“भाइयों, यहां पे एक समाधान होना चाहिए. जो भी लव जिहाद करते हैं, उनकी लिस्ट हमें दें. हम और हमारी टीम उनको मारेंगे भाई, खुल्ला. ना तो हम किसी केस से डरते हैं क्योंकि नाम तो मैं लेना चाहता नहीं लेकिन अपने बड़े भाई यहां बैठे भी हैं वो हमारी पैरवी फ़ुल करेंगे कोई दिक्कत नहीं है और जो लव जिहाद करेगा, जो हमारी बहन बेटियों को छेड़ेगा, उनको मारने का काम सिर्फ और सिर्फ हम, हमारी टीम और हमारे युवा साथी करेंगे. उनसे अपना कोई समझौता नहीं है जो अपना धर्म पे उंगली उठाने देंगे. उनको सिर्फ और सिर्फ मारने पर ही हमारा समाधान होगा, नहीं तो कोई समाधान नहीं हो सकता. ये भाषानो से समाधान नहीं होगा, उनको मारना पड़ेगा भाई. जय श्री राम.”

4 जुलाई, 2021 को हरियाणा के पटौदी में मोनू मानेसर ने हिंदू महापंचायत में हिंसा का ये खुला आह्वान किया था. और इस भाषण के बाद मोनू मानेसर मंच से बाहर आया तो तालियों की गड़गड़ाहट और एक सामूहिक जयकार गूंज उठी. मोनू के पास गुरुग्राम-रेवाड़ी-नूंह क्षेत्र में लगभग 50 गौ रक्षकों की एक टीम है. कार्यक्रम के होस्ट ने मोनू को एक ऐसे व्यक्ति के रूप में पेश किया जो “गायों की रक्षा करते हुए गोली मारता है और गोली खाता है.”

मोनू मानेसर ने एक बार नहीं बल्कि कई मौकों पर हिंसा की ऐसी खुली मांग की है. नवंबर 2021 में उसने गुरुग्राम के सेक्टर 12 में नारे लगाते हुए मुसलमानों के खिलाफ़ हिंसक धमकियां दे डाली. “हिंदू के गद्दारों को, गोली मारो सालों को.” उसने बच्चों के साथ भी इस तरह के नारे लगाए थे. ये सभा शुक्रवार को सार्वजनिक जगहों पर नमाज़ अदा करने वाले मुसलमानों के खिलाफ़ विरोध दर्ज कराने के लिए की गई थी.

हाल ही में मोनू का नाम हरियाणा के नूंह इलाके में वारिस नाम के शख्स की मौत के बाद सुर्खियों में आया था. वारिस के परिवार ने मोनू पर 28 जनवरी की सुबह गाय तस्करी के शक में वारिस और उसके सहयोगियों, नफीस और शौकीन का पीछा करने और उन पर हमला करने का आरोप लगाया था. पुलिस ने मोनू को क्लीन चिट देने वाले दावों का खंडन किया. कानून लागू करने वालों के मुताबिक, वारिस और उसके साथी जिस कार में सफर कर रहे थे वो शनिवार सुबह करीब 5 बजे हरियाणा के तोरु-भिवाड़ी रोड पर एक टेंपो से टकरा गई और तीनों को गंभीर चोटें आईं. बाद में नलहर के सरकारी मेडिकल कॉलेज में वारिस की मौत हो गई.

हालांकि, पुलिस के बयान में घटनाओं के क्रम में कुछ चीज़े मिसिंग हैं. उनके बयान के मुताबिक, मोनू की टीम ने वारिस और उसके साथियों को पकड़ने के बाद फ़ेसबुक पर लाइव किया. फ़ेसबुक लाइव-स्ट्रीम से ऐसा लगता है कि एक क्लिप में वारिस और उसके दो सहयोगियों से उनके नाम और संबंधित गांवों के बारे में पूछताछ की जा रही है. (लाइव-स्ट्रीम को अब हटा दिया गया है) (आर्काइव लिंक)

वारिस के बड़े भाई इमरान ने पूछा, “वीडियो में साफ दिख रहा है कि उसे कोई गंभीर चोट नहीं आई है. वो सामान्य तरीके से सवालों का जवाब दे रहा है. बाद में वो कैसे आंतरिक चोटों के कारण दम तोड़ दिया?”.

