शनिवार, 21 सितंबर को बेंगलुरु के वायलिकावल इलाके में एक 29 साल की महिला का क्षत-विक्षत शव उसके घर में एक रेफ्रिजरेटर के अंदर पाया गया. पीड़िता की पहचान महालक्ष्मी के रूप में हुई, वो मल्लेश्वरम में एक कॉस्ट्यूम आउटलेट में काम करती थी और विनायक नगर, वायलिकावल में किराए के घर में अकेली रहती थी.
जब ये जघन्य अपराध सुर्खियों में आया, तो कई तरह की अटकलें ऑनलाइन शेयर होने लगीं. कई लोगों ने दावा किया कि अशरफ़ नामक एक व्यक्ति उसकी मौत के लिए ज़िम्मेदार था. कुछ ही समय में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कई लोगों ने दावा किया कि ये ‘लव जिहाद’ का मामला था जहां एक मुस्लिम व्यक्ति ने एक हिंदू महिला के साथ संबंध बनाए और उसे मार डाला.
न्यूज़ 18 इंडिया के अमन चोपड़ा ने इस थ्योरी को बढ़ाते हुए एक बुलेटिन में कई सांप्रदायिक टिप्पणियां कीं. उन्होंने इस घटना की तुलना श्रद्धा वाकर मामले से की. ज्ञात हो कि 2022 में दिल्ली में 27 साल की महिला की उसके लिव-इन पार्टनर आफताब पूनावाला ने हत्या कर दी थी. अमन चोपड़ा ने कहा: “…आपको याद है दिल्ली में जिस तरह श्रद्धा वाकर नामक लड़की के टुकड़े-टुकड़े करके फ्रिज़ में रखे गए थे, वैसा ही हत्याकांड बेंगलुरु में भी हुआ है अब. नाम बदल गया है पहले श्रद्धा अब महालक्ष्मी. महालक्ष्मी नाम की लड़की के 50 से ज़्यादा टुकड़े फ्रिज़ से मिले हैं. 50 से ज़्यादा टुकड़े.. पहले आफताब था, इस वक्त परिवार वाले अशरफ़ पर आरोप लगा रहे हैं…” उन्होंने बार-बार अशरफ़ के नाम पर जोर दिया, और मुस्लिम व्यक्तियों द्वारा अपने हिंदू पार्टनर्स को मारने का एक पैटर्न का सुझाव दिया, ये एक ऐसी कांस्पीरेसी थ्योरी है जो अक्सर राईटविंग इस्तेमाल करते हैं.
अमन चोपड़ा ने एक ट्वीट में कवरेज का एक हिस्सा शेयर करते हुए लिखा, “…पहले श्रद्धा थी, इस बार महालक्ष्मी है. नाम बदला, modus operandi वही है.” (आर्काइव)
इस बार 50 से ज़्यादा टुकड़े करके फ़्रिज में रखे गये।
पहले श्रद्धा थी,
इस बार महालक्ष्मी है।नाम बदला,
modus operandi वही है।— Aman Chopra (@AmanChopra_) September 23, 2024
महालक्ष्मी की हत्या के लिए अशरफ़ को ज़िम्मेदार ठहराए जाने का दावा बीजेपी कर्नाटक के ऑफ़िशियल एक्स (पूर्व में ट्विटर) हैंडल से भी शेयर किया गया. एक ट्वीट में बीजेपी ने दावा किया कि कांग्रेस की तुष्टीकरण नीतियों के कारण कानून-व्यवस्था खराब हो गई है. (आर्काइव)
Under @INCKarnataka rule, appeasement policies have led to a complete collapse of law and order. The brutal murder of Mahalakshmi by Ashraf is a clear reminder that Kannadigas are no longer safe in this Hitler-led @siddaramaiah government. We urge Congress ministers not to… pic.twitter.com/eWt2IOK1UV
— BJP Karnataka (@BJP4Karnataka) September 22, 2024
सांप्रदायिक ग़लत सूचना फ़ैलाने के लिए जाने जाने वाले इस्कॉन कोलकाता के उपाध्यक्ष और प्रवक्ता राधारमण दास ने भी यही दावा ट्वीट किया. उन्होंने लिखा “अब्दुल के फ्रिज में एक और हिंदू लड़की का शव मिला. ये कहानी दोहराई जाती रहेगी, और वे हिंदू लड़कियां जो अभी भी एक अब्दुल के साथ हैं, सोचती रहेंगी, ‘मेरा अब्दुल अलग है…” (आर्काइव)
नियमित तौर पर सांप्रदायिक प्रॉपगेंडा को बढ़ावा देने वाले राईटविंग इन्फ्लुएंसर @MrSinha_ ने इस मामले पर दो बार ट्वीट किया (ट्वीट 1, ट्वीट 2). दोनों बार इस बात पर जोर दिया कि कोई ‘अशरफ़’ ही अपराधी था. (आर्काइव)
RSS के मुखपत्र पांचजन्य और राईटविंग इन्फुएंसर और प्रॉपगेंडा हैंडल काजल हिंदुस्तानी, जयपुर डायलॉग्स, ऋषि बागरी, अश्विनी श्रीवास्तव, संजीव नेवार (जेम्स ऑफ़ बॉलीवुड चलाने वाले), वकील शशांक शेखर झा और अजीत भारती ने अपने ट्वीट में यही दावा किया. (आर्काइव्स 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8)
अन्य यूज़र्स ने भी वायरल दावे को आगे बढ़ाया. (आर्काइव्स 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7)
फ़ैक्ट-चेक
रिपोर्ट्स के मुताबिक, 29 साल की महालक्ष्मी की शादी नेलमंगला में रहने वाले और मोबाइल एक्सेसरी की दुकान चलाने वाले हेमंत दास से हुई थी. दंपत्ति का एक बच्चा भी है. पति से अलग होने के बाद महालक्ष्मी अपने भाई हुकुम सिंह और उनकी पत्नी के साथ रहती थीं. दोनों भाई-बहनों में विवाद हुआ जिसके बाद हुकुम सिंह अपनी पत्नी के साथ वहां से चले गए. तब से पीड़िता अकेली रहती थी. पीड़िता की मां की गवाही के मुताबिक़, पीड़िता ने आखिरी बार 2 सितंबर को अपनी मां से बात की थी और उन्हें बताया था कि वो जल्द ही अपने अलग हो चुके पति से मिलने जाएगी. उसकी हत्या का पता 21 सितंबर को चला.
