शनिवार, 7 जून को भारत में बकरी ईद मनाए जाने के बाद, फ़ेसबुक पर एक वीडियो वायरल हुआ. दावा किया गया कि कुर्बानी (बलि) के बाद कोलकाता में खून से सनी सड़क दिखी.

कई यूज़र्स ने खून से भरी सड़क के विज़ुअल्स शेयर किए और व्यंग्यात्मक टिप्पणी की, “ये बांग्लादेश या पाकिस्तान नहीं है…” कुछ ने कहा कि कोलकाता के कुछ हिस्से “बांग्लादेश के विज़ुअल्स” से मिलते जुलते हैं. पोस्ट में ये भी दावा किया गया कि ये विज़ुअल्स कोलकाता के वार्ड 44 के हैं. (उदाहरण: 1, 234)

कोलकाता नगर निगम (KMC) में वार्ड नंबर 50 का प्रतिनिधित्व करने वाले भाजपा नेता सजल घोष ने भी फ़ेसबुक पर वीडियो शेयर किया और दावा किया कि ये बाउबाजार के भवानी दत्ता लेन और नील माधब सेन लेन क्षेत्रों का है. पोस्ट में, उन्होंने ‘शहरी, स्मार्ट, अत्याधुनिक धर्मनिरपेक्ष लोगों’ से जागने का आग्रह किया, जब तक कि वो नहीं चाहते कि चार-पांच सालों के भीतर उनके इलाकों में वही तस्वीर सामने आए.

उसी दिन, पश्चिम बंगाल पुलिस साइबर क्राइम विंग के X हैंडल ने संबंधित फैक्ट-चेक शेयर किया. इसने नेपाल साहा नाम के एक यूज़र की फ़ेसबुक पोस्ट को झूठा करार दिया, जिसमें कोलकाता में कथित ईद समारोह की 6 तस्वीरें थीं. इनमें से एक तस्वीर वायरल वीडियो का स्क्रीनशॉट है. फ़ैक्ट-चेक में दावा किया गया कि तस्वीरें बांग्लादेश की हैं जिसमें सोर्स के रूप में ढाका की 2016 की पोस्ट का हवाला दिया गया. हालांकि, वायरल वीडियो स्क्रीनग्रैब 2016 की पोस्ट का हिस्सा नहीं है, और फ़र्ज़ी के रूप में चिह्नित पांच अन्य में से सिर्फ दो की ही असलियत का पता लगाया जा सका है. (आर्काइव)

हमें उसी लोगो वाली एक वेबसाइट (https://factcheck.wb.gov.in/) मिली जिसने यही फ़ैक्ट-चेक पब्लिश की. वेबसाइट के अबाउट अस में लिखा है, “पश्चिम बंगाल साइबर क्राइम विंग का फ़ैक्ट-चेक पोर्टल (जो) वेरिफ़ाईड, सटीक, विश्वसनीय जानकारी पेश करके खतरे से निपटने के लिए तैयार है.” ध्यान दें वेबसाईट gov.in डोमेन का इस्तेमाल करता है.

हमने बंगाल पुलिस के साइबर सेल से कॉन्टेक्ट करने की कोशिश की. जब हमने उनके नंबर पर कॉल किया तो उन्होंने हमें सोशल मीडिया सेल से बात करने के लिए कहा. सोशल मीडिया सेल से जिस अधिकारी ने हमसे बात की, उसने कंफ़र्म किया कि फ़ैक्ट-चेक असल में पश्चिम बंगाल पुलिस के साइबर सेल ने किया था. हालांकि, उन्होंने कहा कि संबंधित व्यक्ति छुट्टी पर है और सिर्फ वही हमें इस बारे में बता सकते हैं. जब हमने अगले दिन फिर से फ़ोन किया, तो हमें वही जवाब मिला – कि चीजों की जानकारी रखने वाला व्यक्ति मौजूद नहीं है.

