24 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशभर में कोरोना वायरस के चलते 21 दिनों के लॉकडाउन की घोषणा की थी. इस दौरान सिर्फ़ आवश्यक सेवाओं के चलने की इजाज़त है. इसी सन्दर्भ में एक वीडियो वायरल हो रहा है. इसमें मालगाड़ी पर बहुत सारे ट्रक लदे हुए दिख रहे हैं. तरुण त्यागी नाम के यूज़र ने फ़ेसबुक पर इस वीडियो को पोस्ट करते हुए लिखा है, “धन्य है मेरे देश के प्रधान की इच्छाशक्ति देखिए इस विपरीत परिस्थिति में भी आवश्यक वस्तुओं की उपलब्धता में कोई कमी ना आए इसका ध्यान रखते हुए क्या आईडिया लगाया है.” इस आर्टिकल के लिखे जाने तक इस वीडियो को 72 हज़ार से ज़्यादा बार देखा जा चुका है.

PM’s idea to fight Corona 👏🏻👏🏻🙏🏻🙏🏻

धन्य है 🙏मेरे देश के प्रधान की इच्छाशक्ति देखिए इस विपरीत परिस्थिति में भी आवश्यक वस्तुओं की उपलब्धता में कोई कमी ना आए इसका ध्यान रखते हुए क्या आईडिया लगाया है👏🏻👏🏻🙏🏻🙏🏻

Posted by Tarun Tyagi on Thursday, 2 April 2020

हमने देखा कि ये वीडियो फ़ेसबुक और ट्विटर पर इसी दावे से शेयर हो रहा है.

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CNBC आवाज़ की एंकर दीपाली राणा ने एक ट्वीट को रिट्वीट करते हुए लिखा, “सुपर से भी ऊपर.” ट्वीट में इस वीडियो को शेयर करते हुए लिखा था, “ज़रूरतमंदों तक खानपान की बुनियादी चीज़ें पहुंचाने के लिए भारतीय रेलवे की सच्ची पहल.” (ट्वीट का आर्काइव)

फ़ैक्ट-चेक

इस वीडियो को इनविड (InVID) पर कई फ़्रेम्स में तोड़ा गया. एक फ़्रेम को यांडेक्स (Yandex) पर रिर्वस इमेज सर्च करने से हमें 2013 के कुछ पोस्ट में यही वीडियो मिला. एक यूज़र ने 11 मार्च, 2013 को इसे ईंधन का बचाव (fuel saving) बताकर अपलोड किया था.

2020-04-03 15_18_28-Fuel Saving - YouTube

इससे ये बात तो साफ़ हो जाती है कि जो वीडियो 7 साल से इंटरनेट पर मौजूद है वो हाल का नहीं हो सकता. 2016 में ‘नमो मंत्र-नेशन फ़र्स्ट‘ नाम के एक फ़ेसबुक पेज ने इसे ईंधन बचाने का अद्भुत तरीका बताकर शेयर किया था जिसे 30 लाख से भी ज़्यादा बार देखा गया. हालांकि किसी ने भी इस वीडियो का सन्दर्भ नहीं दिया है कि ये कहां का है.

जनवरी, 2015 में नवभारत टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, कोंकण रेलवे द्वारा वर्ष 1999 में शुरू की गई रो-रो सेवा के 16 वर्ष पूरे हो चुके हैं. इस दौरान कोंकण रेलवे 4 लाख से अधिक लोडेड ट्रकों की ढुलाई कर चुका है. सामान लदे ट्रकों को मालगाड़ी द्वारा उनके गंतव्य के नजदीकी रेलवे स्टेशन तक ले जाने वाली रो-रो सेवा (रोल ऑन रोल ऑफ) के माध्यम से साल 2014-15 के दिसंबर महीने तक कोंकण रेलवे ने 53.31 करोड़ रुपये की कमाई की है. इसके अलावा सड़कों पर कम चलने से टायरों की घिसाई में कमी, सड़कों पर कम चलने से प्रदूषण की कमी से पर्यावरण की रक्षा, ट्रकों के मेंटेनेंस खर्च में कमी, सड़कों पर ट्रैफिक जाम में कमी और इस तरह कई फायदे हैं.

इसलिए ये दावा भी कि ये सेवा हाल के कुछ सालों पहले शुरू की गयी है, गलत साबित होता है. 1999 में भी ये सेवा चल रही थी.

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