हेमंत दास ने एक आदमी पर शक जताया. उसने दावा किया कि महलक्षमी का संबंध था उस आदमी के साथ. उसने बताया कि शादी के 6 साल बाद वैवाहिक मतभेदों के कारण दंपति नौ महीने पहले अलग हो गए थे. उसने खुलासा किया कि उसे नेलमंगला में एक सैलून में काम करने वाले अशरफ़ नामक व्यक्ति पर इस घटना में शामिल होने का शक है. हेमंत के मुताबिक, महालक्ष्मी का अशरफ़ से अफ़ेयर था. उसने आगे बताया कि महालक्ष्मी ने कुछ महीने पहले अशरफ़ के खिलाफ शेषाद्रिपुरम पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें उस पर ब्लैकमेल करने का आरोप लगाया गया था.
हालांकि, पुलिस ने अशरफ़ को मुख्य आरोपी नहीं बताया. असल में उन्होंने अशरफ से पूछताछ की और बाद में उसे छोड़ दिया था.
23 सितंबर को एक बयान में बेंगलुरु के पुलिस आयुक्त B दयानंद ने कहा कि मामले में मुख्य संदिग्ध की पहचान हो गई है. वो एक बाहरी व्यक्ति था और उस वक़्त फरार था. पुलिस उसकी पहचान और घटना की और जानकारी के बारे में चुप्पी साधे रही.
मामले में एक महत्वपूर्ण मोड़ तब आया जब मुख्य संदिग्ध ओडिशा में मृत पाया गया, उसकी मौत ‘आत्महत्या’ से हुई. आरोपी मुक्तिराजन प्रताप रे का शव बुधवार, 25 सितंबर की सुबह ओडिशा के भद्रक ज़िले के भुइनपुर गांव में एक पेड़ से लटका हुआ पाया गया. आरोपी भुइनपुर गांव का ही रहने वाला था. ज़्यादातर रिपोर्ट्स में मुक्ति रंजन रे नाम बताया गया है.
भद्रक के SP वरुण गुंटुपल्ली के मुताबिक, इससे पहले कि बेंगलुरु पुलिस की टीम आरोपी को पकड़ पाती, मुक्तिराजन ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. एक सुसाइड नोट मिला है जिसमें उसने हत्या करने की बात कबूल की है.
Mahalakshmi murder case | Odisha | SP Bhadrak, Varun Guntupalli says, ” A team of Bangalore Police had come here to probe the recent murder of a woman there. The team said that the prime accused belonged to Bhadrak. Before the team could apprehend the accused, Mukthirajan died by… pic.twitter.com/RpRqBqpYXb
— ANI (@ANI) September 26, 2024
SP ने टाइम्स ऑफ़ इंडिया को बताया, “हमें पूरा शक है कि बेंगलुरु हत्या के सिलसिले में गिरफ़्तारी के डर से उसने अपनी जान दे दी…”
मुक्ति रंजन रे और महालक्ष्मी 2023 से सहकर्मी थे. महालक्ष्मी से जुड़े लोगों से पूछताछ के दौरान जांच अधिकारियों को पता चला कि मुक्ति रंजन कुछ समय से फरार था. पीड़िता और आरोपी दोनों 1 सितंबर के बाद काम पर नहीं आए थे. पुलिस ने तब मुक्ति रंजन के भाई से संपर्क किया, उसने बताया कि मुक्ति रंजन ने उसे पश्चिम बंगाल से कॉल किया था और हत्या करने की बात कबूल की थी. मुक्ति रंजन के भाई ने उसे शहर छोड़ने के लिए कहा था. इसके बाद वो ओडिशा स्थित अपने गांव चला गया.
कुल मिलाकर, 29 साल की महालक्ष्मी की हत्या ‘लव जिहाद’ का मामला नहीं था और न ही मुख्य आरोपी मुस्लिम था. कई पत्रकार, राईटविंग इन्फ्लुएंसर्स द्वारा किए गए इस तरह के दावे झूठे हैं. महालक्ष्मी की हत्या उसके सहयोगी ने की थी, जो कि एक हिंदू था. और बाद में आरोपी ने भी आत्महत्या कर ली.
सत्ता को आईना दिखाने वाली पत्रकारिता का कॉरपोरेट और राजनीति, दोनों के नियंत्रण से मुक्त होना बुनियादी ज़रूरत है. और ये तभी संभव है जब जनता ऐसी पत्रकारिता का हर मोड़ पर साथ दे. फ़ेक न्यूज़ और ग़लत जानकारियों के खिलाफ़ इस लड़ाई में हमारी मदद करें. नीचे दिए गए बटन पर क्लिक कर ऑल्ट न्यूज़ को डोनेट करें.
बैंक ट्रांसफ़र / चेक / DD के माध्यम से डोनेट करने सम्बंधित जानकारी के लिए यहां क्लिक करें.