ट्विटर यूजर @pokershash ने भारत और बांग्लादेश के झंडे पकड़े हुए बच्चों की एक तस्वीर पोस्ट की। उन्होंने इन तस्वीरों को इस संदेश के साथ साझा किया, “पश्चिम बंगाल में रामपुरहाट बालिका उच्च विद्यालय ने बांग्लादेशी ध्वज के साथ स्वतंत्रता दिवस मनाया”-अनुवाद। उन्होंने यह भी दावा किया कि टीएमसी विधायक आशीष बनर्जी स्कूल के समारोह में मौजूद थे।

एक अन्य उपयोगकर्ता सोरिश मुखर्जी ने उक्त घटना की 44-सेकंड की एक वीडियो क्लिप ट्वीट की और बताया कि बांग्लादेश का राष्ट्रगान पश्चिम बंगाल में इस स्कूल में स्वतंत्रता दिवस समारोह के दौरान गाया गया था।

पत्रकार अभिजीत मजुमदार ने इस वीडियो को रीट्वीट करते हुए लिखा, “टैगोर का ‘आमार शोनार बांग्ला’ गीत को गाना फिर भी ठीक होगा, लेकिन मुझे वहां बांग्लादेश का झंडा दिखता है। अकथनीय :-)”-अनुवाद।

तथ्य-जांच

ऑल्ट न्यूज़ ने स्कूल कार्यक्रम का 6 मिनट का वीडियो देखा, जिसमें सोशल मीडिया में प्रसारित हो रही 44-सेकंड की क्लिप शामिल है। इस पूरे वीडियो में, बांग्लादेशी राष्ट्रगान से पहले भारतीय राष्ट्रगान गाया गया था। ऑनलाइन साझा किए गए वीडियो में सिर्फ बांग्लादेशी राष्रगान के वीडियो को ही साझा किया गया है। नीचे दिए गए फुटेज में 0:32वें मिनट पर, आप भारतीय राष्ट्रगान को सुन सकते हैं।

ऑल्ट न्यूज़ ने रामपुरहाट बालिका उच्च विद्यालय के कई लोगों से बात की जिन्होंने स्वतंत्रता दिवस समारोह के दौरान बांग्लादेश के राष्ट्रगान और झंडे को बढ़ावा देने के दावों को खारिज़ किया है।

इस घटना के दौरान वहां मौजूद स्कूल के एक स्टाफ ने, नाम नहीं प्रकाशित करने की शर्त पर बताया, “यह एक अलग कार्यक्रम था जो स्वतंत्रता दिवस के मुख्य कार्यक्रम के बाद शुरू हुआ था। समूह नृत्य [नाटिका] की कुल लंबाई 8 मिनट थी। उन्होंने 44 सेकंड की क्लिप बनाई है, जिसमें बांग्लादेश का राष्ट्रीय ध्वज दिखाई दे रहा है”-अनुवाद।

ऑल्ट न्यूज़ के साथ बातचीत में, उस नाटक के विषय को डिजाइन करने वाले शिक्षकों में से एक ने हमें बताया कि, “यह एक सांस्कृतिक कार्यक्रम था जो स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम और हमारी प्रधानाध्यापिका [छाया चटर्जी] के भाषण के बाद हुआ था। चूंकि यह रक्षाबंधन और स्वतंत्रता दिवस के संयोग का एक अनूठा दिन था, हमने इन दोनों खुशियों को मनाने के लिए एक नाटक प्रस्तुत करने की कोशिश की। इसमें एक भाग यह था कि कैसे बांग्लादेश और बंगाल एक ही राज्य हुआ करते थे और विभाजन ने लोगों को धार्मिक भावनाओं के साथ बांट दिया था। चूंकि यह रक्षा बंधन था, जो भाईचारे का दिन था, हमने रवींद्रनाथ टैगोर के गीतों के माध्यम से, जो दोनों देशों में सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण हैं, खोए हुए भाईचारे को दिखाने की कोशिश की। इसमें टैगोर द्वारा लिखित राष्ट्रीय गान [भारत और बांग्लादेश] शामिल थे”-अनुवाद।

उक्त शिक्षक ने हमें टैगोर के एक गीत के बारे में भी बताया, जिस पर छात्राओं ने नृत्य किया था — ‘एक सुत्रे बधियाची सोहस्रोति मोन’ — जिसका अनुवाद होता है कि- ‘एक ही धागे से बंधे हैं सहस्र मन’। “यह गीत, अंग्रेजों द्वारा धार्मिक आधार पर बंगाल के विभाजन के बाद लिखा गया था। इस गीत से, टैगोर ने पूर्वी बंगाल के मुस्लिमों को राखी बांधने के लिए पश्चिम बंगाल के हिंदुओं को प्रोत्साहित किया था। इस गीत ने एकता को बढ़ावा दिया था “-अनुवादित।

ऑल्ट न्यूज़ ने रामपुरहाट बालिका उच्च विद्यालय की प्रधानाध्यापिका छाया चटर्जी से बात की, जिन्होंने भी सोशल मीडिया में चल रहे दावों को गलत बताया। चटर्जी ने कहा, “इसी नाटक का प्रदर्शन विभिन्न स्तरों पर किया गया है। मुझे नहीं पता कि हमारे स्कूल को क्यों निशाना बनाया जा रहा है”-अनुवादित।

निष्कर्ष रूप में, स्कूल की लड़कियों ने स्वतंत्रता दिवस के दौरान आयोजित एक सांस्कृतिक कार्यक्रम में एक नाटक प्रस्तुत किया था। चूंकि रक्षा बंधन भी उसी दिन था, इसलिए स्कूल प्रशासन ने दोनों को एक समारोहों में शामिल कर लिया। मुख्य स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम के बाद, छात्राओं ने रवींद्रनाथ टैगोर के एक गीत पर नृत्य किया जो बंगाल के विभाजन के बाद लिखा गया था और जो रक्षाबंधन के त्योहार के माध्यम से भाईचारे को बढ़ावा देता है। इस कार्यक्रम के पूरे वीडियो को क्लिप करके साझा किया गया और सोशल मीडिया में नफरत भरे संदेश के साथ प्रसारित किया गया।

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About the Author

Jignesh is a writer and researcher at Alt News. He has a knack for visual investigation with a major interest in fact-checking videos and images. He has completed his Masters in Journalism from Gujarat University.