एक धार्मिक ईमारत में तोड़फोड़ करते कुछ लोगों का वीडियो सोशल मीडिया पर पाकिस्तान का बताकर वायरल है. कई सोशल मीडिया यूज़र्स ने इसे देश के आर्थिक संकट से जोड़कर शेयर किया है. दावा है कि जिस ईमारत को तोड़ा गया वो एक मस्जिद थी और लोगों ने उसमें से अपने हिस्से को बेचने के लिए ऐसा किया, ताकि उन्हें खाना नसीब हो सके.

त्रिपुरा के पूर्व राज्यपाल तथागत रॉय ने ट्विटर पर इस क्लिप को शेयर करते हुए कहा कि ये व्हाट्सऐप के माध्यम से मिला है और इसकी सच्चाई वेरीफ़ाई नहीं की गई है. उन्होंने लिखा, “पाकिस्तान में वे मस्जिदों को तोड़ रहे हैं और अपने खाने के लिए मस्जिद के लोहे और ईंटें बेच रहे हैं. ये हाल के दिनों में तोड़ी गई तीसरी मस्जिद है. उनका कहना है कि अगर अल्लाह हमें खाना नहीं दे सकता तो मस्जिदों की क्या ज़रूरत है?”

ट्विटर यूज़र शेषधर तिवारी ने भी इस क्लिप को इसी तरह के दावे के साथ शेयर किया.

ये दावा पिछले कुछ समय से ट्विटर और फ़ेसबुक दोनों जगह वायरल हो रहा है.

फ़ैक्ट-चेक

की-वर्ड्स सर्च करने पर हमें एक ट्वीट मिला जिसमें बताया गया था कि जिस स्ट्रक्चर को तोड़ा गया वो एक अहमदी मस्जिद थी. अहमदिया मुसलमान एक ऐसा समुदाय है जिसे अक्सर पाकिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न और भेदभाव का सामना करना पड़ता है. यूज़र्स का दावा है कि ये काम कथित रूप से TLP (तहरीक-ए-लबैक) नामक संगठन के कार्यकर्ताओं द्वारा किया गया था.

ट्वीट की बातों को ध्यान में रखते हुए हमने एक और की-वर्ड्स सर्च किया जिससे हमें द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की एक डिटेल रिपोर्ट मिली. रिपोर्ट के मुताबिक, घटना 2 फ़रवरी को प्रीडी थाना क्षेत्र में दोपहर करीब साढ़े तीन बजे हुई थी.

रिपोर्ट में कहा गया है कि अनजान लोगों ने अहमदी समुदाय के खिलाफ़ नारे लगाते हुए उनके धार्मिक स्थल की मीनारों में तोड़फोड़ की. इसमें ये भी ज़िक्र किया गया है कि इस समुदाय के नेता के मुताबिक, ये धार्मिक स्थल 1950 के दशक में बनाया गया था और पिछले कुछ हफ्तों में पूरे पाकिस्तान में इनके खिलाफ इस तरह के हमले लगातार हो रहे थे.

द एक्सप्रेस ट्रिब्यून से बात करते हुए एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश की थी, लेकिन उन पर भी हमला किया गया. उन्होंने ये भी कहा कि अगर अहमदिया समुदाय अपराधियों के खिलाफ़ मामला दर्ज करने के लिए आगे आने में असहज महसूस करता है तो पुलिस खुद मामले का संज्ञान लेगी.

ऑल्ट न्यूज़ को अहमदिया समुदाय का एक बयान मिला. ये बयान प्रेस को जारी किया गया था.

इसमें लिखा है, “कराची में अहमदिया जमात के दो धार्मिक स्थलों की मीनारों को पिछले दो हफ्तों में कुछ असामाजिक तत्वों ने तोड़ दिया. आज 2 फ़रवरी दोपहर साढ़े तीन बजे के करीब कराची के अहमदिया हॉल को बदमाशों ने तोड़ा. विवरण के मुताबिक, पांच से दस बदमाश इस जगह आए और धार्मिक स्थल की दीवारों पर चढ़ने के लिए एक वेंडर के स्टॉल को प्लेटफ़ॉर्म के रूप में इस्तेमाल किया और समुदाय के खिलाफ़ नारे लगाते हुए हथौड़ों से मीनारों को तोड़ दिया. इसके बाद वे लोग उतर कर भीड़ में भाग निकले. वहां दो पुलिसकर्मी मौजूद थे. इन बदमाशों की संख्या ज़्यादा होने के कारण पुलिस पीछे हट गई. अहमदिया जमात ने पुलिस से प्राथमिकी दर्ज करने की अपील की है.”

इससे पहले अब्दुल कादिर पटेल नाम के शख्स ने 29 सितंबर 2020 को मामला दर्ज कराया था कि अहमदिया हॉल में मस्जिद जैसी मीनारें बनाई गई हैं. पिछले दो हफ्तों में कराची में अहमदिया जमात की मीनारें तोड़ने की ये दूसरी घटना है. इससे पहले 18 जनवरी को दोपहर में तीन से चार बदमाश मार्टिन रोड कराची स्थित अहमदिया जमात के इबादतगाह में सीढ़ी लगाकर और सामने की दो मीनारों को नुकसान पहुंचाकर घुस गए.

बयान के अनुवाद किए गए वर्जन को गूगल ट्रांसलेट अनुवाद का इस्तेमाल करके पढ़ा जा सकता है.

ऑल्ट न्यूज़ ने अहमदिया समुदाय के एक सदस्य से बात की जिन्होंने हमें बताया कि अहमदिया समुदाय के खिलाफ इस तरह के हमले सालों से होते आ रहे हैं. देश में आर्थिक संकट की वजह से स्थल को तोड़े जाने का दावा बिल्कुल निराधार है.

इस मामले में दायर एक पुलिस शिकायत पब्लिक डोमेन में मौजूद है क्योंकि इसे सिंध सरकार के प्रवक्ता मुर्तजा वहाब सिद्दीकी ने ट्विटर पर शेयर किया था. डॉन के मुताबिक, अब तक पांच संदिग्धों को गिरफ़्तार किया गया है.

कुल मिलाकर, पाकिस्तान में अनजान व्यक्तियों द्वारा अहमदिया धार्मिक स्थल में तोड़फोड़ का एक वीडियो भारतीय सोशल मीडिया यूज़र्स ने ग़लत तरीके से शेयर किया. ये दावा झूठा है कि पाकिस्तान में लोगों ने आर्थिक संकट की वजह से अपने हिस्सा बेचने के लिए एक मस्जिद को तोड़ दिया, ताकि उन्हें खाना नसीब हो सके.

डोनेट करें!
सत्ता को आईना दिखाने वाली पत्रकारिता का कॉरपोरेट और राजनीति, दोनों के नियंत्रण से मुक्त होना बुनियादी ज़रूरत है. और ये तभी संभव है जब जनता ऐसी पत्रकारिता का हर मोड़ पर साथ दे. फ़ेक न्यूज़ और ग़लत जानकारियों के खिलाफ़ इस लड़ाई में हमारी मदद करें. नीचे दिए गए बटन पर क्लिक कर ऑल्ट न्यूज़ को डोनेट करें.

बैंक ट्रांसफ़र / चेक / DD के माध्यम से डोनेट करने सम्बंधित जानकारी के लिए यहां क्लिक करें.

About the Author

Kalim is a journalist with a keen interest in tech, misinformation, culture, etc