अगस्त में अफ़ग़ानिस्तान पर तालिबान के कब्ज़े के बाद, पंजशीर घाटी इस्लामी चरमपंथी संगठन के नियंत्रण का मुक़ाबला करने वाला आखिरी प्रांत था. हालांकि सितंबर के पहले सप्ताह में तालिबान ने दावा किया उसने पंजशीर घाटी पर पूरी तरह से कब्ज़ा कर लिया है. 15 सितंबर की रिपोर्ट के मुताबिक, पंजशीर प्रांत का नेतृत्व कर रहे अहमद मसूद तालिबान के नए मंत्रीमंडल के जवाब में समानांतर सरकार के गठन का ऐलान करेंगे. इस विरोधी धड़े ने तालिबान सरकार को “नाजायज़” घोषित कर दिया.
पंजशीर घाटी में हुए इस संघर्ष के बाद से सोशल मीडिया पर पंजशीर को लेकर कई तरह के दावे सामने आए हैं. हाल ही में कई सोशल मीडिया यूज़र्स ने प्राचीन भारत के प्रमुख संस्कृत महाकाव्यों में से एक, महाभारत से हिंदू देवता कृष्ण के साथ पांडवों की एक पेंटिंग शेयर की है. दावे के अनुसार, ये कलाकृति अफ़ग़ानिस्तान के पंजशीर पैलेस में रखी गई है. फ़ेसबुक पेज ‘भारतीय धरोहर‘ ने भी इसी दावे के साथ इसे पोस्ट किया जिसे 1 हज़ार से ज़्यादा लाइक्स मिले हैं.
ऑल्ट न्यूज़ को हमारे व्हाट्सऐप नंबर (+91 76000 11160) पर दावे की सच्चाई जानने के लिए कई रिक्वेस्ट मिलीं.
तस्वीर को इसी दावे के साथ फ़ेसबुक और ट्विटर पर भी शेयर किया गया है.
तस्वीर की सच्चाई
फ़ैक्ट चेक के दो भाग हैं
- क्या पंजशीर पैलेस असल में है?
गूगल मैप्स, विकीपीडिया और ट्रिप एडवाइज़र पर पंजशीर पैलेस का कोई ज़िक्र नहीं है. हमने अफ़ग़ानिस्तान के दो पत्रकारों से भी बात की. उन्होंने बताया कि वहां ऐसी कोई जगह नहीं है.
2. क्या पेंटिंग अफ़ग़ानिस्तान में है?
ऑल्ट न्यूज़ ने यांडेक्स पर रिवर्स इमेज सर्च करने पर देखा कि ये पेंटिंग रूस के सेंट पीटर्सबर्ग स्थित SPB आर्ट गैलरी की वेबसाइट पर सूचीबद्ध थी.
वेबसाइट के अनुसार, पेंटिंग रसिकानंद ने बनाई थी, इसका शीर्षक ‘कृष्ण और पांडव‘ है. कलाकार की बायोग्राफ़ी के मुताबिक, उनका जन्म रूस के कोम्सोमोल्स्क-ऑन-अमूर शहर में हुआ था.
वायरल पेंटिंग के अलावा, वेबसाइट में 21 अन्य पेंटिंग की सूची है और उन सभी पर ‘बिका हुआ’ का मार्क लगाया गया है. इसमें वायरल पेंटिंग भी शामिल है.
हमें ये कलाकार फ़ेसबुक पर मिले और उन्होंने हमें बताया कि उनका नागरिक सरनेम नोविकोव वी है लेकिन वो ज़्यादातर अपने भक्ति नाम रसिकानंद दास का उपयोग करते हैं. उन्होंने बताया, “मैंने इस पेंटिंग को 1999 में इस्कॉन मंदिर कोर्सनास गार्ड में स्वीडन बीबीटी अभिलेखागार को भेजा था. ये कलाकृति श्रीमद् भगवतम (भागवत पुराण) के 7वें सर्ग को लेकर बनाई गई थी. मैंने इसे अफ़ग़ानिस्तान की किसी जगह को ध्यान में रख कर नहीं बनाई थी.” उन्होंने आगे कहा, “मैंने ये पेंटिंग सिर्फ़ एक बार (मूल) बनाई है, लेकिन अगर किसी अन्य कलाकार की कोई कॉपी हैं तो मैं इस पर टिप्पणी नहीं कर सकता.” उन्होंने एक स्पष्टीकरण फ़ेसबुक पर भी पोस्ट किया.
Interesting enough, that this my old painting became very “ popular” on Indian social media . Few people contacted me…
Posted by Rasikananda Das on Saturday, 18 September 2021
कुल मिलाकर, रूसी कलाकार रसिकानंद की ‘कृष्ण और पांडव’ नामक पेंटिंग की एक तस्वीर इस दावे के साथ शेयर की गई कि यह ‘पंजशीर पैलेस’ में मौजूद है. पाठकों को ध्यान देना चाहिए कि ये पेंटिंग दो दशक से ज़्यादा पुरानी है और इससे भी ज़रूरी बात ये है कि पंजशीर पैलेस की मौजूदगी का कोई सबूत नहीं है.
किसान आंदोलन के दौरान शराब बांटे जाने का ग़लत दावा किया गया, देखिये
सत्ता को आईना दिखाने वाली पत्रकारिता का कॉरपोरेट और राजनीति, दोनों के नियंत्रण से मुक्त होना बुनियादी ज़रूरत है. और ये तभी संभव है जब जनता ऐसी पत्रकारिता का हर मोड़ पर साथ दे. फ़ेक न्यूज़ और ग़लत जानकारियों के खिलाफ़ इस लड़ाई में हमारी मदद करें. नीचे दिए गए बटन पर क्लिक कर ऑल्ट न्यूज़ को डोनेट करें.
बैंक ट्रांसफ़र / चेक / DD के माध्यम से डोनेट करने सम्बंधित जानकारी के लिए यहां क्लिक करें.