मुस्लिम युवकों द्वारा बर्तन और कटलरी चाटने का एक वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म और मैसेजिंग ऐप्स पर वायरल हो रहा है. दावा किया जा रहा है कि ये लोग कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलाने के लिए ऐसा कर रहे हैं. इस वीडियो की सत्यता जांचने के लिए ऑल्ट न्यूज़ को अपने ऑफ़िशियल मोबाइल ऐप पर बहुत सारी रिक्वेस्ट्स मिलीं.

वीडियो के साथ चल रहे मेसेज में लिखा है – ‘चीन के 14 मुस्लिम एक बिहारी मस्जिद में छिपे थे जिन्हें बिहार की पुलिस ने पकड़ा और कोरोना वायरस टेस्ट के लिए भेजा है. इरोडे की पुलिस ने थाईलैंड के 11 मुसलमानों को पकड़ा है जो कि कोरोना वायरस से संक्रमित हैं. आज सालेम पुलिस ने 11 इंडोनेशिया के मुसलामानों को सालेम की एक मस्जिद से पकड़ा है. इस वीडियो में आप देख सकते हैं कि ये सभी चम्मचों, प्लेट्स और बर्तनों पर अपनी थूक लगा रहे हैं जिससे ये कोरोना वायरस को फैला सकें. देश में क्या हो रहा है, किसी को कोई ख़बर नहीं है.

इसी क्लिप को इस मेसेज के साथ निजामुद्दीन में हुई घटना से जोड़ते हुए शेयर किया जा रहा है – “सतर्क रहें सुरक्षित रहें भारत में कोरोना फैल नहीं रहा बल्कि फैलाया जा रहा है। इसका ताजा उदाहरण निजामुद्दीन से मिले.”

सतर्क रहें सुरक्षित रहें
भारत में कोरोना फैल नहीं रहा बल्कि फैलाया जा रहा है। इसका ताजा उदाहरण निजामुद्दीन से मिले
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Posted by Ashish Shoury Geetkar on Tuesday, 31 March 2020

देश के कई हिस्सों में तबलीगी जमात के कई लोगों के कोरोना वायरस से संक्रमित होने की ख़बर जबसे सामने आई है, निज़ामुद्दीन को कोरोना वायरस हॉटस्पॉट के रूप में देखा जाने लगा है. दिल्ली के निज़ामुद्दीन इलाके में मौजूद बंगलेवाली मस्जिद में एक धार्मिक आयोजन हुआ. ये मार्च के तीसरे हफ़्ते में हुआ था. दिल्ली पुलिस ने मस्जिद के ईमाम के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज की है. तबलीगी जमात का कहना है कि उन्होंने ये आयोजन नरेंद्र मोदी के पहले लॉकडाउन अनाउंस करने से पहले रखा था. मोदी ने जनता कर्फ्यू के बारे में 22 मार्च को बताया था. दूसरी तरफ़ दिल्ली सरकार का कहना है कि इस आयोजन ने उनके जारी किये गए आदेश की अवमानना की है जिसमें कहा गया था कि बड़ी संख्या में लोग एक ही जगह पर इकट्ठे नहीं हो सकते. ये आदेश 13 मार्च को आया था. हालांकि यही वो दिन है जिस दिन स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा था कि COVID-19 कोई हेल्थ इमरजेंसी नहीं है. 13 मार्च के ऑर्डर में धार्मिक आयोजनों पर कुछ भी नहीं कहा गया था. 16 मार्च के ऑर्डर में धार्मिक आयोजनों पर भी पाबंदी लगा दी गयी थी. रिपोर्ट्स का कहना ये है कि ये आयोजन 13 से 15 मार्च के बीच हुआ था.

पुराना असंबंधित वीडियो

ये वीडियो एक वायरल संदेश के साथ शेयर किया जा रहा है, जिसमें दावा किया जा रहा है कि बिहार की एक मस्ज़िद में छिपे चीन के 14 मुस्लिमों को पुलिस पकड़कर टेस्ट करवाने के लिए ले गई. ऑल्ट न्यूज़ ने पहले भी ऐसे ही एक दावे का सच सामने लाया था. पटना में किर्गिस्तानी नागरिकों का एक वीडियो इस फ़र्ज़ी दावे के साथ शेयर किया गया कि ये लोग ईरान और इटली से हैं, और टेस्ट से बचने के लिए मस्ज़िद में छिपे हुए थे.