कौन हैं मोनू मानेसर?

मोहित ‘मोनू’ मानेसर एक पॉलिटेक्निक डिप्लोमा होल्डर है जो ये दावा करता है कि उसके जीवन का सच्चा मकसद गौमाता को बचाना और अपने धर्म की रक्षा करना है. मोनू और उसकी टीम कथित गाय तस्करों को पकड़ने और उन्हें पुलिस को सौंपने में सक्रिय रूप से शामिल है. ऑल्ट न्यूज़ से फ़ोन पर हुई बातचीत के दौरान, मोनू ने अपने जीवन के उस निर्णायक क्षण के बारे में बात की जब उसने महसूस किया कि गौ-रक्षा ही उसका सच्चा लक्ष्य होना चाहिए. उसने बताया, “एक दिन कॉलेज से घर लौटते समय, मेरे दोस्तों और मैंने गाय से भरे एक ट्रक को देखा जिसमें से खून टपक रहा था. हमने ट्रक को रोका और पुलिस को सूचना दी. दो मुस्लिम समुदाय के लोगों को पकड़ा गया. उस वक्त मुझे एहसास हुआ कि गौमाता और हमारे धर्म का अपमान किया जा रहा है.”

अक्सर, मोनू और उसकी टीम अवैध रूप से मवेशियों को ले जाने के शक में किसी वाहन का पीछा करने की प्रक्रिया को सोशल मीडिया पर लाइव-स्ट्रीम करते हैं. ‘तस्करों’ के पकड़े जाने के बाद, मोनू और उसकी टीम ने बचाए गए मवेशियों और आरोपियों की कई तस्वीरें अपने सोशल मीडिया पेजों पर ‘जीत’ के रूप में पोस्ट की हैं. वो पूरी टीम की तस्वीर जीत दर्शाने के लिए पोस्ट करता है जिसमें कुछ सदस्य ट्रकों के ऊपर खड़े होते हैं और कुछ फ़ायरआर्म्स रखे होते हैं.

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मोनू मानेसर बजरंग दल का डिस्ट्रिक्ट को-ऑर्डिनेटर है. 2013 में कॉलेज के अपने दूसरे साल के दौरान धर्मेंद्र मानेसर और मनजीत बाबरा ने उसे बजरंग दल में शामिल किया. हमने मोनू से पूछा कि वो फ़ार-राईट विंग ऑर्गनाइज़ेशन में क्यों शामिल हुआ तो मोनू ने पूरे आत्मविश्वास के साथ जवाब दिया, “देश का बल, बजरंग दल.”

अपने काम के तौर-तरीकों के बारे में बात करते हुए मोनू ने ऑल्ट न्यूज़ को बताया, “हमारे काम में उन लोगों से टिप लेना शामिल है जो आमतौर पर रात में काम करते हैं, जैसे सुरक्षा गार्ड और स्थानीय डेयरी कर्मचारी. एक संदिग्ध वाहन को देखते ही सोर्स तुरंत मेरी टीम को सतर्क करता है. हम बदले में पुलिस को सूचित करते हैं जो मौके पर पहुंचती है. ऐसे अवसरों पर जब पुलिस जगह पर नहीं पहुंच पाती है, तो मैं और मेरी टीम ज़रूरी कार्रवाई करते हैं और पकड़े गए लोगों को पुलिस को सौंप देते हैं.”

इसके अलावा मोनू को प्रतिष्ठान का समर्थन प्राप्त है. गाय की तस्करी को रोकने की अपनी कोशिश के तहत, हरियाणा सरकार ने राज्य स्तर और ज़िला स्तर दोनों पर विशेष कार्य बल गठित किए. इस टास्क फ़ोर्स में मोनू सहित कई ‘गौरक्षक’ शामिल हैं.

ये टास्क फ़ोर्स गौवंश के अवैध परिवहन, तस्करी और हत्या को रोकते हैं. वो तस्करी और हत्या के बारे में जानकारी इकट्ठा करते हैं, कानूनी कार्रवाई करते हैं और आवारा पशुओं को बचाकर उनका पुनर्वास करते हैं.

मोनू मानेसर ज़िला प्रशासन की सिविल डिफेंस टीम का सदस्य भी है. उसने ऑल्ट न्यूज़ को बताया कि उसे नागरिक सुरक्षा में दिलचस्पी तब हुई जब उसे पता चला कि टीम ने लोगों की पहचान और धर्म की परवाह किए बिना उसकी मदद की. आगे की तस्वीर में वो सिविल डिफेंस की वर्दी में नज़र आ रहा है.

