एक वीडियो, जिसमें एक लड़की को अगवा करने की कोशिश कर रहे दो व्यक्ति और उन्हें रोकने की कोशिश कर रही एक बुज़ुर्ग महिला को देखा जा सकता है। वीडियो में दोनों व्यक्तियों द्वारा महिलाओं को पीटा और धकेला जाता है। 15 जनवरी, 2020 को मेघालय के राज्यपाल, तथागत रॉय ने इस वीडियो को शेयर करते हुए दावा किया है, “पाकिस्तान में एक हिंदू महिला को उसकी माँ और बच्चे के सामने मुस्लिम द्वारा उठाया जा रहा है और मूर्ख हिंदू NRC का विरोध करने पर गर्व करते हैं। 150 मिलियन मुसलमानों के लिए 55 इस्लामिक देश हैं, 250 ईसाईयों के लिए 69 ईसाई देश हैं और 150 करोड़ हिंदुओं के लिए कोई देश नहीं है।” – “পাকিস্তানে এক হিন্দু মহিলা কে মুসলিম রা তুলে নিয়ে যাচ্ছে। তার মা ও সন্তানের সামনে থেকে। আর বোকা হিন্দু NRC বিরোধিতায় মগ্ন। 150 কোটি মুসলিমদের জন্য 55 টি ইসলামিক দেশ আছে, 250 কোটি খ্রিষ্টানের জন্য আছে 69 টি খ্রিস্টান দেশ। আর 150 কোটি হিন্দুদের জন্য নেই কোনো দেশ |”
পাকিস্তানে এক হিন্দু মহিলা কে মুসলিম রা তুলে নিয়ে যাচ্ছে। তার মা ও সন্তানের সামনে থেকে। আর বোকা হিন্দু NRC বিরোধিতায় মগ্ন। 150 কোটি মুসলিমদের জন্য 55 টি ইসলামিক দেশ আছে, 250 কোটি খ্রিষ্টানের জন্য আছে 69 টি খ্রিস্টান দেশ। আর 150 কোটি হিন্দুদের জন্য নেই কোনো দেশ | pic.twitter.com/7xForq6QIX
— Tathagata Roy (@tathagata2) January 15, 2020
किताब ‘India Stripped: Voice for India’ के लेखक रेनी लिन ने 7 जनवरी, 2019 को एक वीडियो ट्वीट किया था, लिन ने दावा किया, “यह वीडियो भयानक है आज पाकिस्तान में क्या हो रहा है। इन मुस्लिमों ने इस जवान हिंदू लड़की और उसकी माँ को बुरी तरह से पीटा और ज़बरदस्ती उठा ले गए।” (अनुवाद) इस ट्वीट को अब तक 6,600 से अधिक बार रिट्वीट किया जा चूका है।
स्वराज्य की कॉलमनिस्ट शेफाली वैद्य ने लिन के ट्वीट को कोट ट्वीट करते हुए लिखा, “रोम-रोम सिहर रहा है। और @BDUTT (बरखा दत्त) @FarOutAkhtar (फरहान अख्तर )और @Ram_Guha (रामचंद्र गुहा )जैसे विशेषाधिकार प्राप्त भारतीय #CAA का विरोध करते हैं, क्योंकि वे चाहते हैं कि पाकिस्तान की हिंदू महिलाएं चुपचाप रहें क्योंकि वे हिंदू,गरीब और बेआवाज हैं।” (अनुवाद)
फेसबुक पर भी कुछ और लोगों ने ऐसे ही दावे के साथ यह वीडियो साझा किया। इस वीडियो को हिन्दी संदेश के साथ भी शेयर किया गया है, जो इस तरह है- “पाकिस्तान में हिन्दू महिलाओ को उनके बच्चों के सामने माँ बहनो को जबरदस्ती उठाकर लेजाया जा रहा है सभी हिन्दू इसको सेयर करे ताकि दुनिया को और उन हिन्दुओ को पता चल सके जो NRC और CAA का विरोध कर रहे ह और कांग्रेश का साथ दे रहे है।”
तथ्य-जांच
ऑल्ट न्यूज़ ने इससे पहले दिसंबर 2019 में इस वीडियो की पड़ताल की थी, जब इसे इस दावे के साथ साझा किया गया था कि राजस्थान में कुछ लोगों द्वारा गरीब महिलाओं को लोगों के सामने से उठा लिया गया और उनका बलात्कार किया गया था। यह वीडियो कम से कम दो साल पुराना है और राजस्थान के जोधपुर जिले का है।
इस वीडियो के लोगों में से एक, उस लड़की का पति है जिसका वे अपहरण करने की कोशिश करते हैं। बुजुर्ग महिला लड़की की मां है। दैनिक भास्कर की 27 सितंबर, 2017 की एक रिपोर्ट के अनुसार, पति का नाम शौकत है, जिसकी शादी नेमत और आमद खान की बेटी से हुई थी। रिपोर्ट में बताया गया है- “पुलिस के अनुसार कालू खान की ढाणी निवासी आमद खान ने अपनी पुत्री का विवाह गांव के शौकत के साथ बरसों पहले कम उम्र में कर दिया था। शौकत कई बार अपने ससुराल वालों से पत्नी को भेजने का कह चुका था। लेकिन शौकत की सास नेमत का कहना था कि उसकी बेटी 18 साल की हो जाएगी तक गौना किया जाएगा।” शौकत अपने एक साथी इलियास के साथ ट्रैक्टर लेकर आया और विरोध कर रही अपनी सास की पिटाई करके ज़बरदस्ती अपनी नाबालिग पत्नी को ले गया।
भारत में बाल विवाह अवैध होने के बावजूद देश के विभिन्न हिस्सों में अभी भी प्रचलित है। कुछ समुदायों में बहुत कम उम्र में ही लड़कियों की शादी कर दी जाती है, हालांकि दुल्हन वयस्क होने तक अपने पिता के घर पर ही रहती है। विवाह के बाद की रस्म “गौना” होने के बाद ही लड़की अपने पति के साथ रहना शुरू करती है।
स्थानीय पुलिस के अनुसार, इन लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया और उन पर “महिला के अपहरण, उस पर गलत तरीके से कठोरता बरतने और शीलभंग के इरादे से आपराधिक बल प्रयोग करने के कई आरोप” लगाए गए। हालांकि, बाद में वे ज़मानत पर रिहा हो गए थे और नाबालिग लड़की उसी गांव में अपनी मां के साथ रह रही थी।
निष्कर्ष रूप में, राजस्थान के एक व्यक्ति द्वारा उसकी नाबालिग पत्नी को घर नहीं ले जाने देने पर अपनी सास की पिटाई करने का दो साल पुराना वीडियो, इस झूठी कहानी के साथ साझा किया जा रहा है कि पाकिस्तान में एक हिंदू लड़की और उसकी मां को मुस्लिमों द्वारा पीटा गया।
[अपडेट: मेघालय के राज्यपाल तथागत रॉय के ट्वीट को इस लेख में 16 जनवरी, 2020 को शामिल किया गया।]सत्ता को आईना दिखाने वाली पत्रकारिता का कॉरपोरेट और राजनीति, दोनों के नियंत्रण से मुक्त होना बुनियादी ज़रूरत है. और ये तभी संभव है जब जनता ऐसी पत्रकारिता का हर मोड़ पर साथ दे. फ़ेक न्यूज़ और ग़लत जानकारियों के खिलाफ़ इस लड़ाई में हमारी मदद करें. नीचे दिए गए बटन पर क्लिक कर ऑल्ट न्यूज़ को डोनेट करें.
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