अल्जीरिया की लेखिका अह्लेम मोस्तेघानेमी (Ahlem Mosteghanemi) ने अपने फ़ेसबुक पेज पर एक तस्वीर शेयर की. इस तस्वीर में एक बुज़ुर्ग व्यक्ति हॉस्पिटल बेड पर लेटे हुए हैं और उनपर एक कबूतर बैठा है. अह्लेम ने इसके साथ ही कैप्शन दिया, “एक परिंदा भी सोचने पर मजबूर कर सकता है. इस फ़ोटो को लेने वाली नर्स ने कहा: ‘3 दिन में मरीज़ का कोई भी रिश्तेदार उनसे मिलने नहीं आया था, इसलिए यह कबूतर उनसे मिलने आया ❤️.'” बता दें कि अह्लेम को अरबी भाषा की दुनिया की सबसे बड़ी महिला नॉवेलिस्ट के तौर पर जाना जाता है. उनके फ़ेसबुक पेज को 1 करोड़ 27 लाख से ज़्यादा लोग फ़ॉलो करते हैं. उनके 26 सितम्बर को किये गए इस पोस्ट पर 34,000 से ज़्यादा लाइक्स आ चुके हैं और इस लेख के लिखे जाने तक इसे 2,800 से ज़्यादा लोगों ने शेयर किया है. (आर्काइव लिंक)

بإمكان طائر أن يجبُر الخاطر !

الممرضة التي التقطت هذه الصورة قالت : ” لم يأتِ أحد من أقارب المريض لزيارته منذ 3 أيام ، فجاءت هذه الحمامة لزيارته ” ⁦❤️⁩

Posted by ‎أحلام مستغانمي‎ on Friday, September 25, 2020

इसके बाद एक और फ़ेसबुक पेज वॉइस ऑफ़ बिस्क्रा (Voix de Biskra) ने भी इसे शेयर करते हुए लिखा, “तस्वीर एक नर्स ने ली है और कहा, कोई मिलने नहीं आया.” बिस्क्रा अल्जीरिया का एक शहर है और इस पेज पर वहां से जुड़ी ख़बरें और तस्वीरें पोस्ट की जाती हैं.

एक और फ़ेसबुक पेज ‘मेरे जज़्बात’ ने भी ये तस्वीर इसी दावे के साथ शेयर की.

फ़ाइनेंशियल एडवाइज़र रेणुका जैन, जिन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी फ़ॉलो करते हैं, ने इस तस्वीर को पोस्ट करते हुए लिखा, “ये बुज़ुर्ग, कोई इनसे मिलने नहीं आया. लेकिन जिस कबूतर को वो खिलाते थे वो इनसे रोज़ मिलने आता था.” (आर्काइव लिंक)

छत्तीसगढ़ के समाचार पत्र दक्षिणापथ और ऑनलाइन न्यूज़ पोर्टल इंडिया 2डे न्यूज़ ने भी ये तस्वीर वेबसाइट पर पब्लिश करते हुए इसके पीछे वही कहानी बताई. और एक अन्य क्षेत्रीय वेबसाइट kangleicha.in ने भी अपने एक आर्टिकल में इस इमेज का इस्तेमाल करते हुए क्रेडिट किसी इमरान पीएस को दिया है.

 

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फ़ैक्ट चेक

ऑल्ट न्यूज़ ने जब इस तस्वीर का रिवर्स इमेज सर्च किया तो गूगल इमेज और यांडेक्स पर बहुत-सी ऐसी वेबसाइट्स मिलीं जिन्होंने इस तस्वीर का इस्तेमाल किया हुआ है. एक मैप वेबसाइट जियो व्यू पर ये तस्वीर पब्लिश की गयी है. इसपर क्लिक करने के बाद ये हमें फ़ोटो शेयरिंग वेबसाइट फ़्लिकर (Flickr) पर ले गयी. यहां इसे ग्रीस के फ़ोटोग्राफ़र और फ़िल्मकार आयोनिस प्रोटोनोटेरिअस (Iaonnis Protonotarios) ने 2013 में अपलोड की थी. इसे खींचने की तारीख 19 अक्टूबर, 2013 बताई गयी है और साथ में फ़ोटो का एक्सिफ़ डेटा यानी तस्वीर की सभी डीटेल्स भी दी गयी हैं. साथ ही इसके कॉपीराइट और लोकेशन की जानकारी भी मिलती है.

इस तस्वीर पर 28 लोगों ने कमेंट भी किया हुआ है. किसी ने फ़ोटोग्राफर से पूछा है कि इस तस्वीर के पीछे क्या कहानी है. उसके जवाब में आयोनिस ने बताया है, “मेरे पिता की याद में है, जो सिर्फ़ 5 दिन पहले ही इसके बगल वाले बेड पर हुआ करते थे.”

कई वेबसाइट्स ने इस तस्वीर को पब्लिश करते हुए आयोनिस को इमेज क्रेडिट दिया है. (वेबसाइट 1, वेबसाइट 2, वेबसाइट 3, वेबसाइट 4, वेबसाइट 5)

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यानी, न ही ओरिजिनल सोर्स और न ही फ़ोटो इस्तेमाल करने वाली अन्य हेल्थ और न्यूज़ वेबसाइट्स ने इस कबूतर के बारे में किया जा रहा दावा कहीं मेंशन किया है. ये तस्वीर किसी नर्स ने नहीं खींची. ये तस्वीर 2013 की है और फ़ोटोग्राफर ने बताया है कि इस बेड के बगल में उनके पिता भी कुछ दिन पहले तक अडमिट थे.

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