गौरक्षकों के अलावा मोनू और उसकी टीम अलग से एक कारोबार भी चलाता है. कुछ कमरे किराए पर देकर आमदनी करते हैं जबकि कुछ परिवहन में काम करते हैं. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मोनू सबलेटिंग रूम से लेकर मजदूरों तक की कमाई करते है. ABP अनकट के साथ एक इंटरव्यू में ये पूछे जाने पर कि क्या उसे सरकार से कोई फंडिंग मिलती है, मोनू कहता है कि समाज उनके काम के लिए ज़रूरी सभी फ़ंड्स का योगदान करता है और वो सरकार से कोई पैसा नहीं लेते हैं. हालांकि, गौ तस्करी के खिलाफ़ कानूनों ने उनके लिए अपना काम जारी रखना आसान बना दिया है.

मोनू मानेसर की ‘जागरूकता’

मोनू का दावा है कि कथित गौतस्करों को पकड़ने के दौरान उसकी टीम ने कभी किसी के साथ मारपीट नहीं की. मोनू ने अनकट के साथ इंटरव्यू में दावा किया, “हम लंबे समय से ऐसा कर रहे हैं और हमने कभी आरोपी को नहीं मारा. वारिस का मामला अलग नहीं था.” 

हालांकि, अपने सफल ‘ऑपरेशन’ के बाद वो जो तस्वीरें पोस्ट करता है उनमें आरोपी घायल अवस्था में दिखाई देता है. वारिस के मामले में मोनू मानेसर और पुलिस ने बताया कि टक्कर के कारण लगी चोटों से उसकी मौत हुई है. हालांकि, मोनू और उसकी टीम के तौर-तरीकों में एक निर्विवाद पैटर्न देखा जाता है जो मोनू के अहिंसा के दावों से बिल्कुल उलट है.

मोनू की इस पहल के शुरुआती सालों में सोशल मीडिया पर पोस्ट की गई तस्वीरों में अक्सर कुछ सदस्य आरोपी व्यक्ति के बाल पकड़ते हुए दिखता था. यही रणनीति मोनू को बजरंग दल से परिचित कराने वाले धर्मेंद्र मानेसर ने भी अपनाई थी.

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इनमें बहुत सारे आरोपियों को चोटें आई हैं जैसा कि तस्वीरों में देखा जा सकता है. उनके चेहरे अक्सर सूजे हुए और खून से लथपथ होते हैं. जबकि कुछ बेहोशी की हालत में भी दिखते हैं. ये पैटर्न 2018 की तस्वीरों में भी दिखता है.

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जून 2016 में गौरक्षक दल ने दो लोगों को गाय के गोबर, गोमूत्र, दूध, दही और घी का मिश्रण खाने के लिए मजबूर किया. उन्हें शक था कि वो गोमांस के ट्रांसपोर्टर हैं. ये मानते हुए कि उन्होंने 10 जून को दो लोगों – रिज़वान और मुख्तियार – को ‘पंचगव्य’ (गाय के गोबर का घोल) खाने के लिए मजबूर किया था, गुड़गांव गौरक्षक दल के तत्कालीन अध्यक्ष धर्मेंद्र यादव या धर्मेंद्र मानेसर ने द इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक बयान में कहा था, “बदरपुर सीमा के पास उन्हें रोकने से पहले हमें 7 किलोमीटर तक कार का पीछा करना पड़ा. जब हमने उन्हें पकड़ा, तो उनकी कार में 700 किलो बीफ़ था. हमने उन्हें सबक सिखाने के लिए और उन्हें शुद्ध करने के लिए पंचगव्य भी खिलाए.”

ऑल्ट न्यूज़ को इस घटना की कई तस्वीरें भी मिलीं. मोनू मानेसर भी घटनास्थल पर मौजूद था और उसे और गौरक्षक दल के बाकी सदस्यों को कथित गाय तस्करों के साथ फ़ोटो खिंचवाते देखा जा सकता है. आरोपियों के चेहरे सूजे हुए और खून से लथपथ हैं.

