नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ देश भर में बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन हुए हैं। इस आंदोलन के मद्देनजर, तोड़फोड़ की दो तस्वीरें सोशल मीडिया में वायरल हो रही हैं।

पहली तस्वीर

बुद्ध मूर्ति की तोड़फोड़ करती भीड़ की एक तस्वीर इस दावे के साथ प्रसारित की जा रही कि मुस्लिम प्रदर्शनकारियों के एक समूह ने इस मूर्ति की तोड़फोड़ की। साझा की गई इस तस्वीर के साथ लिखा संदेश है- “जो दलित “भीम-मीम भाई-भाई” का नारा देते हैं वो ये तस्वीर देख ले लखनऊ की है!! मुसलमानों ने दलितों हिन्दुओ की औकात बताई लानत है दलित हिन्दुओ जय मीम का नारा देते हो कल यही मुसलमान तुम्हारे घर तोड़कर तुम्हे तुम्हारे घर से भगा देंगे और तुम्हारे परिवार के साथ क्या करेंगे सोचो। रोहिंग्या के समर्थन में मुल्लों ने बुद्ध को तोड़ा था जिसे अम्बेडकर भी मानते है और ये कथित दलित चिंतक मुल्लों के लिए बौद्धों और दलित शर्णार्थियों का विरोध कर रहे जो बहुत ही चिंताजनक है !!”

यह संदेश व्हाट्सएप पर भी प्रसारित है।

लखनऊ से 2012 की तस्वीर

Yandex पर एक रिवर्स इमेज सर्च से, हमें 2012 के ब्लॉग में पोस्ट की गई यह तस्वीर मिली। ब्लॉग के अनुसार, यह तस्वीर लखनऊ, उत्तर प्रदेश की है।

उस घटना के गेट्टी इमेजेज़ की तस्वीर का यह कैप्शन है- “म्यांमार और असम में हिंसा के विरोध में पुराने लखनऊ के बुद्ध पार्क में एक भीड़ ने बुद्ध की प्रतिमा को क्षतिग्रस्त कर दिया। 17 अगस्त, 2012 को लखनऊ, भारत में रमज़ान के अंतिम शुक्रवार को अलविदा नमाज़ के बाद भीड़ हिंसक हो गई”। इसे 17 अगस्त 2012 को क्लिक किया गया था, और उपरोक्त ब्लॉग 18 अगस्त 2012 को प्रकाशित हुआ था।

Source: Getty Images

18 अगस्त, 2012 को द हिंदू की रिपोर्ट थी- “लखनऊ में रमज़ान के अलविदा नमाज़ (रमज़ान के आखिरी शुक्रवार को) के बाद एक भीड़, लगभग 500 की संख्या में, भड़क उठी और बड़े पैमाने पर हिंसा में लग गई, विशेष रूप से मीडियाकर्मियों को निशाना बनाया और कई ऐसे राहगीरों की भी जो अचानक पकड़ में आ गए, पिटाई कर दी”।

दूसरी तस्वीर

अमर जवान स्मारक को लात मारते हुए मुस्लिम टोपी पहने एक व्यक्ति की एक और तस्वीर ऐसी ही संदेश के साथ साझा की जा है। इसका संदेश कहता है कि किसी भी समुदाय – हिंदू, मुस्लिम, सिख, जैन, ईसाई, बौद्ध – का ऐसा व्यक्ति कभी इस देश का नागरिक नहीं हो सकता। इस तस्वीर के साथ पोस्ट किया गया बंगाली संदेश इस प्रकार है-“হিন্দু-মুসলিম-খ্রিস্টান-শিখ-বৌদ্ধ-জৈন অনেক পরে,যে শহীদ জওয়ানদের স্মৃতি স্তম্ভে লাথি মারে সে কখনও ভারতবর্ষের নাগরিক হতে পারে না ।।”

यही तस्वीर कई उपयोगकर्ताओं द्वारा फेसबुक और ट्विटर पर साझा की गई है। ऑल्ट न्यूज़ को अपने आधिकारिक ऐप और व्हाट्सएप नंबर पर इसकी तथ्य-जांच के कई अनुरोध मिले हैं।

मुंबई से 2012 की तस्वीर

नीचे दी गई तस्वीर स्थानीय अख़बार मिड-डे के फ़ोटोग्राफ़र अतुल कांबले द्वारा 11 अगस्त को ली की गई थी। इसमें शाहबाज़ अब्दुल कादिर शेख नामक एक व्यक्ति दिखता है, जिसे अमर जवान स्मारक का अनादर करने के लिए पुलिस ने गिरफ्तार किया था। 31 अगस्त 2012 को इस संगठन ने खबर दी, “मामले की जांच करने वाले पुलिसकर्मी के अनुसार, शाहबाज़ को अपने कार्यों पर पश्चाताप हुआ।”

निष्कर्ष रूप में, भीड़ द्वारा तोड़फोड़ की दो पुरानी और असंबंद्ध तस्वीरें, नागरिकता संशोधन विधेयक के विरोध को बदनाम करने के लिए सोशल मीडिया में प्रसारित की जा रही हैं।

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About the Author

Jignesh is a writer and researcher at Alt News. He has a knack for visual investigation with a major interest in fact-checking videos and images. He has completed his Masters in Journalism from Gujarat University.