्दों का ऑस्ट्रेलियाई संस्करण है और ऑस्ट्रेलिया या जूलिया गिलार्ड से इसका कुछ भी लेना-देना नहीं था”-(अनुवाद )।

पूर्व ऑस्ट्रेलियाई कोषाध्यक्ष पीटर कोस्टेलो का बयान

इसके अलावा, संदेश का वह हिस्सा, जिसमें कहा गया था, “मुस्लिम, जो शरिया कानून की मांग कर रहे हैं, उन्हें ऑस्ट्रेलिया छोड़ने के लिए कहा गया है”, यह, जुलाई 2005 के लंदन ट्यूब बम विस्फोट के बाद में, पूर्व ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री जॉन हावर्ड के शासनकाल के दौरान के एक राजनीतिक बहस से मिलता है। 2006 में माल्टीज़ वेबसाइट द इंडिपेंडेंट द्वारा प्रकाशित एक लेख में इस बयान को सबसे पहले ऑस्ट्रेलिया के तत्कालीन कोषाध्यक्ष पीटर कॉस्टेलो के नाम से प्रकाशित किया गया था।

पूर्व ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री जॉन हावर्ड का बयान

वायरल संदेश का एक हिस्सा जिसमें कहा गया है कि, “प्रत्येक मस्जिद की तलाशी ली जाएगी और इस प्रक्रिया में मुसलमान हमारे साथ सहयोग करेंगे”। समाचारों के अनुसार, पूर्व प्रधानमंत्री जॉन हॉवर्ड ने 2005-06 में अपने कार्यकाल के दौरान कुछ ऐसा ही कहा था। उन्होंने देश की मस्जिदों की जासूसी करने का समर्थन करते हुए कहा था कि सरकार को “यह जानने का अधिकार है कि क्या इस्लामी समुदाय के किसी भी वर्ग के भीतर, आतंकवाद के गुणों का प्रचार है…-(अनुवाद )”

पूर्व ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री जूलिया गिलार्ड के नाम से, वायरल इस संदेश के किसी भी अंश के बयान की कोई भी खबर नहीं है। इस तरह के किसी भी बयान का कोई समाचार प्रकाशित ना होना, असंभव है। इसलिए, इससे यह पुष्टि की जा सकती है कि जूलिया गिलार्ड ने कभी भी ऐसा कोई बयान नहीं दिया था।

डोनेट करें!
सत्ता को आईना दिखाने वाली पत्रकारिता का कॉरपोरेट और राजनीति, दोनों के नियंत्रण से मुक्त होना बुनियादी ज़रूरत है. और ये तभी संभव है जब जनता ऐसी पत्रकारिता का हर मोड़ पर साथ दे. फ़ेक न्यूज़ और ग़लत जानकारियों के खिलाफ़ इस लड़ाई में हमारी मदद करें. नीचे दिए गए बटन पर क्लिक कर ऑल्ट न्यूज़ को डोनेट करें.

बैंक ट्रांसफ़र / चेक / DD के माध्यम से डोनेट करने सम्बंधित जानकारी के लिए यहां क्लिक करें.

About the Author

Jignesh is a writer and researcher at Alt News. He has a knack for visual investigation with a major interest in fact-checking videos and images. He has completed his Masters in Journalism from Gujarat University.