दिल्ली विधानसभा चुनाव के मतदान का दिन जैसे जैसे नजदीक आ रहा है वैसे ही सभी राजनीतिक पार्टियों के एक दूसरे पर आरोप लगाना और बयानबाजज़ी तेज़ हो रही है. हाल ही में भारतीय जनता पार्टी ने एक वीडियो शेयर कर आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर दिल्ली के निवासियों को धोखा देकर ‘5 स्टार शीशमहल’ में ऐशो आराम की जिंदगी जीने का आरोप लगाया.

इसके पलटवार में आम आदमी पार्टी ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स इंस्टाग्राम, फेसबुक, यूट्यूब और X पर एक वीडियो शेयर किया. इस वीडियो में एक आलिशान बंगला के भीतर महंगे लक्जरी झूमर, फर्नीचर और जूते नज़र आते हैं. इसे सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के हिस्से के तहत प्रस्तावित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आवास का पहला दृश्य बताते हुए शेयर किया गया. पार्टी ने इसके साथ दावा किया, “राजमहल का Video पहली बार आया जनता के सामने. क्या इसलिए ही राजमहल के दरवाज़े जनता के लिए नहीं खोले जाते?” (आर्काइव लिंक-1, लिंक-2, लिंक-3, लिंक-4)

फैक्ट-चेक 

ऑल्ट न्यूज़ ने आम आदमी पार्टी के दावे की जांच के लिए, सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत बनाए जा रहे प्रधानमंत्री आवास के डिज़ाइन को देखा. हमें वायरल वीडियो में दिख रहे आवास जैसा कोई वीडियो नहीं मिला.

वायरल वीडियो में दिख रही अप्राकृतिक रौशनी और महल व उसमें दिख रही वस्तुओं को और उनकी बनावट को गौर से देखने पर हमें उनमें त्रुटियां दिखीं जो कृत्रिम या एआई (आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस) द्वारा निर्मित लगते हैं.

ऑल्ट न्यूज़ ने वायरल वीडियो की शुरुआत और आख़िरी में दिख रहे भवन की बनावट और गार्डन क्षेत्र में कई अंतर पाया. इन्हें नीचे हाईलाइट लिखा गया है.

इसके अलावा वीडियो में 0:32 सेकेंड पर नीचे लाल घेरे में दिख रहा जूता देखें. ये स्पष्ट तौर पर AI से निर्मित मालूम पड़ता है.

साथ ही वीडियो में 1:06 सेकेंड पर किचन वाश बेसिन के नल में अप्राकृतिक बदलाव दिखता है. यह असंगत बदलाव चश्मों, टेबल पर रखे फूलों आदि पर भी देखा जा सकता है.

ऑल्ट न्यूज़ ने देखा कि वीडियो में 2:12 और 2:32 सेकेंड पर ओपन एआई के वीडियो बनाने वाला टूल सोरा का वाटर मार्क मौजूद है. इसे नीचे तस्वीर एन लाल एरो से चिन्हित किया गया है. इससे ये स्पष्ट हो जाता है कि इस वीडियो को सोरा की मदद से तैयार किया गया है.

इसके अलावा हमनें वीडियो के कई मुख्य की फ्रेम को हाइव एआई इमेज़ डिडेक्टर पर अपलोड कर जांच की. रिपोर्ट ने इसे सोरा, पिका, स्टेबल डिफ्यूजन, फ़्लक्स जैसे एआई वीडियो जेनरेटर साइट को स्कोर कर वीडियो को एआई जनरेटेड बताया.

कुल मिलाकर, आम आदमी पार्टी द्वारा एआई जनरेटेड वीडियो को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आवास बताकर झूठा दावा किया जा रहा है.


AI जेनरेटेड वीडियो या फोटो का इस्तेमाल आज कल झूठे और भ्रामक दावे करने के लिए खूब किया जा रहा है. इसे पहचानने के कुछ आसान तरीके हैं:

  • AI जेनरेट फ़ोटो/वीडियो को गौर से देखने पर उसमें बने व्यक्ति के आंखो व स्मूथ स्कीन या की अप्राकृतिक बनावट साफ दिखती है.
  • व्यक्ति या वस्तु पर पड़ने वाली रोशनी से उत्पन्न परछाई भी AI जेनरेटेड फ़ोटो वीडियो पहचानने में मदद करता है.
  • इसके अलावा हम हाइव मॉडरेशन, ऑप्टिक AI or Not और Google के AI डिटेक्टर टूल की सहायता से भी AI जनरेटेड फ़ोटो वीडियो को जांचकर पहचान सकते हैं.
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