भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की एक तस्वीर सोशल मीडिया में एक लम्बे मेसेज के साथ शेयर की गयी है. मेसेज कुछ यूं है – “62 की पराजय के बाद जब नेहरू के चेहरे पर स्वामी विद्यानंद विदेह का थप्पड़ पड़ा (वास्तव में *% पे लात).

कारण : नेहरू ने अपने भाषण में कहा था कि आर्य भारत में शरणार्थी थे. ये सुनकर स्वामी, जो मुख्य अतिथि भी थे, उठ कर मंच पर चढ़ गए और नेहरू को थप्पड़ मार दिया. उनसे माइक खींच लिया और कहा “आर्य शरणार्थी नहीं थे. वे मेरे पूर्वज थे और वे भारत के मूल निवासी थे. लेकिन आपके (नेहरू के पूर्वज) अरब वंश के थे और आपकी रगों में अरब रक्त प्रवाहित होता है. इसलिए आप वास्तव में इस महान देश के मूल निवासी नहीं हैं…यदि आपके बजाय सरदार पटेल पीएम होते तो हम इस तरह की खेदजनक स्थिति में नहीं होते”

From : (विदेह गाथा: एक आर्य संन्यासी की डायरी, पृष्ठ 637 संस्करण भाद्रपद 2037 विक्रमी…से साभार)

(बाद मे इन आर्य संन्यासी ने एक किताब लिखी नेहरू : उत्थान और पतन… जो 1963 मे बैन हो गई थी.)

तस्वीर : थप्पड़ मारे जाने के बाद नेहरू ने बदला लेने की कोशिश की मगर उन्हें पीछे कर दिया गया”

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So are the decendents.

Posted by Gurmeet Singh Sandhu on Saturday, 13 February 2021

ये तस्वीर इसी दावे के साथ फ़ेसबुक पर कई यूज़र्स ने पोस्ट की है. मेसेज में किया गया दावा कि 1962 में एक भाषण के दौरान नेहरू ने कहा था कि ‘आर्य भारत में शरणार्थी थे’ और ये सुनते ही वहां मौजूद मुख्य अतिथि और वैदिक विद्वान स्वामी विद्यानंद विदेह ने सभी के सामने उन्हें थप्पड़ मार दिया था. इसके साथ ही मेसेज में ये भी दावा कीय जा रहा है कि स्वामी विद्यानंद ने कहा कि आर्य भारत के मूल निवासी हैं, और नेहरू की रगों में अरब का रक्त बह रहा है. शेयर किया जा रहा मेसेज ये भी दावा करता है कि स्वामी एन अपनी किताब में इस पूरे घटनाक्रम का ज़िक्र किया है.

To what extent it is true, we can judge .As Nehru was among Statesman, whom India trust .
When Nehru got a slap on the…

Posted by Om Sharan on Wednesday, 20 January 2021

2019 से शेयर

When Nehru got a slap on the face ( virtual gan* pe laat ) by Swami Vidyanand Videh post 62 debacle .
Reason : Nehru in…

Posted by Kannan Ramasamy on Thursday, 19 September 2019

यही दावा ट्विटर पर किया गया है. ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि यह संदेश 2016 में एक ब्लॉग में प्रकाशित किया गया था.

फ़ैक्ट चेक 

सोशल मीडिया का दावा गलत है. ऑल्ट न्यूज़ ने जवाहरलाल नेहरू की इस तस्वीर का पहले भी फ़ैक्ट चेक किया था. इसमें एक व्यक्ति ने उन्हें पीछे से पकड़ा हुआ है. तब इसे 1962 और चीन-भारत युद्ध का हवाला देते हुए एक झूठे दावे के साथ शेयर किया गया था.

1962 की घटना की अलग तस्वीर

हालांकि यह सच है कि यह तस्वीर 1962 की है, लेकिन यह किसी भी तरह से चीन-भारत युद्ध या उसके बाद के राजनीतिक प्रभावों से संबंधित नहीं है. तस्वीर को गूगल पर रिवर्स-सर्च करके ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि यह 2014 में प्रकाशित आउटलुक पत्रिका के एक लेख में छपी थी. इस तस्वीर को कैप्शन दिया गया था, त्यंत बुरी स्थिति से बचाव: 1962 में युद्ध से पहले एक दंगाई भीड़ में घुसने से रोके गए नेहरू’-अनुवाद. तस्वीर का श्रेय एसोसिएटेड प्रेस (AP) को दिया गया था.

एसोसिएटेड प्रेस के आर्काइव में ‘नेहरू 1962’ कीवर्ड्स के साथ खोज करते हुए, ऑल्ट न्यूज़ को यह तस्वीर और इसका मूल वर्णन भी मिला- एक सुरक्षाकर्मी ने भारतीय प्रधानमंत्री नेहरू को कांग्रेस पार्टी की एक सभा में दंगाई भीड़ में घुसने से बचाने के लिए उन्हें पकड़ा. पटना, भारत, जनवरी 1962. इस वर्ष के बाद में, भारत पर कम्युनिस्ट चीन के हमले ने नेहरू को नई मुसीबतों में डाल दिया. इसका मतलब है कि यह तस्वीर 1962 के भारत-चीन युद्ध से पहले ली गई थी.

जनवरी 1962 में ली गई तस्वीर

ऑल्ट न्यूज़ ने जनवरी 1962 के अख़बारों की खबरें देखीं और पाया कि ये तस्वीर पटना में कांग्रेस के अधिवेशन में ली गई थी. ये अधिवेशन जनवरी, 1962 में हुआ था. पूर्ण सत्र में भीड़ काफी बढ़ गई थी और प्रधानमंत्री की एक झलक पाने के लिए भीड़ मंच के क़रीब आ गयी. इस वजह से वहां भगदड़ मच गयी. इसी भगदड़ के बीच की ये तस्वीर है. जवाहर लाल नेहरू लोगों को शांत होने को कह रहे थे और एक वक़्त पर वो ख़ुद भीड़ में जाने वाले थे. ठीक इसी मौके पर उन्हें सुरक्षाकर्मियों ने रोक लिया था.

इसके अलावा, ऑल्ट न्यूज़ को शेयर किये जा रहे मेसेज में विदेह गाथा: एक आर्य संन्यासी की डायरी और नेहरू : उत्थान और पतन, नाम की दोनों किताबों का कोई निशान नहीं मिला.

ऑल्ट न्यूज़ ने इस तस्वीर का पहले भी फ़ैक्ट-चेक किया था. तब इसे, 1962 के युद्ध में असफ़ल होने के बाद नेहरू को भीड़ द्वारा पीटे जाने की झूठी कहानी के साथ शेयर किया गया था. उल्लेखनीय है कि ये तस्वीर जनवरी 1962 में ली गई थी जबकि चीन-भारत युद्ध उस साल अक्टूबर में हुआ था. ये तस्वीर एक और झूठे दावे के साथ प्रसारित की गई थी कि नेहरू 1946 में कश्मीर में गिरफ्तार किए गए क्योंकि उन्होंने वीज़ा के बिना प्रवेश करने का प्रयास किया था.

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About the Author

Arjun Sidharth is a writer with Alt News. He has previously worked in the television news industry, where he managed news bulletins and breaking news scenarios, apart from scripting numerous prime time television stories. He has also been actively involved with various freelance projects. Sidharth has studied economics, political science, international relations and journalism. He has a keen interest in books, movies, music, sports, politics, foreign policy, history and economics. His hobbies include reading, watching movies and indoor gaming.