सोशल मीडिया पर सेना के ट्रक के पास खड़े सिपाहियों का एक वीडियो वायरल है. इस वीडियो में कुछ लोग वर्दीधारी अधिकारियों पर भाजपा के लिए प्रचार करने और पार्टी के पक्ष में प्रॉक्सी वोट डालने का आरोप लगा रहे हैं. सोशल मीडिया यूज़र्स इस घटना को 2024 लोकसभा चुनाव के संदर्भ में शेयर कर रहे हैं.
कांग्रेस नेता अरुणेश कुमार यादव (@YadavArunesh) ने X पर ये क्लिप शेयर करते हुए लिखा, लोकतंत्र का न्यूनतम स्तर देखिए आर्मी के जवानों को फर्जी वोट डलवाने की जिम्मेदारी सौंप दी गई! अब यह कहने की जरूरत नहीं है कि किसके इशारे पर यह सब हो रहा है, क्योंकि वोट बीजेपी के पक्ष में डलवाए जा रहे हैं!! सिर्फ एक चुनाव जीतने के लिए BJ पार्टी के लोग राजनीति के स्तर को कितना गिराएंगे? लोकतंत्र को कितना शर्मसार करेंगे? आम जनमानस को कितना परेशान करेंगे? बस देखते जाइए.” पाठकों को ध्यान देना चाहिए कि ऑल्ट न्यूज़ ने अरुणेश कुमार यादव को पहले भी ग़लत सूचनाएं शेयर करते हुए पाया है.
लोकतंत्र का न्यूनतम स्तर देखिए 😡
आर्मी के जवानों को फर्जी वोट डलवाने की जिम्मेदारी सौंप दी गई! अब यह कहने की जरूरत नहीं है कि किसके इशारे पर यह सब हो रहा है , क्योंकि वोट बीजेपी के पक्ष में डलवाए जा रहे हैं!!
सिर्फ एक चुनाव जीतने के लिए BJ पार्टी के लोग राजनीति के स्तर को… pic.twitter.com/SX6ERSeWeb
— Dr. Arunesh Kumar Yadav (डॉ अरुणेश यादव) (@YadavArunesh) May 8, 2024
कई यूज़र्स ने इस वीडियो को ऐसे ही दावे और कमेंट्स के साथ X, इंस्टाग्राम और यूट्यूब (वीडियो-1, 2, 3) पर शेयर किया.
ऑल्ट न्यूज़ के व्हाट्सऐप हेल्पलाइन पर क्लिप की सच्चाई जानने के लिए कई रिक्वेस्ट भी मिलीं.
फ़ैक्ट-चेक
हमने Invid सॉफ़्टवेयर का इस्तेमाल करके वायरल वीडियो से कई कीफ्रेम्स लिए और फिर उनमें से एक तस्वीर को गूगल पर रिवर्स सर्च किया. इससे हमें 2019 में ‘शान ए कश्मीर’ चैनल द्वारा अपलोड किया गया यूट्यूब वीडियो मिला. वीडियो को 3 मई, 2019 को अपलोड किया गया था. इससे पता चलता है कि घटना करीब 5 साल पुरानी है और 2024 के लोकसभा चुनाव से संबंधित नहीं है.
इसे ध्यान में रखते हुए हमने टाइम फ़िल्टर के साथ गूगल की-वर्डस सर्च किया. हमें 2019 की ANI रिपोर्ट मिली जिसके टाइटल का हिंदी अनुवाद है, ‘MP: सेना के अधिकारियों का दावा है कि उपद्रवियों ने उन्हें वोट डालने से रोका, शिकायत दर्ज’. रिपोर्ट में लिखा है, “मध्य प्रदेश के जबलपुर में सेना के अधिकारियों ने 29 अप्रैल को अज्ञात उपद्रवियों के खिलाफ सामान्य मतदाताओं के मतदाता पहचान पत्र छीनने की कोशिश करने, वहां छावनी में तैनात सेना के मतदाताओं को रोकने और सेना की छवि खराब करने के मकसद से वीडियो प्रसारित करने की शिकायत दर्ज की है.
