6 जनवरी 2019 को, बॉलीवुड फिल्म निर्माता अशोक पंडित ने दो स्क्रीनशॉट ट्वीट किए – जेएनयू के छात्र अफ़ज़ल हुसैन खान के एक फेसबुक पोस्ट का और दूसरा खान के फेसबुक अकाउंट के परिचय का। उन्होंने दावा किया कि विश्वविद्यालय के एक मुस्लिम छात्र ने ABVP सदस्यों पर हमले की ‘योजना बनाई’ थी। पंडित का यह ट्वीट, जेएनयू के ABVP सदस्यों द्वारा वामपंथी निकायों से संबद्ध छात्रों पर हिंसा करने के आरोप के बाद आया। उनके फेसबुक पोस्ट में हाईलाइट किए गए टेक्स्ट में लिखा है, “हम फेज 2 में जाने और हांगकांग द्वारा इस्तेमाल की गई फ्लैश मॉब रणनीति पर काम करने, और इसे शहरों में फैलाने की योजना बना रहे हैं।” (अनुवाद)

यह पूरा फेसबुक पोस्ट शाहीन बाग समन्वय समिति द्वारा इस क्षेत्र में 20 दिन से चल रही नाकाबंदी को खत्म करने और व्यक्तिगत आंदोलनों के इर्द-गिर्द विरोध प्रदर्शनों को रखने के बारे में है। इसमें लिखा है, “शाहीन बाग समन्वय समिति ने 20 से अधिक दिनों से जारी नाकाबंदी को रद्द कर दिया है। समुदाय को सिखाने और भविष्य की कार्ययोजना से अवगत कराने के लिए व्यक्तिगत अभियान के रूप में विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा। माननीय सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष सुनवाई से पहले हम भारत बंद का आह्वान करेंगे। हमारी समिति और स्वयंसेवकों ने विरोध स्थल से खुद को हटा लिया है। इस अवस्था में जिसे अब कांग्रेसियों और नकदी के भूखे गिरोहों जो दंगों और समुदाय के लिए इसके निहितार्थ की परवाह नहीं करते, उनके द्वारा अपहृत कर लिया गया है, हम आप सभी से कोई भी सहायता भेजना बंद करने का अनुरोध करते हैं। हम फेज 2 में जाने और हांगकांग द्वारा इस्तेमाल की गई फ्लैश मॉब रणनीति पर काम करने, और इसे शहरों में फैलाने की योजना बना रहे हैं। कृपया इसे अधिक से अधिक साझा करें। – शाहीन बाग समन्वय समिति।” (अनुवाद)

ट्विटर हैंडल @RealHistoriPix ने भी यही स्क्रीनशॉट इस सन्देश के साथ पोस्ट किया- “रिपोर्ट के अनुसार, @DelhiPolice ने कैंपस में हिंसा की योजना बनाने वाले जेएनयू के छात्र अफ़ज़ल हुसैन खान को गिरफ्तार कर लिया है” (अनुवाद)। कई ट्विटर उपयोगकर्ताओं ने यह समान दावा प्रसारित किया है।

आशुतोष मुख़र्जी के पोते चयन चटर्जी ने भी इस झूठे दावे के साथ यह वीडियो साझा किया।

झूठा दावा

ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि खान द्वारा जेएनयू पर हमला ‘रचने’ को लेकर पंडित द्वारा साझा किया गया दावा झूठा है। अफ़ज़ल हुसैन खान पहले ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (AISA) से जुड़े थे। खान ने अपने पोस्ट के वायरल होने के बाद इसे संपादित करके स्पष्ट किया कि ‘फेज 2’ का क्या मतलब है। उनका पोस्ट अब इस प्रकार है- “हम ओखला फेज 2 में जाने की योजना बना रहे हैं। कृपया इसे अधिक से अधिक शेयर करें।” (अनुवाद)

ऑल्ट न्यूज़ ने अफ़ज़ल हुसैन खान से संपर्क किया, जिन्होंने शाहीन बाग समन्वय समिति के साथ किसी भी संबंध से इनकार किया। उन्होंने कहा कि वह केवल शरजील इमाम द्वारा पोस्ट किए गए बयान को साझा कर रहे थे, जो दिल्ली के शाहीन बाग में CAA-विरोध प्रदर्शन के आयोजकों में से एक हैं।

We have called off the Shaheen Bagh road blockade today to avoid the impending violence from party goons and to avoid…

