कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले में आतंकवादियों ने 26 पर्यटकों को धर्म पूछकर मार डाला. शुरुआत में हमले की ज़िम्मेदारी पाकिस्तानी आतंकी संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ली थी, बाद में इससे इनकार कर दिया. भारत ने पाकिस्तान पर आतंकियों को भेजने और उनकी फंडिंग करने का आरोप लगाया और पहलगाम आतंकी हमले के मुद्दे पर कैबिनेट कमिटी ऑन सिक्युरिटी (CCS) ने पाकिस्तान के खिलाफ़ कई कड़े कदम उठाए. इनमें अटारी-वाघा सीमा को बंद करना, सिंधु जल संधि को निलंबित करना और पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा को तत्काल प्रभाव से रद्द करना, उच्चायोगों में राजनयिक कर्मचारियों की संख्या में कमी करना, आदि शामिल हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने पहलगाम आतंकी हमले का जवाब देने के लिए सशस्त्र बलों को खुली छूट दी है. पीएम ने रक्षा मंत्री, एनएसए, सीडीएस और सेना, वायुसेना और नौसेना के प्रमुखों की मौजूदगी वाली बैठक में कहा कि जवाबी कार्रवाई का तरीका, लक्ष्य और समय सुरक्षा बलों पर छोड़ दिया गया है.

पहलगाम आतंकी हमले के बाद से ही पाकिस्तानी मीडिया द्वारा भारत के खिलाफ दुष्प्रचार अभियान चलाया जा रहा है.

इसी क्रम में भारतीय सशस्त्र बलों की विभिन्न शाखाओं के बीच समन्वय बढ़ाने के लिए समर्पित संगठन, इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ का एक कथित तौर पर लीक हुआ गोपनीय दस्तावेज पाकिस्तानी मीडिया और सोशल मीडिया यूज़र्स शेयर कर रहे हैं. इस दस्तावेज में कथित तौर पर पाकिस्तान, पाकिस्तान के कब्ज़े वाले कश्मीर (पीओके) और अफगानिस्तान से संबंधित भारत के आकलन के बारे में जानकारी है.

इस दस्तावेज में कई खतरनाक दावे किए गए हैं, जिनमें भारतीय सैनिकों के भागने की कोशिश करने, छुट्टी पर गए अधिकारियों के वापस लौटने से इनकार करने और बड़ी संख्या में सैनिकों के चिकित्सा अवकाश मांगने की रिपोर्ट शामिल हैं. इसमें भारतीय वायुसेना की परिचालन क्षमताओं में भारतीय सेना के आत्मविश्वास की कमी के बारे में भी चिंता व्यक्त की गई है. इसके अलावा, यह दावा करता है कि भारतीय वायुसेना की परिचालन तत्परता में कथित कमियों के कारण पावर ग्रिड, औद्योगिक केंद्र, लॉजिस्टिक्स नोड्स और संचार नेटवर्क के साथ महत्वपूर्ण संपत्तियों के प्रबंधन के लिए इजरायली सैनिकों को तैनात किया गया है, जो कथित तौर पर आतंकवादी समूहों और दुश्मन वायु सेनाओं से खतरों के प्रति संवेदनशील हैं. इसके अलावा, दस्तावेज़ में विभिन्न कूटनीतिक बयान शामिल हैं, जो चेतावनी देते हैं कि कोई भी अनियंत्रित विकास संभावित रूप से अर्थव्यवस्था को 50 साल पीछे धकेल सकता है. इसमें इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि आत्मनिर्भरता पहल में पर्याप्त निवेश और प्रयासों के बावजूद, भारतीय सशस्त्र बल विदेशी आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भर बने हुए हैं, क्योंकि घरेलू रक्षा निर्माताओं को बुनियादी उपकरणों से परे आवश्यक प्रौद्योगिकियों के स्वदेशीकरण में अभी भी महत्वपूर्ण सफलता हासिल करनी है.

अक्सर गलत जानकारी फैलाने वाले अकाउंट साउथ एशियन पर्स्पेक्टिव ने ये कथित सीक्रेट दस्तावेज शेयर करते हुए दावा किया कि युद्ध की तैयारियों पर भारतीय सेना का आकलन लीक हो गया है. भारतीय सेना का मनोबल टूटा हुआ है, इजरायल सक्रिय भूमिका निभा रहा है. सैनिक और अधिकारी भाग रहे हैं. (आर्काइव लिंक)

द पाकिस्तान टेलीग्राफ नाम के अकाउंट ने कथित लीक हुआ दस्तावेज ट्वीट करते हुए दावा किया कि आईडीएस मुख्यालय को तनाव बढ़ने की आशंका है और उनका मानना ​​है कि भारतीय सेना सामरिक झड़प से आगे कोई कार्रवाई करने के लिए तैयार नहीं है. भारतीय सैनिक और अधिकारी भाग रहे हैं, सेना का मनोबल टूटा हुआ है. इजरायली सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं. (आर्काइव लिंक)

पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट के प्रेस एसोसिएशन के अध्यक्ष तैयब बलूच ने कथित लीक हुआ दस्तावेज ट्वीट करते हुए कहा कि युद्ध शुरू होने से पहले ही आईएसआई की जीत हो गई है. भारतीय सेना पर लीक हुई रिपोर्ट उन कमज़ोरियों पर ज़ोर देती है जिन्हें नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता. पाकिस्तान के खिलाफ़ युद्ध छेड़ने की मोदी की धमकी के बावजूद, भारतीय सेना ने पाकिस्तान के साथ युद्ध में शामिल न होने का विकल्प चुना. (आर्काइव लिंक)

पाकिस्तानी न्यूज़ चैनल 24 न्यूज़ के डिफेंस पत्रकार अहमद मंसूर, खुद को डिफेंस स्कॉलर बताने वाले अहमद हसन अल-अरबी ने भी कथित तौर पर लीक हुआ गोपनीय दस्तावेज शेयर करते हुए ऐसा ही दावा किया.

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फ़ैक्ट-चेक

प्रारंभिक जांच में कथित रूप से लीक हुआ ये दस्तावेज़ अप्रामाणिक और मनगढ़ंत प्रतीत होता है. यह किसी नौसिखिया का काम लगता है, क्योंकि इसमें किये गए दावे अविश्वसनीय हैं. उदाहरण के लिए, भारतीय सैनिकों के भागने, छुट्टी पर गए अधिकारियों के वापस लौटने से इनकार करने और भारत में इज़रायली सैनिकों की तैनाती के साथ-साथ पाकिस्तानी वायु सेना के खिलाफ़ भारतीय वायु सेना की परिचालन क्षमताओं पर संदेह के बारे में लगाए गए आरोप सभी निराधार हैं. दस्तावेज़ में किए गए दावे पाकिस्तान के पक्ष में पक्षपाती प्रतीत होते हैं और भारत को एक असुविधाजनक स्थिति में दिखाने का प्रयास करते हैं, जो असल स्थिति की वास्तविकता को नहीं दर्शाता है.

इस लेटर में नोटिस करने वाली कुछ महत्वपूर्ण चीजें हैं:

  1. भारत विभिन्न सैन्य क्षमताओं में पाकिस्तान पर एक महत्वपूर्ण बढ़त बनाए हुए है. जबकि लेटर में इसके उलट चीजें लिखीं हैं.
  2. इसके अलावा, हमें भारत में सक्रिय इज़रायली सैनिकों की उपस्थिति का संकेत देने वाली कोई भी विश्वसनीय समाचार रिपोर्ट नहीं मिली, न ही सैनिकों के भागने का प्रयास करने या अधिकारियों के छुट्टी से वापस लौटने से इनकार करने की कोई रिपोर्ट मिली मौजूद है.
  3. इसके अलावा, यह ध्यान देना महत्वपूर्ण है कि कोई भी आधिकारिक सैन्य दस्तावेज़ ऐसी भाषा का उपयोग नहीं करता है या ऐसे निराधार दावे नहीं करता है.

भारत सरकार की फ़ैक्ट-चेक यूनिट ने पाकिस्तानी यूज़र्स और मीडिया द्वारा इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ का कथित तौर पर लीक हुआ गोपनीय दस्तावेज को फ़र्ज़ी बताया है.

पाकिस्तानी मीडिया और सोशल मीडिया यूज़र्स ने भारत के खिलाफ दुष्प्रचार अभियान में एक फर्जी दस्तावेज को इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ का लीक हुआ गोपनीय दस्तावेज बताकर शेयर किया, जिसमें भारतीय सेना को लाचार और कमजोर दर्शाया गया है.

ये पहली बार नहीं है जब पाकिस्तानी मीडिया ने भारत के खिलाफ़ दुष्प्रचार किया है. हाल ही में पाकिस्तानी मीडिया ने लेफ्टिनेंट जनरल सुचिंद्र कुमार के बारे में दावा किया कि उन्होंने पहलगाम आतंकी घटना के लिए सार्वजनिक रूप से भारत सरकार को ज़िम्मेदार ठहराया था, इसलिए भारत सरकार ने उन्हें बर्खास्त कर दिया और गिरफ़्तार कर लिया. ऑल्ट न्यूज़ ने इसका फ़ैक्ट-चेक किया था.

पढ़ें: पाकिस्तानी मीडिया ने लेफ्टिनेंट जनरल एम.वी. सुचिंद्र कुमार को हिरासत में लेने की झूठी ख़बर चलाई

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Abhishek is a senior fact-checking journalist and researcher at Alt News. He has a keen interest in information verification and technology. He is always eager to learn new skills, explore new OSINT tools and techniques. Prior to joining Alt News, he worked in the field of content development and analysis with a major focus on Search Engine Optimization (SEO).