कर्नाटक के प्रताप एनएम को उनकी कथित असाधारण उपलब्धियों के कारण कन्नडा मीडिया ने ‘ड्रोन प्रताप’ कहकर तारीफ़ की. डेक्कन हेरल्ड और इंडिया टाइम्स जैसी इंग्लिश वेबसाइट्स ने भी प्रताप पर आर्टिकल्स लिखे जो उनकी ‘उपलब्धियों’ के बारे में हैं. इन रिपोर्ट्स में अनसुने अवॉर्ड्स और 22 साल की उम्र में 600 ड्रोंस बनाने जैसे कारनामे छपे हैं. हालांकि आयरनी ये है कि प्रताप का इस तरह के ड्रोन बनाते हुए कोई तस्वीर या वीडियो नहीं है.

हाल ही में ऑल्ट न्यूज़ ने एक आर्टिकल में उन ख़बरों की जांच कर गलत साबित किया था जिनमें कहा गया था कि प्रधानमंत्री मोदी ने इस युवक को डिफ़ेंस रिसर्च और डेवेलपमेंट ऑर्गनाइज़ेशन (DRDO) के साथ जोड़ा है.

प्रताप की उपलब्धियों पर जब लोगों को शक हुआ तो प्रताप ने कन्नड़ चैनल BTV न्यूज़ कन्नड़ को एक इटरव्यू दिया जिसमें उन्होंने कुछ ‘सबूत’ दिखाए. ऐंकर ने सवाल उठाया कि प्रताप के पास बनाए गए ड्रोन्स की कोई फ़ोटो क्यूं नहीं है. इस पर प्रताप ने अपना फ़ोन निकालकर एक फ़ोटो दिखाया जिसमें वो एक ड्रोन के साथ पोज़ दे रहे हैं. इसे शो के इस वीडियो में 33वें मिनट के आस-पास देखा जा सकता है.

जर्मन कंपनी BillzEye ने बनाया है ड्रोन

जर्मनी की कंपनी BillzEye के मालिक बिल गटबियर ने कंपनी की वेबसाइट पर एक स्टेटमेंट जारी करके बताया कि प्रताप ने जो ड्रोन दिखाया वो BillzEye ने बनाया है और इसे CEBIT 2018, हैनोवर एग्ज़िबिशन सेंटर में दिखाया गया था.

स्टेटमेंट में कहा गया है कि प्रताप ड्रोन के बारे में जानने को उत्सुक थे और कई सारे सवाल पूछे जिनका गटबियर ने खुशी से जवाब दिया. इसके बाद प्रताप ने ड्रोन ‘BETH-01’ के साथ फ़ोटो लेने की रिक्वेस्ट की. गटबियर ने लिखा, “एग्ज़िबिशन में मेरे बूथ पर दिखाए गए सभी ड्रोन, खासतौर से BETH-01, जो फ़ोटो में प्रताप के साथ दिख रहा है, सभी BillzEye मल्टीकॉप्टरसिस्टम की प्रॉपर्टी हैं. प्रताप का उनके डिज़ाइन, डेवेलपमेंट, मैन्युफ़ैक्चर या डिस्ट्रिब्यूशन से कोई लेना-देना नहीं है. वो न तो एंप्लॉई हैं, न को-ऑपरेशन पार्टनर और न ही BillzEye मल्टीकॉप्टरसिस्टम के शेयर होल्डर हैं. फ़ोटो में जो ड्रोन दिखाया गया है इसे खासतौर से बिल गटबियर ने डिज़ाइन किया और बनाया है. यह कई डॉक्युमेंट्स, CAD फ़ाइल्स और फ़ोटोज़ दिखाकर साबित किया जा सकता है.”

जर्मनी में आयोजित किया गया CEBIT 2018 वही ड्रोन एक्सपो था जिसमें प्रताप ने दावा किया था कि उन्होंने “अल्बर्ट आइंस्टीन इनोवेशन गोल्ड मेडल” अवॉर्ड मिला था. आयरनी ये है कि इसके रिज़ल्ट में सिर्फ़ प्रताप को मिला अवॉर्ड दिखता है. द बेटर इंडिया ने जनवरी की शुरुआत में प्रताप पर एक आर्टिकल पब्लिश किया था कि उन्होंने अवॉर्ड प्राप्त किया है. वेबसाइट ने वह आर्टिकल स्पष्टीकरण देने के बाद हटा दिया है, “आर्टिकल पब्लिश होने के बाद हमारी सेकेंड राउंड की क्वेरीज़ का जवाब देते हुए जर्मनी के आयोजकों ने बताया कि हम ऐसा कोई अवॉर्ड होस्ट नहीं करते.”

यह पहली बार नहीं था जब प्रताप ने ऐसे ड्रोन के साथ फ़ोटो खिंचाई जो उनका नहीं था. एक और फ़ोटो इंटरनेट पर बहुत शेयर की गयी और प्रताप के इंस्टाग्राम अकाउंट पर भी मौजूद है. यही तस्वीर द न्यू इंडियन एक्सप्रेस एडेक्स लाइव ने पब्लिश की थी.

ध्यान से देखने पर पता चलता है कि ड्रोन पर जापान की कंपनी ACSL का लोगो लगा हुआ है.

फ़रवरी की शुरुआत में एक रेडिट यूज़र ने दावा किया उसने ACSL के COO को प्रताप के बारे में जानकारी देने के लिए लिखा था, कंपनी ने बताया कि वह इस नाम के किसी शख्स को नहीं जानती. यूज़र ने ACSL के COO सतोशी वाशिया के जवाब का स्क्रीनशॉट लगाया था जिसके मुताबिक फ़ोटो में दिख रहा ड्रोन ACSL PF-1 है और उसे पूरी तरह कंपनी ने ही बनाया है.

यानी प्रताप एनएम ने 600 ड्रोन बनाने का दावा किया है लेकिन अपने क्रिएशन का कोई विज़ुअल नहीं दिखाया है. यहां तक कि उन्होंने दूसरी कंपनियों के बनाए ड्रोन्स को अपना बताया है. ऑल्ट न्यूज़ ने प्रताप से उनका कमेंट लेने के लिए संपर्क किया लेकिन अभी तक कोई जवाब नहीं आया है. यह पूरा मामला दिखाता है कि कर्नाटक के एक शख्स ने खुद को भारत का सबसे युवा ‘ड्रोन साइंटिस्ट’ बताया और यह मीडिया की बड़ी चूक भी साबित करता है. केवल उसके कहने भर से उसका ऐसा महिमामंडन किया गया जैसे वो पूरी दुनिया में भारत का नाम रोशन कर रहा हो.

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About the Author

Pooja Chaudhuri is a researcher and trainer at Bellingcat with a focus on human rights and conflict. She has a Master's in Data Journalism from Columbia University and previously worked at Alt News.