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हम घटना का एक वीडियो भी आगे शेयर कर रहे हैं जिसमें मोनू और उसकी टीम आरोपियों में से एक पर ‘जय श्री राम’ और ‘जय गौमाता’ का नारा लगाने की मांग कर रहे हैं. वीडियो के दूसरे हिस्से में आरोपी को गाय के गोबर का काढ़ा पीते हुए देखा जा सकता है.

अप्रैल 2022 में पत्रकार अलीशान जाफ़री ने मोनू मानेसर के इंस्टाग्राम पेज से एक वीडियो की स्क्रीन रिकॉर्डिंग ट्वीट की. वीडियो में कुछ लोग एक कबाड़ बीनने वाले के साथ मारपीट कर रहे हैं. कैप्शन में लिखा है, “ये वो कबाड़ बीनने वाले हैं ये हमारे सैनिकों और हिंदुत्व समर्थकों पर पत्थर फेंकते हैं.”

ट्विटर पेज HindutvaWatch ने मोनू मानेसर के नेतृत्व में बजरंग दल के सदस्यों का एक वीडियो ट्वीट किया जो एक अलग समुदाय से संबंधित लोगों से लड़ने के लिए बंदूक का इस्तेमाल कर रहे थे. ट्वीट के मुताबिक, 20 साल के मोहिन खान पेट में गोली लगने की वजह से घायल हो गया, वो उस इलाके से गुज़र रहा था, (आर्काइव)

वारिस के मामले में भी हथियारबंद गुर्गों को वारिस और उसके साथियों के साथ उनकी टूटी-फूटी गाड़ी के सामने पोज़ देते हुए देखा जा सकता है. (आर्काइव)

मोनू मानेसर के फ़ेसबुक पेज पर ऐसे कई वीडियोज़ हैं जिसमें इन्हें हाई स्पीड से किसी का पीछा करते हुए देखा जा सकता है. द इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक बयान में, मोनू ने कहा, “एक गुप्त सूचना मिली कि मवेशी तस्कर मवेशियों को पिक-अप ट्रक या वैन में ले जा रहे हैं. इसके बाद हमने पुलिस को इसकी सूचना दी और उनकी मदद करने के लिए हम भी अपनी SUV पर सवार होकर गए. पीछा करना अक्सर ज़िलों में लंबी दूरी तक चलता है और तस्कर भागने के लिए या तो गोली मार देते हैं या मवेशियों को सड़कों पर फेंक देते हैं. हम व्हाट्सऐप पर विजिलेंटी ग्रुप्स के बीच जानकारी शेयर करते हैं और पुलिस के साथ को-ऑर्डिनेट करते हैं. पुलिस टीम के पहुंचने से पहले हम तस्करों को पकड़कर, अधिकारियों को सूचित करते हैं और आगे की जांच के लिए उन्हें पुलिस को सौंप देते हैं. हमने कभी कानून हाथ में नहीं लिया और न ही किसी के साथ मारपीट की. उनके पशु तस्करी का कारोबार हमने बंद कर दिया है, सिर्फ वो लोग ही हम पर इस तरह के आरोप लगाते हैं.”

मोनू के बयान से अलग, हमें मोनू की टीम द्वारा गायों की तस्करी के शक वाले वाहनों पर आग्नेयास्त्र लहराते और आग लगाने के कई वीडियोज़ मिलें. वीडियो में अपशब्द भी बोले गए हैं. इन बातों को ध्यान में रखते हुए रिडर्स ये वीडियो देखें.

ये वीडियो 27 जनवरी को मोनू मानेसर ने फ़ेसबुक पर पोस्ट किया था. मोनू मानेसर की टीम के एक सदस्य को ट्रक के टायरों को उड़ाने की कोशिश में आग लगाते हुए देखा जा सकता है.

आगे शामिल वीडियो में सायरन बजने से पहले किसी को “सायरन का इस्तेमाल करें” कहते हुए सुना जा सकता है. रिडर्स गोलियों की आवाज़ भी सुन सकते हैं. यहां ध्यान दिया जाना चाहिए कि लोग खुले ट्रक में बैठे हैं. मोनू मानेसर की टीम, उन पर ताबड़तोड़ फ़ायरिंग करती नज़र आ रही है. बैकग्राउंड में जय श्री राम के नारे भी सुने जा सकते हैं. ये वीडियो मोनू मानेसर के फ़ेसबुक प्रोफ़ाइल से 22 जनवरी को शेयर किया गया था.

