नोवेल कोरोना वायरस का संक्रमण एक महामारी के रूप में पूरी दुनिया में फैल चुका है. इसे रोकने के लिए भारत में 24 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 21 दिनों का लॉकडाउन जारी किया था. इसके बाद इस लॉकडाउन को तोड़ने वाले लोगों के खिलाफ़ पुलिस सख्ती से पेश आ रही है. इसी क्रम में कई तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो रहे हैं. कई जगह लोगों की पिटाई होते हुए दिखी है. राजस्थान के प्रतापगढ़ में लॉकडाउन के दौरान लोगों को मेढक की तरह सड़क पर चलने को मजबूर किया गया. कई जगहों से मजदूर अपने-अपने गांवों के लिए पैदल निकल पड़े. इस दौरान भी उन्हें पुलिस के लाठी-डंडों का शिकार होना पड़ा.
एक वायरल वीडियो में दावा है कि भारत में तो पुलिस कुछ भी नहीं कर रही है, स्पेन पुलिस कर्फ्यू तोड़ने वाले लोगों की बहुत ही ज़्यादा पिटाई कर रही है. ट्विटर यूज़र द्वारा ट्वीट किये गए इस वीडियो को इस आर्टिकल के लिखे जाने तक 600 से ज़्यादा बार देखा जा चुका है. (आर्काइव किया हुआ ट्वीट)
Indian police is just nothing.
See Spanish police beating people who are violating curfew
😎😍 pic.twitter.com/s2AeNycavp— विमाँशु (@vimanshu0) March 25, 2020
इसी मेसेज के साथ ये वीडियो फ़ेसबुक और ट्विटर पर वायरल है.
इस वीडियो की सच्चाई जानने के लिए ऑल्ट न्यूज़ के ऑफ़िशियाल मोबाइल ऐप और व्हाट्सऐप नंबर पर कुछ रीक्वेस्ट मिली हैं.
फ़ैक्ट-चेक
इनविड के ज़रिए वीडियो को कई की-फ़्रेम में तोड़ कर यानडेक्स (Yandex) पर रिवर्स सर्च किया गया. 15 जुलाई 2019 को स्पेन की एक न्यूज़ वेबसाइट ‘एन’ का एक आर्टिकल मिला जिसमें इस वीडियो के बारे में रिपोर्ट पब्लिश की गई थी. रिपोर्ट के मुताबिक ये मेक्सिको की घटना है. पुलिस जैसे कपड़े पहने 3 लोगों ने एक चोर की बेरहमी से पिटाई की. रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि मेक्सिको में ये पहली घटना नहीं है. 30 मई को भी ऐसी ही एक घटना देखने को मिली थी.
वेबसाइट ‘एन’ के ऑफ़िशियल हैंडल ने 15 जुलाई को ट्वीट कर इस आर्टिकल को शेयर किया था.
VIDEO: A nalgadas con tabla presuntos policías castigan a joven ladrón https://t.co/y8R8OUJeGM #NDigital pic.twitter.com/XhJqApOoPO
— Nuria Piera (@nuriapiera) July 15, 2019
इसके अलावा ‘ला ओपिनियन’ वेबसाइट के ऑफ़िशियल ट्विटर हैंडल ने ट्वीट कर इस घटना को मेक्सिको का ही बताया है. साथ में उन्होंने अपने आर्टिकल को भी शेयर किया है.
VIDEO: A nalgadas con tabla presuntos policías castigan a joven ladrón | La Opinión https://t.co/0kglnKS0qD pic.twitter.com/Q4Kk1dqFG8
— La Opinión (@LaOpinionLA) July 15, 2019
इस तरह सबसे पहले तो ये बात ग़लत साबित होती है कि ये वीडियो स्पेन का है. असल में ये वीडियो मेक्सिको का है और कर्फ्यू तोड़ने से इसका कोई लेना देना है ही नहीं. दूसरी बात ज़्यादा ज़रूरी है. ये वो एंगल है जिसके साथ इस वीडियो को शेयर किया जा रहा है. इस वीडियो को उस वक़्त शेयर किया गया जब कई प्रदेशों की पुलिस पर सवाल उठाये जा रहे थे. तमाम वीडियो में ये दिखाई दे रहा था कि किस तरह से पुलिस सड़क पर दिखाई देने वाले लोगों पर लाठियां भांज रही थी. इन लोगों में ज़्यादातर ग़रीब तबके से आते हैं. ऐसे वीडियोज़ आने के बाद जब पुलिस पर सवाल उठाये गए तो इस वीडियो को स्पेन का बताते हुए ये कहकर वायरल किया गया कि भारतीय पुलिस जो कर रही है, असल में वो कुछ भी नहीं है, स्पेन की पुलिस तो और भी बुरी तरह से लोगों को मार रही है.
देश के लोगों पर, जब उनपर एक आपदा आई हुई है, इस तरह से लाठियां बरसाना, उन्हें पीटना कहीं से भी मानवीय नहीं है. पुलिस इस तरीक़े से उस विश्वास को तोड़ रही है जो देश की जनता को उस पर होना चाहिए. विश्वास से भी ऊपर, एक त्रासदी के मुंह पर खड़े लोग जो लॉकडाउन के दौरान ज़िन्दा रहने के लिए किसी तरह कुछ इंतज़ाम करना चाहते हैं, उन्हें ऐसी सज़ा देना अमानवीय है. अव्वल तो ये वीडियो स्पेन के लॉकडाउन का नहीं है. और अगर होता भी, तो भी इसके बल पर भारत में पुलिस की कार्रवाई को किसी भी तरीक़े से उचित नहीं ठहराया जा सकता है. और इसीलिए इस वीडियो की सच्चाई लाना, इसके बारे में बात किया जाना बेहद ज़रूरी है.
नोट: भारत में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या 1000 के पार जा पहुंची है. इसकी वजह से सरकार ने बुनियादी ज़रुरतों से जुड़ी चीज़ों को छोड़कर बाकी सभी चीज़ों पर पाबंदी लगा दी है. दुनिया भर में 7 लाख से ज़्यादा कन्फ़र्म केस सामने आये हैं और 34 हज़ार से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. लोगों में डर का माहौल बना हुआ है और इसी वजह से वो बिना जांच-पड़ताल किये किसी भी ख़बर पर विश्वास कर रहे हैं. लोग ग़लत जानकारियों का शिकार बन रहे हैं जो कि उनके लिए घातक भी साबित हो सकता है. ऐसे कई वीडियो या तस्वीरें वायरल हो रही हैं जो कि घरेलू नुस्खों और बेबुनियाद जानकारियों को बढ़ावा दे रही हैं. आपके इरादे ठीक हो सकते हैं लेकिन ऐसी भयावह स्थिति में यूं ग़लत जानकारियां जानलेवा हो सकती हैं. हम पाठकों से ये अपील करते हैं कि वो बिना जांचे-परखे और वेरीफ़ाई किये किसी भी मेसेज पर विश्वास न करें और उन्हें किसी भी जगह फ़ॉरवर्ड भी न करें.
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