हाल ही में मुंबई में ‘दादासाहब फाल्के इंटरनेशनल फ़िल्म फेस्टिवल 2023’ का आयोजन हुआ था जिसमें वरून धवन, रणवीर कपूर, आलिया भट्ट, ऋषभ शेट्टी, फ़िल्म ‘द कश्मीर फ़ाइल्स’, इत्यादि को अलग-अलग क्षेत्र में अवॉर्ड दिया गया.
विवादित फिल्म ‘द कश्मीर फ़ाइल्स’ के डायरेक्टर विवेक अग्निहोत्री ने ट्वीट करते हुए कहा कि ‘द कश्मीर फ़ाइल्स’ को दादासाहब फाल्के अवार्ड्स 2023 में ‘सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म’ का पुरस्कार मिला है. इस ट्वीट में विवेक अग्निहोत्री ने #DadaSahebPhalkeAwards2023 का इस्तेमाल किया है. और यहीं से लोगों में दादासाहेब फाल्के अवार्ड को लेकर भ्रम पैदा हुआ.
ANNOUNCEMENT:#TheKashmirFiles wins the ‘Best Film’ award at #DadaSahebPhalkeAwards2023.
“This award is dedicated to all the victims of terrorism and to all the people of India for your blessings.” pic.twitter.com/MdwikOiL44— Vivek Ranjan Agnihotri (@vivekagnihotri) February 21, 2023
कई मीडिया आउटलेट्स और सोशल मीडिया यूज़र्स ने भी बताया कि ‘द कश्मीर फ़ाइल्स’ को दादासाहेब फाल्के अवार्ड मिला है. लेकिन यहां ये जानना ज़रूरी है कि दादासाहेब फाल्के अवार्ड और दादासाहेब इंटरनेशनल फ़िल्म फेस्टिवल अवॉर्ड्स दो अलग-अलग अवार्ड्स हैं.
दोनों अवार्ड्स में अंतर
इससे पहले कि हम किसी अन्य अंतर की ओर बढ़ें, ये जानना ज़रूरी है कि दादासाहेब फाल्के अवार्ड और उनके नाम से प्राइवेट संस्थाओं द्वारा दिए जाने वाले अवॉर्ड्स में सबसे बड़ा अंतर ये है कि दादासाहेब फाल्के अवार्ड की कोई कैटेगरी (बेस्ट फिल्म, बेस्ट एक्टर, बेस्ट एक्ट्रेसस, इत्यादि) नहीं होती. दादासाहेब फाल्के अवार्ड एक साल में बस एक व्यक्ति को दी जाती है जिसका भारतीय फिल्म जगत में उत्कृष्ट योगदान हो.
- दादासाहेब फाल्के अवार्ड
भारतीय सिनेमा के क्षेत्र में दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड सर्वोच्च है. भारत की पहली फुल-लेंथ फ़ीचर फ़िल्म राजा हरिश्चंद्र (1913) के निर्देशक और भारतीय सिनेमा के जनक माने जाने वाले दादासाहेब फाल्के द्वारा भारतीय सिनेमा के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान को याद करने के लिए भारत सरकार द्वारा इस पुरस्कार की शुरुआत 1969 में की गई थी. भारतीय सिनेमा के विकास और विकास में उत्कृष्ट योगदान के लिए ये सम्मान फ़िल्म समारोह निदेशालय, सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार समारोह में दिया जाता है. भारतीय फ़िल्म उद्योग से प्रतिष्ठित व्यक्तित्वों वाली एक समिति द्वारा अवॉर्डी का चुनाव किया जाता है. इस सम्मान में पुरस्कार के रूप में एक स्वर्ण कमल (गोल्डन लोटस) पदक, एक शॉल और ₹10 लाख रूपये का नकद दिया जाता है. अभी तक सबसे हालिया दादासाहेब फाल्के अवॉर्ड इंडियन एक्ट्रेस, फ़िल्म डायरेक्टर और प्रोड्यूशर आशा पारेख को वर्ष 2020 में मिला है. 2020 में कोविड-19 कि वजह से उन्हें ये सम्मान 2022 में दिया गया.
