सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल है. वीडियो में सेना की यूनिफ़ॉर्म पहने कुछ लोग स्टेज पर आकर अपने मेडल फेंक रहे हैं. और साथ में इराक और अफ़गानिस्तान में हुई लड़ाई की आलोचना कर रहे हैं. ये वीडियो शेयर करते हुए दावा किया जा रहा है कि अमेरिका के 40 हज़ार सैनिकों ने अपने मेडल लौटा दिए. दावे के अनुसार ये सैनिक इराक और अफ़गानिस्तान में तैनात थे. ट्विटर यूज़र रईस मोहम्मद ने ये वीडियो इसी दावे के साथ ट्वीट किया. आर्टिकल लिखे जाने तक इस वीडियो को 2,400 व्यूज़ मिले हैं. (आर्काइव लिंक)
40,000 US soldiers who fought in Afghanistan and Iraq, resigned and threw away their war medals in solidarity with the people of Afghanistan and Iraq. The accepted that “the war on terror” was a fake war. They are apologizing from the people of Afghanistan and Iraq. pic.twitter.com/Qxa5TfHBE2
— Rais Mohammed🌟🇮🇳 (@rais4u) October 10, 2021
फ़ेसबुक यूज़र मीर हामिद ने भी ये वीडियो इसी दावे के साथ पोस्ट किया. इसे तकरीबन 9,500 बार देखा जा चुका है. (आर्काइव लिंक)
40,000 US soldiers who fought in #Afghanistan and #Iraq, #Resigned and #Threw away their war #Medals in #Solidarity with the people of Afghanistan and Iraq. The accepted that “#The_War_on_Terror” was a Fake war. They are appologizing from the people of Afghanistan and Iraq.
Posted by Mir Hamid on Thursday, 7 October 2021
फ़ेसबुक और ट्विटर पर ये वीडियो वायरल है.
ये वीडियो हिन्दी मेसेज के साथ भी शेयर किया जा रहा है जहां यही दावा किया जा रहा है. व्हाट्सऐप पर भी ये वीडियो काफ़ी शेयर किया गया है.
फ़ैक्ट-चेक
सर्च करते हुए ऑल्ट न्यूज़ को ‘डेमोक्रेसी नाउ’ की वीडियो रिपोर्ट मिली. 21 मई 2012 की इस रिपोर्ट में वायरल वीडियो का हिस्सा 8 मिनट 20 सेकंड के बाद देखा जा सकता है. रिपोर्ट के मुताबिक, 2012 की नाटो समिट के विरोध में इराक और अफ़गानिस्तान की जंग में शामिल होने वाले अमेरिकी सैनिकों ने अपने मेडल्स लौटा दिए थे. इन सैनिकों ने इराक और अफ़गानिस्तान के लोगों से माफ़ी मांगते हुए मेडल्स हवा में फेंके थे.
रॉइटर्स ने भी इस प्रदर्शन के बारे में 21 मई 2012 को आर्टिकल पब्लिश किया था. रिपोर्ट के मुताबिक, शिकागो में तकरीबन 50 अमेरिकी सैनिकों ने नाटो के विरोध प्रदर्शन में सर्विस मेडल्स सड़क पर फेंके थे. उन्होंने ये इराक और अफ़गानिस्तान में अमेरिकी नेतृत्व वाली लड़ाई के विरोध में किया था. आर्टिकल में 2005-06 में इराक में सेवा देने वाले सैनिक ज़ेक लापोर्टे के हवाले से बताया गया था कि ये मेडल्स बहादुरी के लिए हैं. लेकिन उन्हें बहादुरी जैसा महसूस नहीं हो रहा है. उन्होंने कहा था कि वो इसके लायक नहीं है. बता दें कि गले में लाल स्कार्फ़ लपेटे व्यक्ति ने डेमोक्रेसी नाउ की रिपोर्ट में अपना नाम ज़ेक लापोर्टे बताया था. ज़ेक वायरल वीडियो में भी दिखते हैं.
NBC न्यूज़, पीपल्स वर्ल्ड की रिपोर्ट्स में 40 से 50 सैनिकों द्वारा मेडल्स लौटाने की बात बताई गई थी. इस प्रदर्शन में हज़ारों लोग शामिल हुए थे. लेकिन 40 हज़ार सैनिकों द्वारा मेडल्स लौटाने की बात कहीं नहीं बताई गई थी.
कुल मिलाकर, 2012 में शिकागो में नाटो समिट के विरोध में इराक और अफ़गानिस्तान से लौटे अमेरिकी सैनिकों ने मेडल्स फेंक दिए थे. इसका वीडियो हाल में सोशल मीडिया पर 40 हज़ार अमेरिकी सैनिकों द्वारा मेडल्स लौटाने के दावे से शेयर किया गया.
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