ऑल्ट न्यूज़ ने मौके का दौरा किया

सजल घोष के फ़ेसबुक पोस्ट को ध्यान में रखते हुए, ऑल्ट न्यूज़ वायरल क्लिप में दिखाई गई जगह की सटीक पहचान की. भवानी दत्ता लेन और नील माधब सेन लेन, कॉलेज स्ट्रीट के पास दो संकरी सड़कें हैं – महात्मा गांधी रोड क्रॉसिंग जो प्रेसीडेंसी विश्वविद्यालय से कुछ ही दूरी पर है. हमने साइट का दौरा किया और एक वीडियो शूट किया जिसमें वही जगह है जो वायरल क्लिप में दिखाई दे रही है.

फ़ुटेज के आखिर में दिखाई देने वाले सभी व्यावसायिक प्रतिष्ठानों का पता कोलकाता का ही है. (आगे स्क्रीनशॉट में लाल रंग के घेरे से दिखाया गया)

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वायरल वीडियो में दिखाई देने वाले मुख्य स्थल – जिसमें एक विशिष्ट लाल रंग का घर, हल्के नीले रंग की धारियों वाली एक भूरे रंग की इमारत और एक काली कार शामिल है, इसे ऑल्ट न्यूज़ के वीडियो में भी देखा जा सकता है. भूरे रंग की इमारत में पश्चिम बंगाल राज्य अभिलेखागार के ऐतिहासिक और वर्तमान खंड हैं और इसका पता है: 6, भवानी दत्ता लेन.  

इन बातों पर भी आगे गौर किया गया है:

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पहले कभी सड़कों को इस तरह लाल होते नहीं देखा: स्थानीय लोग

ये समझने के लिए कि क्या हुआ था, हमने कई स्थानीय लोगों से बात की. उन्होंने बताया कि 6 जून और 7 जून की दरमियानी रात को इलाके में भारी बारिश हुई जिसके बाद गंभीर जलजमाव हो गया. शनिवार, 7 जून की सुबह, स्थानीय निवासियों ने अपने धार्मिक परंपरा को ध्यान में रखते हुए कुर्बानी (पशु बलि) की रस्म निभाई.

क्यूंकि रात भर की बारिश से गलियां पहले से ही जलमग्न थीं, जानवरों की बलि का खून रुके हुए बारिश के पानी में मिल गया. नगर निकाय के हस्तक्षेप से पहले स्थानीय लोग स्वयं नालों को मैन्युअल रूप से साफ करने के लिए आगे आए.

ऑल्ट न्यूज़ ने एक स्थानीय दुकान के मालिक, राजेश से बात की जिन्होंने कहा कि वो चार दशकों से ज़्यादा समय से पड़ोस में रह रहे हैं और काम कर रहे हैं. उन्होंने हमें बताया कि उन्होंने पहले कभी ऐसा कुछ नहीं देखा था.

“मैं इस पड़ोस में 40 सालों से ज़्यादा समय से रह रहा हूं और काम कर रहा हूं, और मैंने कभी ऐसा कुछ नहीं देखा. जब भी बारिश होती है तो क्षेत्र में पानी भर जाता है, और यहां हर साल कुर्बानी की रस्म निभाई जाती है. लेकिन ये पहली बार है जब मैंने ऐसा देखा है – ये वाकई अजीब था.” राजेश ने ये भी पुष्टि की कि वीडियो उनके इलाके का है और पिछले शनिवार का है.

इसी जानकारी की पुष्टि उस क्षेत्र के एक अन्य दुकान के मालिक ने भी की जिसने हमें बताया कि वो लगभग पांच से सात सालों से वहां व्यवसाय कर रहा था और “उसने कभी ऐसा कुछ नहीं देखा था.” उन्होंने हमें बताया, “पानी लाल था और तीखी गंध आ रही थी.”