- दादासाहेब फाल्के इंटरनेशनल फ़िल्म फ़ेस्टिवल अवॉर्ड्स
DPIFF की ऑफिशियल वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के मुताबिक, दादासाहेब फाल्के इंटरनेशनल फ़िल्म फ़ेस्टिवल एक प्राइवेट संस्थान द्वारा आयोजित स्वतंत्र फ़िल्म फ़ेस्ट है. इसकी स्थापना भारतीय सिनेमा के जनक माने जाने वाले दादासाहेब फाल्के की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए 2012 में हुई थी और 2016 में इसकी शुरुआत की गई थी. अनिल मिश्रा इस फ़िल्म फ़ेस्टिवल के फ़ाउंडर और डायरेक्टर हैं. अनिल मिश्रा सूचना और प्रसारण मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले ‘सेंट्रल बोर्ड ऑफ़ फ़िल्म शर्टिफिकेशन’ (CBFC) के सलाहकार पैनल के सदस्य भी हैं. ये अवार्ड्स कई कैटेगरी (बेस्ट फ़िल्म, बेस्ट एक्टर, बेस्ट एक्ट्रेस, बेस्ट डायरेक्टर, बेस्ट शॉर्ट फ़िल्म, इत्यादि) में दी जाती है.
कई लोगों को नाम में समानता की वजह से कन्फ्यूजन होता है. फ़िल्म रिसर्चर और क्रिटिक ब्रह्मात्मज ने ट्वीट करते हुए लिखा कि इस अवार्ड को भारत सरकार द्वारा दिया जाने वाला दादासाहेब फाल्के अवार्ड के समकक्ष देखा जाने लगा है. उन्होंने भारत सरकार से इसे बंद करने का आग्रह किया.
मजेदार और कड़वी सच्चाई है कि दादा साहब फाल्के के नाम से जारी यह अवार्ड फिल्म बिरादरी के कतिपय सदस्यों द्वारा भारत सरकार द्वारा दिए जाने वाले दादा साहब फाल्के अवार्ड के समकक्ष देखा जाने लगा है।
भारत सरकार और सूचना प्रसारण मंत्रालय से मेरा आग्रह है कि इसे यथाशीघ्र बंद किया जाए। pic.twitter.com/G5xoIQRa5o— MrB (@brahmatmajay) February 21, 2023
दादासाहब फाल्के के नाती चंद्रशेखर पुसालकर ने क्या कहा?
2022 में अमर उजाला को दिए एक इंटरव्यू में दादासाहब फाल्के के नाती चंद्रशेखर पुसालकर ने कहा था कि लोगों ने उन्हें मुंबई में बंटने वाले दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड्स वाले समारोह में खास मेहमान के तौर पर खूब आमंत्रित किया. उन्होंने कहा कि ये अवॉर्ड पैसे लेकर ऐसे लोगों को दिया जा रहा है जो उसके काबिल नहीं हैं. साथ ही उन्होंने बताया कि एक बार उन्हें एक मशहूर मराठी अभिनेत्री का फोन आया कि उन्हें अमेरिका में दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड का आयोजक मिला है जो अवॉर्ड के लिए दस लाख की मांग कर रहा है.
इस इंटरव्यू में चंद्रशेखर पुसालकर ने भारत सरकार द्वारा दिए जाने वाले दादासाहब फाल्के पुरस्कार से मिलते-जुलते पुरस्कारों के नाम पर भी आपत्ति जताया था. उन्होंने कहा कि लोग दादासाहेब फाल्के के नाम पर दुकानदारी चलाते हैं तो दुख होता है. उन्होंने कहा कि ये देखकर दुख होता है कि एक तरह अमिताभ बच्चन जैसी शख्सियत को दादा साहेब फाल्के अचीवमेंट अवॉर्ड से सम्मानित किया जाता है तो दूसरी तरफ यहां मुंबई में कोई भी पैसे देकर दादासाहेब फाल्के अवॉर्ड से मिलते जुलते नाम वाला अवॉर्ड लेकर चला जाता है.
