24 फ़रवरी को दिल्ली के नॉर्थ-ईस्ट इलाके में हिंसा शुरू हुई. सुबह दो समुदायों के बीच शुरू हुए पथराव ने बड़ी हिंसा का रूप ले लिया और दोपहर होते-होते 2 मौतों की ख़बर भी आ गई जिसमें एक दिल्ली पुलिस का हेड कांस्टेबल था. अंधेरा होते-होते जाफ़राबाद और चांदबाग़ में आगजनी शुरू हो गई जिसने काफ़ी नुकसान किया. ये हिंसा तीन दिनों तक चल चुकी है और इस आर्टिकल के लिखे जाने तक दिल्ली में हालात सामान्य नहीं हुए हैं. ऐसे हालातों के बीच सोशल मीडिया हर तरह की बातों से भरा हुआ है. तमाम वीडियो हैं जो कि वायरल हो रहे हैं और उन्हें धड़ल्ले से शेयर किया जा रहा है.

एक ऐसा ही वीडियो हमारी नज़र में आया जिसे सोशल मीडिया पर तंज़ कसते हुए फैलाया जा रहा है और कहा जा रहा है कि अगर उस वीडियो को मीडिया नहीं दिखायेगी तो भी उसे इतना फैला दिया जायेगा कि हर जगह पहुंच जाए. इस वीडियो में देखा जा सकता है कि पुलिस की कई गाड़ियां हैं जो कि भीड़ के बीच से निकल रही हैं. आस पास काफ़ी लोग हैं और सड़क से पत्थर उठा कर गाड़ियों पर मार रहे हैं. पुलिस वाले किसी तरह जान बचाकर भाग रहे हैं. मेजर सुरेन्द्र पुनिया ने इस वीडियो को शेयर करते हुए लिखा है, “ये कश्मीर को दिल्ली ले आये हैं, पत्थर नहीं फेंक रहे हैं ये बल्कि भारत को तोड़ रहे हैं ..यह सब बरखा,रविश,डिसूज़ा, राजदीप, Wire,Quint,BBC,Scroll,राणा अयूब,अरफ़ा, NDTV नहीं दिखायेंगे! यह Anti-CAA आंदोलन नहीं है बल्कि आतंकवाद है और इसका कंट्रोल रूम रावलपिंडी में है. #DelhiBurns” (आर्काइव किया हुआ ट्वीट)

सनद रहे कि ये वीडियो उस समय वायरल हो रहा है जब दिल्ली में दो समुदायों के लोग आपस में कटाजुज्झ करने पर उतारू हैं और प्रति घंटे की दर से दिल दहला देने वाले वीडियो आ रहे हैं. अख़बार, न्यूज़ वेबसाइट्स ऐसी ख़बरों से अटे पड़े हैं जिसमें लोगों को पहुंच रहे नुकसान के बारे में लिखा हुआ है. लोग मर रहे हैं और ऐसी ही पृष्ठभूमि में ये वीडियो भी वायरल हो रहा है. इसलिए ये और भी ज़रूरी हो जाता है कि इस वीडियो की सच्चाई मालूम की जाए और लोगों को भी इसके बारे में बताया जाए.

ऑल्ट न्यूज़ ने इस वीडियो की पड़ताल की और शुरूआती जांच में मालूम पड़ा कि ये ट्वीट सबसे पहले 25 फ़रवरी को @monster_friday नाम के ट्विटर हैंडल से किया गया था. लेकिन इसे बहुत ज़्यादा तवज्जो नहीं मिली. (आर्काइव किया हुआ ट्वीट)

मगर फ़िर ये ट्वीट वायरल हुआ जब अतुल कुशवाहा नाम के एक शख्स ने इसे ट्वीट किया. अतुल को लगभग 28 हज़ार लोग फ़ॉलो करते हैं. अतुल कुशवाहा के ट्वीट को आर्टिकल के लिखे जाने तक साढ़े 8 हज़ार के करीब रीट्वीट्स मिल चुके हैं. (आर्काइव किया हुआ ट्वीट)

इस ट्वीट के बाद इसे कई लोगों ने इसी टेक्स्ट के साथ ट्वीट किया है.