नीचे मोनू की टीम द्वारा ट्रक का पीछा करने का ऐसा ही वीडियो है. ट्रक पर फ़ायरिंग कर टायर उड़ाने की कोशिश की गई. ये वीडियो 26 जनवरी को मोनू मानेसर के इंस्टाग्राम पेज पर अपलोड किया गया था.

आगे शामिल वीडियो मोनू मानेसर के इंस्टाग्राम पेज पर 20 जनवरी को अपलोड किया गया था. गायों की तस्करी के शक में एक ट्रक का पीछा करने की प्रक्रिया में गाय को ट्रक से नीचे फेंक दिया गया था. हालांकि, मोनू की टीम गाय को बचाने के लिए नहीं रुकी और ट्रक का पीछा करती रही. मोनू की टीम को अपशब्द कहते हुए और गोलियां चलाते हुए सुना जा सकता है.

ऑल्ट न्यूज़ से बात करते हुए मोनू ने कहा कि कुछ मामलों में, उसकी टीम ने हिंदू समुदाय के लोगों को पकड़ा था. हालांकि, इनमें ज़्यादातर आरोपी मुस्लिम हैं. उसने आगे कहा कि उसे सूचना देने वालों की टीम में मुस्लिम समुदाय के लोग भी शामिल हैं.

ऊपर से आशीर्वाद

अर्ध-शहरी क्षेत्रों में ज़्यादातर गौरक्षकों और संगठनों को स्थानीय राजनेताओं और पुलिस का समर्थन प्राप्त है. मोनू का मामला भी कुछ अलग नहीं है. वो न सिर्फ पुलिस के साथ मिलकर काम करता है. वो ज़िला नागरिक सुरक्षा टीम का हिस्सा है और उसे अक्सर कानून प्रवर्तन अधिकारियों द्वारा सम्मानित किया जाता है.

नीचे शामिल तस्वीरों में मोनू, पुलिस अधिकारियों और नौकरशाहों के साथ दिखता है. उसके साथ पुलिस अधीक्षक राजेश दुग्गल, एडिशनल SP बिपिन शर्मा, IPS अधिकारी भारती अरोड़ा, IPS अधिकारी नाज़नीन भसीन और अन्य पुलिस अधिकारी पोज देते हुए दिखते हैं. इनमें से कई तस्वीरों में उसे पुरस्कार और स्मृति चिन्ह प्राप्त करते देखा जा सकता है.

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हालांकि, मोनू बजरंग दल का सदस्य है लेकिन वो इस बात पर जोर देता है कि किसी भी तरह की राजनीतिक संबद्धता नहीं है. उसे अक्सर प्रभावशाली लोगों के साथ देखा गया है. इस लिस्ट में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर, पूर्व केंद्रीय वित्त और कॉर्पोरेट मामलों के मंत्री, दिवंगत अरुण जेटली और बाबा रामदेव शामिल हैं.

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उसे भाजपा समर्थक प्रोपेगेंडा चैनल सुदर्शन न्यूज़ के प्रधान संपादक सुरेश चव्हाणके के साथ भी देखा गया था. दिलचस्प बात ये है कि सुदर्शन न्यूज़ ने मोनू मानेसर की ‘जागरूकता’ को काफी समय तक कवर किया. और अपनी रिपोर्ट में अभियुक्तों को ‘जिहादी’ कहा. जिहादी एक ऐसा शब्द है जिसका इस्तेमाल हिंदू कट्टरपंथी, मुसलमानों को निशाना बनाने के लिए करते हैं.

ऑल्ट न्यूज़ ने गुरुग्राम और मानेसर के कम से कम पांच वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों से बात की और उनसे पूछा कि कई मौकों पर कथित गाय तस्करों को ले जा रहे वाहनों पर सार्वजनिक रूप से आग्नेयास्त्र लहराने और गोली चलाने के लिए मोनू मानेसर के खिलाफ़ क्या कार्रवाई की गई है. हमने उनसे ये भी पूछा कि क्या पुलिस अतिरिक्त न्यायिक निकाय के रूप में मोनू की टीम का समर्थन करती है. तो उन्होंने या तो कॉल काट दिया या इस पर कुछ भी बयान देने से इनकार कर दिया.

