कई सोशल मीडिया यूज़र्स ने दावा किया है कि बांग्लादेश में संजीत विश्वास नामक एक भारतीय नागरिक को फरीदपुर ज़िले के दो मंदिरों में हिंदू देवताओं की मूर्तियां तोड़ने के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था.
भारतीय और बांग्लादेशी मीडिया आउटलेट्स ने भी बांग्लादेशी पुलिस के एक बयान के आधार पर मामले पर रिपोर्ट किया.
गिरफ़्तारी का कारण क्या था?
फरीदपुर पुलिस के उपरोक्त प्रेस बयान के मुताबिक, फरीदपुर के भांगाबाजार में हरि मंदिर और काली मंदिर के अधिकारियों ने मूर्तियों के क्षतिग्रस्त होने के बारे में पता चलने के बाद 15 सितंबर 2024 को भांगा पुलिस स्टेशन में एक लिखित शिकायत दर्ज़ की.
पुलिस ने मंदिर का दौरा किया और पाया कि दोनों मंदिरों में कई मूर्तियों को अपवित्र किया गया था. गौरतलब है कि हरि मंदिर में हिंदू देवता कार्तिक की मूर्ति की एक उंगली और उनके मोर की गर्दन को मोड़ दिया गया था. काली मंदिर में हिंदू देवता गणेश की मूर्ति की सूंड और एक उंगली टूटी हुई पाई गई.
जांच के दौरान पुलिस ने मंदिर के पास बिस्तर पर सो रहे दो लोगों से पूछताछ की. इनमें से एक को स्थानीय लोगों ने पहचान लिया जबकि दूसरा व्यक्ति संतोषजनक जवाब नहीं दे रहा था. इस कारण उसे थाने ले जाया गया. बाद में जांच के दौरान पता चला कि वो बांग्ला और हिंदी बोल सकता है. फिर उसने अपनी पहचान भारत के नादिया ज़िले के निशिकांत बिस्वास के 45 साल के बेटे संजीत बिस्वास के रूप में दी. इसके बाद पुलिस ने उसे गिरफ़्तार कर लिया.
बांग्लादेशी मीडिया आउटलेट्स ने ऐसी खबरें प्रकाशित कीं जिनमें दावा किया गया कि एक भारतीय को गिरफ़्तार किया गया है, इनमें अर्थसुचक, अजकर बांग्लादेश, डेली ऑब्जर्वर, प्रबाशिर डिगांटे, यूरो बांग्ला टाइम्स और द डेली कैंपस शामिल हैं.
भारत के बंगाली मीडिया आउटलेट ज़ी 24 घंटा ने भी घटना और एक भारतीय नागरिक की गिरफ़्तारी की रिपोर्ट दी.
ये दावा सोशल मीडिया पर भी खूब वायरल है.
वेरिफ़ाईड X (जिसे पहले ट्विटर के नाम से जाना जाता था) यूज़र पिनाकी भट्टाचार्य (@PinakiTweetsBD) ने देश के न्यूज़ आर्टिकल का एक स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए लिखा, “… ये पता चला है कि हाल ही में, एक भारतीय व्यक्ति, जो धर्म से हिंदू है और मानसिक रूप से बीमार होने का नाटक कर रहा है. बांग्लादेश में हिंदू मूर्तियों को नष्ट करते हुए पकड़ा गया…”
It’s fascinating to observe the regional politics of the Indian subcontinent, where religion is often exploited as a tool for maintaining hegemony. The ruling class, unable to address real issues, fuels religious tension to distract people with non-issues. You may have heard that… pic.twitter.com/1lAulXNjw0
— Pinaki Bhattacharya (@PinakiTweetsBD) September 17, 2024
X हैंडल DOAM (@doamuslims) ने घटना के बारे में ट्वीट करते हुए कहा, “भारत और अवामी लीग मुसलमानों और हिंदुओं के बीच सांप्रदायिक दंगे भड़काकर #बांग्लादेश को अस्थिर करने की सख्त कोशिश कर रहे हैं.”
कई X यूज़र्स ने ऐसे ही दावे किए हैं. उनमें से कई लोगों ने पुलिस का बयान शेयर किया है.
पुलिस ने अपना बयान वापस लेते हुए कहा कि वो बांग्लादेशी है
मंगलवार, 17 सितंबर, 2024 को जारी एक प्रेस रिलीज़ में पुलिस ने बताया कि गिरफ़्तार व्यक्ति जिसकी पहचान पहले भारतीय नागरिक के रूप में की गई थी, वो असल में बांग्लादेशी था.
संशोधित बयान के मुताबिक, संजीत विश्वास के पिता 72 साल के निशिकांत विश्वास ने शुरूआती प्रेस रिलीज जारी होने के बाद फरीदपुर पुलिस से कॉन्टेक्ट किया. उन्होंने कहा कि संजीत उनका बेटा है और वो बांग्लादेश के नागरिक हैं. ये परिवार बांग्लादेश के ढाका डिवीजन में गोपालगंज ज़िले के काशियानी उपज़िला के नजमकांडी गांव का रहने वाला है. निशिकांत ने पुलिस को ये भी बताया कि उनका बेटा मानसिक रूप से बीमार है.
बयान में ये भी कहा गया कि संजीत कुछ साल पहले काम के लिए भारत गया था. वापस लौटने के बाद, वो कुछ समय तक अपने परिवार के साथ रहा लेकिन लगभग चार साल पहले लापता हो गया. उसके बाद से वो अपने परिवार के संपर्क में नहीं था.
बांग्लादेश के कई मीडिया आउटलेट्स ने फरीदपुर के SP शैलेन चकमा के हवाले से ये ख़बर दी है. इनमें ढाका ट्रिब्यून, बांग्ला न्यूज़ 24, द डेली स्टार और अन्य शामिल हैं.
हमने देखा कि फरीदपुर ज़िला पुलिस के ऑफ़िशियल फ़ेसबुक पेज पर एक न्यूज़ रिपोर्ट शेयर की गई थी जिसका टाइटल था, “मूर्तियों को तोड़ने के आरोप में हिरासत में लिया गया व्यक्ति गोपालगंज का नागरिक है, भारत का नहीं.”
हमने ढाका के एक पत्रकार से भी कॉन्टेक्ट किया जिन्होंने हमें बताया कि पुलिस ने अपने शुरूआती बयान को संशोधित किया है. आरोपी की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है. उन्होंने हमें ये भी बताया कि आरोपी के पिता ने पुलिस से कहा था कि वो अपने बेटे से मिलने आएंगे.
कुल मिलाकर, फरीदपुर के भांगा उपज़िला में हिंदू देवताओं की मूर्तिययां तोड़ने का आरोपी व्यक्ति भारतीय नहीं बल्कि बांग्लादेशी नागरिक है. पुलिस के ग़लत बयान से सोशल मीडिया पर झूठे दावे किए जाने लगे और ग़लत मीडिया रिपोर्ट्स आनी शुरू हो गईं. बाद में पुलिस ने बयान वापस ले दिया.
अंकिता महालनोबिश ऑल्ट न्यूज़ में इंटर्न हैं.
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