संदिग्ध समाचार वेबसाइट न्यूज़फाई (Newsfyi) का 20 अगस्त, 2018 को प्रकाशित एक लेख सोशल मीडिया में चल रहा है। ट्विटर उपयोगकर्ता काकावाणी (@Alisohrab007), ने उसी लेख का लिंक यह लिखते हुए शेयर किया था- “राजस्थान: बाड़मेर के एक मंदिर में अश्लील हरकत करते पकड़ा गया बीजेपी (RSS) का हिन्दू नेता, और #ABVP (RSS) की हिन्दू नेत्री”।
राजस्थान: बाड़मेर के एक मंदिर में अश्लील हरकत करते पकड़ा गया बीजेपी (RSS) का हिन्दू नेता, और #ABVP (RSS) की हिन्दू नेत्री….https://t.co/4pzy7TXRk2
— काकावाणी (@AliSohrab007) September 2, 2018
कई उपयोगकर्ताओं ने फेसबुक और ट्विटर पर वही दावा शेयर किया है। एक और वेबसाइट वायरल इन इंडिया (Viral In India) ने भी 29 जून, 2018 को एक लेख पोस्ट करके वही दावा किया। लेख अब हटा दिया गया है।
पुरानी खबर
ऑल्ट न्यूज़ को फेसबुक पर अख़बार के उसी शीर्षक वाले लेख की क्लीप की हुई तस्वीर के साथ तीन साल पुरानी पोस्ट मिली।
अख़बार की कटिंग में दी गई जानकारी के आधार पर, हमें 4 नवंबर, 2015 को पत्रिका द्वारा प्रकाशित एक लेख मिला, जिसमें एक युवा व्यक्ति और एक महिला के खिलाफ चौहटन पुलिस स्टेशन में वीरातरा माता ट्रस्ट द्वारा दर्ज शिकायत के बारे में बताया गया था। लेख में कहा गया है, “क्षेत्र के वीरातरा स्थित गढ़ मंदिर में अश्लील हरकत करने के आरोप में वीरातरा माता ट्रस्ट ने चौहटन पुलिस थाने में रिपोर्ट दी है। ट्रस्ट ने एक युवक और एक युवती की हरकत को सीसीटीवी कैमरे में कैद होने की बात कहते हुए पुलिस को फुटेज भी उपलब्ध करवाए हैं। ट्रस्ट का कहना है कि युवक भाजपा नेता और युवती अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) की छात्रा नेत्री है”।
असंबद्ध तस्वीर
ऑल्ट न्यूज़ ने गूगल रिवर्स इमेज सर्च की और पाया कि पोस्ट में उपयोग की गई तस्वीर दैनिक भास्कर के वीडियो से ली गई है, जो बिहार से यौन उत्पीड़न की घटना की रिपोर्ट करता है। 18 मार्च, 2016 को द इंडियन एक्सप्रेस द्वारा प्रकाशित एक लेख में कहा गया है, “बिहार पुलिस ने किशनगंज जेल अधीक्षक कृष्णशंकर पांडे को जेल सामानों के आपूर्तिकर्ता की बेटी के यौन शोषण के आरोप में, प्रारंभिक जांच में आरोपों के प्राथमिक तौर पर सच साबित होने पर, गिरफ्तार किया है। कथित कृत्य का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल के बाद स्थानीय पुलिस ने जांच की थी।”
यह ध्यान में रखा जाए कि वायरल इन इंडिया ने असंबद्ध तस्वीरों के साथ बिहार की तीन साल पुरानी घटना के बारे में लेख प्रकाशित किया था।
इसके अलावा, टाइम्स ऑफ इंडिया ने इस दावे के तथ्यों की जांच की और पाया कि ऐसी कोई घटना हुई ही नहीं थी। टाइम्स ऑफ इंडिया के लेख ने कहा, “टाइम्स की तथ्यों की जांच टीम ने पाया कि एक मंदिर में भाजपा नेता का अभाविप की महिला नेत्री के साथ ‘आपत्तिजनक’ कृत्य में शामिल होने का दावा झूठा है।” यह स्थापित हो गया है कि यह सच नहीं है, जैसा कि कहा गया है कि घटना 2015 की है और यह प्रतिनिधि तस्वीर है जो नकली है।
पुराने समाचारों को निकाल कर असंबद्ध तस्वीरों के साथ हाल की घटनाओं के रूप में उन्हें दिखलाना नकली समाचार के पैरोकारों की एक सामान्य रणनीति है। सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं को इस तरह के संदिग्ध वेबसाइटों, जो स्पष्ट और व्यवस्थित रूप से भ्रामक सूचनाओं को फैलाने का धोखा करती हैं, के संबंध में चौकस रहने की आवश्यकता है।
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