5 मई, 2022 को अपलोड की गई एक वीडियो रिपोर्ट में यूट्यूब आधारित मीडिया आउटलेट ‘हरियाणा तक’ ने नूंह के फिरोज़पुर झिरका क्षेत्र के शेखपुर के ग्रामीणों से बात की. मोनू मानेसर की टीम से जुड़ी एक घटना के बारे में बात करते हुए साहिब हुसैन नाम के युवक के पिता ने कहा कि उनके बेटे के साथ मोनू मानेसर की टीम ने मारपीट की है. हालांकि, शिकायत में मोनू मानेसर का नाम लेने के बावजूद कुछ अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी. द क्विंट ने भी इस घटना की रिपोर्ट की. क्विंट की रिपोर्ट में एक ग्रामीण के हवाले से कहा गया है कि हुसैन एक सुबह खेत में था. गौरक्षकों को देखकर वो भागने लगा. इसके बाद गौरक्षकों ने हवा में दो फ़ायर किए. हुसैन ज़मीन पर गिर गया और गौरक्षकों ने पिस्तल की बट से उसके सिर पर प्रहार किया.

एक टूल की तरह सोशल मीडिया का इस्तेमाल

फ़ेसबुक पर 83 हज़ार फ़ॉलोवर्स और यूट्यूब पर 2,05,000 सब्सक्राइबर्स वाले, मोनू के फ़ॉलोवर्स उसकी जागरूकता के प्रबल प्रशंसक हैं. उसके पोस्ट पर आए कमेंट्स देखने पर मोनू और उसकी टीम के लिए आभार के मेसेज से लेकर अभियुक्तों को मारने का सुझाव देने वाले कमेंट्स मिलेंगें. बहुत कम लोग मोनू के काम पर सवाल उठाते हैं. मोनू को हाल ही में यूट्यूब पर 1,00,000 सब्सक्राइबर पार करने के लिए यूट्यूब का सिल्वर प्ले बटन मिला है.

मोनू मानेसर हरियाणा में काफी सम्मानित व्यक्ति है. वो अक्सर अपने सोशल मीडिया फ़ॉलोवर्स को ऐसे कार्यक्रमों में आमंत्रित किए जाने पर अपडेट देता है जहां उन्हें माला पहनाई जाती है और गौरक्षक के रूप में उसके काम के लिए सम्मानित किया जाता है.

स्वतंत्रता दिवस पर ध्वजारोहण से लेकर सामूहिक विवाह तक, इन कार्यक्रमों में अक्सर मोनू को विशिष्ट अतिथि के रूप में बुलाया जाता है. उसके गले में मालाओं के ढेर, स्मृति चिन्ह और भगवा पगड़ी के साथ देखा जाता है जो आयोजकों द्वारा उसे सम्मान के प्रतीक के रूप में दिया जाता है.

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‘धरम का मामला’

गाय की तस्करी को समाज से पूरी तरह से जड़ से खत्म करना मोनू मानेसर के जीवन का मिशन है. समर्थकों के लिए वो हीरो है. सोशल मीडिया पर उसे हज़ारों लोग फॉलो करते हैं. यूट्यूब पर उसके कुछ वीडियो के लगभग 10 मिलियन व्यूज़ हैं.

गौरक्षा में भी काफी जोखिम शामिल है. अक्टूबर 2019 में, गुड़गांव के सेक्टर 10 में कथित गाय तस्करों का पीछा करते हुए मोनू को सीने में गोली मार दी गई थी. मोनू और उसके दोस्तों ने गायों की तस्करी के शक में एक मिनी ट्रक को घेर लिया था जब कथित तस्करों में से एक ने उस पर गोली चला दी थी.

मोनू मानेसर, हालांकि, ‘न्याय’ की अपनी खोज में निडर हैं. उसके काम के प्रति उसके परिवार की प्रतिक्रिया के बारे में पूछे जाने पर, मोनू ने ऑल्ट न्यूज़ को बताया, “मेरा परिवार अक्सर मुझे इसमें शामिल जोखिमों को देखते हुए ये सब बंद करने के लिए कहता है, लेकिन मैं नहीं कर सकता. ऐसा इसलिए क्योंकि ये अब हमारे धरम का मामला हो गया है.”

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About the Author

Student of Economics at Presidency University. Interested in misinformation.