एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है जिसमें एक व्यक्ति को कई लोगों के मौजूदगी में मस्जिद के मंच से जबरन पकड़ कर ले जाया जा रहा है. कई यूज़र्स ने सोशल मीडिया पर इसे शेयर करते हुए दावा किया कि सऊदी अरब ने इज़राइल के साथ युद्ध की बात करने वाले एक इमाम को गिरफ़्तार कर लिया. इसके साथ ही ये भी दावा किया जा रहा है कि अब अमेरिका से भी ज़्यादा सऊदी अरब और जॉर्डन, इज़राइल की रक्षा और मदद कर रहे हैं. कई यूज़र्स ने ये भी कहा कि अरब नेताओं से गाज़ा के लोगों के समर्थन में खड़े होने का आग्रह करने पर सऊदी पुलिस ने एक इमाम को हिरासत में लिया, क्योंकि उन्होंने ये अपील मस्जिद के मंच से की थी.

मेगाट्रोन नाम के अकाउंट ने वीडियो शेयर करते हुए कहा कि इज़राइल के साथ युद्ध की बात करने वाले एक इमाम को सऊदी अरब में गिरफ़्तार कर लिया गया. (आर्काइव लिंक)

फ्रन्टल फोर्स नाम के अकाउंट ने भी वीडियो शेयर करते हुए कहा कि मस्जिद के मंच से अरब देश के नेताओं को गाज़ा के समर्थन में खड़े होने को कहने पर सऊदी पुलिस ने एक इमाम को हिरासत में ले लिया. (आर्काइव लिंक)

इज़राइल वाररूम नाम के अकाउंट ने भी बिना वीडियो के ट्वीट करते हुए ऐसा ही दावा किया. (आर्काइव लिंक)

इसी प्रकार कई यूज़र्स ने भी वायरल वीडियो को इसी दावे के साथ पोस्ट किया.

This slideshow requires JavaScript.

फ़ैक्ट-चेक

हमने गूगल, बिंग और यानडेक्स सर्च इंजन पर पर इंग्लिश और अरबी भाषा में की-वर्ड्स सर्च किया तो हमें ऐसी कोई भी हालिया ख़बर नहीं मिली जिसमें सऊदी अरब में किसी इमाम को हमास का समर्थन करने और इज़राइल के खिलाफ़ युद्ध में शामिल होने का आह्वान करने पर सऊदी अरब की पुलिस ने गिरफ़्तार किया हो.

इन्हीं की-वर्ड्स की मदद से हमें वायरल वीडियो से जुड़ी खबर ‘अलमशाद न्यूज़‘ नाम की एक वेबसाइट पर 3 मार्च 2018 को प्रकाशित मिली. गूगल ट्रांस्लेट की मदद से हमने इस आर्टिकल को अरबी भाषा से इंग्लिश में ट्रांस्लेट किया. रिपोर्ट के मुताबिक, मदीना में सऊदी के इस्लामिक मामलों, कॉल और गवर्नेंस मंत्रालय की शाखा के प्रवक्ता, माजिद अल-मुहम्मदी ने बताया कि एक व्यक्ति ने यानबू शहर की एक मस्जिद में जुमे की नमाज़ से पहले इमाम द्वारा दिए जाने वाले उपदेश (خطبة) देने की कोशिश की थी. इसके बाद अधिकारियों ने उसे बलपूर्वक मंच से नीचे लाने के लिए मजबूर किया.

रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि जिस व्यक्ति ने जुमे नमाज़ से पहले दिए जाने वाले उपदेश (خطبة) देने की कोशिश की थी वह मानसिक रूप से बीमार था. जुमे की नमाज़ मस्जिद के आधिकारिक इमाम द्वारा आयोजित की जाती है लेकिन बीमार व्यक्ति इमाम के आने से पहले उनके लिए निर्धारित दरवाज़े पर चला गया था और मस्जिद में प्रवेश किया था.

आधिकारिक प्रवक्ता, मेजर हुसैन अल-क़हतानी ने वीडियो के संदर्भ में कहा था कि लगभग 70 साल के बुज़ुर्ग व्यक्ति जिन्हें मस्जिद के मंच से सुरक्षाकर्मियों और नमाज़ियों द्वारा उतारा गया वह मानसिक बीमारी से पीड़ित हैं जिनका मेडिकल रिकार्ड भी उपलब्ध है.