Posted by Sharjeel Imam on Thursday, January 2, 2020

खान ने कहा, “मैंने अभी शाहीन बाग सड़क नाकाबंदी कर बंद करने संबंधी बयान को साझा किया है। इसे कई व्हाट्सएप ग्रुपों और फेसबुक पर भी प्रसारित किया गया था। दरअसल बंद करने को लेकर लोगों में बहुत भ्रम था। इसलिए मैं फेसबुक पर गया और पोस्ट साझा किया। अभी मैं किसी भी पार्टी या संगठन से जुड़ा हुआ नहीं हूं। मुझे नहीं पता कि क्यों भाजपा आईटी सेल ने मेरा पोस्ट उठाया और मेरी जान जोखिम में डालने की कोशिश की। मुझे फेसबुक पर खुली धमकी मिल रही है। एक फेसबुक पोस्ट से मुझे फंसाया जा रहा है, जिसका किसी भी तरह की हिंसा से कोई लेना-देना नहीं है।”

अपनी गिरफ्तारी के दावे का खंडन करते हुए उन्होंने कहा, “ट्विटर पर “History of India” ने दावा किया कि मुझे गिरफ्तार कर लिया गया है, यह चिंताजनक है, मेरे परिजन, मित्र और शुभचिंतक मेरी सुरक्षा के लिए बहुत चिंतित हैं।” (अनुवाद) मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, 5-6 जनवरी की हिंसा के लिए गिरफ्तारियां अभी बाकी हैं। हालांकि, दिल्ली पुलिस ने “सुरक्षा गार्डों पर हमला करने और 4 जनवरी को सर्वर रूम में तोड़फोड़ करने” के लिए जेएनयू छात्रसंघ की अध्यक्ष आइशी घोष के खिलाफ एफआईआर दर्ज़ की है और 19 अन्य लोगों को भी नामित किया है।

खान के पोस्ट में वही है, जो सूचना इमाम ने अपने पोस्ट में पहले साझा की थी।

“फ्लैश मॉब रणनीति” का इस्तेमाल करने के बारे में इमाम के बयान की खबर, 2 जनवरी, 2019 को इंडिया टुडे, आउटलुक और द फाइनेंशियल एक्सप्रेस जैसे मुख्यधारा के मीडिया संगठनों द्वारा भी दी गई थी।

क्या थी हांगकांग विरोध-प्रदर्शनों में इस्तेमाल की गई फ्लैश मॉब रणनीति?

रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, हांगकांग में लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनकारियों ने “पानी होन” (be water) की रणनीति अपनाई, जिसमें प्रदर्शनकारी अलग-अलग स्थानों पर प्रकट होते थे, जिन्हें अधिकारी पकड़ नहीं पाते थे। यह रणनीति हैदराबाद के CAA-विरोध प्रदर्शन में पहले दिख चुकी है। 4 जनवरी 2019 को प्रकाशित लेख में बताया गया है, “विरोध प्रदर्शन का स्थान, जो रोज़ बदलता है, एक या दो घंटे पहले ही पोस्ट किया जाता है, सटीक स्थान महज़ कुछ मिनट पहले साझा किया जाता है”। दिलचस्प तरीके से इसमें शरजील इमाम का भी उल्लेख है जो दिल्ली में उसी रणनीति के उपयोग की बात करते हैं।

फिल्म निर्माता अशोक पंडित ने जेएनयू के एक छात्र की तुलना अफ़ज़ल गुरु से की और अफ़ज़ल हुसैन खान द्वारा हिंसा ‘रचने’ का झूठा दावा किया। पंडित को जेएनयू हिंसा के इर्द-गिर्द गलत सूचनाएं साझा करने के कई उदाहरणों में देखा गया है। इस फिल्म निर्माता ने झूठा दावा किया था कि एसएफआई कार्यकर्ता सूरी कृष्णन ने हमले में घायल होने का नाटक किया। उन्होंने एक वीडियो भी रिट्वीट किया, जिसे इस झूठे दावे के साथ साझा किया गया था कि हिंसा में ABVP सदस्यों पर हमला किया गया जबकि वास्तविकता इसके विपरीत थी।

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About the Author

Jignesh is a writer and researcher at Alt News. He has a knack for visual investigation with a major interest in fact-checking videos and images. He has completed his Masters in Journalism from Gujarat University.