1 मार्च को बेंगलुरु के ब्रुकफ़ील्ड इलाके में रामेश्वरम कैफ़े में एक विस्फ़ोटक उपकरण से हुए कम तीव्रता वाले विस्फ़ोट में करीब 10 लोग घायल हो गए. बेंगलुरु पुलिस ने गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम और विस्फ़ोटक पदार्थ अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया और मौजूद CCTV फ़ुटेज से एक संदिग्ध की पहचान की. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बाद में ये इन्वेस्टीगेशन राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को सौंप दी.
ट्विटर हैंडल ‘इज्लामिक टेररिस्ट’ (@raviagrawal3) ने 5 मार्च को ट्वीट किया था कि NIA ने अब्दुल सलीम नाम के एक ‘इस्लामिक आतंकवादी’ को रामेश्वरम कैफ़े विस्फ़ोट मामले में गिरफ़्तार किया था जो कि PFI सदस्य भी है. ट्वीट में टोपी पहने एक व्यक्ति की तस्वीर थी. आर्टिकल लिखे जाने तक इस ट्वीट को 4.5 लाख से ज़्यादा बार देखा गया और 3,700 से ज़्यादा बार रीट्वीट किया गया है. (आर्काइव)
रिडर्स ध्यान दें कि इस हैंडल को पहले भी कई बार ग़लत सूचना शेयर करते हुए पाया गया है.
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Islamist Terrorist & PFI Member Abdul Salim has been arrested by National Investigation Agency ( NIA ) from Andhra Pradesh in the IED blast in Rameswaram Cafe in Karnataka. https://t.co/Gggu6CXZEX pic.twitter.com/gfT1fosnmj
— Izlamic Terrorist (@raviagrawal3) March 4, 2024
X (ट्विटर) और फ़ेसबुक पर कई यूज़र्स ने ऐसे ही कैप्शन के साथ कथित व्यक्ति की तस्वीर शेयर की और इस दावे को आगे बढ़ाया कि बेंगलुरु कैफ़े विस्फ़ोट मामले में आरोपी Abdul Salim था. कुछ लोगों ने नाम Abdul Saleem बताया.
नवभारत टाइम्स, ETV भारत और M9 जैसे मीडिया आउटलेट्स और प्रॉपगेंडा आउटलेट ऑर्गनाइज़र और हिंदूपोस्ट ने भी यही दावा करते हुए रिपोर्ट पब्लिश कीं.
फ़ैक्ट-चेक
ऑल्ट न्यूज़ ने गूगल पर सबंधित की-वर्डस सर्च किया और हमें अब्दुल सलीम की गिरफ़्तारी से संबंधित कई रिपोर्ट्स मिलीं. द हिंदू की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अब्दुल सलीम को निज़ामाबाद PFI मामले में गिरफ़्तार किया गया था.
निज़ामाबाद PFI मामला प्रतिबंधित संगठन, पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया (PFI) और उससे जुड़े व्यक्तियों के खिलाफ NIA के नेतृत्व में की गई जांच को संदर्भित करता है. दिसंबर 2022 में, NIA ने निज़ामाबाद PFI मामले में 11 आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था. आरोप पत्र में अब्दुल सलीम पर धारा 120 B (आपराधिक साजिश की सजा), 153 (A) (धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास, भाषा, आदि के आधार पर अलग-अलग ग्रुप्स के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना और सद्भाव बिगाड़ने का कार्य करना) IPC की धारा 17, 18, 18 A और 18 B (गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम या UA (P) अधिनियम की धारा 17, 18, 18 A और 18 B) के तहत आरोप लगाया गया था.
आरोपपत्र में NIA की जांच के मुताबिक, “आरोपी भारत सरकार के साथ-साथ अन्य संगठनों और व्यक्तियों के खिलाफ नफरत और जहर उगलने वाले भाषणों से भोले-भाले मुस्लिम युवाओं को कट्टरपंथी बना रहे थे और उन्हें PFI में भर्ती कर रहे थे.”
हमें ETV भारत की एक और न्यूज़ रिपोर्ट मिली जिसमें अब्दुल सलीम की वही तस्वीर थी जिसे सोशल मीडिया यूजर्स बेंगलुरु विस्फ़ोट के बाद शेयर कर रहे थे. रिपोर्ट में घटना के बारे में वही डिटेल्स हैं जो द हिंदू की रिपोर्ट है और इसमें किसी व्यक्ति के रामेश्वरम कैफ़े विस्फ़ोट मामले से जुड़े होने का कोई ज़िक्र नहीं है. ETV की ये रिपोर्ट 4 मार्च को पब्लिश हुई थी.
जहां तक बेंगलुरु कैफ़े विस्फ़ोट मामले का सवाल है, हमें बेंगलुरु के पुलिस कमिश्नर के ऑफ़िशियल अकाउंट से 2 मार्च को पोस्ट किया गया एक ट्वीट मिला जिसमें बताया गया था कि मामले में अभी तक कोई गिरफ़्तारी नहीं हुई है.
Investigation of the case has been handed over to City Crime Branch (CCB). All the injured are recovering. No arrest made. https://t.co/SHkVjmrA40
— CP Bengaluru ಪೊಲೀಸ್ ಆಯುಕ್ತ ಬೆಂಗಳೂರು (@CPBlr) March 2, 2024
द टाइम्स ऑफ़ इंडिया की 3 मार्च की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि मामले में अभी तक कोई सफलता नहीं मिली है, हालांकि कथित हमलावर की तस्वीर CCTV फ़ुटेज से ली गई है.
कुल मिलाकर, ये दावा झूठा है कि अब्दुल सलीम को बेंगलुरु में रामेश्वरम कैफ़े विस्फ़ोट मामले के संबंध में NIA ने गिरफ़्तार किया है. वो निज़ामाबाद PFI मामले में आरोपी था और उसी सिलसिले में गिरफ़्तार भी किया गया. उस गिरफ़्तारी का बेंगलुरु कैफ़े बम विस्फ़ोट मामले से कोई संबंध नहीं है.
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