पाकिस्तानी सरकार और तहरीक़-ए-तालिबान पाकिस्तान या पाकिस्तानी तालिबान के बीच तनाव जो पिछले 50 दिनों में 100 से ज़्यादा कथित हमलों के साथ बढ़ रहा है. ये तनाव उस वक्त अपने सबसे भयावह स्थिति में पहुंच गया जब दिसंबर के मध्य में हिरासत में लिए गए चरमपंथियों ने खैबर पख्तूनख्वा क्षेत्र के बन्नू शहर में आतंकवाद रोधी विभाग केंद्र को अपने कब्ज़े में कर लिया और अधिकारियों को बंधक बना लिया.
पाकिस्तानी-कनाडाई लेखक तारिक फ़तह ने 6 जनवरी को एक वीडियो ट्वीट करते हुए लिखा, “चेतावनी: परेशान करने वाला वीडियो: तालिबान जिहादियों ने एक पाकिस्तानी सैनिक को पकड़कर लटका दिया और फिर गोली मार दी. जैसा कि मैककॉम एक्स ने एक बार कहा था, “मुर्गियां घर में बसेरा करने के लिए आ गई हैं.”
इस वीडियो को 3.5 लाख से ज़्यादा बार देखा और 3 हज़ार से ज़्यादा बार रीट्वीट किया गया है. इसमें पाकिस्तान के राष्ट्रीय झंडे से ढके एक व्यक्ति को फांसी पर लटका दिया जाता है. वीडियो में बंदूकधारियों को काले झंडे के साथ देखा जा सकता है जिस पर अरबी में कुछ लिखा हुआ है. उस व्यक्ति के सिर में पिस्तौल से दो बार गोली मारने के तुरंत बाद लोगों को अल्लाह-ओ-अकबर कहते हुए सुना जा सकता है.
@satyaagrahindia और @Dil_se_Fauji_ सहित कई ट्विटर यूज़र्स ने इस क्लिप को ‘Makcolm’ के ग़लत वर्तनी वाले शब्द के साथ शेयर किया है और यही दावा किया है.
हमने ये भी देखा कि तारिक फ़तह के ट्वीट में लिखे टेक्स्ट के साथ इस वीडियो को फ़ेसबुक पर कई बार शेयर किया गया था.
(ये फ़ुटेज दर्शकों के लिए परेशान करने वाला हो सकता है, इसलिए हमने हाइपरलिंक और ट्वीट्स एम्बेड नहीं किये हैं. इसके बजाय हमने स्क्रीनशॉट्स का इस्तेमाल किया है.)
फ़ैक्ट-चेक
ऑल्ट न्यूज़ ने ‘pakistan man hanged by taliban.’ की-वर्ड्स का इस्तेमाल करके एक गूगल सर्च किया. इससे हमें अक्टूबर 2015 की दो रिपोर्ट्स मिलीं.
एक रिपोर्ट का टाइटल है, ‘पाकिस्तानी तालिबान ने कहा कि फांसी के बदले में सैन्य अधिकारी को फांसी दी गई.’ आर्टिकल में बताया गया है, “…पाकिस्तानी तालिबान ने हाल ही में पाकिस्तान द्वारा आतंकवादियों को दी गई फांसी के बदले में एक सैन्य खुफिया अधिकारी को फांसी पर लटका दिया.”
रिपोर्ट में कहा गया है, “पाकिस्तान ने पिछले दिसंबर में उस वक़्त मौत की सज़ा बहाल कर दी थी, जब तालिबान बंदूकधारियों ने 134 स्कूली बच्चों का नरसंहार किया था. तब से तालिबान ने कई घातक हमले किए हैं, लेकिन ऐसा लगता है कि मौत की सज़ा को लागू करने के बाद से ये किसी सैन्य अधिकारी की पहली फांसी की वीडियो है.” रिपोर्ट के मुताबिक, वीडियो में मारे गए व्यक्ति ने एक दूसरे वीडियो में खुद को बशीर अहमद खान बताया था.
रिपोर्ट में एक वीडियो का डिस्क्रिप्शन वायरल वीडियो से मेल खाता है. इसमें कहा गया है, “दूसरे वीडियो में खान को पाकिस्तानी झंडे में लिपटे हुए दिखाया गया है, उसकी आंखें काले कपड़े से बंधी हुई हैं और उसके गले में फंदा है… दूसरे आतंकवादी उसके शरीर पर गोली चलाते हैं और चिल्लाते हैं: ‘गॉड इज ग्रेट’.”
इसके बाद, ऑल्ट न्यूज़ ने ट्विटर पर पीड़ित के नाम का इस्तेमाल करते हुए की-वर्ड्स सर्च किया और देखा कि Terrormonitor.com अकाउंट ने 2015 में वीडियो से एक स्टिल ट्वीट किया था. 2015 में रॉयटर्स को दिए एक बयान में पाकिस्तानी सेना ने इस बात से इनकार किया कि तालिबान द्वारा जारी किए गए वीडियो में जिस व्यक्ति को दिखाया गया था, वो उसके खुफिया अधिकारियों में से एक था.
कुल मिलाकर, कनाडाई कॉलमिस्ट तारिक फ़तह ने बिना किसी संदर्भ के 2015 में तालिबान आतंकवादियों द्वारा एक व्यक्ति की फांसी दिए जाने की अनवेरीफ़ाईड क्लिप शेयर की. इस फ़ैक्ट को देखते हुए कि पाकिस्तानी सरकार और पाकिस्तानी तालिबान के बीच तनाव बढ़ रहा है, इस ट्वीट से लोग भ्रमित हो सकते हैं कि ये एक हालिया घटना का वीडियो है.
तारिक फ़तह को पहले भी कई बार ग़लत जानकारियां शेयर करते हुए पाया गया है. उनके कई ग़लत दावों के बारे में ऑल्ट न्यूज़ फ़ैक्ट चेक यहां पढ़ सकते हैं.
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