ज्ञात हो कि दादासाहेब फाल्के के नाम से कई अवार्ड्स हैं. उदाहरण के लिए – दादासाहेब फाल्के इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल अवार्ड्स, दादासाहेब फाल्के फिल्म फाउंडेशन अवार्ड्स, दादासाहेब फाल्के एक्सीलन्स अवार्ड्स, दादासाहेब फाल्के अकादमी अवार्ड्स, इत्यादि. 2018 में IANS को दिए गए एक इंटरव्यू में पुसालकर ने कहा था कि 2015 के बाद मतभेदों की वजह से दादासाहेब फाल्के अकादमी पुरस्कार से दो अन्य भागों का गठन किया गया है. कुछ लोगों ने दादा साहेब फाल्के फ़िल्म फ़ाउंडेशन अवार्ड्स शुरू किया और उसके बाद कुछ लोगों ने दादा साहब फाल्के एक्सीलेंस अवार्ड्स शुरू किया. मैं तीनों पुरस्कार समारोहों में शामिल होता था क्योंकि वे हमें अतिथि के रूप में बुलाते थे, लेकिन मेरा उनसे अनुरोध है कि वे अपने मतभेदों को भुलाकर एक छत के नीचे आएं.
पहले भी दादासाहेब के नाम से चलाए जाने वाले अवॉर्ड्स विवादों के घेरे में रहा है. भारतीय जनता पार्टी की सचिव और सेंट्रल बोर्ड ऑफ फ़िल्म शर्टिफिकेशन (CBFC) की मेम्बर रह चुकी वाणी त्रिपाठी टिकू ने 2018 में ट्वीट करते हुए लिखा था कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा द्वारा गठित केवल एक ‘दादा साहेब फाल्के’ अवार्ड है. किसी और के द्वारा नाम का उपयोग करना इस प्रतिष्ठित पुरस्कार और इसके नाम का घोर उल्लंघन है.
There is only one “Dada Saheb Phalke” Award constituted by @MIB_India anyone else using the name is a gross violation of this prestigious award and its name..@smritiirani https://t.co/IdLyjWmo6w
— Vani Tripathi Tikoo (@vanityparty) April 17, 2018
हिंदुस्तान टाइम्स से बात करते हुए वाणी त्रिपाठी टिकू ने कहा था कि ये भारत सरकार और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा सर्वोच्च, प्रतिष्ठित और प्रशंसित पुरस्कारों में से एक की अवहेलना है. ये तमाशा हर साल होता है. उन्होंने इसपर चिंता ज़ाहिर करते हुए कहा कि क्या होगा अगर कल को कोई पद्म पुरस्कार या भारत रत्न से मिलता-जुलता नाम का इस्तेमाल करता है, और कोई कहता है कि ये भी एक और भारत रत्न दिया जा रहा है!
इस मुद्दे पर सूचना और प्रसारण मंत्रालय का पक्ष जानने के लिए हिंदुस्तान टाइम्स ने मंत्रालय के संयुक्त सचिव (फिल्म) अशोक कुमार परमार से पूछा कि क्या मंत्रालय ने ऐसे संगठनों को कोई नोटिस जारी किया है या कोई कार्रवाई की है? इसपर संयुक्त सचिव (फ़िल्म) अशोक कुमार परमार कहते हैं, “मंत्रालय क्या कर सकता है? और हम किस नियम के तहत कार्रवाई कर सकते हैं? आप उन्हें रोक नहीं सकते, क्योंकि वे बिल्कुल नाम की नकल नहीं कर रहे हैं. वे नाम को तोड़-मरोड़ कर पेश करके समारोह आयोजित करते हैं. ये वहां आमंत्रित लोगों पर निर्भर करता है कि वे ऐसे कार्यक्रमों में शामिल होना चाहते हैं या नहीं.
निष्कर्ष
कुल मिलाकर, दादासाहेब फाल्के अवॉर्ड और दादासाहेब इंटरनेशनल फ़िल्म फेस्टिवल अवार्ड्स में बहुत अंतर है. विवेक अग्निहोत्री ने अपने ट्वीट में भ्रामक हैशटैग का इस्तेमाल करते हुए दावा किया कि ‘द कश्मीर फाइल्स’ को दादासाहेब फाल्के अवार्ड से सम्मानित किया गया है, जिससे सोशल मीडिया पर विभ्रांति पैदा हुई. जबकि ‘द कश्मीर फाइल्स’ को एक क प्राइवेट संस्थान द्वारा आयोजित स्वतंत्र फ़िल्म फ़ेस्ट – दादासाहेब फाल्के इंटरनेशनल फ़िल्म फ़ेस्टिवल अवार्ड्स 2023 में बेस्ट फ़िल्म का अवार्ड दिया गया है.
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