6 दिसम्बर को विश्व आरोग्य संगठन (WHO) की चीफ़ सायन्टिस्ट सोम्या स्वामीनाथन ने बिज़नस स्टैन्डर्ड को बताया कि कोरोना वायरस वैक्सीन के कोवेक्स अलायंस से जुड़ने के लिए फ़ाइज़र और बायो एन टेक (BioNtech) कंपनियां WHO के साथ बातचीत के आखिरी दौर में हैं. BBC के मुताबिक, बायो एन टेक की स्थापना मूलतः तुर्की के दंपत्ति ऊगर साहिन और ओज़लीम ट्यूरेसी, और ऑस्ट्रिया के कैंसर एक्सपर्ट प्रोफ़ेसर क्रिस्टोफ़ हूबर ने की थी.
इस दौरान, ट्विटर हैन्डल ‘@richardsennett’ ने एक परिवार की तस्वीर ट्वीट करते हुए लिखा, “ये जर्मनी में आया हुआ एक अप्रवासी परिवार है. पीले रंग की टी-शर्ट पहना बच्चा आगे चलकर COVID वैक्सीन बनाएगा.” (ट्वीट का आर्काइव लिंक). इस ट्विटर हैन्डल के बायो में दी गई वेबसाइट के मुताबिक, रिचर्ड सेनेट यूनाइटेड नेशन्स (UN) के सीनियर एडवाइज़र और MIT के विज़िटिंग प्रोफ़ेसर हैं. आर्टिकल लिखे जाने तक इस ट्वीट को 21 हज़ार से ज़्यादा रीट्वीट और 1 लाख 20 हज़ार लाइक्स मिले थे.
This is an immigrant family, newly arrived in Germany. The boy in the yellow shirt will go on to invent the COVID vaccine. pic.twitter.com/F3kinfFzac
— Richard Sennett (@richardsennett) December 6, 2020
ये तस्वीर इसी दावे के साथ फ़ेसबुक पर वायरल है.
फ़ैक्ट-चेक
ट्विटर पर अडवांस सर्च करने पर हमने पाया कि ये तस्वीर सबसे पहले ट्विटर हैन्डल ‘@richardsennett’ ने ही ट्वीट की थी.
इनविड (InVid) के ज़रिए टिन आय (TinEye) पर रिवर्स इमेज सर्च करने से हमें अमेरिका के हॉवर्ड आर्ट म्यूज़ियम की वेबसाइट पर ये तस्वीर शेयर की हुई मिली.
हॉवर्ड आर्ट म्यूज़ियम ने इस तस्वीर को ‘टर्क्स इन जर्मनी 1979’ टाइटल दिया है. ये तस्वीर सितंबर 2019 से जनवरी 2020 के बीच दिखाए गए स्लाइड प्रोजेक्शन का हिस्सा थी. तस्वीर के साथ दिए गए विवरण के मुताबिक, ये तस्वीर गलेरी थॉमस ज़ैंडर ने साल 2019 में बुश राइज़िंगर म्यूज़ियम को बेची थी. यहां ये कहीं भी नहीं बताया गया कि ये तस्वीर उगर शाहीन और ओज़लीम ट्यूरेट्सी के परिवार की है.
हॉवर्ड आर्ट म्यूज़ियम्स के प्रवक्ता ने ऑल्ट न्यूज़ को बताया, “ये तस्वीर जर्मन आर्टिस्ट केंडिडा हॉफ़र ने 1970 के दशक में खींची थी. जितना हमें पता है कि इस तस्वीर में बायो एन टेक के ऊगर साहिन नहीं हैं.”
यहां ध्यान दिया जाए कि 10 नवंबर को मुस्लिम मिरर (आर्काइव लिंक) ने ये तस्वीर शेयर करते हुए बताया कि पीले रंग की टी-शर्ट में ऊगर साहिन है. यूके के पार्लियामेंट मेंबर नाज़ शाह ने भी ये आर्टिकल शेयर किया था. (आर्काइव लिंक)
17 नवंबर को, तस्वीर के साथ शेयर किये गए दावे का खंडन ट्विटर अकाउंट ‘DiasporaTürk’ ने किया था. ये हैन्डल तुर्की की विरासत और लिट्रेचर सम्बन्धी ट्वीट्स पब्लिश करता है. ‘DiasporaTürk’ के मुताबिक, ये बच्चा बड़ा होकर लेथ लेवल पर काम करने वाला एक मेकेनिक बना था.
Bugün birçok yerde fotoğraftaki erkek çocuğunun Prof.Dr. Uğur Şahin olduğuyla ilgili paylaşımlar yapıldı.
Ailenin hikayesini daha önce paylaşmıştık. O çocuk büyüdü ve torna-tesviye ustası oldu. Bu onu kimseden daha az önemli yapmıyor. Ailenin anısına saygı duyulması ümidiyle… https://t.co/o7cMqwq37Q pic.twitter.com/DB4phsLn36
— DiasporaTürk (@diaspora_turk) November 17, 2020
न्यू यॉर्क टाइम्स के मुताबिक, ऊगर साहिन 4 साल की उम्र में अपनी मां के साथ जर्मनी चले गए थे. उस वक़्त, उनके पिता कोलोन में एक फ़ोर्ड फैक्ट्री में काम करते थे. जबकि ओज़लीम ट्यूरेसी इस्तानबुल के प्रवासी, एक तुर्की के डॉक्टर की बेटी थी.
इस तरह, तुर्की के एक परिवार की तस्वीर सोशल मीडिया पर बायो एन टेक के को-फ़ाउन्डर ऊगर साहिन की बताकर शेयर की गई.
इस हफ़्ते के टॉप 5 फ़ैक्ट-चेक देखें:
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