सोशल मीडिया पर महाराष्ट्र के अहमदनगर ज़िले के नेवासा का एक वीडियो इस दावे के साथ शेयर किया जा रहा है कि मुस्लिम लड़कों ने रामनवमी के शोभायात्रा पर पथराव किया और ‘पाकिस्तान ज़िंदाबाद’ के नारे लगाए. वीडियो के वॉयसओवर में आरोप लगाया गया है कि पाकिस्तान समर्थक नारे लगाने की वजह से हिंदुओं ने ‘जिहादियों’ पर हमला किया.

“महा विनाश अघाड़ी” नाम के एक पैरोडी ट्विटर अकाउंट ने ये वीडियो ट्वीट किया. ‘महाराष्ट्र विकास अघाड़ी’ कांग्रेस, NCP और शिवसेना के गठबंधन का नाम है. ट्विटर यूज़र ने इस गठबंधन पर तंज कसते हुए ‘महाराष्ट्र विनाश अघाड़ी’ लिखा है. (आर्काइव लिंक)

ट्विटर यूज़र्स ट्रीनी, सारांश गुहा और गोपी ने भी इसी तरह के एक वीडियो को ऐसे ही सांप्रदायिक दावे के साथ ट्वीट किया था.

वीडियो को फ़ेसबुक समेत अलग-अलग सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर भी शेयर किया जा रहा है. एक राईट-विंग प्रोपगंडा पेज ‘पंच तत्व’ ने भी इसी तरह के दावों के साथ ये वीडियो पोस्ट किया.

फ़ैक्ट-चेक

गौरतलब है कि वीडियो में रामनवमी रैली का ऑडियो हटा दिया गया है और नैरेटर ने “मुसलमानों द्वारा पाकिस्तान समर्थक नारे लगाने” का दावा किया है. वीडियो में पहले 29 सेकंड में हम ऊपर दाएं कोने पर ‘हिंदुत्व वार्ता’ का लोगो भी देख सकते हैं. दावे को असली दिखाने के लिए पूरे वीडियो में ‘ब्रेकिंग न्यूज़’ का टिकर चलता है.

वीडियो के बाकी के 51 सेकंड यूट्यूब चैनल “द कॉलम – क्राइम” की एक रिपोर्ट से लिए गए हैं.

ऑल्ट न्यूज़ ने अहमदनगर के पुलिस अधीक्षक (SP) मनोज पाटिल से संपर्क किया. उन्होंने कहा, “रैली के दौरान काफी भीड़ जमा हो गई थी. हमारे कुछ पुलिसकर्मी भी मौके पर मौजूद थे. ये सच है कि जब रामनवमी की रैली राज्य परिवहन स्टैंड से खोलेश्वर गणपति मंदिर की ओर जा रही थी, तब मुस्लिम समुदाय के कुछ युवकों ने हरा झंडा लहराया था. लेकिन हमारी जांच में ‘पाकिस्तान ज़िंदाबाद’ का नारा नहीं लगाया गया था.

मनोज पाटिल ने कहा कि सैकड़ों युवाओं ने रैली का वीडियो रिकॉर्ड किया था. लेकिन 9 अप्रैल की शाम किस्मत चाय सेंटर के सामने हुई घटना के दौरान पाकिस्तान समर्थक नारे लगाने का कोई वीडियो पुलिस को नहीं मिला.

हेड कांस्टेबल तुलसीराम गीते ने 10 अप्रैल को शिकायत दर्ज कराई थी जिसके आधार पर नेवासा पुलिस ने मुस्लिम समुदाय के आठ संदिग्धों को गिरफ़्तार किया है. इन लोगोंउन पर दंगा करने, गैरकानूनी रूप से एक जगह इकट्ठा होने और एक लोक सेवक के काम में अरचन डालने के लिए आपराधिक कार्य करने का आरोप लगाया गया है. पुलिस ने बिना अनुमति के रैली करने के आरोप में हिंदू युवकों के खिलाफ़ भी मामला दर्ज किया है.

इस घटना के चश्मदीद गवाह तुलसीराम गीते ने ऑल्ट न्यूज़ को बताया कि न तो “पाकिस्तान ज़िंदाबाद” के नारे लगाए गए और न ही कोई पथराव किया गया था. उन्होंने कहा, “बिना अनुमति के रामनवमी रैली निकाले जाने की ख़बर मिलने के बाद हम मौके पर पहुंचे. हम लोगों की भीड़ के साथ थे. किस्मत टी सेंटर के पास मुस्लिम युवकों का एक समूह खड़ा था और उनमें से एक हरे रंग का झंडा लहरा रहा था. मैंने उसे ऐसा करने से मना किया तो वो मुझसे बहस करने लगा. लेकिन जल्द ही वो अपने साथियों के साथ वहां से चला गया. हमारी बहस पर रैली के हिंदू लड़कों का ध्यान गया. उन्हें एक 15 साल के लड़के, अल्ताफ़ बगवान पर शक हुआ कि वो उनका साथी है और वे उसके साथ मारपीट करने लगे. लेकिन अल्ताफ़ का उन मुस्लिम लड़कों से कोई लेना-देना नहीं था जिन्होंने हरा झंडा लहराया था.”

घटना के चश्मदीद अहमदनगर के रहने वाले किशोर पाठाडे ने बताया, “मैंने हेड कांस्टेबल गीते, अक्षय टेकाडे, अल्ताफ़ पठान और जयदीप जामदार के साथ मिलकर नाबालिग को मारपीट से बचाया. हमें भी मामूली खरोंचें आई हैं.”

कुल मिलाकर, महाराष्ट्र के अहमदनगर ज़िले के नेवासा में 9 अप्रैल की शाम को निकाली गई रामनवमी रैली का एक वीडियो सोशल मीडिया पर ग़लत दावे के साथ वायरल है. इसे शेयर करते हुए झूठा दावा किया जा रहा है कि जब रैली गुज़र रही थी तो मुस्लिम लड़कों ने “पाकिस्तान ज़िंदाबाद” के नारे लगाए. इस दावे का कोई वीडियो या सबूत नहीं है और इसके अलावा, पुलिस ने भी इस बात से इनकार किया है कि दो समुदायों के बीच विवाद के दौरान पाकिस्तान समर्थक नारे लगाए गए थे.

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