फ़ैक्ट चेक

ऑल्ट न्यूज़ की पड़ताल में मालूम चला कि इस वीडियो का दिल्ली में हो रही हिंसा से कोई लेना-देना नहीं है. असल में ये वीडियो दिल्ली का नहीं है. और तो और, ये वीडियो पिछले साल का है.

ये हमें कैसे मालूम चला, हम आपको आगे बताते हैं.

हमने जब ये वीडियो देखा तो सड़क के किनारे कई दुकानें दिखाई दीं. वीडियो को एक जगह पर पॉज़ करने पर हमें दुकान के बोर्ड पर कुछ दिखाई दिया. मालूम पड़ा कि लाल रंग से गुजराती लिपि में लिखा हुआ था – ‘दवाओं.’ यानी ये एक दवाइयों की दुकान थी जिसे हम मेडिकल स्टोर भी कहते हैं. इससे ये साफ़ हो चला था कि वीडियो दिल्ली नहीं बल्कि गुजरात का है.

इसके बाद हमने इस वीडियो को एक और फ़्रेम पर फ़्रीज़ किया. यहां हमें एक और दुकान पर अंग्रेज़ी के अक्षरों में कुछ लिखा दिखाई दे रहा था. ग़ौर किया तो मालूम पड़ा कि लिखा हुआ था – ‘Famous Chicken Suppliers’.

हमने इसे गूगल पर ढूंढा तो मालूम पड़ा कि ये अहमदाबाद में शाह आलम रोड पर एक दुकान है. फ़िर सर्च किया कि क्या अहमदाबाद के इस इलाक़े में पुलिस पर पथराव की कोई घटना हुई थी. तो हमें पिछले साल यानी 2019 की दिसंबर की एक घटना का ज़िक्र मिला. ख़बर मिली कि अहमदाबाद के इसी इलाके में 19 दिसंबर 2019 को सीएए का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों ने पथराव किया था. कई पुलिसवाले घायल हुए थे और पुलिसवालों को वहां से जान बचाकर भागना पड़ा था.

इससे सम्बंधित वीडियो भी हमें मिला. ‘TV9 भारतवर्ष’ के वीडियो में ठीक यही फ़ुटेज दिखाई पड़ती है. जिसने भी ये वीडियो रिकॉर्ड किया, ज़ाहिर है कि वायरल हो रही क्लिप उसका एक छोटा सा हिस्सा भर है. दिसंबर में टीवी पर चली पूरी फ़ुटेज देखिये –

‘दी लल्लनटॉप’ नाम की वेबसाइट ने 20 दिसंबर को इस वीडियो के दूसरे एंगल को अपने यूट्यूब चैनल पर अपलोड किया था. उन्होंने लिखा है कि ये घटना अहमदाबाद के शाह आलम इलाक़े की है जहां CAA के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे लोगों ने पुलिसकर्मियों पर पथराव शुरू कर दिया था. इसमें आप पथराव के अलग-अलग हिस्सों और घटनाओं को देख सकते हैं जहां पुलिस की टुकड़ी पर पथराव के अलावा दौड़ते हुए गिर जाने वाले पुलिस वाले की ‘लिंचिंग’ को भी देखा जा सकता है.

इसके अलावा इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट भी दिखी जिसमें ये मालूम चला कि एक मुस्लिम बाहुल्य इलाक़े में पुलिस को काफ़ी बड़े विरोध का सामना करना पड़ा. यहां एक मौका ऐसा भी आया था जब कुछ पुलिसवाले एक कोने में फंस गए थे और भीड़ उनपर पथराव कर रही थी. ऐसे में वहां के कुछ लोकल लोगों ने ही उन्हें बचाया था और सुरक्षित वापस भेजा था. इसका वीडियो भी ख़ूब वायरल हुआ था. इसे द क्विंट के यूट्यूब चैनल पर देखा जा सकता है. (दी लल्लनटॉप के ऊपर दिए गए वीडियो में भी इसे देखा जा सकता है.)

यानी ऑल्ट न्यूज़ की पड़ताल में ये वीडियो दिल्ली से जुड़ा नहीं पाया गया. पुलिस पर पथराव होते हुए जो वीडियो दिखाई दे रहा है, असल में वो जगह दिल्ली से साढ़े 900 किलोमीटर से भी ज़्यादा दूर है. और ये घटना साल 2019 की है.

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Ketan is Senior Editor at Alt News Hindi.