लोगों के घरों में बलपूर्वक घुसने की कोशिश करती पुलिस को दिखाने वाली एक क्लिप, सोशल मीडिया में ऐसे कई दावों के साथ साझा की गई है कि यह घटना कश्मीर में हुई थी।

इस क्लिप के साथ प्रसारित संदेश में कहा गया है -“गोदि मीडिया ये दिखाने में लगा है कि कश्मीर में लोग अमन से हैं“।

गोदि मीडिया ये दिखाने में लगा है कि कश्मीर में लोग अमन से हैं

Posted by Naseem Ashraf on Monday, 26 August 2019

यह वीडियो व्हाट्सएप पर भी चक्कर लगा रहा है।

2013, पाकिस्तान का वीडियो

इस वीडियो की पड़ताल बीबीसी ने की थी, जब इसके साथ दावा किया गया था कि यह वीडियो पाकिस्तान में हिंदुओं पर अत्याचार को दिखाता है। बीबीसी ने इस्लामाबाद के अपने एक संवाददाता से बात की, जिसने बताया कि वीडियो 2013 में पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के फैसलाबाद में हुई एक घटना से संबंधित है।

पाकिस्तानी मीडिया दुनया न्यूज़, जियो टीवी और द एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने उस घटना की रिपोर्ट की थी जिसमें नागरिकों को पाकिस्तान के ‘एलीट फोर्सेज’ के कर्मियों द्वारा पीटा गया था।

दुनया न्यूज़ के अनुसार, “… फैसलाबाद में बिजली की लोड-शेडिंग के खिलाफ हुए प्रदर्शन के दौरान, पुलिस ने प्रदर्शनकारियों के घरों में प्रवेश किया और उनकी महिलाओं को बंधक बना लिया -अनुवादित।”

बीबीसी इस्लामाबाद के संवाददाता उमर दराज़ ने बताया कि फैसलाबाद में बिजली की कमी रहती है, लेकिन 2013 में स्थिति गंभीर हो गई थी। दिन में 14-16 घंटे बिजली गुल होने की शिकायत के बाद लोग विरोध में सड़कों पर उतर आए थे।

जून 2013 की एक ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, “प्रदर्शनकारियों ने पत्थर फेंकना शुरू किया था और एक फेस्को (FESCO)कार्यालय को भी जला दिया था, जिसके बाद पुलिस अधिकारियों ने प्रदर्शनकारियों के साथ दुर्व्यवहार और मारपीट की थी-अनुवादित।” मुस्लिम परिवारों पर पुलिस की सख्ती के बाद तीन पुलिसकर्मियों बाबर मसीह, तौसीफ अहमद व आबिद हुसैन को निलंबित कर दिया गया।

ऑल्ट न्यूज़ ने इस वीडियो की पड़ताल जनवरी 2019 में की थी। जब इसे एक अन्य झूठे दावे के साथ साझा किया गया था। वीडियो को अन्य देशों में भी अलग अलग संदेश के साथ साझा किया गया है। 2014 में एक फ़ारसी वेबसाइट ‘शिया न्यूज़ एसोसिएशन ने दावा किया कि यह वीडियो अफ़गान शरणार्थियों पर पाकिस्तानी पुलिस की निर्दयता को दर्शाता है। 2015 में, वीडियो को इस दावे के साथ प्रसारित किया गया था कि यह ईसाइयों पर पाकिस्तानी पुलिस की क्रूरता को दिखाता है। यूट्यूब हैंडल ‘पीस वर्ल्डवाइड’ से इसे 95,000 से अधिक बार देखा गया था। यूरोप के एक ट्विटर उपयोगकर्ता ने भी, जिसे रेल मंत्री पीयूष गोयल का कार्यालय फॉलो करता है, यही वीडियो ‘क्रिश्चियन’ वाले दावे के साथ 2017 में साझा किया था।

धारा 370 के प्रमुख प्रावधानों को अप्रभावी करने के बाद से, सोशल मीडिया इसी प्रकार की गलत सूचनाओं साझा की जा रही है। पाकिस्तानी सोशल मीडिया से भी, कश्मीरियों पर क्रूरता को दिखलाने का स्पष्ट प्रयास हुआ है। ऑल्ट न्यूज़ ने इस तरह के ढेरों दावों की पड़ताल की है।

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About the Author

Pooja Chaudhuri is a researcher and trainer at Bellingcat with a focus on human rights and conflict. She has a Master's in Data Journalism from Columbia University and previously worked at Alt News.