सितम्बर के तीसरे हफ़्ते में, असम के दारंग ज़िले के सिपाझार इलाके में निष्कासन अभियान के दौरान पुलिस की बर्बरता की सूचना मिली थी. इस घटना में एक नाबालिग लड़के समेत दो लोगों की मौत हो गई थी. इलाके से जबरन निकाले गए ज़्यादातर लोग बंगाली मुस्लिम थे. सोशल मीडिया पर एक भयावह वीडियो सामने आया जिसमें सरकार द्वारा नियुक्त फ़ोटोग्राफ़र को एक प्रदर्शनकारी के मृत शरीर पर कूदते और मुक्के मारते हुए देखा गया.
इसी मामले से संबंधित बताते हुए 30 सेकंड के इस वीडियो को काफ़ी शेयर किया जा रहा है जिसमें एक व्यक्ति को ज़मीन पर पड़े एक आदमी के शरीर पर कूदते हुए दिखाया गया है. वीडियो के अंत में एक व्यक्ति और महिला के शव दिखते हैं.
ख़ुद को पाकिस्तानी बताने वाले ट्विटर यूज़र @ShiningSadaf ने इसे असम में मुसलमानों के उत्पीड़न का वीडियो बताया.
A dangerous escalation against Muslims in the Indian state of Assam: demolishing mosques, destroying Muslim homes, killing & arresting hundreds of them.Muslims face worst form of genocide in Assam at the hands of Terrorists RSS Fascists.#AssamHorror
pic.twitter.com/Fq96h7KvT1— صدف ✨ (@ShiningSadaf) September 24, 2021
एक अन्य यूज़र ज़ियाद अय्यूब ने भी वीडियो के साथ अरबी में यही दावा किया.
تصعيد خطير ضد المسلمين في ولاية آسام الهندية: هدم المساجد وتدمير منازل وقتل واعتقال المئات منهم
المسلمون يواجهون أسوأ أشكال الإبادة الجماعية في ولاية آسام على أيدي الارهابيين حركة RSS الفاشيين والعالم الإسلامي بأسره صامت.#AssamHorror@Muslim__news— د زياد ايوب (@ziyadayoub) September 25, 2021
वीडियो को कई लोगों ने ट्विटर और फ़ेसबुक पर अरबी (पहला, दूसरा) और अंग्रेजी (पहला, दूसरा) में इसी दावे के साथ शेयर किया.
पुराना वीडियो
ऑल्ट न्यूज़ ने वीडियो वेरिफ़िकेशन टूल InVid का उपयोग करके एक फ़्रेम का रिवर्स इमेज सर्च किया. मालूम चला कि वीडियो 2011 में यूट्यूब पर अपलोड किया गया था. वीडियो के डिस्क्रिप्शन में लिखा है कि घटना बिहार के फ़ोर्ब्सगंज इलाके की है जो नेपाल बॉर्डर से सटा हुआ है. यहां 3 जून 2011 को हुई पुलिस की गोलीबारी में चार प्रदर्शनकारी मारे गये थे.
2011 में, टू सर्कल्स की रिपोर्ट के मुताबिक, “3 जून 2011 को, अररिया ज़िले के फ़ोर्ब्सगंज ब्लॉक के अंतर्गत रामपुर और भजनपुर गांवों के निवासी, जुमा की प्रार्थना के बाद, दो गांवों के बीच संपर्क सड़क को हटाकर एक कारखाना बनाये जाने का विरोध करने के लिए बाहर आए. पुलिस ने न केवल विरोध करने वालों पर गोलियां चलाईं, बल्कि उन्हें उनके घरों तक खदेड़ दिया. पुलिस ने अंदर घुसकर महिलाओं और यहां तक कि बच्चों को भी मारा. दोनों गांवों में मुस्लिम आबादी 90% हैं. घटना में, 2 महिलाएं और 6 महीने के एक बच्चे समेत कुल 6 लोगों की मौत हो गई. जबकि राज्य सरकार का दावा है कि सिर्फ़ चार लोग मारे गए थे. TwoCircles.net को बच्चे सहित सभी 6 पीड़ितों के शवों का एक वीडियो मिला है.”
इस घटना की रिपोर्ट द हिंदू, द इंडियन एक्सप्रेस और CNN IBN ने छापी थी. 2015 में, द वायर ने पीड़ितों के परिवार के सदस्यों से बात करते हुए एक स्टोरी पब्लिश की थी.
कुल मिलाकर, बिहार में मुस्लिम समुदाय पर पुलिस की बर्बरता की एक दशक पुरानी घटना के वीडियो को इस ग़लत दावे के साथ शेयर किया गया कि ये असम के हालिया दृश्य थे.
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