गूगल पर, ‘मुस्लिम्स लिकिंग यूटेंसिल्स’, कीवर्ड सर्च करने पर बहुत सारे रिजल्ट्स दिखे. इसमें 31 जुलाई, 2018 का एक वीमियो लिंक भी मिला. इस लिंक में इस वक़्त वायरल हो रहा वीडियो था. वीडियो के डिस्क्रिप्शन के मुताबिक़, ये दाऊदी बोहरा समुदाय के लोग थे, जो एक भी दाना बर्बाद न होने देने के लिए बर्तनों में बचा खाना चाट-चाटकर साफ कर रहे थे.

https://vimeo.com/282586776

डिस्क्रिप्शन में ये भी लिखा था कि युवक “सैयदना” के आदेश का पालन कर रहे थे. सैयदना आली क़द्र मुफ़द्दल सैफ़ुद्दीन दाऊदी बोहराओं के 53वें और वर्तमान दाई-उल-मुत्लक़ (पंथ के सर्वोच्च अधिकारी) हैं.

हमें ये वीडियो ट्विटर पर भी मिला. 30 जुलाई, 2018 को ये वीडियो शेयर करते हुए यूजर ने लिखा, “बोहरा एक बड़ी ‘थाल’ में साथ में भोजन करते हैं”. ये एक जमातख़ाने का वीडियो है जहां कई अवसरों पर खाना बांटा जाता है. ये खाने की बर्बादी रोकने की कोशिश का उच्चतम स्तर है.”

दैनिक भास्कर‘ से बात करते हुए, भोपाल में बोहरा समुदाय के धर्मगुरू बुरहानुद्दीन, ने कहा, “बोहरा समुदाय में प्रथा है कि खाने का एक दाना भी बेकार न हो. इस वजह से, बच्चों को खाना बचाने की सीख देने के लिए अन्न समितियां बनाई जाती हैं. ये वीडियो उन्हीं में से किसी समिति का है जो भोजन के बाद बर्तनों को साफ कर रही है.”

बचे हुए खाने की बर्बादी रोकने के लिए बोहरा मुसलमानों का थाली और चम्मच चाटने के वीडियो को, मुस्लिमों द्वारा कोरोना वायरस का संक्रमण फैलाने की कोशिश, बताकर शेयर किया गया.

नोट: भारत में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या 1400 के पार जा पहुंची है. इसकी वजह से सरकार ने बुनियादी ज़रुरतों से जुड़ी चीज़ों को छोड़कर बाकी सभी चीज़ों पर पाबंदी लगा दी है. दुनिया भर में 7 लाख से ज़्यादा कन्फ़र्म केस सामने आये हैं और 38 हज़ार से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. लोगों में डर का माहौल बना हुआ है और इसी वजह से वो बिना जांच-पड़ताल किये किसी भी ख़बर पर विश्वास कर रहे हैं. लोग ग़लत जानकारियों का शिकार बन रहे हैं जो कि उनके लिए घातक भी साबित हो सकता है. ऐसे कई वीडियो या तस्वीरें वायरल हो रही हैं जो कि घरेलू नुस्खों और बेबुनियाद जानकारियों को बढ़ावा दे रही हैं. आपके इरादे ठीक हो सकते हैं लेकिन ऐसी भयावह स्थिति में यूं ग़लत जानकारियां जानलेवा हो सकती हैं. हम पाठकों से ये अपील करते हैं कि वो बिना जांचे-परखे और वेरीफ़ाई किये किसी भी मेसेज पर विश्वास न करें और उन्हें किसी भी जगह फ़ॉरवर्ड भी न करें.

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About the Author

Pooja Chaudhuri is a researcher and trainer at Bellingcat with a focus on human rights and conflict. She has a Master's in Data Journalism from Columbia University and previously worked at Alt News.