वहीं मदीना पुलिस ने इस बात की पुष्टि की कि जिस व्यक्ति को यानबू गवर्नरेट में जुमे की नमाज़ के वक्त बलपूर्वक मंच से हटा दिया गया था, उसे उसके परिवार को इलाज के लिए सौंप दिया गया था.

Almowaten नाम की वेबसाइट पर भी 2 मार्च 2018 को वायरल वीडियो से जुड़ा आर्टिकल मौजूद है. हमने गूगल ट्रांस्लेट की मदद से इस आर्टिकल को अरबी भाषा से इंग्लिश में ट्रांस्लेट किया. इसमें सऊदी के इस्लामिक मामलों के मंत्रालय से जुड़े प्रवक्ता ने बताया था कि एक मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति ने मस्जिद में जुमे नमाज़ से पहले दिए जाने वाले उपदेश (خطبة) देने की कोशिश की. जब वह मंच पर चढ़ गया, तो अधिकारियों ने उस व्यक्ति को मंच से उतारा. इसके बाद जुमे की नमाज़ और उपदेश (خطبة) मस्जिद के आधिकारिक इमाम द्वारा आयोजित किया गया था.

सऊदी न्यूज़ 50 ने भी 2 मार्च 2018 (शुक्रवार) को वायरल वीडियो पोस्ट करते हुए बताया था कि यानबू की एक मस्जिद में नमाज़ पढ़वाने और उपदेश देने (خطبة) की कोशिश करने वाले एक अनधिकृत व्यक्ति को रोका गया.

हमें इस घटना का 2 मिनट 31 सेकेंड का लंबा वीडियो मिला जिसे 3 मार्च 2018 को ‘इस्लामिक इनफार्मेशन‘ नाम के यूट्यूब चैनल ने अपलोड किया था. इसके टाइटल में बताया गया है कि सऊदी सरकार की आलोचना करने पर एक इमाम को बाहर किया गया. द इस्लामिक इनफार्मेशन ने अपनी वेबसाइट पर पब्लिश्ड रिपोर्ट में भी ऐसा ही बताया है. हमें ऐसी ही एक रिपोर्ट Parhlo नाम की वेबसाइट पर 4 मार्च 2018 को पब्लिश्ड मिली. ऑल्ट न्यूज़ इस बात की पुष्टि नहीं करता कि वो शख्स मस्जिद का इमाम था या कोई आम व्यक्ति.

कुल मिलाकर, वायरल वीडियो को हाल में इज़राइल-फिलिस्तीन के बीच चल रहे संघर्ष से जोड़कर झूठा दावा किया जा रहा है. मस्जिद के मंच से अरब देशों के नेताओं को इज़राइल के खिलाफ़ युद्ध छेड़ने और गाज़ा के समर्थन में खड़े होने का आह्वान करने पर सऊदी पुलिस ने एक इमाम को गिरफ़्तार नहीं कर लिया. असल में ये वीडियो 5 साल पुराना है और इसका इज़राइल-फिलिस्तीन से कोई संबंध नहीं है.

डोनेट करें!
सत्ता को आईना दिखाने वाली पत्रकारिता का कॉरपोरेट और राजनीति, दोनों के नियंत्रण से मुक्त होना बुनियादी ज़रूरत है. और ये तभी संभव है जब जनता ऐसी पत्रकारिता का हर मोड़ पर साथ दे. फ़ेक न्यूज़ और ग़लत जानकारियों के खिलाफ़ इस लड़ाई में हमारी मदद करें. नीचे दिए गए बटन पर क्लिक कर ऑल्ट न्यूज़ को डोनेट करें.

बैंक ट्रांसफ़र / चेक / DD के माध्यम से डोनेट करने सम्बंधित जानकारी के लिए यहां क्लिक करें.

Tagged:
About the Author

Abhishek is a senior fact-checking journalist and researcher at Alt News. He has a keen interest in information verification and technology. He is always eager to learn new skills, explore new OSINT tools and techniques. Prior to joining Alt News, he worked in the field of content development and analysis with a major focus on Search Engine Optimization (SEO).