“राजस्थान में एक गरीब किसान द्वारा बैंक के कर्जे ना चुकता कर पाने पर सरेआम रस्सियों से बाँध कर पीटती हुई पुलिस…” इन शब्दों के साथ I Support Ravish Kumar नाम के पेज ने 1 जून, 2018 को एक तस्वीर पोस्ट की है जिसमें पुलिस एक बुजुर्ग व्यक्ति को रस्सी से बांधकर डंडे से पीट रही है। इस पोस्ट को यह रिपोर्ट लिखे जाने तक 25,000 से ज्यादा बार शेयर किया गया है। इस पेज को 9 लाख से ज्यादा लोग फॉलो करते हैं।
राजस्थान में एक गरीब किसान द्वारा बैंक के कर्जे ना चुकता कर पाने पर सरेआम रस्सियों से बाँध कर पीटती हुई पुलिस…
Posted by I Support Ravish Kumar on Friday, 1 June 2018
इन्हीं दावों के साथ कई पेज और पर्सनल आईडी से भी इस तस्वीर को अपलोड किया गया है। प्रदीप भट्टाचार्य नाम के व्यक्ति ने अपने फेसबुक आईडी से इस तस्वीर को 30 मई को पोस्ट किया था जिसे 9000 से ज्यादा बार शेयर किया गया है। हालांकि इन्होने इस पोस्ट का क्रेडिट किसी अनिल मौर्या नाम के व्यक्ति को दिया है। ‘भक्तों का बाप रविश कुमार‘ नाम के पेज ने भी इन्ही दावों के साथ इस तस्वीर को अपने 1 लाख से ज्यादा फॉलोअर्स के बीच 30 मई को पोस्ट किया है जिसे 1 हजार से ज्यादा बार शेयर किया गया है। हरियाणा की बात नाम के पेज जिसके लगभग 1 लाख फॉलोअर्स हैं, इस पेज ने भी इस तस्वीर को शेयर किया है।
ट्विटर पर भी इस तस्वीर को यह कहते हुए पोस्ट किया गया है कि “राजस्थान में एक किसान को पुलिस ने सार्वजानिक रूप से बेरहमी से पीटा, क्योंकि वह 1000 रुपया लोन नहीं चूका पाया। न्याय कहाँ है?”
A farmer in Rajasthan being strapped, held captive & beaten in public by police for his inability to repay Rs 1,000 loan..Where's Justice? pic.twitter.com/qsoc2JpPk1
— Comrade Rahel (@Surabhi54775588) May 30, 2018
इन दावों के साथ पोस्ट की गई इस तस्वीर की सच्चाई क्या है? क्या सच में राजस्थान में गरीब किसान को बैंक कर्ज ना चूका पाने पर पुलिस ने सरेआम पीटा था?
ऑल्ट न्यूज़ ने जब इस तस्वीर की पड़ताल की तो पाया कि यह तस्वीर साल 2016 की है और इसका राजस्थान या किसान से कोई सम्बन्ध नहीं है। यह गुजरात के राजकोट शहर की तस्वीर है। तस्वीर में दिख रहा व्यक्ति जिसे रस्सी से बांधा गया है, उस पर अपनी बहु से बलात्कार करने का आरोप था, जिस कारण उसे राजकोट पुलिस द्वारा सार्वजनिक रूप से बांधकर पीटा जा रहा था। नीचे हिंदुस्तान टाइम्स की 10 अप्रैल, 2016 की रिपोर्ट में यह तस्वीर देखी जा सकती है। हालांकि ऑल्ट न्यूज़ इस तरह के सार्वजनिक रूप से दी जाने वाली सजा के पक्ष में नहीं है फिर भी नीचे की रिपोर्ट दर्शाती है कि यह तस्वीर 2016 की है और इसका हाल के किसी घटना से कोई संबंध नहीं है।
ऑल्ट न्यूज़ ने पहले भी ‘I Support Ravish Kumar’ पेज से किए गए गलत पोस्ट की रिपोर्टिंग की थी, जिसे यहाँ पढ़ा जा सकता है।
इस तस्वीर की पड़ताल हमने किस तरह की है, यह नीचे विडियो में देखा जा सकता है।
हालांकि, यह सच है कि भारत में किसानों की हालत दयनीय है और वो समय-समय पर सरकार के नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन करते रहे हैं और अभी भी कर रहे हैं। ऐसे में जब देश की कृषि व्यवस्था संकटकाल से गुजर रही है और किसान की स्तिथि दिखाने के लिए कई असली तस्वीरें मौजूद हैं तो इस तरह की गुमराह करने वाली तस्वीर की जरुरत नहीं है।
सत्ता को आईना दिखाने वाली पत्रकारिता का कॉरपोरेट और राजनीति, दोनों के नियंत्रण से मुक्त होना बुनियादी ज़रूरत है. और ये तभी संभव है जब जनता ऐसी पत्रकारिता का हर मोड़ पर साथ दे. फ़ेक न्यूज़ और ग़लत जानकारियों के खिलाफ़ इस लड़ाई में हमारी मदद करें. नीचे दिए गए बटन पर क्लिक कर ऑल्ट न्यूज़ को डोनेट करें.
बैंक ट्रांसफ़र / चेक / DD के माध्यम से डोनेट करने सम्बंधित जानकारी के लिए यहां क्लिक करें.