वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई द्वारा वकील प्रशांत उमराव पर सोशल मीडिया में झूठी खबरें फैलाने का आरोप लगाते हुए पुलिस में शिकायत दर्ज कराने के बाद, उमराव ने अपनी खास शैली में सरदेसाई पर व्यक्तिगत हमले बोल दिए। उन्होंने पूछा, ‘’क्या मैं राजदीप के बाद उसके बेटे की पोल खोलूं?’’ इसके बाद राजदीप सरदेसाई के बेटे का मणिपाल यूनिवर्सिटी में मेडिकल कॉलेज में एडमिशन के बारे में संदेह व्यक्त करते हुए ‘’क्या वाकई यह सही है’’ किस्‍म के प्रश्न के साथ ट्वीट करने लगे: ‘’प्रिय @sardesairajdeep क्या यह सही है कि आपके बेटे ईशान को 2013 में मणिपाल यूनिवर्सिटी के मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस में बिना किसी मेरिट के, नियमों का उल्लंघन करते हुए एक करोड़ रुपए चुकाने के बाद एनआरआई कोटा से एडमिशन मिला (अनुवाद)?’’ यह ट्वीट किए जाने के बाद से इसे लगभग 9000 बार रीट्वीट किया जा चुका है।

ट्वीट की श्रृंखला में, उमराव ने राजदीप सरदेसाई पर यह आरोप लगाया कि उन्होंने अपने ‘’पढाई में औसत’’ बेटे के एडमिशन के लिए मेडिकल कॉलेज को धमकाया और कई तरह से डराया। उमराव ने राजदीप सरदेसाई पर ‘’सुपारी पत्रकार’’ होने का आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने टीवी पर मेडिकल सीट घोटाले का अभियान चलाया जिसका अंतिम उद्देश्य अपने बेटे के लिए मेडिकल में एडमिशन कराना था।

राजदीप सरदेसाई ने अपने बेटे का एडमिशन फॉर्म पोस्‍ट करते हुए जवाब दिया और उमराव तथा ट्विटर इंडिया को 100 करोड़ के मानहानि के मुकदमे की धमकी दी।

एक नफरती अभियान

राजदीप सरदेसाई के खिलाफ इस घृणित अभियान को फेक न्‍यूज वेबसाइट पोस्‍टकार्ड न्‍यूज का भी समर्थन मिला। पूरी तरह से उमराव के बेबुनियाद आरोप पर आधारित इस लेख की हेडलाइन में कहा गया, ‘’राजदीप सरदेसाई के बेटे की मेडिकल सीट खत्म हो जाएगी क्योंकि उसने एडमिशन के लिए कहा कि उसके पिता एनआरआई थे?’’

postcard screenshot

उमराव को पूर्व आप विधायक कपिल मिश्रा का भी समर्थन मिला जिसने ट्विटर द्वारा उमराव का अकाउंट बंद करने के बाद वीडियो संदेश ट्वीट किया।

राजदीप सरदेसाई और उनकी पत्नी सागरिका घोष को दक्षिणपंथी ट्विटर अकाउंट द्वारा लगातार ट्रोलिंग का निशाना बनाया जाता रहा है।

प्रमाण-रूपी दस्ताबेज

क्या इन आरोपों के पीछे कोई सच्चाई है या यह दुर्भावना से लगाए गए हैं? ऑल्ट न्यूज़ ने सोशल मीडिया पर शेयर किए गए दस्तावेजों और तर्कों को एक जगह एकत्र किया।

1. राजदीप सरदेसाई ने मणिपाल यूनिवर्सिटी से मिले एडमिशन ऑर्डर को साझा किया है। इस आर्डर में उनके बेटे की रैंक 1050 है। यह साफ तौर पर लिखा गया है कि एडमिशन ‘सामान्य’ श्रेणी में है तथा यह धोखा देकर या एनआरआई कोटे में नहीं हुआ है जैसा कि उमराव का आरोप है।

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2. उसके नीट स्कोर के बारे में? ट्विटर पर कई लोगों ने यह सवाल पूछा है। वरिष्ठ पत्रकार सागरिका घोष जो ईशान सरदेसाई की मां है, उन्होंने स्पष्ट किया कि 2013 में मणिपाल की प्रवेश प्रक्रिया के लिए नीट की आवश्यकता नहीं थी लेकिन इससे पहले कि वह नीट स्‍कोर पोस्ट कर पाती, कुछ ट्विटर यूजर्स ने इसे खोज निकाला और पोस्ट कर दिया।

2013 में एक लेख में मेडिकल की पढ़ाई करने के इच्छुक युवा के रूप में ईशान सरदेसाई ने अपने अनुभव के बारे में लिखा है जिसमें छात्रों के मन में यह बात थी कि कॉमन नीट-यूजी ही एकमात्र परीक्षा है जो उन्‍हें देनी होगी लेकिन कई मेडिकल कॉलेजों ने अपनी खुद की प्रवेश परीक्षा की घोषणा कर दी। ईशान ने नीट के साथ-साथ मणिपाल यूनिवर्सिटी की प्रवेश परीक्षा भी दी और उसे इन दोनों में अच्छे अंक मिले।

3. टी.वी. मोहनदास पाई जो कि मणिपाल यूनिवर्सिटी बोर्ड के सदस्य भी हैं, उन्होंने कई ट्वीट्स द्वारा यह पुष्टि की कि उमराव के दावे गलत हैं और प्रवेश मेरिट के आधार पर हुआ था।

मणिपाल यूनिवर्सिटी की प्रवेश प्रक्रिया से वाकिफ ट्विटर के अन्य यूज़र्स ने भी राजदीप सरदेसाई की बात का समर्थन किया।

4. मणिपाल यूनिवर्सिटी के ट्विटर अकाउंट से भी इस बात की पुष्टि की गई और ईशान के प्रवेश प्रक्रिया पर लगाये गए आरोप गलत बताए गए।

यह बेहद ही दुःखद और शर्मनाक स्थिति है कि ट्विटर के प्लेटफार्म का इस्तेमाल झूठी खबरें फैलाने और असहमति रखने वाले लोगों के खिलाफ हमला बोलने के लिए उमराव जैसे लोगों द्वारा लगातार किया जा रहा है। यह पैटर्न अब काफी जाना-पहचाना है – कोई बेबुनियाद अफवाह फैलाओ, नफरती भीड़ को इकट्ठा करो, किसी आदमी को निशाना बनाते हुए ट्रोल करो और बिना कोई परिणाम झेले यह प्रक्रिया बार-बार दोहराते रहो। यह मामला खासतौर पर इसलिए दुर्भावनापूर्ण है क्योंकि इसमें एक युवा मेडिकल छात्र पर बेबुनियाद आरोप लगाए गए हैं क्योंकि उसके पिता के साथ कुछ लोगों का विचारधारात्मक मतभेद है। बदले की यह शर्मनाक राजनीति जो बच्चों को भी नहीं छोड़ती है, उसकी कड़ी भर्त्सना सभी राजनीतिक दलों के लोगों द्वारा की जानी चाहिए। यह समय की मांग है कि ट्विटर इस प्लेटफार्म पर फिर से विवेकपूर्ण माहौल तैयार करे और बार-बार दोषी पाए जाने वाले कुछ जाने-पहचाने लोगों द्वारा नफरत और झूठी खबरें फैलाने पर रोक लगाने के लिए उनपर ठोस कारवाई करे।

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