घटनाओं को और ज़्यादा कंफ़र्म करने के लिए, हमने एक अन्य परिवार से बात की जो 60 सालों से ज़्यादा समय से वहां रह रहा था. उन्होंने हमें बताया कि वहां रहने के दौरान उन्होंने कभी भी इतना परेशान करने वाले विज़ुअल्स नहीं देखें. उनके मुताबिक़, जब भी बारिश होती है तो जलभराव एक बार-बार होने वाली समस्या है – और शुक्रवार कोई अपवाद नहीं था. उस शाम, क्षेत्र में भारी वर्षा हुई, जिससे नालियां बंद होने के कारण पानी जमा हो गया. “मैं यहीं पैदा हुआ और पला-बढ़ा हूं. अपने जीवनकाल में, ये पहली बार था जब मैंने ऐसा कुछ देखा था. हां, भारी बारिश के बाद सड़कों पर पानी भर जाता है. और शुक्रवार को भारी बारिश हुई जिसके कारण पानी जमा हो गया.”

घर के सदस्यों ने ऑल्ट न्यूज़ को बताया, “सुबह लगभग 7 बजे भी, पानी साफ था और शायद एक घंटे के बाद ये लाल हो गया. हां, इसमें दुर्गंध भी थी.” वे नाम नहीं बताना चाहते थे. पानी के लाल होने के समय की पुष्टि दो अन्य गवाहों ने भी की. 

जब उनसे पूछा गया कि क्या हर साल ईद अल-अदा पर कुर्बानी की रस्म निभाई जाती है, तो परिवार ने कहा, “हां, लेकिन इसका पड़ोसियों पर कभी भी किसी भी तरह का प्रभाव नहीं पड़ा है.” उन्होंने ये भी देखा कि कुछ स्थानीय निवासियों ने स्थिति को सुधारने के प्रयास में लाठियों का इस्तेमाल करके बंद नालियों को साफ करने की पहल की. इन कोशिशों के तुरंत बाद, नगरपालिका कर्मचारी पहुंचे, प्रभावित क्षेत्र को साफ किया और सामान्य स्थिति बहाल की. “हमने देखा कि कुछ स्थानीय लोग लाठियों से नालियों को साफ़ करने की कोशिश कर रहे थे. और बाद में नगर पालिका ने हस्तक्षेप किया और इसे साफ़ किया.”

पास के एक मंदिर के पुजारी कमल पंडित ने भी यही बात दोहराई – कि पहले ऐसा कभी नहीं हुआ था. “मैं पिछले 6 सालों से यहां काम कर रहा हूं. इस अवधि में मैंने कभी भी इस तरह का गंदे दृश्य नहीं देखे. जब भी बारिश होती है, तो क्षेत्र में पानी भर जाता है, लेकिन मैंने कभी इसे लाल होते नहीं देखा. इसे दोपहर में साफ कर दिया गया था.”

कुल मिलाकर, ऑल्ट न्यूज़ की ऑन-ग्राउंड इंवेस्टिगेशन से ये कंफ़र्म हुआ कि वायरल वीडियो असल में प्रामाणिक था और कोलकाता का ही था. 6 जून (शुक्रवार) की रात को शहर के कुछ इलाकों में भारी बारिश हुई जिसमें मध्य कोलकाता का भवानी दत्ता लेन भी शामिल है. इसके बाद, अगले दिन बकरीद पर कुर्बानी (बलिदान) की रस्म के बाद, पहले से ही पानी से भरी गलियां लाल हो गईं, शायद जानवरों के खून के संदूषण के कारण. हालांकि, बंगाल पुलिस की साइबर क्राइम विंग के X हैंडल ने उसी वीडियो के स्क्रीनशॉट के साथ एक फ़ेसबुक पोस्ट का गलत फ़ैक्ट-चेक जारी किया जिसमें ग़लत दावा किया गया कि ये 2016 में ढाका, बांग्लादेश का था.

अगर हमें पुलिस की साइबर सेल से जवाब मिलता है तो ये स्टोरी अपडेट की जाएगी.

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