सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल हो रही है और दावा किया जा रहा है कि यह तस्वीर दलितों की रैली की है. तस्वीर में, बाइक पर सवार कुछ लोगों के हाथ में झंडा है, जिसे पाकिस्तान का राष्ट्रीय ध्वज बताया जा रहा. तस्वीर के साथ कैप्शन है”दलित आंदोलन… झंडा पाकिस्तानी… यह है असली कहानी.”.
दरअसल, दलित समुदाय ने भीमा-कोरेगांव की लड़ाई की 200वीं वर्षगांठ पर स्मृति समारोह का आयोजन किया था. इसके बाद पुणे से 30 किलोमीटर दूर कोरेगांव में हिंसा भड़क गयी. हिंसा के बाद से ही इस तस्वीर को सोशल मीडिया पर फैलाया जा रहा है.
पोस्टकार्ड न्यूज ने भी रिपोर्ट बनायी थी कि पाकिस्तानी झंडा दलित विरोध प्रदर्शन रैली का हिस्सा था। तस्वीर के साथ एक और मनगढ़ंत कैप्शन है- “दलित जुलूस में #पाकिस्तानी झंडे क्या कर रहे हैं। ये जातिबाद का जहर घोल के न तो महाराष्ट्र को तोड़ पाओगे और न ही “#भारत_तेरे_टुकड़े_होंगे” का ख्वाब पूरा होगा”
महेश विक्रम हेगड़े जो कि फर्जी समाचार वेबसाइट पोस्टकार्ड न्यूज के संस्थापक हैं और ट्विटर पर मोदी जी द्वारा फॉलो किये जाते हैं, वो भी इस अफवाह फ़ैलाने की साजिश में कूद पड़े.
Media will not dare to show this video! It was not dalit agitation, check what chants were shouted and what flag was raised during Mumbai violence!
https://t.co/j71J6BA2UB— Mahesh Vikram Hegde (@mvmeet) January 4, 2018
हालाँकि ऑल्ट न्यूज़ अभी तक यह सत्यापित नहीं कर सका है कि यह तस्वीर कब और कहाँ ली गयी है, फिर भी भीमा-कोरेगांव हिंसा के बाद से इस तस्वीर को बड़े पैमाने पर दलित आन्दोलन को देशद्रोह के रूप में दिखाने के लिए किया जा रहा है. इसलिए हम यह बता दें कि यह पाकिस्तान का राष्ट्रीय झंडा नहीं है. इसे ज़ूम करके देखने पर पता चलता कि ये इस्लामिक झंडा तो है लेकिन पाकिस्तान का झंडा नहीं है. पाकिस्तानी झंडे में बायीं ओर सफ़ेद रंग कि पट्टी होती है. ऑल्ट न्यूज़ ने पहले भी बताया था कि कैसे News18 चैनल ने गलती से इस्लामिक झंडे को पाकिस्तान का राष्ट्रीय ध्वज बताया था.
हाल के दिनों में यह देखा गया है कि दलित-मुस्लिम एकता को दर्शाने वाले आंदोलनों की संख्या बढ़ी है और इसी संदर्भ में दलित रैली में इस्लामिक झंडे की मौजूदगी सामान्य हो सकती है. आम व्यक्ति को दोनों झंडो में भ्रम हो सकता है क्योंकि दोनों तक़रीबन एक से दिखते हैं. इस वजह से कोई आसानी से मान सकता है कि दलित रैली में पाकिस्तान का झंडा था। ये कोई सामान्य भूल नहीं है क्योंकि ऐसे प्रोफ़ाइल और सोशल मीडिया से अक्सर झूठी और भ्रामक जानकारी फैलायी जाती है. गलत इरादों से की गयी इस तरह की चालाकी पहले भी सामने आ चुकी है.
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