ANI की रिपोर्ट में कंप्लेंट लेटर भी दिखाया गया है जिसमें लिखा है, “29 अप्रैल 2019 को संसदीय चुनावों के लिए मतदान के दिन, ग्रेनेडियर्स रेजिमेंटल सेंटर के सैनिक और उनके पार्टनर एक असली आर्मी व्हीकल पर स्वामी विवेकानन्द उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, कटंगा, जबलपुर, बूथ संख्या 146 पर अपना वोट डालने के लिए गए. जब भारतीय सेना के जवान अपने मतदान कर रहे थे, तभी कुछ बदमाशों ने आकर आपराधिक बल का इस्तेमाल कर उनके मतदाता पहचान पत्र छीन लिए और उन्हें वोट डालने से रोकने की कोशिश की.”
लेटर में आगे बताया गया है, “…वीडियो को सोशल मीडिया पर शेयर करके अज्ञात बदमाशों द्वारा भारतीय सेना और लोकतांत्रिक प्रक्रिया में शांतिपूर्वक भाग लेने वाले उसके सैनिकों की छवि को खराब करने की कोशिश की गई है.”
2019 टाइम्स ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट में लेफ्टिनेंट जनरल GS सांघा (जिन्होंने ग्रेनेडियर्स रेजिमेंट के कर्नल के रूप में भी काम किया है) ने घटना की व्याख्या करते हुए लिखा, “29 अप्रैल 2019 को जबलपुर में मतदान चल रहा था. सेना ने अपने सैनिकों को संवैधानिक प्रावधान के अनुसार जबलपुर में मतदान करने के लिए भेजा, जिनके साथ उनके परिवार और रिक्रूट्सभी शामिल थे. उन्हें सेवा मतदाताओं के रूप में रजिस्टर्ड करने के बाद जहां भी वे तैनात थे वहां वोट देने के लिए भेजा गया क्योंकि उस दिन उन्हें मतदान करने के लिए उनके गृहनगर वापस नहीं भेजा जा सकता था. क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि पूरी सेना घर जाने और मतदान करने के लिए बॉर्डर्स छोड़ दे? सेना की गाड़ी एक किलोमीटर दूर मेन रोड पर खड़ी है. ये लोग मतदान केंद्र पर जाते हैं, सार्वजनिक रूप से अपने आचरण के लिए अपने वरिष्ठों द्वारा निर्देशित और नियंत्रित हो कर और अनुशासित तरीके से मतदान करना शुरू करते हैं. उन्हें ये नहीं बताया गया कि किसे वोट देना है, क्योंकि अच्छी सेनाएं हमेशा विश्वास के साथ सब कुछ करती हैं.”
GS संघा ने कहा, “कुछ राजनीतिक दलों के गुंडों को ये नहीं पता कि संविधान सेना के लोगों को उचित पंजीकरण और मतदाता कार्ड जारी करने के बाद, जहां भी वे तैनात हैं वहां वोट देने की अनुमति देता है. उनका मानना है कि सेना वहां वोट नहीं डाल सकती और सत्ताधारी पार्टी सेना का इस्तेमाल कर जबरन चुनाव में धांधली करा रही है. इसलिए गुंडों ने हंगामा शुरू कर दिया. सेना के लोग शांतिपूर्वक अपनी गाड़ी की ओर वापस चले जाते हैं. राजनीतिक गुंडो ने उनका पीछा किया और कुछ भी कहते हुए वीडियो बनाया. बदमाशों से न उलझने के आदेश की वजह से सेना के जवान उनसे बात करने से बचे. हमारे बीच के गुंडे और कई गैर-जिम्मेदार देशवासियों ने वीडियो वायरल किया…सेना ने आज एक FIR और EC के पास शिकायत दर्ज कराई है.”
कुल मिलाकर, एक वीडियो जिसमें भारतीय सेना के अधिकारियों पर भाजपा के लिए प्रचार करने और पार्टी के पक्ष में प्रॉक्सी वोट डालने का आरोप लगाया जा रहा है, सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है. यूज़र्स ने वीडियो शेयर कर इस घटना को 2024 के लोकसभा चुनाव से जोड़ा है. हालांकि, हमारी फ़ैक्ट-चेक से पता चला कि वीडियो 2019 का था. भारतीय सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने वायरल दावे का खंडन किया था और वीडियो रिकॉर्ड करने वाले लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की गई थी. अधिकारियों के मुताबिक, वायरल क्लिप में दिख रहे सैन्य अधिकारी न तो किसी राजनीतिक दल के लिए प्रचार कर रहे थे और न ही प्रॉक्सी वोट डाल रहे थे. वे जबलपुर के एक बूथ पर अपना वोट डालने की कोशिश कर रहे थे.
अबीरा दास ऑल्ट न्यूज़ में इंटर्न हैं.
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