11 दिसम्बर को पाकिस्तानी-कैनेडियन लेखक तारिक फ़तह ने एक वीडियो शेयर करते हुए दावा किया कि लंडन में सिखों ने अल्लाह-ओ-अकबर और पाकिस्तान ज़िंदाबाद के नारे लगाए (आर्काइव लिंक). इस आर्टिकल के लिखे जाने तक वीडियो को 60 हज़ार से अधिक बार देखा जा चुका है.

ऑप इंडिया ने भी 11 दिसम्बर को “आंदोलन के नाम पर अल्लाह-हू-अकबर, पंजाब बनेगा खालिस्तान, कश्मीर पाकिस्तान… के नारे! ‘ये कैसे अन्नदाता हैं?” टाइटल से एक आर्टिकल लिखा. (आर्काइव लिंक)

ऐसे कई यूज़र्स हैं, जिन्होंने इस वीडियो को चल रहे किसान प्रदर्शन से जोड़कर शेयर किया है.

पाकिस्तान के एक मीडिया प्लेटफ़ॉर्म ‘सियासत पीके’ ने 9 दिसम्बर 2020 को ये वीडियो ट्वीट करते हुए इसे अमेरिका का बताया था.

फ़ैक्ट-चेक

इस वीडियो के एक फ़्रेम का यांडेक्स पर रिवर्स इमेज सर्च करने से हमें डेली पाकिस्तान नाम के एक पेज पर ये वीडियो नवम्बर, 2019 में पोस्ट किया गया मिला.

इस पेज ने वीडियो के लोकेशन के बारे में कोई जानकारी नहीं दी है. लेकिन कई पाकिस्तानी यूज़र्स ने ये वीडियो नवम्बर 2019 में पोस्ट किया था. इसके अलावा मालिहा हाशमी नाम की एक पाकिस्तानी पत्रकार जिनके 1 लाख 70 हज़ार से ज़्यादा फ़ॉलोवर्स हैं, उन्होंने भी 7 नवम्बर 2019 को ये वीडियो ट्वीट किया था.

वीडियो गौर से देखने पर कई जगहों पर पाकिस्तानी झंडों के अलावा वीडियो में एक बैनर पर US का झंडा दिखता है.इसके अलावा एक पोस्टर पर पीएम मोदी की तस्वीर के साथ “न्यू यॉर्कर” लिखा हुआ भी दिखता है.

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इस आधार पर, जब हमने की-वर्ड्स सर्च किया तो ऐसी कई रिपोर्ट्स में ये बैनर मिले. ये रिपोर्ट्स सितम्बर, 2019 की हैं जब न्यूयॉर्क में UN के मुख्यालय के बाहर 74वें संयुक्त राष्ट्र महासभा से पहले पीएम मोदी के ख़िलाफ़ हज़ारों लोगों ने विरोध किया था. 29 सितम्बर 2019 की अलज़जीरा की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि हज़ारों की संख्यां में लोग संयुक्त राष्ट्र महासभा में PM मोदी के भाषण से पहले वहां कश्मीर में मानवाधिकार के मुद्दों को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे. नीचे गेटी की जिस तस्वीर से इसकी तुलना की गयी है, वो 27 सितम्बर 2019 के उसी प्रोटेस्ट की है.

इसके अलावा Ruptly के सितम्बर 2019 के एक ऐसे ही वीडियो रिपोर्ट में भी ये बैनर देखने को मिलते हैं.

इसके बाद की-वर्ड्स सर्च से हमें उस प्रोटेस्ट के और भी कई वीडियोज़ मिले (पहला वीडियो, दूसरा वीडियो, तीसरा वीडियो, चौथा वीडियो). इन वीडियोज़ और अभी वायरल हो रहे वीडियो में काफी समानताएं देखने को मिलती हैं.

हमने वायरल हो रहे वीडियो से ऊपर पोस्ट किए गए वीडियोज़ की तुलना की. नीचे समानताएं बतायी जा रही हैं.

दोनों ही वीडियो में बैकग्राउंड की बिल्डिंग एक जैसी दिख रही है.

इसके अलावा, दोनों वीडियो में एक प्रदर्शनकारी की टी-शर्ट पर ‘New York City Protest At The UN’ लिखा हुआ दिखता है.

यानी, एक साल पुराना वीडियो शेयर करते हुए इसे किसान प्रदर्शन से जोड़ा जा रहा है.सोशल मीडिया पर किसान प्रदर्शन को बदनाम करने की भरपूर कोशिश जारी है. इससे पहले भी किसान प्रदर्शन को खालिस्तान से जोड़ने के प्रयास में कई पुराने वीडियोज़ शेयर किए गए हैं.

अपडेट: इस आर्टिकल के बाद ऑप इंडिया ने अपने आर्टिकल में बदलाव करते हुए इसे पुराना वीडियो कहते हुए किसान प्रदर्शन का संदर्भ हटा दिया.


देखिये जब BJP आईटी सेल हेड अमित मालवीय ने किसानों पर पुलिस लाठीचार्ज को प्रोपोगेंडा बताते हुए अधूरा वीडियो शेयर किया

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